Modi Neeti
Author:
Dr. Harish Chandra BurnwalPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
History-and-politics0 Reviews
Price: ₹ 160
₹
200
Available
Awating description for this book
ISBN: 9789353223144
Pages: 200
Avg Reading Time: 7 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: यह किताब कश्मीर के उथल-पुथल भरे इतिहास में कश्मीरी पंडितों के लोकेशन की तलाश करते हुए उन सामाजिक-राजनैतिक प्रक्रियाओं की विवेचना करती है जो कश्मीर में इस्लाम के उदय, धर्मान्तरण और कश्मीरी पंडितों की मानसिक-सामाजिक निर्मिति तथा वहाँ के मुसलमानों और पंडितों के बीच के जटिल रिश्तों में परिणत हुईं। साथ ही, यह किताब आज़ादी की लड़ाई के दौरान विकसित हुए उन अन्तर्विरोधों की भी पहचान करती है जिनसे आज़ाद भारत में कश्मीर, जम्मू और शेष भारत के बीच बने तनावपूर्ण सम्बन्धों और इस रूप से कश्मीर घाटी के भीतर पंडित-मुस्लिम सम्बन्धों ने आकार लिया।
Uttar Pradesh Ka Swatantrata Sangram : Balrampur
- Author Name:
Pawan Bakshi
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Description:
सन् सत्तावन के स्वतंत्रता संग्राम में भागीदारी करनेवाली रानी तुलसीपुर का उल्लेख कहीं-कहीं ऐश्वर्य राजेश्वरी देवी के रूप में भी मिलता है और ईश्वरी कुमारी के रूप में भी। इस पुस्तक में उनके और अन्य स्वतंत्रता-सेनानियों के संघर्ष को रेखांकित किया गया है। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अपने-अपने समय पर महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानेवाले ऐसे अनेक सेनानी हैं जिनके बारे में आज बहुत ज्यादा जानकारी नहीं है। रानी तुलसीपुर भी उनमें से एक हैं। उनके बारे में अभी तक इतना ही ज्ञात था कि विद्रोह के दौरान वे बेगम हजरत महल के साथ नेपाल चली गई थीं। यह पुस्तक उनकी पूरी वीरगाथा को सामने लाती है जिसके लिए लेखक ने लिखित इतिहास के अलावा सैकड़ों गाँवों में घूम-घूमकर बुजुर्गों से कहानियाँ भी सुनीं और फिर वास्तविक तथ्यों के आधार पर यह पुस्तक लिखी।
रानी तुलसीपुर के साथ-साथ इसमें स्वतंत्रता आंदोलन में बलरामपुर जिले की भूमिका भी स्पष्ट होती है।
Prachin Bharat Mein Nagar Tatha Nagar Jivan
- Author Name:
Uday Narayan Rai
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Description:
इस ग्रन्थ में आरम्भ से लेकर बारहवीं शती ई. तक ‘प्राचीन भारत में नगर तथा नगर-जीवन’ विषय का विशद् एवं रोचक ऐतिहासिक परिचय पहली बार प्रस्तुत किया गया है।
इस ग्रन्थ के प्रथम तीन अध्यायों में आज से लगभग साढ़े चार हज़ार वर्षों पूर्व ताम्राश्म-काल में प्रथम नगरीय सभ्यता का स्वदेशी उद्भव एवं प्रारम्भिक विकास, हड़प्पा एवं मोहनजोदड़ो-सदृश प्रथम नगरों के सन्निवेश का मौलिक स्वरूप, पाश्चात्य समकालीन नगरों की तुलना में उनके निर्माण की उत्कृष्टता, कालान्तर में लौह काल में द्वितीय पुर-कान्ति के साथ गांगेय उपत्यका में नगरीकरण की प्रक्रिया का आरम्भ, नगर-सन्निवेश की विकसित शैली तथा नगर-तत्त्वों के नवीन विकास और समावेश के विवरण प्राप्य हैं।
तदुपरान्त चतुर्थ से लेकर ग्यारहवें अध्याय तक देश के लगभग पचास प्रतिनिधि नगरों का तिथिक्रम के अनुसार ऐतिहासिक परिचय, नगर एवं गृह-निर्माण की वैज्ञानिक पद्धति, भारतीय अभियन्ताओं की मौलिक सूझ-बूझ तथा नगर-शासन की विशेषताओं का परिचय उपलब्ध होता है। बारहवें से पन्द्रहवें अध्याय तक नगरों का आर्थिक जीवन एवं संघटन, सामाजिक, भौतिक एवं सांस्कृतिक जीवन की विशेषताओं का विश्लेषण, प्राचीन भारतीय कला में नगरीय रूपांकन तथा समग्र परिशीलन का सारगर्भित निष्कर्ष प्राप्य है।
नवीनतम साक्ष्यों के आधार पर इस रचना को अधिकाधिक सज्य बनाने का प्रयास किया गया है। इसका प्रत्येक अध्याय सम्यक् पठनीय तथा नवीन तथ्यों से भरपूर एवं ऋद्ध है। अद्यतन पुरातत्त्वीय साक्ष्यों से मंडित सटीक चित्रफलक, मानचित्र एवं युक्तियाँ विवेचन को अधिकाधिक प्रामाणिक, रोचक एवं सारगर्भित बनाने के उद्देश्य से यथास्थान संयुक्त हैं।
आशा एवं विश्वास है कि अपने वर्तमान स्वरूप में यह ग्रन्थ पहले से अधिक उपादेय एवं अपने अभीष्ट की पूर्ति में सफल सिद्ध हो सकेगा।
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