Rajyapal
Author:
B. PuttaswamayyaPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 280
₹
350
Unavailable
कन्नड़ देश की भाषा और संस्कृति के इतिहास में कल्याणी चालुक्य राजाओं का शासनकाल अनेक दृष्टियों से महत्त्व का तथा प्रभावशाली रहा है। चालुक्य राजाओं में पेर्माडी जगदेकमल्ल के पश्चात् जिन तैलप (शतम्) ने सिंहासन का आरोहण किया वे विलासी, आलसी, राजनीति के क्षेत्र में एकदम अनुभवहीन थे। उनकी इन दुर्बलताओं के फलस्वरूप उनके सामन्त तथा दंडनायक कलचूरी वंशीय बिज्जल के हाथ में राज्य का सूत्र चला गया।</p>
<p>राज्यापहरण की इस घटना के बाद बारहवीं सदी में एक अभूतपूर्व साहित्यिक-धार्मिक क्रान्ति का प्रादुर्भाव हुआ। इस क्रान्ति के कारण बिज्जल का राज्यकाल इतिहास में अपना एक पदचिह्न छोड़ गया है। इस क्रान्ति के कर्णधार थे बिज्जल के मंत्रिपरिषद् के सदस्य भक्ति-भंडारी बसवेश।</p>
<p>इस कालावधि में जो घटनाएँ हुईं, वे ही इस ‘राज्यपाल’ उपन्यास की कथा-वस्तु हैं। उपन्यास की पीठिका के रूप में तत्कालीन सामाजिक, राजनीतिक परिस्थितियों का समसामयिक साहित्य, शिला-लेख आदि की सहायता से चित्रित करने का प्रयत्न किया गया है।</p>
<p>सिद्धहस्त लेखक बी. पुट्टस्वामय्या ने प्रांजल भाषा में एक युग को साकार कर दिया है। भालचन्द्र जयशेट्टी का सतर्क अनुवाद उपन्यास को मूल आस्वाद से अभिन्न रखने में समर्थ सिद्ध हुआ है।
ISBN: 9788183615594
Pages: 212
Avg Reading Time: 7 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Matrichhabi
- Author Name:
Mahashweta Devi
- Book Type:

-
Description:
‘माँ’ सिर्फ़ एक सम्बन्धवाचक शब्द नहीं, बल्कि बरगद की वृक्ष की तरह इसकी विशालता है। जिसकी असंख्य जड़ें हैं, जो ज़मीन में मज़बूती से पैठकर अपने हर छोटे तने को पेड़ बनते देखती है। महाश्वेता देवी की ‘मातृछवि’ में माँ रूपी बरगद के अनेक तने हैं जिनमें उसके भिन्न-भिन्न रूप दिखाई देते हैं। इसमें कौशल्या है जो अपनी ज़मीन के लिए, अपने अधिकार के लिए हसुआ लेकर अकेले पूरे गाँव का नेतृत्व करती है और अपनी ज़िन्दगी न्योछावर कर देती है। वहीं जाह्नवी माँ हैं, जिन्हें जीते-जी देवी अवतार का रूप बताकर उनके पोते उनकी कमाई खाते रहते हैं और असल में उन्हें एक कोठी में बन्द कर खाने के लिए भी तरसाते हैं। ‘मातृछवि’ सिर्फ़ माँ के भिन्न रूपों को नहीं गढ़ती, बल्कि आज़ादी के बाद के बंगाल की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परतों को भी उधेड़ती है। परतों के खुलते ही जहाँ नक्सलबाड़ी आन्दोलन की रक्तरंजित भूमि दिखाई देती है तो वहीं समाजवाद के निर्माण के नाम पर यमुनावती की माँ और उसके जैसे तमाम लोग, जो अपने को फालतू और अनावश्यक समझने पर मजबूर किए जाते हैं। वहीं अपनी इज़्ज़त को बचाए रखने और अपने बच्चे को भरपेट चावल खिलाने के लिए जटी को सुबह-शाम की माँ बनना पड़ता है। और दिन देवी बनकर गुज़ारना पड़ता है।
महाश्वेता देवी की कहानियों में भले ही औरत का मातृ रूप आज से पचास साल पहले का ही क्यों न हो, लेकिन इसकी प्रासंगिकता आज भी उतनी ही है जितनी तब रही होगी।
Dear Moon
- Author Name:
Soumi Dutta
- Rating:
- Book Type:

- Description: The story, written in an epistolary style, talks about attempts the narrator makes in order to erase the memories of her one true love, from her heart. But can such love be unremembered? Read on to find out.
Hemant Ka Panchhi
- Author Name:
Suchitra Bhattacharya
- Book Type:

-
Description:
क़ामयाब पति, दो-दो बुद्धिमान बेटे और अपनी घर-गृहस्थी में डूबी अदिति, उम्र के चालीसवें के मध्य तक पहुँचते-पहुँचते अचानक महसूस करती है कि वह भयंकर अकेली है। पति अपनी नौकरी में व्यस्त है, दोनों बेटे भी अपने-अपने आकाश में पंख फैलाए उड़ने लगे हैं। अकेली अदिति अब अपने दिन या तो अपने आपसे या पिंजरे की मैना से बातें करती हुई गुज़ारती है। उन्हीं दिनों उसकी ज़िन्दगी में हेमेन मामा दाख़िल होते हैं, उन्हीं की प्रेरणा से जाग उठती है—एक नई अदिति धीरे-धीरे वह अपनी रची-गढ़ी दुनिया में मग्न हो जाती है। ब्याह से पहले वह लेखन के क, ख, ग से परिचित हो चुकी थी। अब वह दुबारा लिखना शुरू करती है। अब जब वह अपने पति, सन्तान और गृहस्थी को नई निगाह से तौलना-परखना शुरू कर देती है, तो शुरू होता है—ज़बर्दस्त टकराव। भयंकर दर्द के काले बादल घिर आते हैं।
अदिति क्या सिर्फ़ सुप्रतिम की पत्नी-भर है? मात्रा बच्चों की माँ है? वह क्या सिर्फ़ ख़ून-मांस की मशीन-भर है, जिससे सिर्फ़ यह अपेक्षित है कि बेहद सहज-स्वाभाविक तरीक़े से गृहस्थी की गाड़ी आगे बढ़ाती रहे? इस दायरे से बाहर क्या अदिति का कोई अस्तित्व नहीं?
सुचित्रा भट्टाचार्य की सशक्त क़लम ने ‘हेमन्त का पंछी’ में औरत के इसी सच की बेचैन तलाश को उकेरा है।
Akshaya Patra
- Author Name:
Bindu Bhatt
- Book Type:

-
Description:
बिन्दु भट्ट का प्रथम प्रकाशित डायरी शैली का प्रयोगशील उपन्यास ‘मीरा याज्ञिक की डायरी’ एक ओर आधुनिकतावादी व्यक्ति-चेतना से जुड़ा था तो दूसरी ओर वह समलैंगिक संस्कार के कारण उत्तर-आधुनिकता को भी स्पर्श करता था; परन्तु उनका दूसरा उपन्यास ‘अक्षय पात्र’ बीसवीं शती के अन्तिम दौर के दो दशकों में परवान चढ़े उत्तर-आधुनिकता के स्त्रीवादी, दलितवादी तथा देशीवादी प्रवाहों के निष्कर्ष को समाविष्ट करके स्पष्टतः समकालीन सामाजिक चेतना के साथ जुड़ता है।
—डॉ. चन्द्रकान्त टोपीवाला (प्रसिद्ध समीक्षक-कवि)
बिन्दु भट्ट का उपन्यास ‘अक्षय पात्र’ एक नारी के जीवन की वेदना के अक्षय पात्र की कथा है। जैसे अक्षय पात्र में कभी कोई वस्तु चुकती नहीं वैसे कंचनबा के जीवन में वेदना की लहर एक के बाद एक आती ही रहती है। परन्तु यदि वेदना ही इस उपन्यास का नाभिकेन्द्र होता तो उपन्यास में जो गहराई सिद्ध हुई है, कंचनबा के जीवन में जो अवबोध तथा यथार्थ की निरामयता प्रकट हुई है, वह सम्भव नहीं थी।
—मनसुख सल्ला (प्रसिद्ध समीक्षक-निबन्धकार)
Commonman Narendra Modi
- Author Name:
Kishore Makwana
- Book Type:

- Description: "एक सौ पच्चीस करोड़ नागरिकों की महान् विरासत वाले भारत की जर्जर हालत से त्रस्त आमजन परिवर्तन की ललक में सिर्फ एक व्यक्तित्व पर टकटकी लगाए हुए हैं। एक मामूली किसान से लेकर उद्योगपति और विद्यार्थियों सहित लाखों लोग उनसे प्रभावित हुए हैं तथा भ्रष्टाचार-मुक्त, महँगाई-मुक्त, समर्थ तथा सुदृढ़ भारत के निर्माण के उनके अभियान में शामिल हुए हैं। उन्होंने खुद को एक विकास-पुरुष सिद्ध किया है। विरासत या भाग्य की बदौलत मिली सत्ता के कारण नहीं, बल्कि अनगिनत संकटों और संघर्षों के बीच विकास करके उन्होंने आज लाखों लोगों का दिल जीत लिया है। ऐसे राष्ट्रनायक नरेंद्र मोदी को जानने-समझने की जिज्ञासा-उत्कंठा जन-जन में है। कठोर शासक कहे जानेवाले नरेंद्र मोदी अत्यंत कोमल हृदय के व्यक्ति हैं। उनका हृदय हमेशा पीडि़त-शोषित और अभावग्रस्त लोगों के कल्याण हेतु व्यथित रहता है। कुशल शासक, संगठक, प्रभावी वक्ता, कवि-लेखक-विचारक और दृष्टा जैसे अनेक गुण उनमें कूट-कूटकर भरे हैं। यह पुस्तक नरेंद्र मोदी का जीवन चरित्र नहीं है, बल्कि उनके व्यक्तित्व और कृतित्व को रेखांकित करने का प्रयासभर है। इसमें नरेंद्र मोदी के जीवन के महत्त्वपूर्ण पड़ाव, व्यक्तित्व, राष्ट्रनिष्ठा कार्यक्षमता और विजन—ये पाँच बिंदु तो हैं ही, साथ ही सबसे महत्त्वपूर्ण भाग है, नरेंद्र मोदी के जीवन और व्यक्तित्व पर केंद्रित उनका साक्षात्कार। इस साक्षात्कार में नरेंद्र मोदी ने अपने बचपन, संन्यासी बनने की घटना, प्रचारक जीवन, अपनी पसंद-नापसंद, मुख्यमंत्री बनने की घटना और अपने विचार एवं स्वप्न जैसे ढेरों सवालों पर बेबाकी से जवाब दिए हैं।"
Trikon
- Author Name:
Ramkeval Sharma
- Book Type:

-
Description:
क्या अब देश में शहर ही रहेंगे? गाँव उजड़ जाएँगे? अथवा गाँव अल्पशिक्षितों, अशिक्षितों और मूर्खों से भर जाएँगे? क्या गाँव महाभारत का अखाड़ा बन जाएँगे? आज क्यों गाँवों के लोग विस्तृत जगह-ज़मीन और बड़े मकान छोड़कर शहर में भागने के लिए बाध्य हैं? वहाँ के संकुचित और तंग जीवन को पसन्द करने के लिए कुछ विशेष लाचार और मजबूर क्यों हैं? इसका समाधान ‘त्रिकोण' उपन्यास में पूर्णत: मिलेगा।
आज छुआछूत और ऊँच-नीच की भावनाएँ मिटी हैं परन्तु जातिवाद और खटिया अपनी जगह मुकम्मल और अडिग हैं। ‘त्रिकोण’ उपन्यास दोनों के बीच एक धुरी की तरह स्थित गाँवों के दोनों कालखंडों के विश्लेषण और समाधान में अनोखा और विलक्षण है।
Sapnon Ke Dhai Ghar
- Author Name:
Rashmi Sharma
- Book Type:

- Description: रश्मि शर्मा का दूसरा कहानी-संग्रह 'सपनों के ढाई घर' इस बात का प्रमाण है कि कथा-लेखन उनके लिए एक गम्भीर एवं जिम्मेदारी भरा सतत कर्म है। जाहिरन, इसका निर्वाह वह अपनी निरन्तर रचनात्मकता और सार्थक हस्तक्षेप से कर रही हैं। इस संग्रह की तमाम कहानियाँ अपने परिवेश के प्रति उनकी सजग संवेदनशीलता और उनमें निहित अदीठ जीवन-सत्यों को खोज निकालने की उनकी दृष्टि एवं कौशल से सम्भव हुई हैं। ये कहानियाँ विषय वैविध्य के कारण जितना पाठकों को समृद्ध करती हैं, उतना ही मनुष्य मन की जटिलताओं में उतरकर उनके अवगुंठनों को खोलते हुए चकित भी करती हैं। ये कहानियाँ स्त्री जीवन की विडम्बनाओं के उन बन्द कपाटों को खोलने की कोशिश करती हैं, जिनके पीछे उनकी नियति छुपी बैठी है। 'सपनों के ढाई घर' जिस तरह प्रतिरोध रचती है, वह न सिर्फ चकित करता है, बल्कि पाठकीय चेतना पर उसका असर भी देर तक बना रहता है। रश्मि प्रेम, संवेदना और संचेतना के संयोग से कथा-परिदृश्य निर्मित करती हैं, जिसके भीतर स्त्री-जीवन की अनेक छवियाँ मिलती हैं। इनमें अपनी स्मृतियों में जीती कोई नानी है, तो अपनी परम्परागत कला के बूते अपनी पहचान पर गर्व करती आदिवासी समाज की रुदनी भी है। अपने अकेलेपन के बीच अपने जीवन में आए पुरुषों को याद करती श्रेया है, अपने पति के लिए चिन्तित कृतिका है, अपनी पूर्व मालकिन से होड़ लेती सोनी है, अपने जीवन में अप्रत्याशित फैसले लेती पूर्णिमा है। जाहिर तौर पर ये अनेक स्त्रियाँ हैं, लेकिन इन सभी से मिलकर स्त्री-जीवन का वृत्त बनता है। रश्मि शर्मा ने इसे बड़ी संलग्नता, कौशल और धैर्य से रचा है। इस रचाव में उनका सूक्ष्म ऑब्जर्वेशन और मनुष्य मनोविज्ञान की गहन समझ शामिल है। इन कहानियों का सौन्दर्य किसी कलाबाजी में नहीं, अपने कहन के सौष्ठव में निहित है। ये अपने कथ्य के अनुकूल अपना शिल्प लेकर आती हैं, लिहाजा, इन्हें पढ़ने का आस्वाद भी भिन्न है और इनका प्रभाव भी अभिन्न। यह संग्रह रश्मि शर्मा के कथा-कौशल की एक और बानगी है। —अवधेश प्रीत
Are! Yeh Kaisa Man
- Author Name:
Shanti Kumari Bajpai
- Book Type:

-
Description:
शान्ति कुमारी बाजपेयी का यह तीसरा उपन्यास दो दृष्टियों से अनूठा है। एक तो इसकी आत्मकथापरक शैली और दूसरे गद्य-पद्य-मिश्र चम्पू-सदृश रूप—ये दोनों ही इसे वैशिष्ट्य प्रदान करते हैं।
कथासूत्र में विशेष कसाव न होने पर भी मानव-मन की गहराइयों में झाँककर उसके अन्तस्तल का प्रत्यक्ष कराने की लेखिका की शक्ति रोचकता को निरन्तर बनाए रखती है।
रस की भाषा में बात करें तो शृंगार को इसमें भरपूर स्थान मिला है। लम्बा पूर्वराग, फिर मिलन, अन्त में सदा के लिए वियोग, इस प्रकार शृंगार के क्रमशः परिपाक और उसकी करुण में परिणति—इन सबका यहाँ मार्मिक चित्रण है।
रचना के अन्तिम अंश में नायिका को स्वयं द्वारा उपेक्षित प्रेमी के आजीवन प्रेम-व्रत-परिपालन और देहपात की बात जब ज्ञात होती है, तब उसके चित्त में करुण रस का एक पृथक् स्रोत फूट उठता है। उसके अन्तर्मन की भीतरी तह में छिपा प्रेम उभरकर जब घोर मन्थन को जन्म देता है, तब मन की जटिलता से साक्षात्कार होता है और ‘अरे! यह कैसा मन?’ इस उद्गार को सार्थकता मिलती है।
— प्रेमलता शर्मा
Shekhar Ek Jeevani : Vol. 2
- Author Name:
Sachchidananda Hirananda Vatsyayan 'Ajneya'
- Book Type:

-
Description:
‘शेखर : एक जीवनी’ को कुछ वैचारिक हलक़ों में आत्म-तत्त्व के बाहुल्य के कारण आलोचना का शिकार होना पड़ा था। साथ ही अपने समय के नैतिक मूल्यों के लिए भी इसे चुनौती की तरह देखा गया था। लेकिन आत्म के प्रति अपने आग्रह के बावजूद यह नहीं कहा जा सकता कि ‘शेखर’ समाज से विलग, या उसके विरोध में खड़ा हुआ कोई व्यक्ति है। अगर ऐसा होता तो शेखर अपने समय-समाज के ऐसे-ऐसे प्रश्नों से नहीं जूझता जो उस समय स्वाधीनता आन्दोलन के नेतृत्वकारी विचारकों-चिन्तकों के लिए भी चिन्ता का मुख्य बिन्दु नहीं थे, मसलन—जाति और स्त्री से सम्बन्धित प्रश्न।
जैसा कि स्वयं अज्ञेय ने संकेत किया है, शेखर अपने समय से बनता हुआ पात्र है। वह परिस्थितियों से विकसित होता हुआ और परिस्थितियों को आलोचनात्मक दृष्टि से देखता हुआ पात्र है।
उपन्यास के प्रथम भाग में जिस तरह से शेखर का मनोविज्ञान, उसके अन्तस्तल के निर्माण की प्रक्रिया उद्घाटित हुई है, उसी आवेग और सघनता के साथ इस दूसरे भाग में शेखर के वास्तविक जीवनानुभवों का वर्णन किया गया है। कहना न होगा कि 'शेखर एक जीवनी’ की बुनावट में ‘पैशन’ की वैसी ही उच्छल धारा प्रवाहित है जैसी, हमारे जीवन में होती है। अपने औपन्यासिक वितान में ‘शेखर : एक जीवनी’ इसीलिए एक कालजयी कृति के रूप में मान्य है।
A Divine Tale of Destinies Shanaki Chananthaki
- Author Name:
Mahalaxami Naidu
- Rating:
- Book Type:

- Description: One of the amazing things we have been given as humans is the unquenchable desire to have dreams and knack to make it happen. “A divine tale of destinies – shanaki chananthaki” a mythological tale unfolds against the back drop of Mahabharata war and throws light on the impact the war had on lives other than Pandavas and Kauravas. Growing up as a princess of a powerful kingdom, she did not have the rights to chase her dream. Chananthaki, an exceptionally beautiful princess of chanantakraj has to choose whether to chase her dream or to be an upright royal heir who has to follow the protocols of a royal princess. Will she be able to fight against all odds to accomplish her dream? Who is shanaki? Will chananthaki be able to turn shanaki’s dream into reality? Let’s find out together in this intriguing divine tale of destinies.
Jahaj Ka Panchhi
- Author Name:
Ilachandra Joshi
- Book Type:

-
Description:
इलाचन्द्र जोशी हिन्दी के अत्यन्त प्रतिष्ठित उपन्यासकार थे। उनके प्राय: सभी उपन्यासों का गठन हमारे मध्यवर्गीय समाज के जिन पात्रों के आधार पर हुआ है, वे मनोवैज्ञानिक सार्थकता के लिए सर्वथा अद्वितीय है। ‘जहाज़ का पक्षी’ एक ऐसे मध्यवर्गीय नवयुवक के परिस्थिति-प्रताड़ित जीवन की कहानी है, जो कलकत्ता के विषमताजनित घेरे में फँसकर इधर-उधर भटकने को विवश हो जाता है, किन्तु उसकी बौद्धिक चेतना उसे रह-रहकर नित-नूतन पथ अपनाने को प्रेरित करती है। ऐसा कौन-सा काम है, जो उसने अपने अन्तस की सन्तुष्टि के लिए न अपनाया हो। जीवन की उदात्तता का पक्षपाती होते हुए भी वह ‘जहाज़ का पंछी’ के समान इत-उत भटककर फिर अपने उसी उद्दिष्ट पथ का राही बन जाता है, जिसे अपनाने की साध वह अपने अन्तर्मन में सँजोए हुए
था।‘जहाज़ का पंछी’ में आज के सुशिक्षित किन्तु महत्त्वाकांक्षी तथा बौद्धिक चेतना से आक्रान्त बहुत से नवयुवक अपनी ही जीवनकथा अंकित पाएँगे। यह एक दर्पण है, जिसमें हम अपने तरुण वर्ग और नागरिक जीवन की झाँकी पा सकते हैं।
Sant Na Bandhe Ganthari
- Author Name:
Mithileshwar
- Book Type:

-
Description:
‘संत न बाँधे गाँठड़ी’ उपन्यास जीवन और समाज से अभिन्न धार्मिक आस्था-विश्वास, श्रद्धा-भक्ति तथा आध्यात्मिक चेतना के विकास के नाम पर हमारे समक्ष निरन्तर गहराते संकट से न सिर्फ़ अवगत कराता है बल्कि अन्धश्रद्धा के ख़िलाफ़ हमें जागरूक और सतर्क बने रहने की प्रबल प्रेरणा भी देता है।
यह उपन्यास वैसे बाबाओं, स्वामियों एवं गुरुओं को ही कटघरे में नहीं लाता बल्कि इसके लिए जनसमाज की अन्धश्रद्धा को भी ज़िम्मेवार मानता है। अपने ही जैसे किसी इंसान को गुरु और संत के तहत ईश्वर का प्रतिरूप समझ उनके प्रति अपना तन-मन और धन सर्मिपत कर देना अन्धश्रद्धा नहीं तो और क्या है।
उपन्यास की व्यापकता और महत्त्व का परिचायक इसका ऐसा कथ्य और तथ्य है जिसके तहत धार्मिक, आध्यात्मिक क्षेत्र के किसी भी पक्ष को ऩजरअन्दाज नहीं किया गया है, बल्कि गहराई, बेबाकी और सूक्ष्मता के साथ पूरे परिदृश्य का ऐसा सम्यक् और सटीक विश्लेषण हुआ है जिसके तहत दूध का दूध और पानी का पानी की तरह धार्मिक, आध्यत्मिक जगत का सत्य और तथ्य, कपट और पाखंड तथा योग और भोग सबकुछ स्पष्ट होता चला गया है।
Ateet Ke Chalchitra
- Author Name:
Mahadevi Verma
- Book Type:

- Description: ‘अतीत के चलचित्र’ हिन्दी गद्य की एक अप्रतिम रचना है। इतने दिनों बाद आज भी संवेदना के वे धरातल अछूते और अपूर्व हैं जिनकी सृष्टि इन रेखाचित्रों द्वारा हुई थी। मानवीय सहानुभूति और संवेगों की गहनता के लिए इन्हें चिरकाल तक हिन्दी साहित्य का शीर्षस्थ पद प्राप्त रहेगा।
Thoda Sa Khula Asman
- Author Name:
Ram Kathin Singh
- Book Type:

-
Description:
उपन्यास की कहानी पूर्वी जर्मनी की पृष्ठभूमि पर रची गयी है, जिसकी आर्थिक-सामाजिक व्यवस्था मार्क्सवादी सिद्धान्तों पर आधारित थी। साम्यवादी व्यवस्था की स्थापना के प्रयास में दमनकारी नीतियों का पालन हुआ जिससे भय का एक ऐसा वातावरण पैदा हुआ कि लोग डरे-सहमें रहते। गुलामों की तरह जिन्दगी जीते। किन्तु एक दिन जब जन-जन के मन में व्याप्त असन्तोष की आग भभक उठी, तब पूरी व्यवस्था जलकर राख हो गयी। कम्युनिस्ट शासन का अन्त हो गया। लोग स्वतन्त्र हो गये...।
बर्लिन की दीवाल ढहने के बाद मची भगदड़ में हजारों परिवार बिखर गये। आल्फ्रेड की पत्नी का मनोरोग-चिकित्सा-संस्थान पहुँच जाना तथा आजादी की मशाल जलाने वाले जुर्गेन का जहर देकर मार दिया जाना, उस त्रासदी के बस उदाहरण मात्र थे...।
Yogeshwar
- Author Name:
Shakuntala Mishra
- Book Type:

- Description: योगेश्वर अर्थात श्रीकृष्ण के अनेक रूप जनमानस में अंकित हैं—माखन-चोर से लेकर गीता-उपदेशक तक जिन्हें भारतवासियों ने कई कोणों से देखा और प्रेम किया। यह आख्यान उन्हीं श्रीकृष्ण को एक समग्र व्यक्तित्व के रूप में प्रस्तुत करने का कथात्मक प्रयास है। उनके वंश-इतिहास और जीवन की हर घटना के साथ। कथाकार का मानना है कि कृष्ण के चरित्र को पूरी तरह समझने के लिए हमें चमत्कारों और भावुकता की मन:स्थिति से निकलकर उन्हें एक ऐसे युगपुरुष के रूप में देखना होगा जिसके जीवन का हर क्षण मानवता के लिए एक बहुमूल्य सन्देश है। यह कथा कृष्ण के माता-पिता और उनके भी पूर्वजों की पृष्ठभूमि के वर्णन से आरम्भ होती है जिसमें देवकी और वसुदेव के तप, उनके सुदीर्घ कष्ट और कंस द्वारा उनके छह पुत्रों की हत्या के लोमहर्षक विवरण हमें देखने को मिलते हैं। कृष्ण के बाल्यकाल और छात्र-जीवन को भी कथाकार ने विभिन्न स्रोतों के आधार पर यहाँ पुनर्सृजित किया है। कृष्ण के जीवन में आए विभिन्न पात्रों के माध्यम से चलती यह कथा भगवान श्रीकृष्ण को एक सम्पूर्ण मनुष्य के रूप में स्थापित करती है—एक ऐसा मनुष्य जो एक समय इस पृथ्वी पर अपने दुर्लभ और असाधारण गुणों के साथ उपस्थित था।
Ganga Maiyya
- Author Name:
Bhairavprasad Gupt
- Book Type:

- Description: प्रस्तुत पुस्तक ‘गंगा मैया’ में भारतीय ग्रामीण जीवन-संघर्ष का जो सहज, स्वाभाविक और वास्तविक अंकन हुआ है, वह अन्यत्र दुर्लभ है। यही कारण है कि यह लघु उपन्यास आज विश्व कथा-साहित्य में हिन्दी कथा-साहित्य के प्रतिनिधि के रूप में स्वीकार किया जा रहा है। अन्यान्य विदेशी भाषाओं में प्रकाशित होने के अतिरिक्त फ्रांसीसी तथा पुर्तगाली भाषाओं में प्रकाशित होनेवाली हिन्दी की पहली पुस्तक ‘गंगा मैया’ (1967-69) ही है। फ़्रांसीसी समीक्षकों ने इस उपन्यास की जो प्रशंसा की है, यह इसलिए अधिक महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि आज फ्रांसीसी कथा-साहित्य विश्व में सर्वोच्च स्थान पर प्रतिष्ठित है। हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ उपन्यासों में ‘गंगा मैया’ कलेवर में सबसे छोटा है, किन्तु अपने आत्मिक सौष्ठव में यह उपन्यास महान है। यह हमारी गर्वोक्ति नहीं, विद्वान समीक्षकों की सामान्य उक्ति है। कथ्य, शिल्प और शैली में यह उपन्यास बेजोड़ माना गया है।
Circus
- Author Name:
Sanjeev
- Book Type:

-
Description:
सर्कस आज एक ख़त्म होती हुई कला है। सरकारी संरक्षण और प्रोत्साहन के अभाव, आधुनिक टेक्नोलॉजी-आधारित मनोरंजन के प्रभुत्व और उसकी अपनी आन्तरिक समस्याओं के चलते वह अपनी पारम्परिक जगह को खोता जा रहा है। लेकिन आज भी वह न सिर्फ़ एक बड़े दर्शक वर्ग को आकर्षित करता है, बल्कि एक कौतूहल की रचना भी करता है।
उस विशाल तम्बू के भीतर जहाँ शो शुरू होते ही जैसे ज़िन्दगी और ख़ुशी नाचने लगती है, सुख-दु:ख, आशा-निराशा, यातना और उत्पीड़न का एक भरा-पूरा संसार भी रहता है। ख़ास तौर से भारतीय सर्कस अपने अभावों और भविष्यहीनता के चलते एक बहुस्तरीय यंत्रणा का परकोटा है।
हमारे समय के वरिष्ठ कथाकार संजीव का यह उपन्यास उस दुनिया के भीतर उतरता है; और सर्कस के उन पहलुओं को हमें दिखाता है, जिनकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते। वह चाहे वहाँ काम करनेवाले लोगों की पीड़ा हो, या जानवरों की, हमें ऐसे अनुभव से रूबरू कराती है जो दर्शक के रूप में हमारे लिए अलभ्य रहे आए हैं।
सर्कस सिर्फ़ शामियाने के भीतर चलनेवाला तमाशा ही नहीं, देश का विराट रूपक भी है जहाँ अभिनेता अपनी-अपनी आकांक्षाओं, द्वन्द्वों और छद्म में साँस लेते हुए दर्शक का मनोरंजन करते हैं।
Hum Na Marab
- Author Name:
Gyan Chaturvedi
- Book Type:

- Description: हर बड़ा लेखक, अपने ‘सृजनात्मक जीवन’ में, जिन तीन सच्चाइयों से अनिवार्यतः भिड़न्त लेता है, वे हैं—‘ईश्वर’, ‘काल’ तथा ‘मृत्यु’। अलबत्ता, कहा जाना चाहिए कि इनमें भिड़े बग़ैर कोई लेखक बड़ा भी हो सकता है, इस बात में सन्देह है। कहने की ज़रूरत नहीं कि ज्ञान चतुर्वेदी ने अपने रचनात्मक जीवन के तीस से अधिक वर्षों में, ‘उत्कृष्टता की निरन्तरता’ को जिस तरह अपने लेखन में एकमात्र अभीष्ट बनाकर रखा, कदाचित् इसी प्रतिज्ञा ने उन्हें, हमारे समय के बड़े लेखकों की श्रेणी में स्थापित कर दिया है। ‘हम न मरब’ में उन्होंने ‘मृत्यु’ को रचना के ‘प्रतिपाद्य’ के रूप में रखकर, उससे भिड़ंत ली है। ‘नश्वर’ और ‘अनश्वर’ के द्वैत ने दर्शन और अध्यात्म में, अपने ढंग से चुनौतियों का सामना किया; लेकिन ‘रचनात्मक साहित्य’ में इससे जूझने की प्रविधि नितान्त भिन्न होती है और वही लेखक के सृजन-सामर्थ्य का प्रमाणीकरण भी बनती है। ज्ञान चतुर्वेदी के सन्दर्भ में, यह इसलिए भी महत्त्वपूर्ण है कि वे अपने गल्प-युक्ति से ‘मृत्युबोध’ के ‘केआस’ को जिस आत्म-सजग शिल्प-दक्षता के साथ ‘एस्थेटिक’ में बदलते हैं, यही विशिष्टता उन्हें हमारे समय के अन्यतम लेखकों के बीच ले जाकर खड़ा कर देती है।
Chhal
- Author Name:
Achala Nagar
- Book Type:

-
Description:
रेडियो नाटक, फ़िल्मों और धारावाहिक आदि माध्यमों की विख्यात सृजनकर्मी अचला नागर का यह पहला उपन्यास है। इस उपन्यास में उन्होंने परिवार और व्यवसाय की एक सहयोगी संरचना को आधार बनाते हुए एक ओर पीढ़ियों के संघर्ष को रेखांकित किया है, तो दूसरी तरफ़ विश्वास और भरोसे पर जीवित शाश्वत मूल्यों को प्रतिष्ठित किया है।
कथा के केन्द्र में एक व्यवसायी परिवार है जिसने व्यवसाय का एक सहयोग-आधारित ढाँचा खड़ा किया है, जहाँ व्यवसाय के सब फ़ैसले सहयोगियों की राय से लिए जाते हैं, लेकिन नई पीढ़ी के कुछ लोगों को यह तरीक़ा बहुत रास नहीं आता जिसका परिणाम परस्पर छल, अविश्वास और पारिवारिक मूल्यों के विघटन में होता है। लेकिन जल्दी ही उन्हें अपनी भूल का अहसास होता है, और परिवार तथा परस्पर सौहार्द के जिस ढाँचे पर ग्रहण लगने लगा था, वह वापस अपनी आभा पा लेता है।
उपन्यास की विशेषता इसका कथा-रस है जो इधर के उपन्यासों में अक्सर देखने को नहीं मिलता। बिना किसी चमत्कारी प्रयोग के कथाकार ने सरल ढंग से अपनी कहानी कहते हुए अपने यथार्थ पात्रों को साकार और जीवित कर दिया है।
Kissa Loktantra
- Author Name:
Vibhuti Narayan Rai
- Book Type:

-
Description:
दुनिया-भर में श्रेष्ठ कही जानेवाली शासन-प्रणाली यदि ‘क़िस्सा’ बन जाए तो उसकी विश्वसनीयता सहज ही अनेक सवालों के घेरे में आ जाती है। भारतीय लोकतंत्र आज ऐसी ही स्थिति का शिकार है। ‘तंत्र’ के प्रति ‘लोक’ का विश्वास जैसे पूरी तरह डिग गया है।
लेकिन ऐसा हुआ क्यों? भारतीय स्वाधीनता-आन्दोलन के दौरान और आज़ादी के तुरन्त बाद ऐसा कैसे हुआ कि ‘रामराज्य’ का महान आदर्श ‘रावण-राज्य’ में परिणत हो गया? सुपरिचित कथाकार विभूति नारायण राय का यह उपन्यास भारतीय लोकतंत्र के इसी विरूपीकरण का तथ्यात्मक बयान है।
इसकी शुरुआत होती है पी.पी. नामक एक नेता की प्रेस-कांफ्रेंस से और समापन उसके चुनावी जुलूस से। लेकिन इस घटनान्तराल में लेखक ने पी.पी. के अतीत से लेकर वर्तमान तक के जिन कारनामों का उद्घाटन किया है, उससे इस लोकतांत्रिक शासन-पद्धति के आपराधिक आधार को दूर तक समझने में मदद मिलती है। यह पूरा ‘क़िस्सा’ दिलचस्प तो है ही, पाठकीय अनुभव-संवेदन को भी गहरे जाकर झकझोरता है और उस विकल्प की ओर इंगित भी करता है, जब एक निहत्था आदमी जन-बल के भरोसे ख़ूँखार शेर की आँखों में आँखें डालने का साहस जुटाकर उठ खड़ा होगा।
कहने की आवश्यकता नहीं कि एक भ्रष्ट राजनीतिक तंत्र पर यह उपन्यास बेहद तीखी, लेकिन पूरी तरह जनतांत्रिक टिप्पणी है।
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...