Rashtriya Evam Antarrashtriya Sangathan
Author:
Shailesh KumarPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Other0 Reviews
Price: ₹ 152
₹
190
Available
राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय संगठन हिन्दी माध्यम से प्रतियोगिता परीक्षाओं में भाग लेने वाले प्रतिभागियों के मार्गदर्शन के उद्देश्य से लिखी गई है। प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी के दौरान प्रतिभागियों को सामान्य अध्ययन की तैयारी के लिए विविध स्रोतों से सामग्री एकत्रित करनी पड़ती है। विषयवार ढंग से सामग्री को एक जगह उपलब्ध होना अत्यनत उपयोगी है। इस समन्दर्भ में यह किताब महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि इस विषय पर हिन्दी में मुकम्मल किताब अब तक नहीं की।</p>
<p>इसमें प्रतियोगिता परीक्षाओं को ध्यान में रखकर राष्ट्रीय-अन्तरराष्ट्रीय संगठनों की संक्षिप्त लेकिन सारगर्भित और बिन्दुवार जानकारी दी गई है। वस्तुत: राष्ट्रीय-अन्तरराष्ट्रीय संगठनों के बारे में जानना अपने आपकों जानने की प्रक्रिया का अभिन्न अंग है। आज के गतिशील विश्व में सभी संघटन चाहे वे राजनैतिक हों, आर्थिक हों, सामरिक हों या सामाजिक-सांस्कृतिक हों एक-दूसरे से जुड़े हैं। यदि आप इनका सम्यक् ज्ञान रखें तो इनके अन्तर्सम्बन्धों एवं आन्तरिक जुड़ाव को भलीभाँति समझ सकते हैं। सिविल सेवा की परीक्षा के प्रत्येक स्तर पर चाहे वह प्रारम्भिक परीक्षा हो या मुख्य परीक्षा या साक्षात्कार-इस ज्ञान की अपरिहार्यता से इनकार नहीं किया जा सकता। न केवल सीधे-सीधे प्रश्नों में बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से राजनीति, समाजशास्त्र तथा अर्थाशास्त्र से जुड़े प्रश्नों में इन संस्थाओं के विषय में आपका ज्ञान आपको लाभ पहुँचाएगा।</p>
<p>यह किताब मुख्यत: तथ्यात्मक है एवं इसमें सिविल सेवा परीक्षा सहित सभी महत्त्वपूर्ण परीक्षाओं को ध्यान में रखकर तथ्यों को क्रम दिया गया है।
ISBN: 9789394902084
Pages: 182
Avg Reading Time: 6 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Whispers of Time
- Author Name:
Dr. Krishna Saksena
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Bachchan Rachanawali : Vols. 1-11
- Author Name:
Harivansh Ray Bachchan
- Book Type:

- Description: बच्चन रचनावली (11 खंड) खंड 1 हिन्दी कविता का एक दौर वह भी था जब हिन्दीभाषी समाज को जीवन के गंभीर पक्ष में पर्याप्त आस्था थी, और कविता भी अपने पाठक-श्रोता की समझ पर भरोसा करते हुए, संवाद को अपना ध्येय मानकर आगे बढ़ रही थी। मनोरंजक कविता और गंभीर कविता का कोई विभाजन नहीं था; न मनोरंजन के नाम पर शब्दकारों-कलाकारों आदि के बीच जनसाधारण की कुरुचि और अशिक्षा का दोहन करने की वह होड़ थी जिसके आज न जाने कितने रूप हमारे सामने हैं, और न कविता में इस सबसे बचने की कोशिश में जन-संवाद से बचने की प्रवृत्ति। हरिवंश राय बच्चन उसी काव्य-युग के सितारा कवि रहे हैं। उन्होंने न सिर्फ मंच से अपने पाठकों-श्रोताओं से संवाद किया बल्कि लोकप्रियता के कीर्तिमान गढ़े। कविता की शर्तों और कवि-रूप में अपने युग-धर्म का निर्वाह भी किया और जन से भी जुड़े रहे। यह रचनावली उनके अवदान की यथासम्भव समग्र प्रस्तुति है। रचनावली के इस नए संस्करण में 1983 में प्रकाशित नौ खंड बढ़कर अब ग्यारह हो गए हैं। रचनावली के प्रकाशन के बाद एक स्वतंत्र पुस्तक के रूप में आया बच्चन जी की आत्मकथा का चौथा भाग खंड दस में और पत्रों समेत कुछ अन्य सामग्री खंड ग्यारह में ली गई है। खंड 2बच्चन रचनावली के दूसरे खंड में निम्नलिखित रचनाएँ क्रमानुसार संगृहीत हैं : 'मिलन यामिनी’ (1950), 'प्रणय पत्रिका’ (1955), 'धार के इधर-उधर’ (1957), 'आरती और अंगारे’ (1958), 'बुद्ध और नाचघर’ (1958), 'त्रिभंगिमा’ (1961), 'चार खेमे चौंसठ खूँटे’ (1962)।खंड 3बच्चन रचनावली के इस तीसरे खंड में बच्चनजी की निम्नलिखित रचनाएँ क्रमानुसार संगृहीत हैं : 'दो चट्टानें’ (1965), 'बहुत दिन बीते’ (1967), 'कटती प्रतिमाओं की आवाज’ (1968), 'उभरते प्रतिमानों के रूप’ (1969), 'जाल समेटा’ (1973), 'प्रारम्भिक रचनाएँ भाग 1-2’ (रचनाकाल : 1928-33; प्रकाशन काल : 1943), अतीत की प्रतिध्वनियाँ और मरघट के कुछ पद (रचनाकाल : 1932-33), 'कुछ नवीनतम कविताएँ’ (रचनाकाल : 1973-83)।खंड 4बच्चन रचनावली के इस चौथे खंड में बच्चनजी के द्वारा अनूदित निम्नलिखित काव्य-कृतियाँ क्रमानुसार संगृहीत हैं : 'खैयाम की मधुशाला’ (1935), 'जनगीता’ (1958), 'चौंसठ रूसी कविताएँ’ (1964), 'मरकत द्वीप का स्वर’ (1965), 'नागर गीता’ (1966), 'भाषा अपनी भाव पराये’ (1970), कुछ स्फुट-असंकलित अनुवाद।खंड 5बच्चन रचनावली के इस पाँचवें खंड में बच्चनजी के द्वारा अनूदित शेक्सपियर के चार नाटक निम्न क्रम से संगृहीत हैं : 'मैकबेथ’ (1957), 'ओथेलो’, (1959), 'हैमलेट’ (1969), 'किंगलियर’ (1972)।खंड 6बच्चन रचनावली के इस छठे खंड में बच्चनजी की कुछ गद्य-कृतियों और उनके कुछ स्फुट लेखन को इस क्रम में प्रस्तुत किया गया है : 'कवियों में सौम्य सन्त’ (1960), 'नये-पुराने झरोखे’, (1962), 'टूटी-छूटी कड़ियाँ’ (1973), 'सोपान’ आदि संकलनों—संचयनों की भूमिकाएँ और कुछ असंकलित लेख।खंड 7बच्चन रचनावली के इस सातवें खंड में बच्चनजी की आत्मकथा के प्रथम दो भाग प्रस्तुत किए जा रहे हैं : 'क्या भूलूँ क्या याद करूँ’ (1969), 'नीड़ का निर्माण फिर’ (1970)।खंड 8बच्चन रचनावली के इस आठवें खंड में आत्मकथा का तीसरा भाग 'बसेरे से दूर’ (1977) और उनकी डायरी 'प्रवास की डायरी’ (1971) प्रस्तुत की जा रही है।खंड 9बच्चन रचनावली के इस नवें खंड में बच्चनजी का विविध लेखन निम्न क्रम में संगृहीत है : वार्ताएँ, साक्षात्कार, पुस्तक-समीक्षाएँ, कहानियाँ, बच्चों के लिए लिखी कविताएँ और पत्र।खंड 10बच्चन रचनावली के इस दसवें खंड में बच्चनजी की आत्मकथा का वह अन्तिम चौथा भाग संकलित किया गया है जो अभी तक 'दशद्वार’ से 'सोपान तक’ शीर्षक से स्वतंत्र रूप में उपलब्ध था। आत्मकथा के पहले तीन भाग 'क्या भूलूँ क्या याद करूँ’, 'नीड़ का निर्माण फिर’ और 'बसेरे से दूर’ रचनावली के सातवें-आठवें खंडों में पहले से ही संकलित हैं।खंड 11बच्चन रचनावली का यह संस्करण इस खंड के साथ पूर्ण होता है। इस खंड में उनकी कुछ असंकलित कविताओं, एक साक्षात्कार, एक भाषण और एक भूमिका के अतिरिक्त मुख्यत: उनके पत्र हैं। बच्चनजी ने अपने जीवन में इतने अधिक पत्र लिखे थे, जो यदि एकत्र हो सकते तो बीस-पच्चीस मोटे खंडों में समाते। उन्होंने स्वयं कम-से-कम 50 हज़ार पत्र लिखने की बात स्वीकार की है।
CTET KENDRIYA SHIKSHAK PATRATA PAREEKSHA PAPER-2 (CLASS 6 TO 8) SAMAJIK ADHYAYAN/VIGYAN 15 PRACTICE SETS
- Author Name:
Team Prabhat
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
IBPS-RRBs Office Assistant (Multipurpose) & Officer Scale-1 Preliminary Examination-2024 30 Practice Sets | Includes Latest Solved Papers (Regional Rural Bank) Based On Online Exam Pattern
- Author Name:
Team Prabhat
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Modi Aur Bharatiya Musalman "मोदी और भारतीय मुसलमान" Book In Hindi | Dr Kaynat Kazi
- Author Name:
Dr. Kaynat Kazi
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Bharat Ki Veeranganayen
- Author Name:
Meera Jain
- Book Type:

- Description: This book doesn’t have description
BPSC Bihar Secondary School (Special) Teacher Eligibility Test Sakshamta Pariksha | Class 9 to 10 Social Science "सामाजिक विज्ञान" 20 Practice Sets (Hindi)
- Author Name:
Dr. Ranjit Kumar Singh, IAS (AIR-49)
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Samrasta Ke Unnayak
- Author Name:
Dr. Rahul
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Gharaunda
- Author Name:
Manu Sharma
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Ajneya Aur Unke Upanyas
- Author Name:
Gopal Ray
- Book Type:

- Description: उपन्यास की रचना-प्रक्रिया तो सैद्धान्तिकी गढ़ती ही है लेकिन एक आलोचक का दायित्व होता है कि वह रचना को व्यावहारिक मनोभूमि पर परखे। गोपाल राय ने अज्ञेय के उपन्यासों को उपन्यास की सैद्धान्तिकी के आधार पर देखते हुए उसके विश्लेषण को व्यावहारिक धरातल पर उकेरा है। यह पुस्तक वस्तुत: अज्ञेय के उपन्यासों की व्याख्या के क्रम में एक आरम्भिक मूल्यांकन का प्रयास है। अज्ञेय का उपन्यास-संसार मूल रूप में ‘शेखर : एक जीवनी’ (भाग-एक 1940 एवं भाग-दो 1944), ‘नदी के द्वीप’ (1951) और ‘अपने-अपने अजनबी’ (1961) तक विस्तृत है। आलोचक गोपाल राय ने इन्हीं उपन्यासों की रचना-भूमि पर अपनी लेखनी चलाई है। इस पुस्तक में अज्ञेय की जीवनी-रेखा, रचना परिवेश, साहित्य सम्बन्धी विचार का परिचयात्मक मूल्यांकन करते हुए; अज्ञेय के औपन्यासिक-संसार की व्यावहारिक समीक्षा लिखी गई है। ‘हिन्दी उपन्यास साहित्य में अज्ञेय का स्थान’ शीर्षक अध्याय उपन्यासकार अज्ञेय के लिए मूल्यांकन के प्रतिमान बनाने का कार्य भी करता है। इस तरह यह पुस्तक अज्ञेय के उपन्यासों के रूप और वस्तु की संरचना पर मूल्यांकन की प्राथमिक पहल करती जान पड़ती है। आशा है कि गोपाल राय की यह आलोचना कृति रचनकार अज्ञेय और उनके उपन्यासों की पड़ताल में पाठकों के बीच एक सेतु-निर्माण का कार्य करेगी।
Psychology of Becoming Super Rich with Share Market | Using Candlestick & Chart Patterns
- Author Name:
Shyam Sundar Goel
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Rajneeti Aur Naitikta
- Author Name:
Ashutosh Partheshwar
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Banaras Meets Berlin | Love's Uncharted Journey: An Indo-German Romance Defying Boundaries by Dr. Yojna Shah Jain
- Author Name:
Dr. Yojna Sah Jain
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
SACHITRA SAMANYA GYAN
- Author Name:
Chitra Garg
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Pages From The Diary of A Geologist
- Author Name:
Dr. G. S. Srivastava
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Akarshak Chitrakala
- Author Name:
Avantika
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
The Life and Times of Madan Lal Dhingra
- Author Name:
Vishav Bandhu
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Manik Raitang ki Bansuri
- Author Name:
Dr. Sunita
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
IAS Crack Code
- Author Name:
Mukesh Kumar, Ias
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
I Know You Now
- Author Name:
Sushant Changotra
- Rating:
- Book Type:

- Description: Nitin’s mother means the world to him and when she breathes her last in his arms, it changes him upside down. A soft and humble guy declares rebellion against his father. On the way to fulfill his father’s desire of him becoming an engineer, he takes a bold decision and runs away to a completely new city for pursuing his ambition of becoming a famous singer. Against all the odds, he is not just able to fight the blues, but also forges new bonds of friendship in a completely new place. Once again destiny catches up with his happiness and he finds himself on the crossroad of life. His most loved friends end up in grave trouble and Nitin is confronted with the most difficult choice of his life! Will Nitin be able to survive the outcome of his choice and come out of it as a champion or will he take the plunge towards deluge of depression? Nitin’s journey is the one, which almost every individual has to undergo in one form or the other. This story gives the insight into the actual challenges that confront all of us and it also shares the wisdom to understand that most solutions are not just within our reach, but are within ourselves. The process is just about digging deep within.
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...