Stephen Hawking
Author:
Vivek GovilkarPublisher:
Manovikas Prakashan LLPLanguage:
MarathiCategory:
Biographies-and-autobiographies0 Reviews
Price: ₹ 200
₹
250
Available
विज्ञानातील अत्युच्च श्रेणीचे कार्य, त्यांच्या दिव्यांगामुळे आलेल्या मर्यादांच्या पलीकडे जाऊन किंबहुना त्यावर विजय मिळवून त्यांनी प्राप्त केलेले दैदिप्यमान यश, जीवनाला सामोरी जाणारी त्यांची दुर्दम्य ऊर्जा, त्याचबरोबर त्यांना मिळालेली अमाप प्रसिद्धी आणि प्रसारमाध्यमांमध्ये त्यांचे झालेले कौतुक अशा अनेक अंगांनी स्टीव्हन हॉकिंग यांचे व्यक्तिमत्त्व असाधारण बनले होते. त्यांचे हे अनेकविध पैलू वाचकांसमोर आणण्यात लेखक विवेक गोविलकर यशस्वी झाले आहेत. कधीकधी अशा व्यक्तिमत्त्वाचे विभुतिकरण करणारे एक अवाजवी चित्र मांडले जाऊ शकते. हे टाळून लेखकाने त्यांचे एक यथार्थ व्यक्तिचित्र रेखाटण्याचा कसोशीने प्रयत्न केला आहे. त्यामुळे मराठी वाचकांसाठी हे एक रंजक, प्रेरक आणि बोधक पुस्तक ठरेल याची मला खात्री आहे.
- डॉ. अतीश दाभोलकर
डिरेक्टर, अब्दुस सलाम इंटरनॅशनल सेंटर फॉर थिअरेटिकल फिजिक्स (ICTP), इटली
Stephen Hawking | Vivek Govilkar
स्टीव्हन हॉकिंग | विवेक गोविलकर
ISBN: 9788195977376
Pages: 220
Avg Reading Time: 7 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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Description:
डॉ. ज़ाकिर हुसैन स्मृति व्याख्यान-माला का आयोजन हर वर्ष ज़ाकिर हुसैन कॉलेज में किया जाता है और इसका उद्देश्य महान शिक्षाविद्, राष्ट्रवादी नेता और भारत के राष्ट्रपति ज़ाकिर साहब के प्रति सम्मान व्यक्त करना है। आधुनिक भारत में उच्च शिक्षा के लिए देहली कॉलेज के ऐतिहासिक अवदान और समकालीन महत्त्व को ज़ाकिर साहब बख़ूबी समझते थे। यह व्याख्यान-माला स्वतंत्रता-पूर्व और स्वातंत्र्योत्तर भारत में कॉलेज के प्रशासन में ज़ाकिर साहब द्वारा निभाई गई अहम भूमिका का अभिनन्दन करती है।
कहा जाता है कि बीसवीं सदी ‘इतिहास के अन्त’ और विचारधारा तथा कई निश्चितताओं की समाप्ति के साथ ख़त्म हुई। लेकिन इसके साथ ही यह विचार भी पैदा हुआ कि तमाम निश्चितताओं की घोषित समाप्ति अपने आप में एक कट्टरवाद की शक्ल अख़्तियार कर गई, और इसीलिए नए और पुराने ज्ञान को ग़ौर से परखने की आवश्यकता और बढ़ गई। इस पुस्तक में संकलित बारह व्याख्यान ठीक यही काम करते हैं, यानी वे ऐसे कई विचारों को प्रश्नांकित करते हैं जो समकालीन बौद्धिकता का रूपाकार तय कर रहे हैं और ऐसे तमाम सवालों से जूझते हैं जो हमारे मौजूदा जीवन के केन्द्र में स्थित हैं: मसलन—राष्ट्र-राज्य, पूँजीवाद, आधुनिकता, वैश्वीकरण और भाषा, संस्कृति, शिक्षा और इतिहास से जुड़े अन्य अनेक बिन्दु। इन व्याख्यानों के सभी लेखक अपने-अपने क्षेत्र के अधिकारी विद्वान हैं। अपने विषयों से वे गहरे जुड़े हैं लेकिन उनकी दृष्टि वैश्वीकरण और जनतंत्रीकरण जैसी व्यापक प्रक्रियाओं तक भी जाती है।
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