Picasso : Ek Jeevani
Author:
Shashidhar KhanPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
Biographies-and-autobiographies0 Reviews
Price: ₹ 280
₹
350
Unavailable
"दुनिया के सबसे प्रसिद्ध चित्रकार पाब्लो पिकासो इस सदी के सर्वाधिक प्रभावशाली और महानतम कलाकार माने जाते हैं। वे सिर्फ चित्रकार ही नहीं, अपने समय के सफलतम रंगकर्मी, शिल्पी, रचनाकार और रंगमंच डिजाइनर भी थे। कला का कोई क्षेत्र पिकासो से अछूता नहीं बचा। जिस विधा को छुआ, उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चित बना दिया।
पाब्लो पिकासो के व्यक्तित्व और कृतित्व में इतनी विविधताएँ हैं कि अभी तक उनके योगदान का सही आकलन नहीं हो सका है। उनका व्यक्तित्व और पारिवारिक से लेकर कलाकार के रूप में जिया गया जीवन भी इतना वैविध्यपूर्ण तथा विशिष्टताओं से भरा है कि जितनी बार चर्चा की जाए, एक नई बात सामने आती है। यही खासियत पिकासो को अतिविशिष्ट कलाकारों की सूची में ऊपर ला देती है।
चित्रकारी और शिल्पकला के क्षेत्र में पिकासो विश्व के एकमात्र अमिट हस्ताक्षर हैं। विश्व की सर्वश्रेष्ठ कलाओं का इतिहास पिकासो से ही शुरू होता है और पिकासो पर ही समाप्त हो जाता है।
पिकासो का रिकॉर्ड है कि 15 साल की उम्र में ही उन्होंने अपना स्टूडियो बनाकर व्यावसायिक पेंटिंग शुरू कर दी थी। पिकासो के बारे में जाननेवालों का कहना है कि लगता है, वे ब्रश, रंग और तूलिका हाथ में लिये पैदा हुए थे! पिकासो की माँ को भी वैसा ही लगता था। वैसे उनकी माँ पिकासो की कविताएँ ज्यादा पसंद करती थीं।
कलाधर्मी पिकासो के जीवन की अंतरंग झाँकी प्रस्तुत करती पठनीय पुस्तक।
"
ISBN: 9789387968806
Pages: 168
Avg Reading Time: 6 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
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- Description: जैनेन्द्र कुमार हिन्दी के केवल मूर्धन्य कथाकार ही नहीं है अपितु प्रखर राष्ट्रवादी चिन्तक-विचारक भी है। वे हिन्दी भाषा में सोचने-विचारने वाले अन्यतम व्यावहारिक भारतीय दार्शनिक भी हैं तो भारत सहित वैश्विक राजनीति पर गहरी दृष्टि रखनेवाले प्रबुद्ध राजनैतिक विशेषज्ञ भी। वे स्वाधीनता आन्दोलन के तपोनिष्ठ सत्याग्रही भी रहे जिन्होंने स्वाधीनता मिलने के बाद भी अपने समग्र जीवन और लेखन क्रो सत्याग्रह बनाया। उन्होंने जो लिखा और जिया वह हमेशा एक नई राह की खोज का करण बना। कहानी और उपन्यास को नई भाषा, शिल्प तथा अधुनातन प्रविधियों में ढालकर जैनेन्द्र ने उन विषयों को प्रमुखता दी, जिन पर विचार करने का साहस पहले न किया जा सका। इसमें प्रमुखता से वह स्त्री उभरी, जिसे सदियों से उत्पीड़ित किया जाता रहा है। अपने दर्शन में आत्म को प्रतिष्ठित करनेवाले, विचारों में भारतीय-राष्ट्र-राज्य को अधिकाधिक सर्वोदय में देखनेवाले तथा जीवन में एक गृहस्थ संन्यासी का आदर्श प्रस्तुत करनेवाले जैनेन्द्र कुमार का महात्मा गाँधी, जवाहरलाल नेहरू, राजेन्द्र प्रसाद, विनोबा भावे, राधाकृष्णन, जयप्रकाश नारायण, इन्दिरा गाँधी आदि राष्ट्रीय नेताओं से सीधा संवाद था। पर यह संवाद राष्ट्रीय हितों के लिए था, निजी स्वार्थों के लिए नहीं। ऐसे जैनेन्द्र कुमार के विराट व्यक्तित्व को उनकी जीवनी ‘अनासक्त आस्तिक' में देखने और उनके क्रमिक विकास को परखने का एक बड़ा प्रयत्न है, जो निश्चय ही उन्हें नए सिरे से समझने में सहायक होगा। कहना न होगा कि जैनेन्द्र साहित्य के मर्मज्ञ आलोचक ज्योतिष जोशी द्वारा मनोयोग से लिखी गई यह जीवनी पठनीय तो है ही, संग्रहणीय भी है।
Bhartiya Samaj Kranti Ke Janak Mahatma Jotiba Phule
- Author Name:
M. B. Shah
- Book Type:

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Description:
भारतीय समाज-क्रान्ति के जनक महात्मा जोतिबा फुले को समूचे महाराष्ट्र में सम्मान के साथ 'जोतिबा' कहा जाता है।
कोल्हापुर के पास ही एक पहाड़ी पर देवता जोतिबा का मंदिर है। इन्हें जोतबा भी कहते हैं। देवता के नाम में आता है 'जोत'। यह 'जोत' बहुत से मराठों का कुल-देवता है। 'जोतबा' देवता का उत्सव था उस दिन, जब महात्मा फुले का जन्म हुआ, इसी से उनका नाम 'जोतिबा' रखा गया। भारतीय समाज के महान चरित नायक जोतिबा ने क्रान्ति का बीज बोया। दलितों के उत्थान के लिए संघर्ष किए, जिसके कारण उन्हें अपने ही समाज में प्रताड़ित होना पड़ा, परन्तु सत्य ही उनका सम्बल था। उन्हें समाजद्रोही और धर्मद्रोही कहा गया, लेकिन इस विद्रोही संन्यासी को कोई झुका नहीं सका।
अन्ततः जोतिबा को सफलता मिली। उनके जुझारू व्यक्तित्व और आत्मविश्वास से गूँजती हुई आवाज़ ने सोए हुए महाराष्ट्र को जगा दिया। वह श्रेष्ठ वक्ता तो थे ही, साहित्य-रचना में भी अपना विशेष स्थान रखते थे।
Jannayak Anna Hazare
- Author Name:
Pardeep Thakur/Pooja Rana
- Book Type:

- Description: यह पुस्तक भ्रष्टाचार के चेहरे और उसे साफ करने में अन्ना हजारे जैसे धर्म-योद्धा की भूमिका का सर्वांगीण अध्ययन तथा सशक्त भ्रष्टाचार-विरोधी विधेयक तैयार करने की विभिन्न चेष्टाओं का खाका प्रस्तुत करती है, जो सरकारी पदों पर बैठे लोगों को भारत में लोकतांत्रिक शासन के प्रभुत्व-क्षेत्र को दूषित करने से रोक सके। अन्ना हजारे सिविल सोसाइटी के आक्रोश को एक ऐसे शक्तिशाली जन-आंदोलन में बदल देने के प्रयासों में लगे हुए हैं, जो कानून-निर्माताओं को यह समझने के लिए बाध्य कर सके कि इस तरह का एक बिल संसद् में तुरंत पेश करना कितना आवश्यक है। इसके साथ ही यह भारत में उच्च पदों पर व्याप्त भ्रष्टाचार का विस्तृत चित्र भी प्रस्तुत करती है। यह शासन और राष्ट्र के विरुद्ध भ्रष्टाचार के अपराधों में लिप्त सार्वजनिक शख्सियतों पर कानूनी काररवाई करने के लिए वर्तमान कानूनी व्यवस्थाओं की अपर्याप्तता को भी उजागर करती है। 72 वर्षीय किसन बाबूराव हजारे उर्फ 'अन्ना हजारे’ जब कोई आंदोलन शुरू करते हैं, तो मुंबई से लेकर दिल्ली तक हर नेता उठकर बैठ जाता है और उनकी बातों पर ध्यान देता है। आज भ्रष्टाचार के विरुद्ध भारत के संघर्ष का नाम 'अन्ना हजारे’ पड़ गया है और उन्हें 'आधुनिक भारत का गांधी’ कहा जाने लगा है।
Kaafi Hain Ek Zindagi
- Author Name:
Anjani Kumar Singh
- Book Type:

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Description:
‘हर व्यक्ति की एक कहानी होती है। उस कहानी में एक घर-गाँव होता है। मेरे गाँव का नाम है चमथा… बिहार के चार जिलों का संगम है मेरा गाँव।’
अंजनी कुमार सिंह के संस्मरण इन पंक्तियों के साथ शुरू होते हैं। इसके बाद के पन्नों में, हम एक उल्लेखनीय जीवन को प्रकट होते देखते हैं—एक ऐसा जीवन जो 'संगम' है परंपरा और आधुनिकता का, अनुभव के माध्यम से सीखने और बिहार की विविध दुनियाओं की खोज का, और सार्वजनिक सेवा और व्यक्तिगत जुनून का। शासन और विकास कार्य की चुनौतियों और संतुष्टि के बारे में असाधारण अंतर्दृष्टि के साथ, अंजनी कुमार सिंह ने भारत और विदेशों में यात्रा के और दुर्लभ पौधों के एक संग्रह के निर्माण के अपने अनुभव भी साझा किए हैं। और साझा किया है एक शानदार उपलब्धि का अनुभव—बिहार संग्रहालय की स्थापना, जो कि दक्षिण एशिया की शास्त्रीय और समकालीन कला का घर है, और जिसकी तुलना दुनिया के सर्वश्रेष्ठ संग्रहालयों से की जा सकती है।
काफ़ी है एक ज़िंदगी को आप लोक सेवक और कला प्रेमी के सबसे रोचक और असामान्य संस्मरणों में से एक पाएंगे।
Jo Aage hain
- Author Name:
Jabir Husain
- Book Type:

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Description:
दियरा की बलुआही ज़मीन हो या टाल की रेतीली धरती, दक्षिण का सपाट, मैदानी इलाक़ा हो या उत्तर की नदियाई भूमि, बिहार के गाँव का अतीत जाने बग़ैर कैसे कोई बिहार के वर्तमान को समझने का दावा कर सकता है!
न जाने कितने दशक बिहार की मेहनतकश आबादियाँ अपने अधिकारों से वंचित रही हैं। थोड़े-से असरदार लोगों ने सत्ता और समाज को अपनी मुट्ठी में क़ैद कर रखा है। हाशिए पर पड़ी कमज़ोर इंसानी ज़िन्दगियाँ काली ताक़तों से मुक़ाबला करने की हिम्मत जुटाती रही हैं।
बिहार के गाँव की इस तल्ख़ सच्चाई से रू-ब-रू हुए बिना कोई इसकी तक़दीर लिखने की कोशिश करे, तो यह कोशिश कैसे कामयाब होगी!
हाल के वर्षों में, बिहार के गाँव में बदलाव की जो बयार चली है, उसे शीत-भवनों में बैठकर नहीं आँका जा सकता। शीत-भवनों में तैयार किए गए गणित ज़मीन से कटे होने पर, अख़बार की सुर्खियों में या टेलीविज़न के पर्दे पर थोड़ी देर के लिए ज़रूर जगह पा सकते हैं, मगर ये गणित सच्चाई का रूप नहीं ले सकते।
सच्चाई का रूप तो ये तभी लेंगे, जब इसके गणितकार कमज़ोर तबक़ों की हक़मारी का अपना सदियों पुराना राग अलापना छोड़ दें।
जाबिर हुसेन ने जो भी लिखा है, अपने संघर्षपूर्ण सामाजिक सरोकारों की आग में तपकर लिखा है।
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