
Gondvana Ki Lokkathayen
Publisher:
Rajkamal Prakashan Samuh
Language:
Hindi
Pages:
332
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
664 mins
Book Description
आदिवासी अंचलों में शिक्षा के प्रति रुचि जाग्रत करने हेतु रोचक साहित्य उपलब्ध कराया जाता रहा है। उसी शृंखला में बैगा एवं गोंड जनजातियों की बहुचर्चित लोककथाओं के संग्रह को यहाँ प्रकाशित किया जा रहा है।</p> <p>गोंड तथा बैगा जनजाति के अनेक पहलू अभी भी शेष समाज के लिए अविदित हैं। इनकी प्रथाएँ, परम्पराएँ, धार्मिक आस्थाएँ, कला, लोक-नृत्य एवं संगीत आदि हममें न केवल कौतूहल उत्पन्न करते हैं, बल्कि हमें आह्लादित भी करते हैं। इनके साथ-साथ इस जनजाति के पास विशिष्ट लोककथाओं, गाथाओं, किंवदन्तियों एवं मिथकों आदि का भी विपुल भंडार है जो एक धरोहर के रूप में पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तान्तरित होते हुए सदियों से अक्षुण्ण चला आ रहा है। इनकी कथाओं में जहाँ समाज के स्वरूप, संगठन एवं सामाजिक आस्थाओं के दर्शन होते हैं, वहीं ये व्यक्ति व समाज को सृष्टि तथा सृष्टि के रचयिता के साथ भी जोड़ती हैं।</p> <p>गोंड एवं बैगा जनजाति की लोककथाओं के अकूत भंडार में से कुछ रोचक लोककथाएँ यहाँ प्रस्तुत की जा रही हैं। यह कार्य भरपूर परिश्रम, अनन्य आस्था और परिपूर्ण शोधवृत्ति से किया गया है। आशा है, जनजातीय संस्कृति में रुचि रखनेवालों और सुधी पाठकों को यह प्रयास अवश्य पसन्द आएगा।</p> <p>