Kadambari
Author:
BanbhattPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 200
₹
250
Available
संस्कृत के प्रख्यात गद्यकार बाणभट्ट सातवीं शताब्दी में राजा हर्षवर्धन के समय में हुए। उनकी दो कृतियाँ ‘हर्षचरितम्’ तथा ‘कादम्बरी’ संस्कृत गद्य का अपार वैभव और सौन्दर्य ही नहीं, भारतीय कथा का अद्भुत संसार भी हमारे सामने खोलती हैं। बाणभट्ट की ‘कादम्बरी’ पारम्परिक कथा की विधा को अद्वितीय योगदान भी है और आधुनिक उपन्यास की विधा का एक भारतीय मानक भी प्रस्तुत करती है। इसके औपन्यासिक कलेवर और विस्तार के कारण ही मराठी में उपन्यास के अर्थ में ‘कादम्बरी’ शब्द एक जातिवाचक संज्ञा भी बन गया।
प्रस्तुत उपन्यास बाणभट्ट की ‘कादम्बरी’ का एक साहसिक और नवीन रूपान्तर है, जिसे संस्कृत के जाने-माने विद्वान् तथा साहित्यकार राधावल्लभ त्रिपाठी ने रचा है। यह ‘कादम्बरी’ पर आधारित एक मौलिक नई कृति होने के कारण भारतीय कथा के आस्वाद के नए धरातल प्रस्तुत करता है।
ISBN: 9788183619073
Pages: 160
Avg Reading Time: 5 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: मोबाइल—मोबाइल गर्ल। ग्लोबल लड़की...। छोटे शहर की लड़कियाँ बड़े शहर में आकर चुनौतियाँ झेलतीं, आगे बढ़तीं, लड़ती-झगड़तीं, ईर्ष्या-द्वेष से दो-चार होतीं, जीवन के रास्ते तलाशतीं...छोटे शहर की लड़कियाँ जिनके पास संसाधन नहीं हैं, आत्मनिर्भरता का विचार तो पनप रहा है, लेकिन नौकरियाँ न के बराबर हैं। इसलिए उन लड़कियों का संघर्ष, चुनौतियाँ और जिजीविषा तथा ख़ुद निर्णय लेने की क्षमता भी बहुत अधिक है। इस सदी की तेज़ी से बदलती दुनिया में यह लड़की भी अछूती कैसे रह सकती है ! इस लड़की के लिए महानगर एक रक्षक की तरह है जो उसे न केवल रोज़ी-रोटी देता है, बल्कि तमाम तरह की बेड़ियों और पिछड़े हुए विचारों से मुक्त करता है। यह उपन्यास इसी आत्मनिर्भर लड़की की कहानी है जिसकी आकांक्षाओं और सपनों के सामने आसमान क्या, पूरा सोलर सिस्टम छोटा है।
Antim Aranya
- Author Name:
Nirmal Verma
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Description:
अन्तिम अरण्य निर्मल वर्मा का आख़िरी उपन्यास है जिसका प्रकाशन दो सदियों के सन्धि-बिन्दु पर वर्ष 2000 में हुआ था। हिन्दी समाज में एक घटना की तरह प्रकट हुआ यह उपन्यास लम्बे समय तक चर्चाओं का विषय रहा।
कुछ समीक्षकों ने इसे मृत्यु का आख्यान कहा, लेकिन यह ठीक-ठीक वही नहीं है, नश्वरता का एक गहरा अहसास इस उपन्यास के केन्द्र में ज़रूर है। जीवन के एक विशिष्ट मोड़ पर आकर ठहरे हुए इसके चरित्र एक तरह से अपने भीतर की यात्रा पर निकले हैं और इस तरह जिजीविषा और मृत्यु की अपरिहार्यता का अन्वेषण करते हुए उस जीवन से साक्षात्कार करते हैं जो जिया जा चुका है, लेकिन अभी भी स्मृतियों के रूप में सजीव है।
पूरा उपन्यास नैरेटर की डायरी की शक्ल में सामने आता है जिसमें वह मेहरा साहब से बात करते हुए नोट्स लेता है। वह स्वयं भी अपने कुछ प्रश्नों के उत्तर तलाश रहा है। अतीत, वर्तमान और भविष्य में आवाजाही करते हुए इस तरह एक संश्लिष्ट कथा बनती है जो अन्त तक आते-आते एक आध्यात्मिक और निर्मल ऊँचाई तक पहुँच जाती है।
पहाड़ और पहाड़ का जीवन इस उपन्यास में एक सम्पूर्ण पात्र की तरह मौजूद जो इसके विमर्श को और गहराता है, कथा को एक विलक्षणता प्रदान करता है और बिम्बों, प्रतीकों, छवियों का एक भूगोल रचता है जिससे अस्तित्व से जुड़े गहन प्रश्नों को एक विराट पृष्ठभूमि मिलती है। अन्तिम अरण्य निर्मल वर्मा का आख़िरी उपन्यास है जिसका प्रकाशन दो सदियों के सन्धि-बिन्दु पर वर्ष 2000 में हुआ था। हिन्दी समाज में एक घटना की तरह प्रकट हुआ यह उपन्यास लम्बे समय तक चर्चाओं का विषय रहा।
कुछ समीक्षकों ने इसे मृत्यु का आख्यान कहा, लेकिन यह ठीक-ठीक वही नहीं है, नश्वरता का एक गहरा अहसास इस उपन्यास के केन्द्र में ज़रूर है। जीवन के एक विशिष्ट मोड़ पर आकर ठहरे हुए इसके चरित्र एक तरह से अपने भीतर की यात्रा पर निकले हैं और इस तरह जिजीविषा और मृत्यु की अपरिहार्यता का अन्वेषण करते हुए उस जीवन से साक्षात्कार करते हैं जो जिया जा चुका है, लेकिन अभी भी स्मृतियों के रूप में सजीव है।
पूरा उपन्यास नैरेटर की डायरी की शक्ल में सामने आता है जिसमें वह मेहरा साहब से बात करते हुए नोट्स लेता है। वह स्वयं भी अपने कुछ प्रश्नों के उत्तर तलाश रहा है। अतीत, वर्तमान और भविष्य में आवाजाही करते हुए इस तरह एक संश्लिष्ट कथा बनती है जो अन्त तक आते-आते एक आध्यात्मिक और निर्मल ऊँचाई तक पहुँच जाती है।
पहाड़ और पहाड़ का जीवन इस उपन्यास में एक सम्पूर्ण पात्र की तरह मौजूद जो इसके विमर्श को और गहराता है, कथा को एक विलक्षणता प्रदान करता है और बिम्बों, प्रतीकों, छवियों का एक भूगोल रचता है जिससे अस्तित्व से जुड़े गहन प्रश्नों को एक विराट पृष्ठभूमि मिलती है।
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