Karnataka Ki Lokkathayen
Author:
Prof. B.Y. LalithambaPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 200
₹
250
Available
कर्नाटक की लोककथाएँ
क र्नाटक प्रमुख रूप से प्रचीन मैसूर प्रांत; हैदराबाद-कर्नाटक जिला; उत्तर कर्नाटक/उत्तर कन्नड़ प्रदेश तथा दक्षिण कन्नड़ जिले में बँटा हुआ है।
कर्नाटक के चारों भागों में लोककथाओं का विपुल भंडार है। इस संग्रह में इन सबका प्रतिनिधित्व है। भूताराधम से संबंधित लोककथाएँ दक्षिण कन्नड़ जिले में खूब प्राप्त होती है। दक्षिण कन्नड़ जिले की तरह उत्तर कन्नड़ जिले की भी कई लोक-जीवन से जुड़ी कहानियाँ प्राप्त होती हैं। कारवार-गोकर्ण आदि की कहानियों पर कोंकण जिले का प्रभाव गहरा है। धारवाड़-हूली पर मराठी संस्कृति का भी प्रभाव है।
फिर प्राचीन मैसूर संस्थान पर महाराजा, राजघराने, भरतनाट्यम्, दशहरा, चामुंडी, पहाड़, महिषासुर, दुर्गा द्वारा राक्षस संस्कार आदि से जुड़ी लोकसंस्कृति का असर है।
विजयपुर (बीजापुर)-गुलबर्ग, जिसे हैदराबाद-कर्नाटक का क्षेत्र कहा जाता है, की लोककथाएँ भी बहुत प्रचलित हैं।
इस संकलन में इन सभी क्षेत्रों में प्रचलित लोकजीवन का प्रतिनिधित्व करनेवाली कहानियाँ संकलित हैं।
ISBN: 9789355210234
Pages: 160
Avg Reading Time: 5 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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पौराणिक चरित्रों को आधार बनाकर अनेक श्रेष्ठतर आधुनिक उपन्यासों की रचना करनेवाले सुप्रसिद्ध गुजराती कथाकार कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी का भारतीय कथा-साहित्य में अपना एक विशिष्ट स्थान है। अपनी कृतियों में उन्होंने सुदूर अतीत का जो विस्तृत जीवन-फलक प्रस्तुत किया है, वह जितना विराट् है उतना ही आकर्षक, साथ ही वह वैज्ञानिकता की कसौटी पर भी खरा उतरता है।
मुंशी जी का ‘कृष्णावतार’ एक वृहत् उपन्यास है—सात खंडों में विभक्त। ‘पाँच पाण्डव’ तीसरे खंड का हिन्दी रूपान्तर है। अन्य खंडों की ही तरह अगर यह परस्पर सम्बद्ध है तो अपने आपमें एक पूरी कथा भी है। पाँचों पाण्डवों के जन्म, विकास और संघर्षों-उपलब्धियों की इस रोचक-रोमांचक गाथा में आर्यावर्त्त के महान नायक श्रीकृष्ण की विलक्षण ऐतिहासिक भूमिका बड़ी कलात्मकता से रेखांकित हुई है। पुराकालीन आर्यों की संघर्षशील गतिविधियों, नागों की अरण्य-संस्कृति और ‘राक्षस’ नाम से पुकारे जानेवाले प्रस्तरयुगीन मानवों की आदिम जीवनचर्या के जीवन्त चित्र इसमें पूरी तरह से मुखर हैं।
Maut ki Kitab
- Author Name:
Khalid Javed
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- Description: Awating description for this book
Kamyogi
- Author Name:
Sudhir Kakkar
- Book Type:

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Description:
काल : चौथी सदी, भारत का स्वर्णयुग। स्थान वाराणसी के बाहर जंगलों में बना एक आश्रम। ‘कामसूत्र’ के रचयिता वात्स्यायन हर सुबह अपने एक युवा शिष्य को अपने बचपन और युवावस्था की कहानियाँ सुनाते हैं। यह शिष्य इस महान ऋषि की जीवनी लिखना चाहता है। वात्स्यायन के जीवन के बारे में बहुत कम जानकारियाँ उपलब्ध हैं। यह युवा अध्येता इन जानकारियों को अपने मस्तिष्क में दर्ज करता जाता है। साथ ही ‘कामसूत्र’ के उन प्रासंगिक श्लोकों को भी उनमें गूँथता जाता है, जिन्हें उसने कंठस्थ कर लिया है। जो कथा उभरती है, वह अद्भुत है। वात्स्यायन की माँ अवंतिका और मौसी कौशाम्बी के एक वेश्यालय में प्रसिद्ध गणिकाएँ हैं। उसे और उनके विभिन्न प्रेमियों से वात्स्यायन काम-कलाओं की पहली छवियाँ देखते हैं, जो उनके मन पर अमिट छाप छोड़ती है।
सुधीर कक्कड़ अपनी विशिष्ट सूक्ष्म दृष्टि से इस कथा के उन अनगिनत पात्रों के मन की गहराइयों तक पहुँचते हैं, जो अपनी पहचान पाने के विभिन्न चरणों से गुज़र रहे हैं। इस तरह वासना और कामुकता का एक सशक्त आख्यान आकार लेता है, जिसमें प्राचीन कला का सम्मोहन भी है और आश्चर्यजनक विसंगतियाँ भी।
201 Prerak Neeti Kathayen
- Author Name:
Shiv Kumar Goyal
- Book Type:

- Description: 201 प्रेरक नीति कथाएँ—शिवकुमार गोयल धर्मशास्त्रों, नीतिशास्त्रों की कथाएँ तथा ऋषि-मुनियों, वीर-वीरांगनाओं, विभिन्न क्षेत्रों के आदर्श पुरुषों के जीवन प्रसंग आदर्श जीवन जीने, अपना कर्तव्यपालन करने की प्रेरणा देने में हमेशा से सहायक रहे हैं। बच्ïचे दादा-दादी, नाना-नानी व माता-पिता के मुख से प्रेरक कथाएँ सुनने के लिए लालायित रहा करते हैं। इन आदर्श कथाओं, पावन प्रसंगों से बालकों को सत्य बोलने, माता-पिता, वृद्धजनों व गुरुजनों की सेवा व सम्मान करने, धर्मानुसार आदर्श जीवन जीने की स्वत: प्रेरणा मिलती है। 201 प्रेरक नीति कथाएँ की सरल-सुबोध कहानियाँ हमारे जीवन की दिशा बदलने की क्षमता रखती हैं। सद्ïगुण, सदï्विचार, सदाचार—यानी मानव जीवन के लिए आवश्यक सभी गुणों की खान हैं ये नीति कथाएँ। इन्हें पढ़कर हम सन्मार्ग पर चलें और धर्ममय नीति-रीति से जीवन जिएँ तो इस संग्रह का प्रकाशन सार्थक होगा।
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