Nayi Kavita : Vols. 1-3
Author:
Ramswaroop ChaturvediPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Language-linguistics0 Reviews
Price: ₹ 796
₹
995
Available
‘नयी कविता’ वाद-मुक्त धरातल को केन्द्र में मानकर सन् 54 में प्रकाशित हुई। प्रगतिवाद मार्क्सवाद से प्रेरित होकर हिन्दी साहित्य में स्थापित हुआ और प्रयोगवाद वैज्ञानिक चेतना को आधार मानकर अस्तित्व में आया। जबकि ‘नयी कविता’ विशुद्ध काव्य भूमि की नवीनता से उपजी है और 1954 से 67 तक आठ अंक उत्तरोत्तर समृद्ध के साथ प्रकाशित हुए। ‘नयी कविता’ के पहले अंक ने हिन्दी में अपनी क्रान्तिकारी उपस्थिति दर्ज की और विरोध की भूमिका भी स्वाभाविक रूप से प्रखरतर होती गई। किंचित् कविता का विरोधात्मक आशय न समझकर उसे ही विरोध का आधार मान लिया गया।</p>
<p>सर्वेश्वरदयाल सक्सेना की कविताओं ने मुझे नयी कविता की शक्ति के प्रति आश्वस्त किया और अजित कुमार की चार पंक्तियों की कविता विरोध का प्रतीक बन गई और साथ ही नवीनता का उद्घोष भी।</p>
<p>‘नयी कविता : नयी अभिरुचि’, ‘नयी कविता : सन्तुलन’ और ’नयी कविता : अर्थ की लय’ जैसे सम्पादकीय विचारोत्तेजक सिद्ध हुए। ‘नयी कविता’ के सैद्धान्तिक पक्ष को उजागर करने में मैंने व्यापक सहयोग प्राप्त किया और साहित्य में उसकी मान्यता निर्विवाद प्रमाणित हुई। जो युगान्तर कविता के भीतर घटित हुआ। वह कवियों को निरन्तर प्रेरित करता रहा और आज भी कीर्तिमान के रूप में स्थापित है।</p>
<p>—जगदीश गुप्त
ISBN: 9788180314759
Pages: 1183
Avg Reading Time: 39 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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प्रस्तुत पुस्तक 'धूमिल और उसका काव्य-संघर्ष' पुस्तक में आदमीयत के लिए निरन्तर संघर्षरत धूमिल के रचना-संघर्ष को ही उसके व्यक्तित्व एवं काव्य के सन्दर्भ में व्याख्यापित करने का प्रयास किया गया है। समकालीन हिन्दी कविता में मुक्तिबोध और धूमिल सर्वाधिक चर्चित कवि हैं। उनकी चर्चा का कारण है—उनका काव्यगत रचनात्मक संघर्ष। यद्यपि उनके संघर्ष के आयाम अलग हैं, फिर भी आम आदमी की केन्द्रीय उपस्थिति दोनों की कविता में विद्यमान है। समकालीन समाजवादी सोच की विसंगतियों पर दोनों की ही दृष्टि समान रूप से पड़ी है और मानवीय सन्दर्भ में उसे एक नई इयत्ता देने का प्रयास दोनों ने अपने-अपने मानसिक स्तर पर किया है।
Madhyakaleen Hindi Kavya Bhasha
- Author Name:
Ramswaroop Chaturvedi
- Book Type:

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Description:
काव्यभाषा साहित्य चिन्तन की नई दिशा है। इस दृष्टि से यहाँ समूचे मध्यकालीन काव्य को एक साथ देखने-परखने का पहली बार प्रयास हुआ है। आधुनिक समीक्षा-प्रक्रिया और मध्यकालीन काव्य-धारा का यह सम्पर्क जितना जीवन्त है, उतना ही विचारोत्तेजक भी। सन्त कबीरदास से लेकर आचार्य भिखारीदास तक सभी प्रमुख भक्तिकाल और रीतिकाल के कवियों पर अलग-अलग अध्ययन है। भाषा, शिल्प, विधान के विविध पक्षों को इस कृति में एक सार्थक अन्विति मिलती है, जहाँ कविता बनने की प्रक्रिया ही समीक्षा के केन्द्र में है। अन्त में कई परिशिष्ट अध्ययन को व्यावहारिक स्तर पर उपयोगी बनाते हैं।
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