Aap-Biti
Author:
Marc ChagallPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Biographies-and-autobiographies0 Reviews
Price: ₹ 400
₹
500
Available
इन सफों का वही अर्थ है जो चित्रित सतह का है। यदि मेरे चित्रों में छिपने की कोई जगह होती, तो मैं उसमें सरक जाता...या शायद वे मेरे किसी चरित्र के पीछे चिपके होते या ‘संगीतकार’ के पाजामे के पीछे होते जिसे मैंने अपने म्यूरल में चित्रित किया है?...कौन जानता कि पीठ पर क्या लिखा है? आर.एस.एफ़.एस.आर. के समय में। मैं चाहकर चिल्लाता : हमारे बिजली के मचान हमारे पैरों तले सरक रहे हैं, क्या तुम महसूस कर सकते हो? और क्या हमारी सुघतय कला में पूर्व चेतावनी नहीं थी, हालाँकि हम लोग वास्तव में हवा में हैं और एक ही रोग से ग्रस्त, स्थायित्व के लिए लालायित। वे पाँच साल मेरी आत्मा मथते हैं। मैं दुबला हो चूका हूँ। मैं भूखा भी हूँ। मैं तुम्हें देखना चाहता हूँ फिर से, बी...सी...पी...मैं थक चूका हूँ। मुझे अपनी पत्नी और बेटी के साथ आना चाहिए। मुझे तुम्हारे नज़दीक आकर लेटना चाहिए। और, शायद, यूरोप मुझसे प्रेम करे, उसके साथ, मेरा रूस।
ISBN: 9788126718603
Pages: 212
Avg Reading Time: 7 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
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- Description: भारत की सन्त-परम्परा में आचार्य वल्लभ का नाम अद्वितीय तेजस्विता और करुणा से आलोकित है। उन्होंने शुद्धाद्वैत के अद्भुत दर्शन के माध्यम से भक्ति को केवल साधना नहीं बल्कि जीवन का स्वाभाविक और सहज भाव बना दिया। कृष्ण-प्रेम को केन्द्र में रखते हुए उन्होंने 'सेवा' को साधना का सर्वोच्च रूप माना, और वैष्णव भक्तिधारा को नई जीवनदृष्टि प्रदान की। 'वल्लभाचार्य: जीवन और दर्शन' आचार्य वल्लभ के जीवन-प्रसंगों, विचार-यात्रा और दर्शन-सिद्धान्तों का समग्र और सन्तुलित विवेचन प्रस्तुत करती है। लेखक ने ऐतिहासिक स्रोतों, प्रासंगिक ग्रन्थों और परम्परागत वैष्णव-आख्यानों का गहन अध्ययन कर, वल्लभाचार्य के व्यक्तित्व और विचारों को जीवन्त रूप में सामने रखा है। साधकों के लिए यह ग्रन्थ आध्यात्मिक प्रेरणा का स्रोत है, और शोधकर्ताओं के लिए प्रामाणिक सन्दर्भ का भंडार। सहज भाषा, प्रामाणिक सामग्री और भावपूर्ण शैली- तीनों का संगम इस कृति को विशेष बनाता है। यह पुस्तक केवल जीवनचरित नहीं बल्कि उस जीवन्त-दर्शन की यात्रा है जो मनुष्य को ईश्वर से, और ईश्वर को अपने भक्त से सहज प्रेम के सूत्र के माध्यम से जोड़ देती है।
COLLEGE DROPOUT ARABPATIYON KI PRERAK KAHANIYAN
- Author Name:
Pradeep Thakur
- Book Type:

- Description: दुनिया के कुछ सबसे धनी और सबसे प्रभावशाली उद्यमी कॉलेज पूरा करने से पहले ही पढ़ाई छोड़कर बाहर हो गए। स्टीव जॉब्स, बिल गेट्सऔर मार्क जुकरबर्ग, सभी ने अपने डिप्लोमा लेने से पहले कॉलेज छोड़ दिया। माइकल डेल ने 19 साल की उम्र में ऑस्टिनमें टेक्सास विश्वविद्यालय से कॉलेज की पढ़ाई बीच ही में छोड़ दी। उन्होंने डेल टेक्नोलॉजीज की स्थापना की और अब इसकी कीमत 20.9 बिलियनडॉलर है। एप्पल के संस्थापक ने रीडकॉलेज तब छोड़ा, जब वे सिर्फ19 वर्षके थे। मार्क जुकरबर्ग ने हार्वर्ड से बीच में ही निकलकर फेसबुक की स्थापना की और दुनिया के 5वें सबसे धनी व्यक्ति बनगए। ‘द फेसबुक इफेक्ट’ पुस्तक के अनुसार, कॉलेज छोड़ने का निर्णय लेने में उन्हें सिर्फपाँच मिनटलगे। लैरी एलिसनएक सॉफ्टवेयर अरबपतिऔर ओरेकल के संस्थापक के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने वक्तसे पहले ही शिकागो विश्वविद्यालय में डॉक्टरी की पढ़ाई छोड़ दी। आज उनकी कंपनी की कीमत 55 बिलियनडॉलर से अधिक है। पुस्तक में ऐसी ही बहुत सी कहानियाँ हैं, जो हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं।
Udayer Pathe-Pathe
- Author Name:
Shankarlal Bhattacharya
- Book Type:

- Description: उदय शंकर, जिन्हें नृत्य का देवता माना गया, यह पुस्तक उनके विषय में है। उनके जीवन, स्वभाव, नृत्यकला, उनकी उपलब्धियों और ख्याति को रेखांकित करने के लिए यहाँ विभिन्न स्रोतों से जुटाई गई सामग्री को संकलित किया गया है। पुस्तक का आरम्भ बिमल मुखोपाध्याय द्वारा खींचे गए चित्रों के, उनकी नृत्य-यात्रा के, प्रस्तुतीकरण से होता है। इस ऐतिहासिक और सुविस्तृत आलेख को शोधकर्ता लेखक शंकरलाल भट्टाचार्य ने लिखा है। बिमल मुखोपाध्याय एक असाधारण फ़ोटोग्राफ़र थे जो साइकिल लेकर विश्व-पर्यटन पर निकल गए थे, और अपने चित्रों के माध्यम से ही अपनी आजीविका अर्जित करते थे। उदय शंकर से भेंट होने के पश्चात् उनका क़ैमरा जैसे उनकी देह-गति पर ही केन्द्रित हो गया। यूरोप में हुए उनकी विभिन्न प्रस्तुतियों में लिए गए ये चित्र ही शंकरलाल जी के विवेचन के केन्द्र में हैं। यह निश्चय ही एक दुर्लभ प्रस्तुति है। दूसरा आलेख पं. रविशंकर द्वारा लिखित एक संस्मरण है जिसमें उन्होंने उदय शंकर के व्यक्तित्व को निज अनुभवों के प्रकाश में आलोकित किया है। यही बात अमला शंकर के संस्मरणात्मक आलेख के बारे में कही जा सकती है, जिसे उन्होंने उनकी जीवन-संगिनी और सहचरी नर्तकी के रूप में लिखा है। सत्यजित चौधुरी का विवेचन उदय शंकर द्वारा रचित फ़िल्म 'कल्पना' के विषय में है जिसका निर्माण 1998 में हुआ था। ढाई घंटे की इस नृत्य-केन्द्रित फ़िल्म को पहली भारतीय आधुनिक फ़िल्म कहा जाता है। “भारतीय प्रदर्शनकारी कलाओं के आधुनिक इतिहास में उदय शंकर का ऐतिहासिक और स्मरणीय अवदान रहा है। वे अपने समय की एक किंवदन्ती बन गए थे। उन पर सुलिखित और पर्याप्त सामग्री, दुर्भाग्य से, कम है। परम्परा की समझ और उसका पुनराविष्कार उनके नवाचार का अनिवार्य अंग था। इस नृत्यशिल्पी का जीवनालेख्य शंकरलाल भट्टाचार्य ने बहुत जतन से तैयार किया है और हमारे आग्रह पर उसका मूल बाङ्ला से हिन्दी में अनुवाद वरिष्ठ विद्वान्, साहित्यकलाप्रेमी और अनुवादक डॉ. रामशंकर द्विवेदी ने किया है। एक गौरवस्थानीय नृत्यशिल्पी पर यह दुर्लभ सामग्री रज़ा पुस्तक माला के अन्तर्गत प्रस्तुत करते हुए हमें प्रसन्नता है।” —अशोक वाजपेयी
It's Not That Hard
- Author Name:
Manas Shalini Mukund
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- Book Type:

- Description: When 16-year-old Manas complains of back pain, his parents assume it to be a result of his back-to-back cricket matches. Little do they know that this is going to turn out to be a malignant tumour which leads to partial paralysis. The Covid pandemic also sets in, adding its own complications to the mix. What kind of battle are this life-loving, strong-willed teenager and his family compelled to face? This boy's journey full of determination and courage provokes a question: How rock solid does one need to be to go through a tunnel this deep and walk out to be able to say, 'It's not that hard'?
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