Peer Nawaz
Author:
Raju SharmaPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Contemporary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 396
₹
495
Available
राजू शर्मा मन:स्थितियों की महीन डिटेल्स से अपने कथा-पात्रों का व्यक्तित्व रचते हैं। कहानी को सरपट इतिसिद्धम तक ले आनेवाले कथाकारों से अलग उनकी कहानी एक पूरा वातावरण बुनती हुई चलती है, असंख्य सच्चाइयों का एक विस्तृत ताना-बाना जिसका हर रेशा किसी साधारण कथाकार के लिए एक अलग कहानी या उपन्यास का विषय बन जाए। इसी गझिन बुनावट में उनका कथा-रस निवास करता है जिसमें पाठक उनके पात्रों के साथ अपने ख़ुद के मन की कई परतों को भी आकार लेते महसूस करता है।
यह कथा जतिन की है जिसके साथ कथावाचक राघव का रिश्ता कुछ इस तरह से जटिल है: 'एक क्षण के लिए कल्पना कीजिए कि अचानक एक अजनबी सामने प्रकट होता है, जो तीस साल पहले तुम्हारा कॉलेज का सहपाठी था, आम दोस्ती थी...स्वाभाविक था तुम उसे भूल गए। अब वह सामने खड़ा है और एक निरीह नग्नता से अपना नाम, पता बतला रहा है। जैसे ही तुमने उसे पहचाना, एक स्मरण ने तुम्हें बाँध लिया : एक तस्वीर, अधखुले दरवाज़े का एक फ्रेम, जिसके पीछे यही शख़्स तुम्हारी प्रेमिका को बाँहों में बाँधे चूम रहा था।’ सालों बाद हुई इस मुलाक़ात के बाद धीरे-धीरे उसका एक नया रूप सामने आता है। वह बताता है कि उसे कहानी लिखने का वायरस लग गया। वह कहानियाँ लिखता है जो सच हो जाती हैं। वह उसे अपनी कहानियाँ सुनाता है और फिर कहता है...
‘डॉ. राघव रे, प्लीज़ सेव मी, आई एम सिंकिंग।’
‘उसकी मनोदशा सामान्य नहीं थी, वह बीमार था और नहीं भी था। पर उसका स्वास्थ्य बिगड़ता चला गया...अन्त में एक वक़्त आया जब जतिन गम्भीर हालत में अस्पताल में भरती हुआ।’ लेकिन फिर एक दिन वह अस्पताल से ग़ायब हो गया...
ISBN: 9788126728091
Pages: 259
Avg Reading Time: 9 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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