Manipur in Flames: Conspiracy of The Cross
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Jagdamba MallPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
EnglishCategory:
History-and-politics0 Reviews
Price: ₹ 960
₹
1200
Available
This book is a compelling analysis of the causes behind the unrest in Manipur since 3rd May 2023. It examines the factors, consequences and involvement of national and international organisations, including Church bodies like AMCO, CBCNEI, BWA and WCC along with global players like USA, UK, China and UNO.
The book narrates the history of Manipur. The contribution of Meitei community in nation building is highlighted. It explores the immigration of Kuki population from Myanmar, encouraged by British Political Agent Major W. McCulloch (1844-67) with ulterior motives, the separation of Hills administration and the Church's conspiracy to convert Kukis to Christianity to create a rift with Meitei Hindus and India. This is a must-read for historians, sociologists, political activists, social workers and research scholars.
ISBN: 9789355624895
Pages: 488
Avg Reading Time: 16 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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लेखक के अनुसार नगर-जीवन के लोप होने के कारणों में साम्राज्यों का पतन तो है ही, सामाजिक अव्यवस्था और दूरवर्ती व्यापार का सिमट जाना भी है। लेकिन नगर-जीवन के बिखराव को यहाँ सामाजिक प्रतिगामिता के रूप में नहीं, बल्कि सामाजिक रूपान्तरण के एक अंग की तरह देखा गया है, जिसने क्लासिकी सामन्तवाद को जन्म दिया और ग्रामीण जीवन को विस्तारित एवं संवर्धित किया। यह कृति नगर-जीवन के ह्रास और शासकीय अधिकारियों, पुरोहितों, मन्दिरों एवं मठों को मिलनेवाले भूमि-अनुदानों के बीच सम्बन्ध-सूत्रों की भी तलाश करती है। यह भी दिखाया गया है कि भूमि-अनुदान प्राप्त करनेवाले वर्ग किस प्रकार अतिरिक्त उपज और सेवाएँ सीधे किसान से वसूलते थे तथा नौकरीपेशा दस्तकार जातियों को भूमि-अनुदान एवं अनाज की आपूर्ति द्वारा पारिश्रमिक का भुगतान करते थे।
इस सबके अलावा प्रो. शर्मा की यह कृति ई.पू. 1000 के उत्तरार्द्ध और ईसा की छठी शताब्दी के दौरान आबाद उत्खनित स्थलों के नगर-जीवन की बुनियादी जानकारी भी हासिल कराती है। कहना न होगा कि यह पुस्तक उन तमाम पाठकों को उपयोगी और रुचिकर लगेगी, जो कि गुप्त एवं गुप्तोत्तर काल की समाजार्थिक व्यवस्था में परिवर्तन की प्रक्रियाओं का अध्ययन करना चाहते हैं।
Netaji Subhash Chitramaya Jeevani
- Author Name:
Rajendra Patoriya
- Book Type:

- Description: नेताजी सुभाषचंद्र बोस क्रांतिकारी थे, उनका ध्येय था भारत की स्वतंत्रता। वे एक राजनेता, कूटनीतिज्ञ के साथ-साथ दूरदर्शी एवं स्पष्टवक्ता थे। उन्होंने किसी भी कीमत पर आजादी के लिए समझौता नहीं किया। उनका एक ही लक्ष्य था—अंग्रेजों से भारत की मुक्ति। नेताजी अपने चुंबकीय व्यक्तित्व के कारण भारत और बाहर आकर्षण का केंद्र रहे। वे अपने समय के विश्वमान्य नेता थे। स्वतंत्रता के पूर्व विदेशी शासक घबराते रहे नेताजी सुभाष बाबू से तो स्वतंत्रता के उपरांत देशी सत्ताधीन घबराते रहे जनमानस पर उनके व्यक्तित्व और कर्तृत्व के अमिट प्रभाव से। यह बड़े ही आश्चर्य की बात है कि आजादी के बाद नेताजी के बारे में, उनके कार्यों के विषय में सरकारें कभी भी सही-सही मूल्यांकन नहीं कर पाईं। विद्वानों का मत है कि सुभाषचंद्र बोस और आजाद हिंद सेना के संपूर्ण विषय को विस्मृति के गर्त में ढकेलने के लिए सुनियोजित षड्यंत्र और कुचक्र रचे गए। नेताजी के जीवित होने के बारे में भी जनता असमंजस में रही। लेकिन इन तमाम कुत्सित प्रयासों के बाद भी जन-जन के मन-मस्तिष्क में बसे हैं, आजादी के इतने वर्षों बाद भी जनता उनको भूल नहीं पाई है। जन-जन के कंठहार और साहस व शौर्य की प्रतिमूर्ति नेताजी सुभाषचंद्र बोस की प्रेरक जीवन-कथा व दुर्लभ चित्रावली।
Yogi Ramrajya
- Author Name:
Chetna Negi
- Book Type:

- Description: रामराज्य की परिकल्पना एक आदर्श व्यवस्था का प्रतीक है। रामराज्य ऐसे क्षेत्र की संपूर्ण परिभाषा है, जहाँ हर क्रियाकलाप एक-दूसरे के सामंजस्य से पूरा होता है। रामराज्य की संकल्पना जनहित और सर्वसमावेशी व्यवस्था पर आधारित है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का पदभार सँभालने के बाद पाँच वर्ष की अवधि में महंत योगी आदित्यनाथ ने सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक व्यवस्था में आमूल-चूल परिवर्तन किए और एक कल्याणकारी राज्य की अवधारणा को मूर्त रूप दिया। उनके शासन के पाँच वर्षों में उत्तर प्रदेश ने अपने सांस्कृतिक वैभव के विराट् स्वरूप के दर्शन कराए और आधुनिक राज्य की पहचान को वैश्विक स्तर पर आगे बढ़ाया। विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं की आम जनमानस तक सहज सुलभता और विकास के नए कीर्तिमान उस रामराज्य की अवधारणा को प्रदर्शित करते हैं, जिसमें जनकल्याण ही सर्वोपरि है। पाँच वर्ष के दौरान सत्ता की दृढ़ता, दूरदर्शिता, सजग प्रबंधन, संवेदनशीलता से परिस्थितियाँ ऐसे परिवर्तित हुईं कि उत्तर प्रदेश उद्योगपतियों, पूँजी निवेशकों, कॉरपोरेट सेक्टर का सर्वप्रिय राज्य बन गया है।
Gandhi : Rise of a Mahatma and Diaspora
- Author Name:
Dr. Ruchi Verma +2
- Book Type:

- Description: The year 2019-2020 marked the 150 birth anniversary of Mahatma Gandhi that was widely commemorated in India and in many parts of the world remembering Gandhiji’s philosophy and teachings. During his education of law in the UK, Gandhiji developed firm faith in the principles and merits of the rule of law. Ironically, this faith was severely challenged when he moved as a lawyer to assist some Indian origin businessmen in South Africa. There, Gandhiji came face to face not only with violations of the sacrosanct principles of the rule of law but also the discrimination built in the laws themselves. This shock laid the foundation of barrister Gandhi’s journey in the process of making of a mahatma. Though Gandhiji’s commitment to Swaraj through Satyagraha has a much wider global appeal, his path to sainthood was inseparably intertwined with his experiences with the Indian diaspora. In keeping with Antar Rashtriya Sahayog Parishad (ARSP’s) pioneering work with Indian diaspora, Diaspora Research and Resource Centre of ARSP, in collaboration with Gandhi Smriti and Darshan Samiti, New Delhi organised a series of conferences on the theme ‘Gandhi and diaspora’, which were attended by over 100 experts from India and abroad. This book is a compilation of the proceedings, presentations and the outcomes of these important events. We hope, this publication would be useful to academics and scholars dealing with Gandhian teachings, ideology and diaspora studies.
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