Hindu Khatik Jati
Author:
Dr. Bizay Sonkar ShastriPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 560
₹
700
Unavailable
"हिंदू खटिक जाति की उत्पत्ति, उत्थान एवं पतन की ऐतिहासिक घटनाओं एवं विभिन्न कालखंडों का इस कृति में सजीव चित्रण है। वैदिक काल के बलि देने वाले खट्टिक (ब्राह्मण) त्रेता युग के पहले भगवान् श्रीराम के कुल के पूर्वज राजा खट्वाग (क्षत्रिय), द्वापर युग यानी महाभारत काल के पूर्व काशी अथवा मिथिलांचल में मांस का व्यवसाय करने वाले ऋषि व्याघ्र (वैश्य) और मुगलकाल में महाराष्ट्र के संत उपासराव एवं ब्रिटिश काल में राजस्थान के संत दुर्बल नाथ (दलित) को अपना पूर्वज मानने वाले हिंदू आज खटिक जाति के लगभग 1871 गोत्रों, उपनामों एवं उपजातियों के रूप में पहचाने जाते हैं। तैमूर लंग के लूटपाट एवं अत्याचार का मुहतोड़ प्रत्युत्तर कठोर राज्य के कठिकों (खटिक) ने दिया था। सिकंदर के विश्व विजय के स्वप्न को भी खटिक जाति ने ही चूर-चूर किया था। विदेशी मुगल, तुर्क एवं मुसलिम आक्रांता शासकों के हिंदू उत्पीड़न तथा हिंदुस्थान में हिंदुओं को हिंदू होने का यानी हिंदू टैक्स अथवा जजिया कर का खुलकर विरोध महान् हिंदू खटिक जाति ने किया था। विदेशी मुसलिम आक्रांताओं के हिंदुस्थान में प्रवेश से लेकर उनके शासन तक लगातार डटकर यदि किसी ने उनका विरोध किया तो खटिक जाति ने किया। अंग्रेजों के विरुद्ध 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के नायक मेरठ के ‘तितौरिया’ भी खटिक ही थे।
सामाजिक समरसता दर्शन की दिशा में चिंतन के लिए बाध्य करती इस कृति से संपूर्ण हिंदू समाज को सकारात्मक चिंतन की एक दिशा प्राप्त होगी।
ISBN: 9789350485675
Pages: 344
Avg Reading Time: 11 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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उपन्यास के घटना-क्रम की शुरुआत प्रथम विश्वयुद्ध की पूर्ववेला में, 1910 के आसपास वोल्गा के किनारे स्थित सरातोव नामक छोटे-से शहर में होती है। कहानी मुख्यतः एक युवा क्रान्तिकारी (इज्वेकोव) और एक प्रौढ़-परिपक्व बोल्शेविक कारख़ाना मज़दूर (रागोजिन) की गतिविधियों के आसपास घूमती है, लेकिन इनके साथ ही क्रान्ति पूर्व रूस के विभिन्न वर्गों और संस्तरों के प्रतिनिधि अपनी सामाजिक स्थिति, मनोविज्ञान, राग-विराग और पारस्परिक सम्बन्धों के साथ अत्यन्त जीवन्त रूप में मौजूद हैं—व्यापारी मेरकूरी अव्देविच और उसकी बेटी लीजा, अभिजात लेखक पास्तुखोव, छलिया अभिनेता स्त्वेतुखिन, क्रान्ति के गुप्त सहयोगी बुद्धिजीवी और तलछट-निवासी लम्पट सर्वहारा चरित्र।
टाइप चरित्रों के सृजन और विकास की फ़ेदिन की तकनीक अनूठी है। सामान्य घटनाक्रम-विकास के बीच वे चरित्रों की परत-दर-परत खोलते हुए मानो उनका मनोवैज्ञानिक अध्ययन भी प्रस्तुत करते चलते हैं। काल-विशेष की सामाजिक-राजनीतिक स्थितियों की वस्तुपरक प्रस्तुति, ऐतिहासिक घटना प्रवाह का व्यक्तियों पर प्रभाव और घटना-प्रवाह में व्यक्तियों की भूमिका तथा अलग-अलग वर्गों के प्रतिनिधि चरित्रों की ऐतिहासिक नियति के चित्रण के साथ ही फ़ेदिन जनता के बीच से उभरते प्रतिनिधि सकारात्मक चरित्रों की गतिकी को उद्घाटित करते हुए एक नए मानव के जन्म की कहानी बयान करते हैं।
‘पहली उमंगें’ उपन्यास एक ऐसे समय का साहित्यिक दस्तावेज़ है जब समाज में, आतंक के साए के बीच, कभी भी कहीं से परिवर्तन की किसी विस्फोटक, आकस्मिक शुरुआत की सम्भावना लोग निरन्तर महसूस कर रहे थे। सतह पर सामान्य जीवन का दैनंदिन नाटक जारी था और सतह के नीचे परिवर्तन की शक्तियाँ लगातार संगठित तैयारियों में जुटी हुई थीं। उपन्यास की अनेक थीमें इस विचार द्वारा एकताबद्ध हैं कि दुनिया को पुनर्संगठित करने का संघर्ष ही मूल्य और सत्यनिष्ठा से युक्त मानव-व्यक्तित्व का निर्माण कर सकता है, चीज़ों को बदलने की प्रक्रिया में ही लोग स्वयं को बदल सकते हैं और क्रान्ति के दहनपात्र में ही नया मानव ढाला-गढ़ा जा सकता है।
Take 2
- Author Name:
Ruchi Singh
- Book Type:

- Description: Priya's idyllic world turns upside down when she realizes her husband considers her dead weight after stripping her off her inheritance for his ambitions and lavish lifestyle. Instantly attracted to Priya, Abhimanyu knows getting involved with a married woman is inviting trouble. But despite common sense, cautions and hesitations, he is drawn to help her. Happily ever after has become a myth for Priya and trying to keep the relationship platonic is becoming more and more difficult for Abhimanyu. In the tussle between ethics, fears and desires... will Priya embrace a second chance at happiness?
Main Ravindranath ki Patni
- Author Name:
Ranjan bandyopadhyay
- Book Type:

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Description:
‘मैं रवीन्द्रनाथ की पत्नी’ एक ऐसी पुष्पलता की कहानी है जिसे एक विराटवृक्ष के साहचर्य में आने की कीमत अपने अस्तित्व को ओझल करके चुकानी पड़ी।
गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर की पत्नी थीं—मृणालिनी देवी। उनका सिर्फ एक ही परिचय था कि वे विश्वकवि की सहधर्मिणी हैं। उनका जीवन मात्र अट्ठाइस वर्षों का रहा, जिनमें से उन्नीस वर्ष उन्होंने रवीन्द्रनाथ की पत्नी के रूप में जिये। रवीन्द्रनाथ की विराट छाया में मृणालिनी का अन्तर्जगत हमेशा अँधेरे में रहने को ही अभिशप्त रहा। रवीन्द्रनाथ से इतर उनका अपना कोई अस्तित्व मानो रहा ही नहीं।
लेकिन क्या सचमुच ऐसा ही था? क्या अपने निजी जीवन में मृणालिनी ने दाम्पत्य का सहज सुख पाया और अपने जीवनसाथी की सच्ची सहधर्मिणी हो पाई थीं? क्या उन्हें रवीन्द्रनाथ की पत्नी के रूप में प्रेमपूर्ण जीवन जीने को मिला था? इन तमाम सवालों का जवाब है यह उपन्यास जिसमें एक स्त्री के सम्पूर्ण मन-प्राण की व्यथा इस तरह अभिव्यक्त हुई है जो इतिहास को नई रोशनी में देखने की माँग करती है।
एक अविस्मरणीय कृति!
NISHANK : Ek Antrang Path
- Author Name:
Gopal Sharma
- Book Type:

- Description: जिन केंद्रीय शिक्षा मंत्रियों ने साहित्यकार के रूप में भी अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है उनमें श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ का नाम प्रमुख है। साहित्य की विविध विधाओं (कविता, कहानी, उपन्यास, यात्रा-वृत्तांत, संस्मरण, जीवनी, जीवनोपयोगी लेखन आदि) में अपने विपुल लेखन से भारतीयता और भारतीय जीवन मूल्यों की स्थापना करते हुए उन्होंने देश-देशांतर में अपने पाठकों का अपार स्नेह प्राप्त किया है। इस पुस्तक के माध्यम से निशंकजी की अब तक प्रकाशित कृतियों का एक ऐसा अंतरंग पाठ प्रस्तुत किया गया है, जो एक साथ ही अंतरिम भी है और विस्तृत भी। यहाँ देखा जा सकता है कि विविध पाठक-वर्गों की अपेक्षाओं की एक साथ पूर्ति करते हुए निशंक-साहित्य किसी एक सहृदय पाठक के मर्म को किस प्रकार आंदोलित करता है। भूमिका और यवनिका से आबद्ध ग्यारह अध्यायों के शीर्षक मात्र आपको यह आभास करा देंगे कि यह पाठ सर्वथा अधुनातन और अनौपचारिक शैली में लिखा गया है। लेखक से अधिक उसके लेखन पर केंद्रित प्रस्तुत अध्ययन का जब आप पाठ करेंगे तो आप स्वयं भी समूची साहित्य-रचना प्रक्रिया की शास्त्रीय समझ विकसित करते चले जाएँगे। हिंदी साहित्य के संपूर्ण सर्जनात्मक संसार से विश्वसनीय और प्रामाणिक तथ्य-सामग्री जुटाकर और उसमें निशंकजी के साहित्यिक योगदान को स्थापित और रेखांकित करती यह पुस्तक आपको विरल भी लगेगी और अनूठी भी।
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