Jannayak Anna Hazare
Author:
Pardeep Thakur/Pooja RanaPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
Biographies-and-autobiographies0 Reviews
Price: ₹ 160
₹
200
Unavailable
यह पुस्तक भ्रष्टाचार के चेहरे और उसे साफ करने में अन्ना हजारे जैसे धर्म-योद्धा की भूमिका का सर्वांगीण अध्ययन तथा सशक्त भ्रष्टाचार-विरोधी विधेयक तैयार करने की विभिन्न चेष्टाओं का खाका प्रस्तुत करती है, जो सरकारी पदों पर बैठे लोगों को भारत में लोकतांत्रिक शासन के प्रभुत्व-क्षेत्र को दूषित करने से रोक सके। अन्ना हजारे सिविल सोसाइटी के आक्रोश को एक ऐसे शक्तिशाली जन-आंदोलन में बदल देने के प्रयासों में लगे हुए हैं, जो कानून-निर्माताओं को यह समझने के लिए बाध्य कर सके कि इस तरह का एक बिल संसद् में तुरंत पेश करना कितना आवश्यक है। इसके साथ ही यह भारत में उच्च पदों पर व्याप्त भ्रष्टाचार का विस्तृत चित्र भी प्रस्तुत करती है। यह शासन और राष्ट्र के विरुद्ध भ्रष्टाचार के अपराधों में लिप्त सार्वजनिक शख्सियतों पर कानूनी काररवाई करने के लिए वर्तमान कानूनी व्यवस्थाओं की अपर्याप्तता को भी उजागर करती है।
72 वर्षीय किसन बाबूराव हजारे उर्फ 'अन्ना हजारे’ जब कोई आंदोलन शुरू करते हैं, तो मुंबई से लेकर दिल्ली तक हर नेता उठकर बैठ जाता है और उनकी बातों पर ध्यान देता है। आज भ्रष्टाचार के विरुद्ध भारत के संघर्ष का नाम 'अन्ना हजारे’ पड़ गया है और उन्हें 'आधुनिक भारत का गांधी’ कहा जाने लगा है।
ISBN: 9789350480977
Pages: 160
Avg Reading Time: 5 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: चचेरे और मौसेरे भाई—राज और उद्धव। सगे लेकिन राजनीतिक सोच में बिल्कुल अलग। एक बाल ठाकरे की चारित्रिक विशेषताओं को फलीभूत करने वाला, उनकी आक्रामकता को पोसनेवाला, दूसरा कुछ अन्तर्मुखी जिसकी रणनीतियाँ सड़क के बजाय काग़ज़ पर ज़्यादा अच्छी उभरती हैं। शिवसेना की राजनीति को आगे बढ़ाने के दोनों के ढंग अलग थे। बाल ठाकरे की ही तरह कार्टूनिस्ट के रूप में कैरियर की शुरुआत करनेवाले राज ने पार्टी के विस्तार के लिए चाचा की मुखर शैली अपनाई। दूसरी तरफ़ उद्धव अपने पिता की छत्रछाया में आगे बढ़ते रहे। राज ठाकरे ने अपनी स्वतंत्र पहचान के लिए महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) का गठन किया, वहीं उद्धव महाराष्ट्र की राजनीति में अपनी व्यावहारिक सूझ-बूझ के चलते आज महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री हैं। यह पुस्तक इन दोनों भाइयों के राजनीतिक उतार-चढ़ाव का विश्लेषण है। पहचान की महाराष्ट्रीय राजनीति और शिवसेना तथा उससे बनी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के उद्भव की जटिल सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक पृष्ठभूमि का विश्लेषण करते हुए इस पुस्तक में उद्धव सरकार के गद्दीनशीन होने के पूरे घटनाक्रम और उसके अब तक के, एक साल के शासनकाल की चुनौतियों और उपलब्धियों का पूरा ब्यौरा भी दिया गया है।
Hashimpura 22 May
- Author Name:
Vibhuti Narayan Rai
- Book Type:

-
Description:
साल 1987; दिन 22 मई; समय तक़रीबन आधी रात। ग़ाज़ियाबाद से सिर्फ़ पन्द्रह-बीस किलोमीटर दूर मकनपुर गाँव की नहर के किनारे आज़ाद भारत का सबसे भयावह हिरासती हत्याकांड हुआ था। पी.ए.सी. ने मेरठ के हाशिमपुरा मुहल्ले से उठाकर कई दर्जन मुसलमानों को यहाँ नहर की पटरी पर लाकर मार दिया था। विभूति नारायण राय उस समय गाजियाबाद के पुलिस कप्तान थे।
यह पुस्तक लेखक द्वारा उसी समय लिए गए एक संकल्प का नतीजा है, जब वे धर्मनिरपेक्ष भारत की विकास-भूमि पर अपने लेखकीय और प्रशासनिक जीवन के सबसे जघन्य दृश्य के सम्मुख थे। साम्प्रदायिक दंगों की धार्मिक-प्रशासनिक संरचना पर गहरी निगाह रखनेवाले, और ‘शहर में कर्फ़्यू’ जैसे अत्यन्त संवेदनशील उपन्यास के लेखक विभूति जी ने इस घटना को भारतीय सत्ता-तंत्र और भारतवासियों के परस्पर सम्बन्धों के लिहाज़ से एक निर्णायक और उद्घाटनकारी घटना माना और इस पर प्रामाणिक तथ्यों के साथ लिखने का फ़ैसला लिया जिसका नतीजा यह पुस्तक है।
यह सिर्फ़ उस घटना का विवरण भर नहीं है, उसके कारणों और उसके बाद चले मुक़दमे और उसके फ़ैसले के नतीजों को जानने की कोशिश भी है। इसमें दु:ख है, चिन्ता है, आशंका है, और उस ख़तरे को पहचानने की इच्छा भी है जो इस तरह की घटनाओं के चलते हमारे समाज और देश की सामूहिकता के सामने आ सकता है—घृणा, अविश्वास और हिंसा का चहुँमुखी प्रसार।
उम्मीद करते हैं कि इस किताब को पढ़ने के बाद हम एक सभ्य नागरिक समाज के रूप में अपने आस-पास पसरते इस ख़तरे के प्रति सतर्क होंगे और इसे रोकने का संकल्प लेंगे, जिसके कारण हाशिमपुरा जैसे कांड वैधता पाते हैं।
Vivekanand Ek Khoj
- Author Name:
Shankar
- Book Type:

- Description: स्वामी विवेकानंद आध्यात्मिक जगत् के ऐसे जाज्वल्यमान नक्षत्र हैं, जिन्होंने अपनी आभा से भारत ही नहीं, संपूर्ण विश्व को प्रकाशमान किया। वे मात्र संत-स्वामी ही नहीं थे, एक महान् देशभक्त, ओजस्वी वक्ता, अद्वितीय विचारक, लेखक और दरिद्र-नारायण के अनन्य सेवक थे। प्रसिद्ध लेखक रोम्याँ रोलाँ ने उनके बारे में कहा था—''उनके द्वितीय होने की कल्पना करना भी असंभव है। वे जहाँ भी गए, प्रथम रहे। हर कोई उनमें अपने नेता का दिग्दर्शन करता। वे ईश्वर के सच्चे प्रतिनिधि थे। सबको अपना बना लेना ही उनकी विशिष्टता थी।’ स्वामीजी ने मानवमात्र का आह्वन किया—''उठो, जागो, स्वयं जागकर औरों को जगाओ। अपने नर-जन्म को सफल करो और तब तक रुको नहीं, जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए।’ उनतालीस वर्ष के छोटे से जीवनकाल में स्वामी विवेकानंद जो काम कर गए, आनेवाली शताब्दियों तक वे मानव-पीढिय़ों का मार्गदर्शन करते रहेंगे। स्वामी विवेकानंद का चरित्र ऐसा है, जिससे प्रेरणा पाकर अनगिनत लोगों ने जीवन का सुपथ प्राप्त किया। भारतीय संस्कृति के उद्घोषक एवं मानवता के महान् पोषक स्वामी विवेकानंद और उनके जीवन-दर्शन को गहराई से जानने-समझने में सहायक क्रांतिकारी पुस्तक।
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