Assam Ki Lokkathayen
Author:
Suman BajpaiPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 200
₹
250
Available
विद्वानों का मत है कि ‘असम’ शब्द संस्कृत के ‘असोमा’ शब्द से बना है, जिसका अर्थ होता है—अनुपम या अद्वितीय। किंतु अधिकतर विद्वानों का मानना है कि यह शब्द मूल रूप से ‘अहोम’ से बना है। असम राज्य में संस्कृति और सभ्यता की एक प्राचीन और समृद्ध परंपरा रही है। इसका प्रभाव यहाँ के लोकसाहित्य में भी देखने को मिलता है, जिसे पीढ़ी-दर-पीढ़ी सौंपा जाता जा रहा है। इसकी लोककथाओं के माध्यम से यहाँ के लोगों के जीवन और संस्कृति के विविध पहलुओं को जानने का अवसर मिलता है। असम में प्रचलित लोककथाओं को ‘साधु कथा’ कहा जाता है। यहाँ की लोककथाएँ अलौकिक घटनाओं से परिपूर्ण होती हैं। असम तंत्र-मंत्र, जादू-टोना एवं आध्यात्मिकता का केंद्र है। अतः लोककथाओं में तंत्र-मंत्र का समावेश भी देखने को मिलता है और रोजमर्रा के जीवन से जुड़ी घटनाओं को जोड़कर भी कथाएँ बनाई गई हैं। कल्पना और वास्तविकता के समन्वय और उनके रहन-सहन और परिवेश का आईना हैं असम की लोककथाएँ। उनकी बोली, खान-पान और गुजर-बसर करने के तरीकों के बारे में भी इन लोककथाओं के माध्यम से जानने का मौका मिलता है।
इस पुस्तक में ऐसी ही कुछ लोककथाएँ संगृहीत हैं, जो असम की गौरवशाली विरासत व संस्कृति का बोध कराती हैं।
ISBN: 9789355210173
Pages: 152
Avg Reading Time: 5 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Sujan
- Author Name:
Mithilesh Kumari Mishra
- Book Type:

-
Description:
यह घनानन्द और सुजान की प्रेमकथा का औपन्यासिक पाठ है। प्रेम और शृंगार की जो ऊँचाई हमें घनानन्द के काव्य में दिखती है, कहते हैं, उसका श्रेय नर्तकी सुजान के सौन्दर्य और प्रेम की गहनता को जाता है।
स्वर्णकार की दुलारी बेटी सुजान साहित्य-संगीत और धर्म आदि की शिक्षा में पारंगत थी लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति के चलते उसे एक रुग्ण व्यक्ति से ब्याह दिया गया। परिणाम कि जल्दी ही उसके सामने वैधव्य आन खड़ा हुआ, और साथ ही दुर्भाग्य भी। अन्तत: शरण मिली आगरा की विख्यात नर्तकी विश्वमोहिनी के यहाँ। वहाँ सुजान की कला पर और रंग चढ़ा।
मुग़ल साम्राज्य के जिस दरबार में घनानन्द मीर मुंशी थे, सुजान वहीं की राजनर्तकी बनी। शहंशाह रँगीले शाह दोनों को समान भाव से सराहते थे। इसी परिवेश में दोनों की प्रेमकथा परवान चढ़ी और सुजान को अपनी नृत्यकला में तो आनन्द को अपने स्वर तथा शब्द-साधना को चरम पर पहुँचाने के लिए दु:ख, पीड़ा और जीवट की खुराक़ मिली।
यह उपन्यास ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और देश-काल की तत्कालीन परिस्थितियों को अंकित करते हुए इस प्रेमकथा को सहानुभूतिपूर्वक शब्दांकित करता है।
Naya Ghar
- Author Name:
Intizar Hussain
- Book Type:

- Description: नया घर एक परिवार की दास्तान है जिसका सफ़र अतीत में इस्फ़हान के घर से शुरू होता है और हिजरत करता हुआ क़ज़वीन, हिन्दुस्तान और अंत में पाकिस्तान पहुँचकर भी ज़ारी रहता है। इंतिज़ार हुसैन सीधी-सादी ज़बान में आपबीती सुनाते हैं। इनसानी मुक़द्दर, इनसानी जीवन और ब्रह्मांड से सम्बन्धित मूल प्रश्नों पर सोच-विचार के वक्श्त भी इस सहज स्वभाव को क़ाइम रखते हैं। विभाजन के नतीजे में प्रकट होनेवाली सांस्कृतिक, भावात्मक, मानसिक समस्याएँ; एक सर्वव्यापी और साझा इतिहास और उस इतिहास के बनाए हुए सामाजिक संघटन का बिखराव; देशत्याग, साम्प्रदायिक दंगे, सत्ता की राजनीति का तमाशा, पाकिस्तान में तानाशाही, राजनीतिक दमन और मूलतत्ववाद के परिणामस्वरूप सामाजिक स्तर पर प्रकट होनेवाली घुटन और सामूहिक मूर्खताओं का एहसास; फिर विरोध और अभिव्यक्ति-स्वातंत्रय की वह लहर जो वैयक्तिक सत्ता के विरुद्ध सामूहिक नफ़रतों को अभिव्यक्त करती है - नया घर में इन सारी घटनाओं का रचनात्मक चित्रण मिलता है। पिछले चालीस बरसों (‘नया घर’ 1987 ई. में प्रकाशित हुआ था) में होनेवाली हर वह राजनीतिक घटना जिससे सामूहिक दृष्टि प्रभावित हुई है, इंतिज़ार हुसैन की रचनात्मक प्रक्रिया और प्रतिक्रिया में उसकी गूँज सुनाई देती है। इंतिज़ार हुसैन ने एक बहुत बड़े कैनवस की कहानी को यहाँ ‘मिनिएचर’ रूप में प्रस्तुत किया है। कहानी का हर पात्र और हर घटना चित्रण में इस तरह गुँथा हुआ है कि सारे घटक एक दूसरे की संगति में ही अपने अर्थ तक पहुँचते हैं। अतीत की धुंध को चीरती हुई कहानी वर्तमान का भाग इस तरह बनती है कि दोनों कहानियाँ अपने अलग-अलग स्तरों पर भी जीवित रहती हैं। ‘नया घर’ एक सिलसिला भी है और विभिन्न मूल्यों, रवैयों, परम्पराओं और दो ज़मानों के बीच एक संग्राम भी।
Ek Ghoont Chandani
- Author Name:
Rakesh Kumar Singh
- Book Type:

-
Description:
यह छोटा-सा उपन्यास प्रेम की एक बड़ी कहानी है—प्रेम की, और प्रेम की खोज की और प्रेम के विस्तार की। कहानी खोए हुए प्रेम को ढूँढ़ने की, और मिल गए प्यार को बचाए रखने की।
प्यार की कोई एक परिभाषा नहीं होती, प्यार की परिभाषा से कभी कोई रिश्ता तय भी नहीं किया जा सकता; इस तथ्य को जानते हुए भी समाज, संसार प्यार को किसी न किसी रिश्ते में बाँध देना चाहता है, जहाँ वह धीरे-धीरे अपने सत्त्व को, अपनी ऊष्मा को खो देता है। यह कथा एक अनन्त और अकुंठ प्यार को सँजोए रखने की भीतरी जद्दोजहद की कहानी है। इसकी अपनी रवानी है, जैसे प्यार की होती है...और है अपने ढंग की पढ़त भी।
—इसी पुस्तक से
Marichika
- Author Name:
Gyan Chaturvedi
- Book Type:

-
Description:
‘नरकयात्रा’ और ‘बारामासी’ के बाद ‘मरीचिका’ हमें नितांत नए ज्ञान चतुर्वेदी से परिचित कराता है।
इस पौराणिक फैंटेसी में वे भाषा, शैली, कथन तथा कहन के स्तर पर एकदम निराली तथा नई ज़मीन पर खड़े दीखते हैं। यहाँ वे व्यंग्य को एक सार्वभौमिक चिंता में तब्दील करते हुए ‘पादुकाराज’ के मेटाफर के माध्यम से समकालीन भारतीय आमजन और दरिद्र समाज की व्यथा-कथा को अपने बेजोड़ व्यंग्यात्मक लहजे में कुछ इस प्रकार कहते हैं कि पाठक के समक्ष निरंकुश सत्ता का भ्रष्ट तथा जनविरोधी तंत्र, राजकवि तथा राज्याश्रयी आश्रमों के रूप में सत्ता से जुड़े भोगवादी बुद्धिजीवी और पादुकामंत्री, सेनापति-पादुका राजसभा आदि के ज़रिए तथाकथित श्रेष्ठिजनों के बीच जारी सत्ता-संघर्ष का मायावी परंतु भयानक सत्य–सब कुछ अपनी संपूर्ण नग्नता में निरावृत हो जाता है। ‘पादुकाराज’, ‘अयोध्या’ तथा ‘रामराज’ के बहाने ज्ञान चतुर्वेदी मात्र सत्ता के खेल और उसके चालाक कारकों का ही व्यंग्यात्मक विश्लेषण नहीं करते हैं, वे मूलतः इस क्रूर खेल में फँसे भारतीय दरिद्र प्रजा के मन में रचे-बसे उस यूटोपिया की भी बेहद निर्मम पड़ताल करते हैं, जो उस ‘रामराज’ के स्थापित होने के भ्रम में ‘पादुका-राज’ को सहन करती रहती है, जो सदैव ही मरीचिका बनकर उसके सपनों को छलता रहा है।
स्वर्ग तथा देवता की एक समांतर कथा भी उपन्यास में चलती रहती है, जो भारत के आला अफ़सरों की समांतर परन्तु मानो धरती से अलग ही बसी दुनिया पर बेजोड़ टिप्पणी बन गई है। आधुनिक भारत के इन ‘देवताओं’ का यह स्वर्ग ज्ञान के चुस्त फिकरों, अद्भुत विट और निर्मल हास्य के प्रसंगों के जरिए पाठकों के समक्ष ऐसा अवतरित होता है कि वह एक साथ ही वितृष्णा भी उत्पन्न करता है और करुणा भी। और शायद क्रोध भी।
हिन्दी में फैंटेसी गिनी-चुनी ही है। विशेष तौर पर हिन्दी व्यंग्य में पौराणिक फैंटेसी जो लिखी भी गई है, वे प्रायः फूहड़ तथा सतही निर्वाह में भटक गई हैं। इस लिहाज से भी ‘मरीचिका’ एक महत्त्वपूर्ण उपन्यास है।
201 Prerak Neeti Kathayen
- Author Name:
Shiv Kumar Goyal
- Book Type:

- Description: 201 प्रेरक नीति कथाएँ—शिवकुमार गोयल धर्मशास्त्रों, नीतिशास्त्रों की कथाएँ तथा ऋषि-मुनियों, वीर-वीरांगनाओं, विभिन्न क्षेत्रों के आदर्श पुरुषों के जीवन प्रसंग आदर्श जीवन जीने, अपना कर्तव्यपालन करने की प्रेरणा देने में हमेशा से सहायक रहे हैं। बच्ïचे दादा-दादी, नाना-नानी व माता-पिता के मुख से प्रेरक कथाएँ सुनने के लिए लालायित रहा करते हैं। इन आदर्श कथाओं, पावन प्रसंगों से बालकों को सत्य बोलने, माता-पिता, वृद्धजनों व गुरुजनों की सेवा व सम्मान करने, धर्मानुसार आदर्श जीवन जीने की स्वत: प्रेरणा मिलती है। 201 प्रेरक नीति कथाएँ की सरल-सुबोध कहानियाँ हमारे जीवन की दिशा बदलने की क्षमता रखती हैं। सद्ïगुण, सदï्विचार, सदाचार—यानी मानव जीवन के लिए आवश्यक सभी गुणों की खान हैं ये नीति कथाएँ। इन्हें पढ़कर हम सन्मार्ग पर चलें और धर्ममय नीति-रीति से जीवन जिएँ तो इस संग्रह का प्रकाशन सार्थक होगा।
Chaurangi
- Author Name:
Shankar
- Book Type:

- Description: सुखी और दुखी, सहयोगी और विरोधी, उत्कर्ष और पतन, आदर्श और व्यवहार, व्यावसायिक और मानवीय—बहुविध मानव चरित्रों की कथा है यह उपन्यास ‘चौरंगी’। शाहजहाँ होटल के माध्यम से लेखक केवल कलकत्ता का चित्र नहीं, बल्कि सम्पूर्ण मानव व्यवहार का चित्र प्रस्तुत करता है। इस उपन्यास में इतने अधिक विविधरंगी चरित्र हैं कि इसे सहज ही मानव जीवन की महागाथा कहा जा सकता है पर महागाथाओं की तरह इसमें कोई महानायक नहीं है, इसीलिए यह उपन्यास कोई आदर्श भी नहीं रचता। यह केवल परत-दर-परत मानवीय व्यवहार के विभिन्न पहलुओं को खोलता चलता है। यही वजह है कि कई बार एक ही व्यक्ति के चरित्र के दो रूप उभरकर सामने आते हैं। महानगरीय जीवन की महत्त्वाकांक्षाओं के बीच किस तरह से इच्छाएँ और सम्बन्ध दम तोड़ जाते हैं, यह इसमें बख़ूबी देखा जा सकता है। परन्तु कभी भी सब कुछ नहीं टूटता, कभी भी सब कुछ नष्ट नहीं होता। नष्ट होने के बीच बहुत कुछ ऐसा बचा रहता है जो नए निर्माण की आशा को जीवित रखता है। बहुरंगी चरित्रों की इस महागाथा को बाँधे रखनेवाला एकमात्र सूत्र है, सहज मानवीय स्नेह। शाहजहाँ होटल में काम करते हुए नायक को सबसे अधिक ऐश्वर्य जो मिला वह था साथ काम करनेवालों का स्नेह। और यही स्नेह सब कुछ नष्ट हो जाने के बीच भी निर्माण की आशा को बरकरार रखता है।
Jo Bhula Diye Gaye
- Author Name:
Shriprakash Mishra
- Book Type:

-
Description:
चौरी चौरा कांड को कांग्रेसियों ने इतिहास के बाहर कर दिया कि उसके कारण गांधी जी ने अपना आन्दोलन वापस ले लिया था। क्रान्तिकारियों ने उसे बाहर कर दिया, क्योंकि उसमें किसी नामी-गिरामी क्रान्तिकारी ने हिस्सा नहीं लिया था। अंग्रेज़ों ने बाहर कर दिया, क्योंकि वह उनकी सत्ता को सीधे ललकार गया। दु:खद यह कि उसे जन ने भी बाहर कर दिया, जबकि वह सबाल्टर्न की दृष्टि से हुआ आज़ादी की लड़ाई में एक महत्त्वपूर्ण हस्तक्षेप था। फिर उसकी स्मृति कुछ लोगों के मन में हमेशा गूँजती रही है और नई पीढ़ी के लोग उससे जुड़े लोगों के बारे इधर काफ़ी जिज्ञासु दिखते हैं।
इस उपन्यास में उनकी कथा के साथ-साथ गोरखपुर के इलाक़े में प्रान्त और राष्ट्र से जुड़कर यह आज़ादी की लड़ाई 1920 से लेकर 1942 तक कैसे चली थी, उसकी एक झलक यहाँ मिलेगी, वहाँ के सामाजिक जीवन की तमाम छवियों के साथ।
उत्तर-पूर्व को लेकर लिखनेवाले श्रीप्रकाश मिश्र के लेखन में यह उपन्यास एक नया मोड़ इंगित करता है, जो पाठकों को कई तरह से पसन्द आएगा।
Thake Paon
- Author Name:
Bhagwaticharan Verma
- Book Type:

-
Description:
प्रस्तुत उपन्यास ‘थके पाँव’ सामाजिकता, बौद्धिकता और भावनात्मक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है।
भगवतीचरण वर्मा हिन्दी जगत के जाने-माने विख्यात उपन्यासकार हैं। आपके सभी उपन्यासों में एक विविधता है। हास्य व्यंग्य, समाज, मनोविज्ञान और दर्शन सभी विषयों पर उपन्यास लिखे हैं। कवि और कथाकार होने के कारण वर्मा जी के उपन्यासों में भावनात्मक और बौद्धिकता का सामंजस्य मिलता है। वर्मा जी के उपन्यासों को पढ़ते समय यह सदा ध्यान रखना चाहिए कि वे मूलत: एक छायावादी और प्रगतिवादी कवि हैं और उनके कथा साहित्य में कविता की भावना की प्रधानता बौद्धिक यथार्थ से कभी अलग नहीं होती। उपन्यासों के अब तक परम्परागत शिथिल और बने-बनाए रूप-विन्यास और कथन-शैली की नई शक्ति और सम्पन्नता ही नहीं, वरन् कथावस्तु का नया विस्तार भी मिला।
Pratibandhit Hindi Sahitya : Vol. 1-2
- Author Name:
Rustam Roy
- Book Type:

-
Description:
‘प्रतिबंधित हिन्दी साहित्य’ के दो खंडों में स्वाधीनता आंदोलन के दिनों की प्रतिबंधित रचनाओं का संकलन किया गया है। आजादी की लड़ाई के दिनों की याद ताजा करने तथा उस समय के रचना-मूल्यों को समझने के लिए यह संकलन ऐतिहासिक महत्त्व का है। पुस्तक के पहले खंड में प्रतिबंधित कहानियाँ और उपन्यास संकलित हैं तथा दूसरे खंड में कविताएँ। जिन रचनाकारों की रचनाएँ इनमें संकलित हैं, उन्होंने स्वाधीनता आंदोलन के दौरान अपनी रचनाओं को हथियार की तरह इस्तेमाल किया। अपनी रचनाओं द्वारा उन्होंने साम्राज्यवादी ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ आम लोगों में विद्रोह और अवज्ञा की मानसिकता तैयार करने की कोशिश की। अंग्रेजों ने ऐसे लेखकों का दमन किया, उनकी क्रांतिकारी रचनाओं के लिए उन पर मुकद्दमा चलाया और प्रतिबंध लगा दिया। इन दो खंडों में हमने ऐसी ही प्रतिबंधित रचनाओं का संकलन किया है।
श्री रुस्तम राय ने काफी मेहनत करके काल कोठरी के अँधेरे से ये रचनाएँ निकाल कर पाठकों तक पहुँचाने में हमारी मदद की है। आशा है, इन रचनाओं से उस दौर के साहित्य की कुछ अछूती विशेषताएँ हमारे सामने आएँगी। साथ ही हम स्वाधीनता आंदोलन से सीधे जुड़े साहित्य का जायजा ले सकेंगे। आज भी देश की सामाजिक परिस्थितियों में कोई निर्णायक बदलाव नहीं आया है इसलिए ये रचनाएँ अब भी प्रासंगिक हैं।
पुस्तक के पहले खंड में पांडेय बेचन शर्मा ‘उग्र’, ऋषभ चरण जैन तथा मुनीश्वर दत्त अवस्थी की कहानियों के अलावा जिन कथाकारों की कहानियाँ शामिल हैं, उनके नाम हैं—यशपाल, लक्ष्मीचंद्र वाजपेयी ‘चन्द्र’, मुक्त, लीलावती बी.ए., जनार्दन प्रसाद झा ‘द्विज’, आचार्य चतुर सेन शास्त्री, विश्वंभर नाथ शर्मा ‘कौशिक’ तथा प्रेम बंधु । इस खंड में ब्रजेन्द्र नाथ गौड़ का उपन्यास ‘पैरोल पर’ भी संकलित है। इस उपन्यास ने स्वाधीनता आंदोलन के दिनों में क्रांतिकारियों के बीच नया उत्साह पैदा कर दिया था। आशा है, ये रचनाएँ स्वाधीनता आंदोलन से जुड़ी रचनाशीलता पर नए सिरे से विचार करने के लिए प्रेरित करेंगी।
‘प्रतिबंधित हिन्दी साहित्य’ के दूसरे खंड में स्वाधीनता आंदोलन के दिनों की प्रतिबंधित कविताओं का संकलन किया गया है। अंग्रेजी साम्राज्यवाद के विरुद्ध भारतेन्दु युग में भी कविताएँ लिखी गईं, लेकिन बीसवीं सदी के द्विवेदी युग और छायावाद युग में भी क्रांतिकारी कविताओं की संख्या काफी है। ऐसी कविताएँ सैकड़ों की संख्या में ब्रिटिश शासन द्वारा प्रतिबंधित भी हुईं। इस खंड में ऐसे काव्य-संग्रह संकलित हैं जिन्हें ब्रिटिश हुकूमत ने प्रतिबंधित कर दिया था। संकलन और उनके रचनाकारों के नाम इस प्रकार हैं—‘खून के छींटे’ (बलभद्र गुप्त विशारद ‘रसिक’), ‘मुक्त संगीत’ (अभिराम शर्मा एवं प्रणयेश शर्मा), ‘विद्रोहिणी और तूफान’ (प्रह्लाद पांडेय ‘शशि’)।
स्वाधीनता आंदोलन से हिंदी कविता का रिश्ता बहुआयामी रहा है। द्विवेदी युग के मैथिलीशरण गुप्त और उनके मंडल के कवियों ने सांस्कृतिक पुनरुत्थान की घोषणा करके ब्रिटिश साम्राज्यवाद का विरोध किया। राष्ट्रीय धारा के माखनलाल चतुर्वेदी और दिनकर आदि कवियों ने राष्ट्रीय जागरण के लिए आह्वानपरक कविताएँ लिखीं। प्रसाद, निराला, महादेवी और पंत जैसे छायावादी कवियों ने ‘स्वच्छंद’ मानसिकता को प्रश्रय देकर प्रकृति और प्रेम के आधार पर मुक्ति का आह्वान किया। स्वाधीनता आंदोलन के दौरान इन तीनों धाराओं के समानांतर एक और भी धारा थी जिसके कवियों ने सीधे ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ आवाज बुलंद की। इस खंड में शामिल रचनाकार ऐसे ही कवि हैं। इनकी रचनाओं के स्वरूप और तत्कालीन समाज पर पड़े उनके प्रभाव का अध्ययन अभी शेष है। आशा है, यह संकलन इस कमी को पूरा करेगा।
ये क्रांतिकारी कविताएँ कलात्मकता और लोकप्रियता— दोनों ही स्तरों पर नए प्रतिमान गढ़ती हैं।
Aksharo Ke Aage
- Author Name:
Bhairavprasad Gupt
- Book Type:

- Description: 'अज्ञानवश अन्धविश्वास में फँसना एक बात है और ज्ञान होते हुए भी अन्धविश्वास का शिकार होना दूसरी बात है। अन्धविश्वास के कारण मनुष्य का आत्म- विश्वास क्षीण होता है, शक्ति तथा क्रियाशीलता में शिथिलता आती है, यहाँ तक कि वह एकदम निकम्मा तथा असमाजिक भी हो जाता है, जैसे लाखों साहू, सन्त, फ़क़ीर, आवारे, चोर, डाकू, हत्यारे, अन्य अपराधकर्मी आदि। सबसे गम्भीर बात तो यह है कि अन्धविश्वासों के कारण समाज के विकास में बड़ी रुकावटें आती हैं, आदमी की सामाजिक चेतना तक कुंठित हो जाती है, जिसके चलते आदमी समाज के विकास की नई दिशा में अथवा नए मार्ग पर चलने से इनकार कर देता है।... हमारी ज़िन्दगी ऐसी क्यों है, हम क्यों अंधविश्वासों, कुप्रथाओं से जकड़े हुए हैं, हम क्यों अपने अनुभवों से भी कुछ नहीं सीखते?'
Us Raat Ke Baad
- Author Name:
Keshav Prasad Mishra
- Book Type:

-
Description:
कोहबर की शर्त उपन्यास के विख्यात लेखक का यह उपन्यास पारिवारिक जीवन की पृष्ठभूमि से निकलकर मानवीय सम्बन्धों के एक बड़े विस्तार में जाता है जिसमें जंगलों, पहाड़ों में कार्यरत मज़दूरों, ठेकेदारों और सरकारी कर्मचारियों के साथ-साथ दफ़्तरी जीवन का एक बहुत नज़दीक से देखा हुआ विवरण भी आता है।
श्रीकान्त बाबू एक मध्यवर्गीय परिवार से आते हैं जहाँ रिश्तों का एक व्यापक संजाल है, जीवन, स्नेह और ऊष्मा से लबालब। लेखक श्रीकान्त का भाव एक अनाथ लड़की जया पर भी आता है, और वे उसे गोद लेकर पालते-पोसते हैं। अन्त में एक भिन्न भूमिका में जगतसेवा में जाते हैं।
Madhopur Ka Ghar
- Author Name:
Tripurari Sharan
- Book Type:

-
Description:
माधोपुर का घर उपन्यास लगभग सौ साल यानी तीन पीढ़ियों की कहानी कहता है जिसके माध्यम से उत्तर बिहार का सामाजिक यथार्थ जानने को मिलता है। राजनीति बिलकुल अन्तर्धारा सी चलती है। ...चूँकि एक सम्पन्न खेतिहर गाँव की कहानी है सो उसके ह्रास की बात स्वतः ही कह जाती है। शिक्षण-प्रशिक्षण तथा कृषिकार्य से सीधे जुड़े, प्रशासन को बरतनेवाले की ज़ुबान से निकला सब कुछ सत्य प्रतीत होता है।
—उषाकिरण खान
माधोपुर का घर उस जीवन और सचाई की तलाश है जिसे उपन्यास या कहानी के साँचे में नहीं ढाला जा सकता। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि सचाई पर ‘फॉर्म’ का दबाव उसके प्रभाव को कम करता है। यही वजह है कि त्रिपुरारि बात कहने पर ज़ोर देते हैं उसके आगे-पीछे कल्पना या उसे प्रामाणिक बनाने के लिए कोई जाल नहीं बुनते।
दरअसल जीवन अपने आप में इतना कलात्मक है कि उस पर ‘सचाई’ की कोई और परत चढ़ाई नहीं जा सकती। ‘माधोपुर का घर’ भी सचाई की ऐसी सरल दास्तान है जो बिना ‘बैसाखियों’ के सहारे सीधे पाठक तक पहुँची है।
—असग़र वजाहत
माधोपुर का घर अनेक घरों की बेघरी का उपन्यास है। विस्थापन की पीड़ा का उपन्यास है। उपन्यास की कहानी एक कुत्ते की ज़ुबानी सुनाई जा रही है जो इस उथल-पुथल का मूक गवाह बना रहा। सबसे अधिक पीड़ा भोगता रहा। एक अनूठी कथा शैली में लिखी पीढ़ी-पीढ़ी बिखरते परिवार की कहानी।
—प्रभात रंजन
Sudha Murty Ki Lokpriya Kahaniyan
- Author Name:
Smt. Sudha Murty
- Book Type:

- Description: परोपकारी, उद्यमी, कंप्यूटर वैज्ञानिक, इंजीनियर, टीचर—सिर पर ऐसे कई ताज सजाए सुधा मूर्ति इन सबसे कहीं अधिक एक असाधारण कहानीकार हैं। साहित्य के लिए ‘आर.के. नारायण अवार्ड’, ‘पद्मश्री’, कन्नड़ साहित्य में उत्कृष्टता के लिए कर्नाटक सरकार का ‘अत्तिमब्बे पुरस्कार’ और ‘रेमंड क्रॉसवर्ड लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड’ के साथ उनके खजाने में बड़ों के लिए काल्पनिक, अकाल्पनिक उपन्यास, बच्चों की पुस्तकें, यात्रा-वृत्तांत और तकनीकी पुस्तकें शामिल हैं। यह पुस्तक उनके साहित्यिक सफर का मंगलगान है। विभिन्न संग्रहों से उनकी सर्वप्रिय कहानियों को चुनने के साथ ही कुछ नई कहानियों को एक विचारशील परिचय के साथ समेटे यह एक ऐसी पुस्तक है, जो अपनी लेखिका के समान ही, सभी अर्थों में बहुआयामी है।
Zindagi - Story of Life
- Author Name:
Vastvik Amera
- Rating:
- Book Type:

- Description: Some stories are untold, some are buried deep, but every story deserves to be elicited. Authors' Ink Publications bring to you; a compendium of some unheard thoughts, some untouched emotions,some life changing stories.
Rajyapal
- Author Name:
B. Puttaswamayya
- Book Type:

-
Description:
कन्नड़ देश की भाषा और संस्कृति के इतिहास में कल्याणी चालुक्य राजाओं का शासनकाल अनेक दृष्टियों से महत्त्व का तथा प्रभावशाली रहा है। चालुक्य राजाओं में पेर्माडी जगदेकमल्ल के पश्चात् जिन तैलप (शतम्) ने सिंहासन का आरोहण किया वे विलासी, आलसी, राजनीति के क्षेत्र में एकदम अनुभवहीन थे। उनकी इन दुर्बलताओं के फलस्वरूप उनके सामन्त तथा दंडनायक कलचूरी वंशीय बिज्जल के हाथ में राज्य का सूत्र चला गया।
राज्यापहरण की इस घटना के बाद बारहवीं सदी में एक अभूतपूर्व साहित्यिक-धार्मिक क्रान्ति का प्रादुर्भाव हुआ। इस क्रान्ति के कारण बिज्जल का राज्यकाल इतिहास में अपना एक पदचिह्न छोड़ गया है। इस क्रान्ति के कर्णधार थे बिज्जल के मंत्रिपरिषद् के सदस्य भक्ति-भंडारी बसवेश।
इस कालावधि में जो घटनाएँ हुईं, वे ही इस ‘राज्यपाल’ उपन्यास की कथा-वस्तु हैं। उपन्यास की पीठिका के रूप में तत्कालीन सामाजिक, राजनीतिक परिस्थितियों का समसामयिक साहित्य, शिला-लेख आदि की सहायता से चित्रित करने का प्रयत्न किया गया है।
सिद्धहस्त लेखक बी. पुट्टस्वामय्या ने प्रांजल भाषा में एक युग को साकार कर दिया है। भालचन्द्र जयशेट्टी का सतर्क अनुवाद उपन्यास को मूल आस्वाद से अभिन्न रखने में समर्थ सिद्ध हुआ है।
Daulati
- Author Name:
Mahashweta Devi
- Book Type:

-
Description:
महाश्वेता देवी की रचनाओं की केन्द्रीय चेतना लोकधर्मी है। उनके लेखन का बुनियादी मन्तव्य दलितों की ज़िन्दगी को उभारकर सामने लाना है जो न केवल सामन्ती शोषण के शिकार हैं बल्कि जिन्हें तबाह करने में सरकारी नीतियों की भी बराबर की हिस्सेदारी है।
यह बात साफ़ हो चुकी है कि आदिवासी जन–जीवन की त्रासदी के बीज विषैली राजनीति में हैं और राजनीति की चालाक साज़िशों ने संगठित वर्ग–संघर्ष को विभाजित जाति–संघर्ष में तब्दील कर दिया है। ज़मींदारों ने भूमिहीन आदिवासियों के बीच धर्मों और जातियों के बँटवारे का सहारा लेकर उन्हें संगठित वर्ग की शक्ल में कभी नहीं आने दिया।
महाश्वेता जी के कथानक इन बारीक षड्यंत्रों को बेनक़ाब करते हैं। सरकारी कामकाज के असली चेहरों और ज़मींदारों के साथ सरकारी नुमाइंदों के आर्थिक रिश्तों को देखने–समझने के लिए जिस दृष्टि की ज़रूरत है, महाश्वेता जी की रचनाएँ उस दृष्टि को पैदा करती हैं।
इस पुस्तक के पृष्ठों पर तीन सशक्त उपन्यास छपे हैं। इन उपन्यासों का कथा–केन्द्र आदिवासी स्त्रियों की पीड़ित ज़िन्दगी है। तीन उपन्यासों की तीन प्रतिनिधि स्त्री पात्र हैं, दौलति, बासमती और गोहुअन। समान आर्थिक स्थितियों के बावजूद तीनों की सोच में बुनियादी फ़र्क़ है और यह फ़र्क़ आदिवासी स्त्री के मनोविज्ञान और उसकी संघर्ष–क्षमता को विभिन्न रूपों में उद्घाटित करता है।
स्त्री का क्रय–विक्रय, देह–व्यापार की कसैली विवशताएँ, ‘चुकी’ हुई वेश्याओं की तिरस्कृत वेदनाएँ और उनकी गुमनाम मौत; और इन सबके लिए ज़िम्मेवार सामन्ती व्यवस्था के दाँवपेंच—यह संक्षेप है ‘दौलति’ का।
दूसरा तेज़–तर्रार उपन्यास है ‘पलामौ’। आदिवासियों के शोषण को एक नए कोण से समझने की कोशिश, और आदिवासियों के विकास के सम्बन्ध में सरकारी दावों के खोखलेपन का पर्दाफ़ाश करनेवाला यह उपन्यास आदिवासी–जीवन का प्रतिबिम्ब है।
‘गोहुअन’ की कथा आदिवासी स्त्री के एक भिन्न स्वरूप को सामने रखती है। एक विषैले सर्प ‘गोहुअन’ के प्रतीक के ज़रिए आदिवासी स्त्री का स्वाभिमानी तेवर इस उपन्यास में बहुत गम्भीरता से व्यक्त ह़ुआ है।
Yah Sharif Log
- Author Name:
Razia Sajjad Zahir
- Book Type:

-
Description:
‘यह शरीफ़ लोग’ की लेखिका रज़िया सज्जाद ज़हीर उर्दू की लब्धप्रतिष्ठ कथाकारों में हैं। उनकी अनेक कहानियाँ और उपन्यास साहित्य-जगत में अपना विशिष्ट स्थान रखते हैं। रज़िया सज्जाद ज़हीर अपनी स्पष्ट एवं स्वतंत्र विचारधारा के लिए विख्यात थीं। उन्होंने उर्दू-हिन्दी भाषिक समस्या के समाधान के लिए उर्दू को नागरी लिपि धारण करने की सलाह दी थी, जिसे सिद्धान्त रूप में स्वीकारने के बावजूद रूढ़िवादियों ने विवाद का विषय बना लिया था, किन्तु प्रस्तुत यथार्थ के खंडन के लिए तर्क न दे सके।
‘यह शरीफ़ लोग’ में उन्हें निर्भीक, स्वतंत्र, समाजवादी, मानववादी रज़िया सज्जाद ज़हीर का परिचय मिलता है, जो समाज के विभिन्न वर्गों के जीवन एवं मान्यताओं का विश्लेषण करके उसे अपनी अनुभूति के आधार पर प्रस्तुत करती हैं। आर्थिक असमानताएँ उत्पन्न विषमताओं का पर्दाफ़ाश करती हैं, और मानव-जीवन की मूल समस्याओं की ओर सहज ही ध्यान आकृष्ट करती हैं।
‘यह शरीफ़ लोग’ का परिवेश मध्यवर्गीय एवं निम्नवर्गीय मुस्लिम परिवारों से सम्बन्धित है जिनकी मान्यताओं में परस्पर द्वन्द्व हैं, परन्तु उनमें एक-दूसरे को अस्वीकारने का साहस नहीं। दोनों पूरक के रूप में एक-दूसरे को योग देते हैं तथा साथ-साथ जीवन-यापन करते हैं, किन्तु जब अत्याचारों का प्याला भर जाता है, तो छलक उठता है और शोषित वर्ग कठोर अन्याय के विरुद्ध संघर्षशील हो उठता है।
‘यह शरीफ़ लोग’ की भाषा सीधे व्यवहार की भाषा है। मुस्लिम परिवारों, विशेषकर महिलाओं की बातचीत अत्यन्त स्वाभाविक रूप में प्रस्तुत हुई है। जीवन्त पात्रों एवं कथानक की रोचकता ने प्रस्तुत उपन्यास को नैसर्गिक बना दिया है।
Yadon Ke Panchhi
- Author Name:
P. E. Sonkamble
- Book Type:

-
Description:
आत्मकथापरक शैली में लिखा गया यह बेजोड़ उपन्यास एक ऐसे व्यक्ति की कथा-यात्रा है जिसने भूख को सहने के साथ-साथ उसे नज़दीक से देखा है और भूख के विकराल जबड़ों से निकलकर भी वह अपनी इंसानियत, अपनी संवेदना नहीं खो पाया है। बढ़ती ज़िन्दगी के हर तरफ़ से रोके गए रास्तों के बावजूद जिजीविषा उसे आगे बढ़ाती है, टूटने नहीं देती। जिस जोहड़ में उच्च वर्ग के ढोर पानी पी सकते हैं, उसमें दलित वर्ग के इस नायक को अपना सूखा कंठ भिगोने की इजाज़त नहीं है। उसे मरुभूमि की अपनी यह यात्रा भूखे-प्यासे रहकर ही पूरी करनी है।
इस उपन्यास में दलित वर्ग के हर प्रकार के शोषण का आकलन इतनी तटस्थ और सहज शैली में किया गया है कि बरबस लेखक के आत्म-संयम की दाद देनी पड़ती है। कमाल यह है कि जिनके कारण दलित वर्ग को इंसान से भी बदतर ज़िन्दगी जीनी पड़ रही है, उन्हें भी उपन्यास में काले रंग से नहीं पोता गया है। लेखक उच्च वर्ग के उन लोगों को भी नहीं भूला है जिनके कारण उसे क्षण-भर के लिए भी सुख या सांत्वना या प्रोत्साहन मिला है। कटुता-रहित भूख के अन्तरंग चित्र इस उपन्यास को प्रामाणिक दस्तावेज़ बनाते हैं।
Alag-Alag Vaitarni
- Author Name:
Shivprasad Singh
- Book Type:

-
Description:
प्रेमचन्द के बाद ग्रामीण जीवन का चित्रण करनेवाले सफल कथाकारों में शिवप्रसाद जी अगली पंक्ति में आते हैं। अपने इस वृहद् उपन्यास में उन्होंने उत्तर प्रदेश के करैता गाँव को समस्त भारतीय गावों के प्रतिनिधि के रूप में ग्रहण करके अत्यन्त यथार्थवादी एवं विचारोत्तेजक चित्रण प्रस्तुत किया है। स्वतंत्रतता आई, ज़मींदारी टूटी। करैता के किसानों को लगा कि दिन फिरेंगें। मगर हुआ क्या। अलग-अलग वैतरणी। अलग-अलग नर्क। इसे निर्मित किया है भूतपूर्व ज़मींदारी ने, धर्म तथा समाज के पुराने ठेकेदारों ने, भ्रष्ट सरकारी ओहदेदारों ने जिससे इस वैतरणी में जूझ और छटपटा रही है गाँव की प्रगतिशील नई पीढ़ी। निश्चय ही यह कृति हिन्दी उपन्यास साहित्य की एक उपलब्धि है।
Vishnugupta Chanakya
- Author Name:
Virendra Kumar Gupta
- Book Type:

-
Description:
कवि, कथाकार एवं चिन्तक वीरेंद्रकुमार गुप्त का प्रस्तुत उपन्यास उनके चिन्तनशील, शोधक व्यक्तित्व की उत्कृष्ट देन है। उपन्यास अत्यन्त मनोरंजक है, जिसे एक बैठक में पढ़ा जा सकता है। साथ-साथ वह उस काल-विशेष के इतिहास एवं जीवन की एक प्रामाणिक प्रस्तुति भी है। उस काल में सामाजिक व्यवहार, संस्कृति एवं राजनीतिक घटनाओं का इतना जीवन्त चित्रण शायद ही कहीं प्राप्त हो। श्री गुप्त ने सिकन्दर-सिल्यूकस और चाणक्य-चन्द्रगुप्त के बीच संघर्ष के निमित्त से भारत की एकता, राजनीतिक सुदृढ़ता एवं सामाजिक सामंजस्य की अवधारणाओं को भारतीय मानस में स्थापित करने का सशक्त प्रयास किया है। विशेषता यह कि घटनाओं की संकुलता एवं चरित्रों की मानसिक जटिलता ने भाषा को क्लिष्ट नहीं बनाया है। वह इतनी सरल और बोधगम्य है कि सामान्य पाठक भी कृति का भरपूर आनन्द ले सकता है।
इस उपन्यास का केन्द्र चाणक्य एक षड्यंत्रकारी राजनेता न होकर एक जीवन्त पुरुष, ऋषि एवं प्रतिबद्ध राष्ट्र-निर्माता है।
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Hurry! Limited-Time Coupon Code
Logout to Rachnaye
Offers
Best Deal
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua. Ut enim ad minim veniam, quis nostrud exercitation ullamco laboris nisi ut aliquip ex ea commodo consequat.
Enter OTP
OTP sent on
OTP expires in 02:00 Resend OTP
Awesome.
You are ready to proceed
Hello,
Complete Your Profile on The App For a Seamless Journey.