Mission Impossible
Author:
Renu SainiPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
History-and-politics0 Reviews
Price: ₹ 100
₹
125
Available
Awating description for this book
ISBN: 9789353221157
Pages: 104
Avg Reading Time: 3 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
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Description:
प्रस्तुत पुस्तक में लगभग 1000 ई.पू. में आर्य संस्कृति की स्थापना से लेकर 1526 ई. में मुग़लों के आगमन और यूरोप की व्यापारिक कम्पनियों के प्रथम साक्षात्कार तक प्रायः 2500 वर्षों के दौरान भारत के आर्थिक तथा सामाजिक ढाँचे का विकास प्रमुख राजनीतिक एवं राजवंशीय घटनाओं के प्रकाश में दर्शाया गया है। मुख्य रूप से
डॉ. थापर ने धर्म, कला और साहित्य में, विचारधाराओं और संस्थाओं में व्यक्त होनेवाले भारतीय संस्कृति के विविध रूपों का रोचक वर्णन किया है।यह इतिहास वैदिक संस्कृति के साथ प्रारम्भ होता है, इसलिए नहीं कि यह भारतीय संस्कृति का प्रारम्भ-बिन्दु है, वरन् इसलिए कि भारतीय संस्कृति के प्रारम्भिक चरणों पर, जो आदिम-ऐतिहासिक और हड़प्पा काल में दृष्टिगोचर होने लगे थे, सामान्य पाठकों को उपलब्ध अनेक पुस्तकों में पहले ही काफ़ी कुछ लिखा जा चुका है। इस प्रारम्भिक चरण का उल्लेख ‘पूर्वपीठिका’ वाले अध्याय में है। यूरोपवासियों के आगमन से भारत के इतिहास में एक नवीन युग का सूत्रपात होता है। समाप्ति के रूप में 1526 ई. इसीलिए रखी गई है।
लेखिका ने पहले अध्याय में अतीत के विषय में लिखनेवाले इतिहासकारों पर प्रमुख बौद्धिक प्रभावों को स्पष्ट करने की चेष्टा की है। इससे अनिवार्यता नवीन पद्धतियों एवं रीतियों का परिचय मिल जाता है जिन्हें इतिहास के अध्ययन में प्रयुक्त किया जा रहा है और जो इस पुस्तक में भी परिलक्षित हैं।
The Two Plans
- Author Name:
Deendayal Upadhyay
- Book Type:

- Description: Distinguished by originality, lucidity and analytical faculty, this book presents a critical study of the Two (First & Second Five Year) Plans. Its penetrating analysis and sound approach shed a great deal of light on conception, inception, execution, promises and performance of the Plans. Not only that, it gives a timely warning to the airy idealists, selfcomplacent people in power and outside, theoretical statisticians and totalitarian thinkers that it would be desirable to reconsider our whole attitude towards planning, and if we cannot take to correct policies, the future of the whole nation may be jeopardised. Planning is a dynamic process and is based on the traditional values and fundamental postulates of a country�s life and culture. The persons responsible for planning in India seem to have been either ignorant or deliberately preferred to ignore this important consideration. The book by eminent nationalist thinker Pandit Deendayal Upadhyay raises critical questions and vital issues concerning our socioeconomic ills and evils and their patent and popular remedies imported and imbibed either from the Communist or the Capitalist countries.
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