Ek Lambi Chhanha
Author:
Rameshchandra ShahPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Travelogues0 Reviews
Price: ₹ 636
₹
795
Available
...इधर मैं आपके लन्दन और वेल्ज़ वाले यात्रा-वृत्तान्त शौक़ से पढ़ता रहा हूँ। आप हर स्थिति और दृश्य को कितनी उत्सुकता से देखते हैं और कितनी गहराई से ग्रहण करते हैं...</p>
<p>—कृष्ण बलदेव वैद</p>
<p>...आपका यात्रा-वृत्तान्त मुझे बहुत अच्छा लगा। इसका एक बहुत नकारात्मक कारण यह है कि मैंने सोचा था, इसमें औपन्यासिकता का रस नहीं होगा और बोझिल होगा। मगर इसमें आनन्द और रस भरपूर है, बोझिल बिलकुल भी नहीं। श्रद्धेय वात्स्यायनजी और निर्मल वर्मा के यात्रा-वृत्तान्तों से एकदम भिन्न रस का यात्रा-वृत्तान्त है।...</p>
<p>—अशोक सेकसरिया</p>
<p>...पिछले सप्ताह से मैं रह-रह कर आपके साथ आयरलैंड के वन्य स्थलों के सन्नाटे, झीलों पर उड़ते हंसों, डब्लिन की सड़कों-पबों का मूक—ईर्ष्यालु पाठक—साक्षी रहा हूँ। मैंने मुद्दत पुरानी येट्स की कविताओं की पुस्तक भी पास रख ली थी और जब आप अपने संस्मरण में किसी कविता का अंश उद्धृत करते तो तुरन्त मैं एक उत्सुक-उत्तेजित पाठक-पर्यटक के उत्साह की रौ में उसे पुस्तक में पूरा का पूरा पढ़ने का आनन्द लेता। आपने ‘इनिस्क्री के द्वीप’ की अखंड निःस्तब्धता और कूल पार्क के सात वनों की जो छवि आँकी है, वह अपने आपमें बेजोड़ है। हमारे दार्शनिक मित्र दयाजी को जब कोई चीज़ या कोई कही हुई बात अच्छी लगती थी तो वह बच्चों की तरह ताली बजाते थे। आपके आयरलैंड के संस्मरणों को पढ़ते हुए हर दूसरे पृष्ठ पर ताली बजाने को मन करता है। इस बीच अन्य पत्रिकाओं में भी आपके यात्रा-वृत्त पढ़ता रहा हूँ। पर आपने आयरलैंड और येट्स के बारे में जो डूबकर लिखा है, वह अद्वितीय है।...</p>
<p>—निर्मल वर्मा
ISBN: 9788171789276
Pages: 191
Avg Reading Time: 6 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Uttar Ki Yatrayen
- Author Name:
Matsuo Basho
- Book Type:

-
Description:
‘जापानी महाकवि बाशो उन बिरले कवियों में से हैं जिनकी कविता का अनुवाद शायद संसार की हर छोटी-बड़ी भाषा में हुआ है। हाइकू नामक विधा का ज़िक्र आते ही प्राय: सभी रसिकों को जो पहला नाम याद आता है वह बाशो का है। बाशो जितने बड़े और अविराम कवि थे उतने ही अथक यात्री भी। उनका यह यात्रा-वृत्त अपने क़िस्म का अनोखा है। वरिष्ठ कवि सुरेश सलिल ने बहुत मनोयोग और कल्पनाशीलता से इसे अंग्रेज़ी से अनूदित किया है। उन्होंने बहुत जतन से यथास्थान सन्दर्भ के नोट्स भी दिए हैं जिनसे स्थानों, कवियों, राजवंशों आदि का पता भी होता चलता है। रज़ा पुस्तक माला में एक महाकवि का यात्रा-वृत्त बहुत अच्छे हिन्दी अनुवाद में प्रस्तुत करते हुए हमें प्रसन्नता है।’
—अशोक वाजपेयी।
Whose Samosa is it Anyway?
- Author Name:
Sonal Ved
- Rating:
- Book Type:

- Description: In this book, accompany Sonal Ved on a journey of taste through the various timelines across the Indian subcontinent. We go from the banks of the Indus in 1900 bc to the great kingdoms of the north many centuries later; from the time of the Mauryans to when the Mughal Sultanate reigned supreme. Meet the Europeans merchants desperate to trade in Indian treasures, be it the deep-blue indigo or the pricey pepper. On this trip discover answers to such questions as What are the origins of chutney or of the fruit punch, and how are they connected to India? Who taught us how to make ladi pav and kebabs, and how did the Burmese khow suey land up on the wedding menus of Marwaris? The author takes us through the food history and traditions from the mountains in Kashmir to the backwaters of Kanyakumari; from the ports of the Bay of Bengal to the shores of the Arabian Sea, where traders and travellers arrived from the world over. And, finally, we find out whose samosa it truly is . . .
Ghumakkad Shastra
- Author Name:
Rahul Sankrityayan
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Siyahat Meri Syahi Se
- Author Name:
Atul Chaturvedi
- Book Type:

- Description: इस पुस्तक में कहानी है एक नौजवान की जिसने अपने घरेलू व्यापार से हटकर कुछ नया करने का स्वप्न देखा था। यह कहानी है उस कालखंड की जब भारत की अर्थव्यवस्था मुक्त अर्थव्यवस्था के शैशव काल में ही प्रवेश कर रही थी। यह यात्रा-संस्मरण भारत के हर उस नौजवान की इच्छाओं और आकांक्षाओं के प्रतीक हैं जो आगे बढ़कर अपनी हिम्मत से कुछ नया करना चाहते हैं। एक नया व्यापार-निर्यात व्यापार शुरू करने में क्या समस्याएँ आईं और उनको कैसे हल किया अर्थात् यह संस्मरण आपको निर्यात व्यापार की बारीकियों भी बताएगा तो साथ ही मध्य-पूर्व के देश जैसे दुबई, बहरीन, कतर, अफ्रीकी महाद्वीप के देश मिश्र अनेक यूरोपीय देश जैसे इंग्लैंड, फ्रांस, जर्मनी, स्विट्ज़रलैंड, हॉलैंड, बेल्जियम, इटली तथा अमेरिका आदि के विभित्र शहर, उनकी संस्कृति उनके सौन्दर्य, इतिहास, पर्यटन स्थल से भी परिचित कराएगा। यहाँ यह भी बताने की कोशिश की गई है कि कैसे एक समय था जब न तो यहाँ जानकारी थी न संसाधन और न ही अधिक विदेशी भी हमारे उत्पाद लेने को तैयार थे-अपनी दुकान में बैठाकर बात करने को भी तैयार नहीं थे। समय बदला और हमारे भारत के व्यापारियों ने विदेशों में अपने लिये एक सम्मानजनक स्थान बनाया। आज के दौर में जब देश के नौजवान रोज़गार के लिये परेशान हैं, वे सरकारी नौकरी या प्राइवेट सेक्टर में नौकरी के लिये भटकते हैं तो इस पुस्तक में उनके लिये यह सन्देश भी है कि आप एक सपना देखिए उद्यमी बनने का। हमारे देश में ऐसे सपने सच होते हैं। अपना सपना पूरा करके आप जॉब-सीकर के स्थान पर जॉब-गिवर बनिए।
Everest
- Author Name:
Jon Krakauers +1
- Book Type:

- Description: ಜಾನ್ ಕ್ರಾಕೌರ್ ಅಮೇರಿಕಾದ ಜನಪ್ರಿಯ ಲೇಖಕ ಮತ್ತು ಪರ್ವತರೋಹಿ. ಈತನ ಕೃತಿಯನ್ನು ಕನ್ನಡಕ್ಕೆ ತಂದವರು ವಸುಧೇಂದ್ರ. ’ಎವರೆಸ್ಟ್’ ಕೃತಿಯು ಪರ್ವತಾರೋಹಣದ ದುರಂತ ಕತೆಯಾಗಿದೆ. ಪರ್ವತಾರೋಹಣ ಮಾಡುವಾಗ ನಡೆದ ಘಟನೆಗಳು ಲೇಖಕರ ಬದುಕಿನ ಧೈರ್ಯವನ್ನು ನಿರಂತರವಾಗಿ ಕೆಣಕಿದ ಕಥಾನಕ ಅಂಶಗಳು ಈ ಕೃತಿಯಲ್ಲಿದೆ. ಲೇಖಕರಿಗೆ ಎವರೆಸ್ಟ್ ಹತ್ತುವ ಬಯಕೆಯು ಸಂಕೀರ್ಣವಾದ ಸಂಗತಿ, ಮತ್ತು ಅಪಾಯಕಾರಿ ವಿಸ್ಮಯ, ವಿಷಯಗಳು ತಿಳಿದಿದ್ದರೂ ಎವರೆಸ್ಟ್ ಹತ್ತಲೇಬೇಕೆನಿಸಿದ ಲೇಖಕರ ತೊಳಲಾಟದ ಪರಿಯನ್ನೂ, ಕಹಿ ಸತ್ಯದ ಮುಖಗಳನ್ನು ಒಂದೆಡೆ ಕೃತಿ ತೆರೆದಿಡುತ್ತದೆ.
Europ Mein Antaryatrayen
- Author Name:
Karan Singh Chauhan
- Book Type:

-
Description:
हम जो हैं वह हमारे ध्यान में नहीं रहता। हमें जैसा होना चाहिए इसी पर सब टिक गया है। जीवन जो है वह नहीं, उसे जैसा होना चाहिए। यानी 'कैसा होना चाहिए' में हमारी एकमात्र दिलचस्पी रह गई है। इसलिए सब कुछ वांछित और हवाई हो गया है। वास्तव कुछ नहीं रह गया। वास्तविकता से अधिक स्वप्न, भविष्य, जीवनेतर महत्त्वपूर्ण हो गया है। वह एक तरफ शरीर से अधिक आत्मा के सरोकारों, इहलोक से अधिक परलोक की चिन्ताओं के फलते-फूलते आध्यात्मिक भ्रष्टाचार में व्यक्त हो रहा है। दूसरी तरफ किसी भावी आदर्श समाज की स्थापना के वादों, स्वप्न के भ्रमजाल के सिद्धान्तों में। ये सब शक्ति के खेल में शामिल गतिविधियाँ हैं जो अब की वास्तविकता को झुठलाती हैं। यात्राएँ इस वास्तविकता के बीच ही होती हैं और वह जैसी भी हैं, उसका उसी रूप में साक्षात्कार करती हैं।
यात्राएँ की जा सकती हैं, उन्हें लिखना एक इतर काम है। जिस दिन मनुष्य जीवन से एकमेक हो जाएगा शायद उस दिन कुछ कहने की आवश्यकता महसूस न करे। लिखने के लिए एक तरह की 'इन्नोसेंस' चाहिए, दुनियादारी के नाम पर पसरे विचारों में आस्था चाहिए, कुछ होने की भ्रान्ति का सहारा चाहिए। लिखा तभी जा सकता है।
Mahatirth Ke Antim Yatri (Lhasa—Kaliashnath—Mansarovar)
- Author Name:
Bimal Mitra
- Book Type:

- Description: सन् 1956 में तिब्बत का दरवाज़ा विदेशियों के लिए लगभग बन्द हो चुका था और राजनैतिक कारणों से भारत के साथ तिब्बत का सम्पर्क भी लगभग टूट चुका था। उन्हीं दिनों, बिना किसी तैयारी के, बिमल दे घर से भागे और नेपाली तीर्थयात्रियों के एक दल में सम्मिलित हो ल्हासा तक जा पहुँचे। उस समय उनकी उम्र मात्र पन्द्रह वर्ष थी। यात्रियों में वह नवीन मौनी बाबा। ल्हासा में उन्होंने तीर्थयात्रियों का दल छोड़ा, और वहाँ से अकेले ही कैलास खंड की ओर कूच कर गए। 'महातीर्थ के अन्तिम यात्री' में उसी रोमांचक यात्रा-अनुभाव का वर्णन है। बिमल दे ने स्वयं इसे ‘एक भिखमंगे की डायरी’ कहा है। किन्तु इस पुस्तक में मिलेगा तिब्बत का दैनंदिन जीवन तथा महातीर्थ का पूर्ण विवरण।
Dilli Se Karachi Via Rawalpindi
- Author Name:
Sabuha Khan
- Book Type:

- Description: This book has no description
Raste Ki Talash Mein
- Author Name:
Asghar Wajahat
- Book Type:

- Description: हिंदी में बहुत श्रेष्ठ यात्रा-वृत्तांत लिखे गए हैं। यह एक ऐसी शैली में है जिसके माध्यम से लेखक आँखों देखी घटनाओं, स्थानों और व्यक्तियों को अपने शब्दों के माध्यम से पुनर्जीवित करता है। असगर वजाहत के यात्रा-वृत्तांत पाठकों को अपने साथ यात्रा पर ले जाते हैं। इस यात्रा में ऐसे अनुभव होते हैं जो प्राय: समाजशास्त्रियों, पत्रकारों और अन्य की पकड़ में नहीं आते क्योंकि लेखक की सृजनात्मक और व्यापक दृष्टि ही उनसे साक्षात्कार कर सकती है। आज़रबाईजान, अंडमान निकोबार, कोंकण से शिमोगा और मिज़ोरम की यात्राओं का अद्भुत वृत्तांत है 'रास्ते की तलाश में'। कथात्मकता से भरपूर।
Pyare Dushman Ke Naam
- Author Name:
Sabuha Khan
- Book Type:

- Description: Book
Battees Sal Ka Safar
- Author Name:
Krishn Bihari
- Book Type:

- Description: This book has no description
Aazadi Mera Brand
- Author Name:
Anuradha Beniwal
- Book Type:

- Description: जितनी बड़ी दुनिया बाहर है, उतनी ही बड़ी एक दुनिया हमारे अन्दर भी है, अपने ऋषियों-मुनियों की कहानियाँ सुनकर लगता है कि वे सिर्फ़ भीतर ही चले होंगे। यह किताब इन दोनों दुनियाओं को जोड़ती हुई चलती है। यह महसूस कराते हुए कि भीतर की मंज़िलों को हम बाहर चलते हुए भी छू सकते हैं, बशर्ते अपने आप को लादकर न चले हों। उतना ही एकान्त साथ लेकर निकले हों जितना एकान्त ऋषि अपने भीतर की यात्रा पर लेकर निकला होगा। अनुराधा बेनीवाल की इस एकाकी यात्रा में आप ज्ञान से भारी नहीं होते, सफ़र से हलके होते हैं। न उसने कहीं ज्ञान जुटाने की ज़्यादा कोशिश की, और न पाठक को वह थाती सौंपकर अमर होने की। इसीलिए शायद यह पुस्तक यात्रा-वृत्तान्त नहीं, ख़ुद एक यात्रा हो गई है। एक सामाजिक, सांस्कृतिक यात्रा, और एक प्रश्न-यात्रा जो शुरू ही इस सवाल से होती है कि आख़िर कोई भारतीय लड़की ‘अच्छी भारतीय लड़की’ के खाँचों-साँचों की पवित्र कुंठाओं के जाल को क्यों नहीं तोड़ सकती? सुदूर बाहर की इस यात्रा में वह भीतर के कई दुर्लभ पड़ावों से गुज़रती है, और अपनी संस्कृति, समाज और आध्यात्मिकता को लेकर कुछ इस अन्दाज़ में प्रश्नवाचक होती है कि अपनी हिप्पोक्रेसी को देखना हमारे लिए यकायक आसान हो जाता है। ज़िन्दगी के अनेक ख़ुशनुमा चेहरे इस सफ़र में अनुराधा ने पकड़े हैं, और उत्सव की तरह जिया है। इनमें सबसे बड़ा उत्सव है निजता का। निजी स्पेस के सम्मान का जो उसे भारत में नहीं दिखा। अपने मन का कुछ कर सकने लायक़ थोड़ी-सी खुली जगह, जो इतने बड़े इस देश में कहीं उपलब्ध नहीं है। औरतों के लिए तो बिलकुल नहीं।
Aap Biti-Jag Biti
- Author Name:
Sandeep Bhutoria
- Book Type:

- Description: वास्तव में यात्रा करना और दृष्टि के साथ यात्रा करना, दो भिन्न बातें हैं। हम सभी यात्रा करते हैं, लेकिन कितने ऐसे होते हैं जो हमें सृजनात्मक अभिव्यक्ति का रूप देते हैं या सोद्देश्यपूर्ण बना पाते हैं। जब यात्रा-वृत्तान्त या सफ़रनामा सृजनात्मकता का स्पर्श करता है, तब यह यात्रा साहित्य के जगत में प्रवेश करने लगता है। संक्षेप में, यात्रा-वृत्तान्त परिचित या अपरिचित समाज व क्षेत्र को स्व-अवलोकन के माध्यम से जानने-समझने की एक सृजनात्मक प्रक्रिया है और जिज्ञासा इसकी कुतुबनुमा होती है। युवा जिज्ञासु संदीप भूतोड़िया ने अपनी पहली यात्रा-कथा ‘आपबीती-जगबीती’ में एक सजग व संवेदनशील यात्रा लेखक का परिचय देकर मुझे निःसन्देह चौंकाया है। क़रीब सात-आठ वर्ष पहले कोलकाता में स्व. डॉ. प्रभा खेतान के निवास पर संदीप से संक्षिप्त भेंट हुई थी। उस समय इतना ही बतलाया गया था कि संदीप की रुचि व्यापार में कम है और सामाजिक कार्यों में इनकी सक्रियता रहती है। विभिन्न अन्तरालों से हुई मुलाक़ातों से यह भी पता चला कि संदीप संयुक्त राष्ट्र से सम्बन्धित संस्थाओं से भी सम्बद्ध हैं और अपने कार्य के सिलसिले में देश-विदेश की यात्राएँ अक्सर करते रहते हैं। विभिन्न समाजों और जीवन-शैलियों का क़रीब से अवलोकन करना भी संदीप भूलते नहीं हैं। इस अवलोकन का ही परिणाम है प्रस्तुत पुस्तक। —रामशरण जोशी
Myriad Destinations
- Author Name:
Virag Shivpuri
- Rating:
- Book Type:

- Description: A captivating collection of short stories that takes readers on a journey across the globe. With real people, raw emotions, and genuine destinations, each story offers a glimpse into the lives of those who call these places home. The tales are expertly crafted with a perfect blend of suspense, nostalgia, and surprise. From the bustling streets of Mumbai to the romantic boulevards of Paris, the majestic peaks of Garhwal to the cosmopolitan city of Frankfurt, each locale is vividly brought to life, making readers feel as though they are right there alongside the characters. With each turn of the page, readers will be transported to a new destination and swept away by the stories’ depth, heart, and humanity.
Yatraon Ke Indradhanush
- Author Name:
Jyoti Jain
- Book Type:

- Description: Book
Meri Yatrayen
- Author Name:
Ramdhari Singh Dinkar
- Book Type:

- Description: पुस्तक में पोलैंड, जर्मनी, चीन, मॉरिशस, कीनिया आदि देशों की यात्राओं का रोचक वर्णन है। दिनकर जी ने अपनी इन यात्राओं को जिस तरह रचनात्मक संवाद का विषय बनाया है, वह अपने प्रभाव में विलक्षण है। पुस्तक का हर अध्याय एक आत्मीयता के साथ सहज ही अपने बहाव में लिए चला जाता है। पोलैंड का वारसा नगर, जहाँ हिटलर के राज्यकाल में नाजियों द्वारा लाखों बेगुनाह मारे गए थे, वह अपने बदले समय में किस तरह राजनीतिक स्वतंत्रता, साहित्यिक-सांस्कृतिक उर्वरता का प्रतीक है; साथ ही अपने साम्यवादी देश की अर्थ-व्यवस्था के लिए आम नागरिकों में भी किस तरह की संघर्ष-चेतना है; दिनकर जी ने तटस्थ होकर आकलन प्रस्तुत किया है। ऐसा वे चीन की यात्रा के दौरान भी करते हैं। वहाँ भी उन्होंने एक साम्यवादी देश के समाज, साहित्य, राजनीति के साथ रहन-सहन, खान-पान, बोलचाल आदि को बहुत ही क़रीब से देखने-समझने की कोशिश की है और अन्तर्विरोधों के प्रति अपने बेबाक मंतव्यों से परिचय कराया है। इसी तरह जर्मनी, लंदन, कीनिया जैसे देशों के वर्तमान और अतीत का जो वृत्तान्त है, वह अपने वैज्ञानिक और दार्शनिक बोध में आज भी बेहद महत्त्वपूर्ण है। भारत के विभिन्न क्षेत्रों से गए लोगों का अपने मूल और मूल्यों के प्रति श्रद्धा और आस्था किस तरह पीढ़ी-दर-पीढ़ी बनी हुई है, उसका गहन अन्वेषण दिनकर जी अपनी मारीशस यात्रा के दौरान करते हैं। कुल मिलाकर 'मेरी यात्राएँ' पुस्तक एक ऐसी थाती है जिसके ज़रिए बीसवीं सदी में कई देशों के उस यथार्थ से अवगत होते हैं, उन देशों के विकास में जिसकी निर्णायक भूमिका र
Parton Ke Beech
- Author Name:
Govind Mishra
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Sarthwah Himalaya
- Author Name:
Ajoy Sodani
- Book Type:

-
Description:
अजय सोडानी जानते हैं कि देखे हुए को दिखाया कैसे जाए। जैसे कि सफ़र के दौरान अगर एक कैमरा उनके हाथ में है तो एक भीतर भी है जो बाहर के चित्रों को शब्दों की शक्ल में कहीं अंकित करता चलता है। यही कारण है कि उनके यात्रा-वृत्तान्त, ख़ासकर जब वे हिमालय के बारे में लिखते हैं, सिर्फ़ हमारा ज्ञान नहीं बढ़ाते, अनुभूति की सतह पर हमें एक गहरा अनुभव देते हैं। एक समग्र यात्रा-अनुभव जिसमें भूगोल, इतिहास, परम्परा, लोक, समकालीन समाज, साहित्य, आत्मचिंतन, प्रकृति-चिन्ता, भविष्य-दृष्टि तथा रोमांच, सब एकसाथ शामिल होता है।
हिमालय को वे सागर, नदी, देवता, पशु आदि चराचर की तरह अपना और हम सबका सहोदर कहते हैं। उसकी विराटता के सम्मुख हमारे अस्तित्व की गौणता का एक विचित्र, सजीव लेकिन लोमहर्षक समीकरण बनता है जब उनके जैसा कोई हिमालय प्रेमी हमें गिरिराज के रहस्यों के सफ़र पर लेकर निकलता है।
‘दर्रा दर्रा हिमालय’ और ‘दरकते हिमालय पर दर-ब-दर’ के बाद हिमालय पर यह उनकी तीसरी किताब है। हिमालय जो बकौल उनके, पहली ही निगाह में देखने वाले के रक्त में घुलने लगता है, उसके अस्तित्व-बोध का अंश हो जाता है। उनके इन सफ़रनामों को पढ़कर भी हमारे साथ कुछ ऐसा ही घटित होता है।
Main Ghumakkar Vanon Ka
- Author Name:
Sherjung
- Book Type:

- Description: शिकार की कहानियाँ वनप्राणियों के जीवन को ही नहीं, बल्कि वनों के परिवेश और उनकी भिन्न-भिन्न स्थितियों को भी प्रदर्शित करती हैं। मनुष्य और जानवर, समय और स्थान तथा अन्य सब घटनाएँ जो शिकारी को वन-जीवन के निकट ले जाती हैं और किसी भी शिकार कथा का अभिन्न अंग हैं। जानवर का पीछा करने का अपना ही आनन्द है जिसके विचार मात्र से शिकारी की आँखों के सामने जंगल के अत्यन्त सुन्दर दृश्य नाचने लगते हैं, जैसे घने वृक्षों के नीचे धरती पर पड़ी उनकी गहरी और ठंडी छाया, प्रभात के शान्तिमय वातावरण में तूफ़ानी सागर की मतवाली लहरों की भाँति चारों ओर गूँजती शेरों की ऊँची एवं गहरी गर्जनाएँ हाथियों की तुरही-की-सी आवाज़ें, शोरगुल मचाते हुए जंगली साँड, मस्त चाल से चलता हुआ भालू, चोरों की तरह बिना ध्वनि किए छिप-छिपकर चलता हुआ बघेरा, द्रुत गति से भागते हुए साम्बर, शान से गर्दन उठाकर चलते हुए चीतल, एक-दूसरे के पीछे से अस्पष्ट दिखाई देती हुई पहाड़ियों के ऊपर इधर-उधर बिखरे हुए घास के मैदान और उन पहाड़ियों के पीछे बर्फ़ से ढके पहाड़, जिनमें यह सब कुछ मानो खो-सा जाता है। शिकार की इन कहानियों में लेखक ने अपने अनुभवों का यथासम्भव सही-सही वर्णन करने का प्रयास किया है। साथ ही अपने साथियों और जंगल में घटी घटनाओं का उल्लेख करते समय, उन्होंने उनसे प्राप्त सुख व दु:ख, प्यार और सहानुभूति के अनुभवों को भी अपने विवरणों का हिस्सा बनाया है।
Yadon Ka Laal Galiyara : Dantewara
- Author Name:
Ramsharan Joshi
- Book Type:

-
Description:
रामशरण जोशी की यह पुस्तक ज़िन्दा यादों की एक विरल गाथा है। उन ज़िन्दा यादों की जिनमें हरे-भरे कैनवस पर ख़ून के छींटे दूर-दूर तक सवालों की तरह दिखाई देते हैं। ऐसे सवालों की तरह एक देश के पूरे नक़्शे पर, जिन्हें राजसत्ता ने अपने आन्तरिक साम्राज्यवाद प्रेरित विकास और विस्तार के लिए कभी सुलझाने का न्यायोचित प्रयास नहीं किया, बल्कि ‘ग्रीन हंट’ और ‘सलवा जुडूम’ के नाम पर राह में आड़े आनेवाले 'लोग और लोक' दोनों को ही अपराधी बना दिया। और यातनाओं को ऐसे दु:स्वप्न में बदला कि दुनिया-भर के इतिहासों के साक्ष्य के बावजूद छत्तीसगढ़, झारखंड, ओड़िसा, मध्य प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, आन्ध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान आदि के वनांचलों का भविष्य अपने आगमन से पहले लहकता रहा, 'लाल गलियारा' बनता रहा।
यह पुस्तक राजसत्ता और वैश्विक नव-उपनिवेशवादी चरित्र से न सिर्फ़ नक़ाब हटाती है बल्कि आदिवासियों यानी हाशिए के संघर्ष का वैज्ञानिक विश्लेषण भी करती है। रेखांकित करती है कि ‘हाशिए के जन का अपराध केवल यही रहा है कि प्रकृति ने उन्हें सोना, चाँदी, लोहा, मैगनीज, ताँबा, एलुमिनियम, कोयला, तेल, हीरे-जवाहरात, अनन्त जल-जंगल-ज़मीन का स्वाभाविक स्वामी बना दिया; समता, स्वतंत्रता, आत्मनिर्भरता और न्यायपूर्ण जीवन की संरचना से समृद्ध किया। इसलिए इस जन ने अन्य की व्यवस्था में हस्तक्षेप नहीं किया। यदि अन्यों ने किया तो इस जन ने उसका प्रतिरोध भी ज़रूर किया। इस आत्म-रक्षात्मक प्रतिरोध का मूल्य इस जन को पलायन, परतंत्रता, शोषण और उत्पीड़न के रूप में चुकाना पड़ा।
अपने काल-परिप्रेक्ष्य में ‘यादों का लाल गलियारा : दंतेवाड़ा' पुस्तक बस्तर, जसपुर, पलामू, चन्द्रपुर, गढ़चिरौली, कालाहांडी, उदयपुर, बैलाडीला, अबूझमाड़, दंतेवाड़ा सहित कई वनांचलों के ज़मीनी अध्ययन और अनुभवों के विस्फोटक अन्तर्विरोध की इबारत लिखती है। लेखक ने इन क्षेत्रों में अपने पड़ावों की ज़िन्दा यादों की ज़मीन पर अवलोकन-पुनरवलोकन से जिस विवेक और दृष्टि का परिचय दिया है, उससे नई राह को एक नई दिशा की प्रतीति होती है। यह पुस्तक हाशिए का विमर्श ही नहीं, हाशिए का विकल्प-पाठ भी प्रस्तुत करती है।
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...