
Trymbakam Yajamahe
Author:
Mahendra MadhukarPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 556
₹
695
Available
शिव-चेतना का अनुभव एक अद्वैत अनुभव है। यह विरोधों में सामंजस्य की प्रवृत्ति है। यों कहें कि विरुद्ध को अनुकूल बनाने की दृष्टि है। हम जानते हैं कि मृत्यु एक बड़ी सच्चाई है पर फिर भी हम अमरत्व की कामना करते हैं। हम तो अमर नहीं हो सकते पर हमारा कर्म हमें अमर कर सकता है।</p>
<p>परमात्मा के त्रिगुण रूपों में भगवान शिव परम अनुरक्त और परम विरक्त देवता हैं। इसलिए ये महादेव हैं, क्योंकि महान वही हो सकता है जो सभी स्थितियों में महान लगे। जो नीचे से ऊपर तक, बाहर से भीतर तक एक समान हो। शिव का 'कैलास' शिखर मन का प्रतीक है।</p>
<p>महादेव शिव के लिए 'त्रयम्बकं यजामहे' कहकर उनका पूजन और सम्मान किया गया है। समस्त दिशाएँ उनके वस्त्र हैं, सजल मेघ उनके जटाजूट हैं, आकाश उनका दृप्त भाल, विद्युत् उनका तीसरा नेत्र और पृथ्वी उनकी रंगशाला है, जिसमें निरन्तर अणुओं का नृत्य (dancing atoms) चलता रहता है। शिव ज्ञान के, औषधि के, नृत्य और नाद के, जीवन और मृत्यु के, अमृत और विष के विलक्षण समन्वय हैं। शिव के बाएँ आधे भाग में पार्वती सुशोभित हैं, माथे पर आधा चन्द्रमा चमक रहा है। वे शिव के साथ मिलकर पूर्णत्व प्राप्त करते हैं। शिव स्वीकृति के देवता हैं। उनके लिए सभी ग्राह्य हैं। वहाँ निषेध के लिए अवकाश नहीं। उनके भक्त ताल-बेताल नाचें या गाएँ, मुँह से बम-बम का स्वर निकालें, गाल बजाएँ, उनके दरबार में सब जायज़ है।</p>
<p>शिव-केन्द्रित इस उपन्यास के शिव भूत-प्रेत जैसे दिव्यांग जीवों के शरणदाता और पोषक हैं। वे बहुमुखी, बहुआयामी हैं, गायक, वादक, नर्तक, स्वयंभू, जीव और जन्तुओं के उद्धारक, महावीर, महादेव, अर्द्धनारीश्वर और लोकोपकारक हैं। उनका रोदन-रस ही रुद्राक्ष है। उनकी पार्वती स्त्री-शक्ति और पर्यावरण संरक्षा की प्रतिनिधि हैं। इस इकार रूपा शक्ति के अभाव में शिव भी शव रूप हो जाते हैं। उन पर केन्द्रित यह पौराणिक महाकाव्यात्मक उपन्यास, हमें आशा है, संसार को देखने की हमारी दृष्टि को विस्तृत करेगा।
ISBN: 9789389577501
Pages: 239
Avg Reading Time: 8 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
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Description:
कोहबर की शर्त उपन्यास के विख्यात लेखक का यह उपन्यास पारिवारिक जीवन की पृष्ठभूमि से निकलकर मानवीय सम्बन्धों के एक बड़े विस्तार में जाता है जिसमें जंगलों, पहाड़ों में कार्यरत मज़दूरों, ठेकेदारों और सरकारी कर्मचारियों के साथ-साथ दफ़्तरी जीवन का एक बहुत नज़दीक से देखा हुआ विवरण भी आता है।
श्रीकान्त बाबू एक मध्यवर्गीय परिवार से आते हैं जहाँ रिश्तों का एक व्यापक संजाल है, जीवन, स्नेह और ऊष्मा से लबालब। लेखक श्रीकान्त का भाव एक अनाथ लड़की जया पर भी आता है, और वे उसे गोद लेकर पालते-पोसते हैं। अन्त में एक भिन्न भूमिका में जगतसेवा में जाते हैं।
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