Rachna Ka Antrang
Author:
DevendraPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Biographies-and-autobiographies0 Reviews
Price: ₹ 320
₹
400
Available
अर्थशास्त्र जाननेवाले कहते हैं कि गाँव की तरक़्क़ी हो गई है। समाजशास्त्र के विद्वान कहते हैं कि रिश्तों में दरार आ गई है। गाँव के लोग कहते हैं कि अब वह बात नहीं रहीं। बहुत उदास-उदास लगता है। यहाँ रहने का मन नहीं होता। लब्बोलुबाब यह कि इतनी उदास, मनहूस और क़र्ज़ में डूबी तरक़्क़ी। बैंकों की मदद से हमारे गाँव में तीन लोगों ने ट्रैक्टर ख़रीदे और तीनों के आधे खेत बिक गए। ट्रैक्टर औने-पौने दाम में बेचने पड़े। पता नहीं क़र्ज़ चुकता हुआ कि नहीं? पंचायती राज में लोकतंत्र को गाँवों तक ले जाने का कार्यक्रम बना। फिर तो, अपहरण, हत्याएँ और मुकदमेबाज़ी। सारे के सारे गाँव थानों और कचहरियों में जाकर क़ानून की धाराएँ रटने लगे।...</p>
<p>—'अस्सी की एक शाम' से
ISBN: 9788194272984
Pages: 167
Avg Reading Time: 6 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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राधू करमाकर दरअसल राजकपूर के सबसे विश्वस्त सिनेमैटोग्राफ़र थे। ‘आवारा’ और ‘श्री 420’ जैसी उत्कृष्ट फ़िल्मों की उनकी ख़ूबसूरत फ़ोटोग्राफ़ी को आज भी दर्शक उत्सुकता और रोमांच से देखते और सराहते हैं। राधू करमाकर की गणना उस दौर के विश्व के दस महान सिनेमैटोग्राफ़रों में की जाती थी। सोवियत रूस में इनकी कुछ फ़िल्मों को सिनेमैटोग्राफ़ी के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया था जिनका फ़्रेम-दर-फ़्रेम विश्लेषण करके सिनेमैटोग्राफ़ी के विद्यार्थी फ़ोटोग्राफ़ी के गुर सीखते थे। यह पुस्तक उसी महान सिनेमैटोग्राफ़र की आत्मकथा है। इसमें मामूली कृषक परिवार से निकलकर भारतीय सिनेमा के सिनेमैटोग्राफ़ी के क्षेत्र में उनके शिखर पर पहुँचने की रोचक यात्रा दर्ज है।
राधू करमाकर के बयान में विलक्षण शालीनता है जो बॉलीवुड की दिखावे और बड़बोली दुनिया से अलग है। इनकी यह शालीनता केवल शब्द-व्यवहार नहीं है, यह उनके निजी व्यक्तित्व का अनिवार्य हिस्सा है। इस आत्मकथा में न तो कोई तेवर है और न ही कोई नाटकीय पैंतरे।
Das Hazar Crore Se Aage
- Author Name:
Sanjeev Chopra
- Book Type:

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Description:
राज्य का सामाजिक एवं प्राकृतिक वातावरण औद्योगिक निवेश के अनुकूल है। ऐसे में उद्यमियों को राज्य की परिस्थितियों का लाभ उठाना चाहिए। संजीव चोपड़ा द्वारा लिखित पुस्तक से राज्य में निवेश करने के इच्छुक उद्यमियों को काफी मदद मिलेगी।
माननीय राज्यपाल, दैनिक जागरण; 1 जून, 2004
यह पुस्तक मुख्यमंत्री के नेतृत्व में 'टीम उत्तरांचल' द्वारा कई मुख्य क्षेत्रों में तीव्र औद्योगिक प्रगति का सरल एवं ईमानदार विवरण है।
माननीय राज्यपाल, हिन्दुस्तान टाइम्स; 1 जून, 2004
पुस्तक ने औद्योगिक परिषदों के समन्वयात्मक प्रयासों का अभिलेखन किया है, जिससे राज्य आज प्रगति की उड़ान के लिए तत्पर है।
एलाइन्स दर्पण; जुलाई 15-अगस्त 15, 2004
लेखक ने औद्योगिक विकास की प्रक्रिया में राज्य द्वारा चुनौतियों का सामना करने और मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी द्वारा परिकल्पित प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन के विषय में सविस्तार लिखा है। उद्योग विभाग का जोर था कि राज्य में मजबूत अर्थतन्त्र की स्थापना हो और साथ ही युवा लोगों को रोजगार मिले।
द पायानियर; 2 जून, 2004
‘दस हजार करोड़’ राज्य के लिए सामाजिक-आर्थिक लक्ष्य निर्धारित करती है, जो भावी नियोजकों और विकासकर्ताओं एवं प्रशासकों के लिए निर्देश सिद्ध होंगे।
द टाइम्स ऑफ इंडिया; 19 जून, 2004
डायरी स्वरूप में लिखित पुस्तक में नीति-निर्धारण की प्रक्रिया और उसमें संलग्न व्यक्तियों का रोचक विवरण होता है। इस संदर्भ में ‘दस हजार करोड़ से आगे’ पूर्णरूपेण सफल है।
गढ़वाल पोस्ट; 6-12 जून, 2004
Sham' A Har Rang Mein
- Author Name:
Krishna Baldev Vaid
- Book Type:

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‘ख़्वाब है दीवाने का’ से आरम्भ हुई कृष्ण बलदेव वैद की डायरी-यात्रा ‘शम’अ हर रंग में’ तक पहुँचकर विराम लेती है। अर्थ स्पष्ट है कि ‘शम’अ हर रंग में’ एक लेखक की डायरी है। एक ऐसे शख़्स की दैनिक आपबीती जिसके लिए लेखक होना कोई बाहरी चुनाव नहीं, आन्तरिक मजबूरी है।
‘शम’अ हर रंग में’ एक ऐसी पुस्तक है जो रेखांकित करती है कि लेखक समाज से उतना नहीं लड़ता जितना कि अपने आपसे। उसका हर दिन, हर लम्हा कल की नोक पर अटका रहता है। उसकी उदासियाँ, ख़ुशियाँ, शक, यक़ीन, ज़िद्द—यानी अपने होने का हर रंग, उसके तख़लीक़ी इरादों और अन्देशों के इर्द-गिर्द बचा हुआ है। बारीक अहसासों से भाषा की हदों को पार कर जाता है और पाठकों का अन्तरंग हो जाता
है।
यह पुस्तक डायरी-लेखन की विशिष्टता की कसौटी बनकर उभरी है और मनुष्य के मानसिक जीवन के उतार-चढ़ावों का रूपायण करती है। बीती सदी के आधे समय और समाज की कुछ बारीक कतरनें और रंगतें भी इसमें मौजूद हैं। हिन्दी रचना-संसार की दुर्लभ झलकियाँ भी इस पुस्तक को महत्त्वपूर्ण बनाती हैं।
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