Sujan Harbola
Author:
Satyajit RayPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Short-story-collections0 Reviews
Price: ₹ 159.2
₹
199
Available
अपनी फिल्मों के जरिये पूरी दुनिया में असाधारण शोहरत हासिल करनेवाले सत्यजित राय ने अपने लेखन से भी अपार लोकप्रियता हासिल की।</p>
<p>अपनी अति व्यस्तता के बावजूद उन्होंने बांग्ला भाषा में जिस विपुल परिमाण में साहित्य-लेखन किया, वह किसी को भी विस्मित कर सकता है। अपने पितामह उपेन्द्र किशोर रायचौधरी और पिता सुकुमार राय की तरह किशोरों के लिए साहित्य-सृजन की परम्परा को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने जासूस फेलूदा, वैज्ञानिक प्रोफेसर शंकु और बातूनी तारिणी चाचा जैसे नायाब किरदारों को साकार किया। यथार्थ और कल्पना तथा लौकिक और अलौकिक के मेल से उन्होंने दर्जनों ऐसे पात्रों और प्रसंगों को अपनी कहानियों में जीवन्त किया, जिन्हें भुला पाना असम्भव है।</p>
<p>सत्यजित राय की कहानियाँ अकल्पनीय रहस्य-रोमांच से भरपूर हैं, पर ये कहानियाँ परम्परागत रहस्य-रोमांच की कहानियों से बिलकुल भिन्न एक नई भाव-भूमि, एक नए संसार का साक्षात्कार कराती हैं। उनकी अधिकतर कहानियाँ हमारी जानी-पहचानी जगहों और लोगों के बीच से ही कुछ ऐसा उद्घाटित करती हैं जो हमें रोमांचित कर देता है और हमारी कल्पनाशीलता को नई गति प्रदान करता है।</p>
<p>‘सुजन हरबोला’ में संकलित कहानियाँ अपने रचाव और रंगत में लोककथाओं जैसी हैं—सहज, घटनापूर्ण किन्तु सार्वकालिक मूल्यबोध से लैस। इन कहानियों में मानव स्वभाव के उन पक्षों का बखूबी उद्घाटन हुआ है, जहाँ भविष्य के प्रति कुतूहल और उम्मीद हमेशा उपस्थित रहते हैं।
ISBN: 9788189850982
Pages: 144
Avg Reading Time: 5 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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दृश्य, अदृश्य कितनी ही बेड़िया और कितने-कितने दबाव हैं इस ‘जन’ पर, इनके बीच उसकी आकांक्षाएँ हैं, सपने हैं, दुर्निवार संकल्प हैं, जीवट है, जिजीविषा है, साथ ही क़दम-क़दम पर स्खलन और भटकाव भी। अतीत की धुँधली परछाइयों से लेकर अनागत की आहटों तक फैले सृंजय के कथा-संसार में एक और लोककथाओं का परम्परा-प्रवाह है तो दूसरी ओर लोक-शत्रुओं को पहचानने की अधुनातन दृष्टि भी। इस तरह राष्ट्रीय से लेकर अन्तरराष्ट्रीय साज़िशों को नंगा करती हैं ‘नंगा’ की कहानियाँ।
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Katha Saptak - Divya Mathur
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Divya Mathur
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