Bhasha-Chintan Ke Naye Aayam
Author:
Ramkishor SharmaPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Language-linguistics0 Reviews
Price: ₹ 120
₹
150
Available
चिन्तन-मनन, ज्ञान के प्रसारण, सम्प्रेषण आदि के लिए भाषा की आवश्यकता है। भिन्न-भिन्न प्रयोजनों के लिए भाषा के अलग-अलग प्रारूप भी निर्मित हो जाते हैं। अन्य ज्ञान-विज्ञान की तरह भाषाविज्ञान में भी भाषा को विभिन्न कोणों से देखने-परखने की प्रक्रिया दृष्टिगोचर हो रही है। ‘भाषाविज्ञान’ जो आरम्भ में एक विषय के रूप में प्रतिष्ठित हुआ, वह आज एक ज्ञान का संकाय बन गया है। भाषा-चिन्तन की अनेक शाखाएँ-प्रशाखाएँ बनती जा रही हैं। साहित्य के अध्येताओं के लिए भाषा पर हो रहे विचारों तथा उनके निष्कर्षों से परिचित होना आवश्यक है।</p>
<p>विश्वास है कि भाषा-चिन्तन के नए क्षेत्रों का सांगोपांग परिचय पुस्तक के द्वारा पाठकों को मिल सकेगा। एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण कृति।
ISBN: 9788180310713
Pages: 115
Avg Reading Time: 4 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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फणीश्वरनाथ रेणु का जीवन और साहित्य जितना बहुआयामी है उतना ही रसग्राही। रेणु के व्यक्तित्व-कृतित्व के विविध पक्षों की गहन खोज करने में भारत यायावर ने अपने जीवन के कई वर्ष लगा दिए हैं। उनके सम्पादन में अब तक रेणु की लगभग बीस पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। उन्होंने वैज्ञानिक दृष्टिकोण से 'रेणु रचनावली' का सम्पादन किया है, जो बेहद प्रशंसित हुआ है। रेणु पर अपनी लम्बी खोज-यात्रा के उपरान्त उन्होंने 'रेणु का है अन्दाज़े-बयाँ और' लिखी है। इस पुस्तक में रेणु के जीवन और साहित्य के नए और अनछुए पहलुओं की तलाश की गई है। रेणु पर यह पहली पुस्तक है जिसमें विस्तार से उनकी रचनाओं की पड़ताल की गई है। रेणु के साहित्य में उपन्यास एवं कहानी के साथ ही रिपोर्ताज सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण विधा है, जिस पर विस्तार से विवेचन किया गया है।
भारत यायावर की इस पुस्तक में रेणु के जीवन और साहित्य के गहन अनुसंधानपरक विवेचन के बावजूद सबसे महत्त्वपूर्ण है एक जीवन्त यानी हँसती-बतियाती हुई रचनात्मक भाषा। इस भाषा का एक अपना ही स्वाद है, साथ ही अपना ही रंग है। इसके कारण यह पुस्तक रोचक, दिलचस्प और बेहद पठनीय है। इस पुस्तक के परिशिष्ट में भारत यायावर ने फणीश्वरनाथ रेणु का संक्षिप्त जीवन-परिचय जोड़ दिया है एवं दो असंकलित रचनाओं ‘जै गंगा’ एवं ‘डायन कोशी’ को भी संकलित कर दिया है, इससे इस पुस्तक की महत्ता और अधिक बढ़ गई है। कुल मिलाकर, रेणु के अन्दाज़े-बयाँ को अपने ही ढंग से प्रस्तुत करनेवाली यह अनोखी पुस्तक है।
Hindi Vyakaran Mimansa
- Author Name:
Kashiram Sharma
- Book Type:

- Description: व्याकरण छह वेदांगों में से एक है। वह वेद का मुख है। अत: भारत में उसके अध्ययन की प्राचीनता उतनी ही है जितनी वेदों की। आज से कम से कम अढ़ाई हज़ार वर्ष पूर्व तो पाणिनि ने उसे पूर्णता तक पहुँचा दिया था। व्याकरण में वर्णों के उच्चारण, शब्दों की रचना और रूप रचना तथा वाक्यों की रूप-रचना पर विचार होता है। वह भाषा का उच्चारण और रूप रचनामूलक अध्ययन करता है। दूसरे शब्दों में, वह शब्द-प्रधान है, अर्थ-प्रधान नहीं। इसीलिए उसे शब्दानुशासन या शब्दशास्त्र भी कहते हैं। पश्चिम के ग्रामर अर्थ-प्रधान होते हैं। वे वर्णों के केवल लिपिगत रूप पर विचार करते हैं। शब्दों का वर्गीकरण उनके अर्थ के आधार पर करते हैं : अमुक बोधक, तमुक वाचक आदि। वाक्य में रूप-रचना का भी ध्यान रखते हैं पर प्रधानता विश्लेषण की ही होती है जो प्रकार्य (अर्थ) प्रधान होती है—क्रिया, उसका कर्ता, कर्म, पूरक आदि। सार यह कि ग्रामर अर्थ-प्रधान होते हैं, व्याकरण शब्द-प्रधान। हिन्दी आदि सीखने के लिए विदेशियों ने ग्रामर बनाए, दुर्भाग्य से उन्हें ही व्याकरण कहा जाने लगा। बाद में ब्लूमफील्ड आदि ने भाषा के अध्ययन की व्याकरणिक शैली अपनाई पर उसे ग्रामर नहीं कहा, संरचनात्मक भाषिकी आदि कहा। उनकी भाषिकी व्याकरण है। इसीलिए उन्होंने ग्रामर नहीं कहा प्रस्तुत रचना में डॉ. दीमशिन्स, कामता प्रसाद गुरु और किशोरीदास वाजपेयी के व्याकरणों की समीक्षा के व्यपदेश से व्याकरण का विषय क्षेत्र तो स्पष्ट किया ही गया है, सच्चे हिन्दी व्याकरण की रूपरेखा भी दी गई है; ऐसे व्याकरण बनेंगे तो भाषा अध्ययन की सही दिशा मिलेगी। जो ग्रामरी शैली को ठीक समझें, वे ग्रामर पढ़ें और लिखें भी, पर उन्हें व्याकरण न कहें? व्याकरण की वही परिभाषा रहने दें जो चार-पाँच हज़ार वर्ष से रही है।
Jayasi : Ek Nai Drishti
- Author Name:
Raghuvansh
- Book Type:

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Description:
प्रस्तुत पुस्तक जायसी साहित्य के अध्ययन-चिन्तन में एक नई दृष्टि की शुरुआत करती है। धर्म, दर्शन और आचरण की मूल्यपरक रचना-प्रक्रिया मानवीय संस्कृति की आन्तरिक प्रकृति है—इस ज्ञान के साथ उन्होंने पाया है कि इसी की अभिव्यक्ति मनुष्य की कलाओं और साहित्य में होती है।
प्रस्तुत पुस्तक के विभिन्न प्रकरणों में जायसी के जीवन, दार्शनिक चिन्तन, उनकी आध्यात्मिक दृष्टि, साधना की भाव-भूमि, मानवीय जीवन के सारे परिवेश के साथ उसके मूल्य प्रक्रिया के विविध पक्षों को विवेचित करने में लेखक ने सर्वथा नई दृष्टि से काम लिया है।
जायसी साहित्य के अध्येताओं के लिए डॉ. रघुवंश की यह पुस्तक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण और उपयोगी है।
Pokhran
- Author Name:
Uday Singh
- Book Type:

- Description: 1974 में परमाणु-परीक्षण 'स्माइलिंग बुद्धा' की सफलता ने भारत को परमाणु-शक्ति के तौर पर उल्लेखनीय गति प्रदान की। लेकिन पोखरण के निवासियों, विशेषकर चैतन्य पर, इसके दुष्प्रभाव की खबर मीडिया की सुर्खियाँ नहीं बनीं । बहुत जल्द ही यह स्पष्ट हो गया कि रेडियो एक्टिव फॉलआउट के इर्द-गिर्द बुने गए इस षड्यंत्र का गहरा संबंध इसकी स्थापना से जुड़ा था। इस षड्यंत्र को छिपाने में जिनका हाथ है, वे इस राज को दफनाने के लिए भरपूर और हरसंभव प्रयास कर रहे हैं । चैतन्य इस सच्चाई को उजागर करने की राह पर चल पड़ता है। जारा का साथ पाकर उसे विश्वास हो जाता है कि वह लोगों को न्याय दिला सकता है । लेकिन जब नियति जारा को उससे दूर कर देती है, तो वह प्रतिशोेध की आग में जलने लगता है। धमकियों से डरे बिना वह एक मिशन पर निकल पड़ता है, जो उसे पोखरण के रेगिस्तान से सीरिया की जमीन तक पहुँचा देता है और एम.आई.टी. की सभाओं तक। एक दिलचस्प मोड़ लेते हुए ' पोखरण' मुख्य रूप से बदले की असाधारण यात्रा, साहस, प्रेम और अजेय मानवीय शक्ति की कहानी है, जिसे पढ़कर पाठक रोमांचित हो जाएँगे।
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