Rajyapal

Rajyapal

Language:

Hindi

Category:

Literary-fiction

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Book Details

कन्नड़ देश की भाषा और संस्कृति के इतिहास में कल्याणी चालुक्य राजाओं का शासनकाल अनेक दृष्टियों से महत्त्व का तथा प्रभावशाली रहा है। चालुक्य राजाओं में पेर्माडी जगदेकमल्ल के पश्चात् जिन तैलप (शतम्) ने सिंहासन का आरोहण किया वे विलासी, आलसी, राजनीति के क्षेत्र में एकदम अनुभवहीन थे। उनकी इन दुर्बलताओं के फलस्वरूप उनके सामन्त तथा दंडनायक कलचूरी वंशीय बिज्जल के हाथ में राज्य का सूत्र चला गया।</p>
<p>राज्यापहरण की इस घटना के बाद बारहवीं सदी में एक अभूतपूर्व साहित्यिक-धार्मिक क्रान्ति का प्रादुर्भाव हुआ। इस क्रान्ति के कारण बिज्जल का राज्यकाल इतिहास में अपना एक पदचिह्न छोड़ गया है। इस क्रान्ति के कर्णधार थे बिज्जल के मंत्रिपरिषद् के सदस्य भक्ति-भंडारी बसवेश।</p>
<p>इस कालावधि में जो घटनाएँ हुईं, वे ही इस ‘राज्यपाल’ उपन्यास की कथा-वस्तु हैं। उपन्यास की पीठिका के रूप में तत्कालीन सामाजिक, राजनीतिक परिस्थितियों का समसामयिक साहित्य, शिला-लेख आदि की सहायता से चित्रित करने का प्रयत्न किया गया है।</p>
<p>सिद्धहस्त लेखक बी. पुट्टस्वामय्या ने प्रांजल भाषा में एक युग को साकार कर दिया है। भालचन्द्र जयशेट्टी का सतर्क अनुवाद उपन्यास को मूल आस्वाद से अभिन्न रखने में समर्थ सिद्ध हुआ है।

ISBN: 9788183615594

Pages: 212

Avg Reading Time: 7 hrs

Age : 18+

Country of Origin: India

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