Dil Se Maine Duniya Dekhi
Author:
HarivanshPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Travelogues0 Reviews
Price: ₹ 280
₹
350
Available
हिन्दी के ज़्यादातर पत्रकारों के यात्रा-वृत्तान्त आम तौर पर रपट होते हैं। उनके केन्द्र में सिर्फ़ तथ्य और विवरण होते हैं। लेकिन वरिष्ठ पत्रकार और सांसद हरिवंश के इन यात्रा-विवरणों में तथ्यों के साथ-साथ संवेदना और मानवीय प्रसंगों को भी बख़ूबी पिरोया गया है। इसी के चलते उनकी ये पत्रकारीय रपटें साहित्यिक आस्वाद से युक्त हो जाती हैं।</p>
<p>यात्रा के दौरान उनके मन में एक अन्तर्यात्रा भी समानान्तर चलती रहती है, विदेश उन्हें अपने देश को और सतर्क निगाह से देखने को प्रेरित करता है। वे सिर्फ़ पर्यटक की तरह नहीं एक प्रबुद्ध विचारक की तरह दुनिया को देखने लगते हैं। उनके इन यात्रा-संस्मरणों में सतत एक बेचैनी दिखाई देती है। साथ ही उनका पत्रकार भी अपनी वस्तुगतता के साथ लगातार उनके यात्री के साथ रहता है। उनका प्रयास होता है कि वे जहाँ भी जाएँ, वहाँ के यथार्थ को इस तरह प्रस्तुत करें, जिससे समय और समाज की समझ को विस्तार मिले—उनकी अपनी समझ भी खुले और पाठक की भी।</p>
<p>यही विशेषता इस पुस्तक को एक साहित्यिक कृति बनाती है। आप इन यात्रा-विवरणों को पढ़कर रोमांचित भी होंगे, उत्तेजित भी होंगे और देश तथा दुनिया के विषय में सोचने के लिए व्याकुल भी होंगे।
ISBN: 9788126730766
Pages: 13
Avg Reading Time: 0 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: जर्मनी जिसे किसी भी मामले में किसी से भी कम होना मंजूर नहीं। मशीन और तकनीक वाला ही नहीं, कार्ल मार्क्स, हेनरिक हाइन, हीगेल और गोऐथे वाला जर्मनी। हिटलर वाला भी जर्मनी और ख़ूबसूरत आबोहवा वाला जर्मनी। हवा इतनी साफ़ कि मुँह खोलकर निगल जाने को जी चाहता है, वह भी दिन में। और डिसिप्लिन ऐसा कि रात के सन्नाटे में भी कोई रेडलाइट क्रॉस नहीं करता। आदमी तो आदमी, कुत्ते को भी इतनी सख़्त ट्रेनिंग कि उसकी भी मजाल नहीं कि वह रेडलाइट पार कर जाए। और खुलापन...कि अपने देश में इतना स्वच्छन्द प्यार तो घर में भी मुमकिन नहीं। जर्मन रेडियो डायचे वैले, बॉन में बतौर सम्पादक काम करने गए लेखक का यह यात्रा-वृत्त सिर्फ़ जर्मनी के दैनिक जीवन और सांस्कृतिक मूल्यों के ही बारे में नहीं बताता, इसे पढ़ते हुए हमें यह बात बिना किसी संशय के स्वीकार्य लगने लगती है कि ज़िन्दगी को देखने-बरतने के तरीक़े और भी हो सकते हैं, और वे दुनिया में हैं। पश्चिम से लौटकर अपने एशियाई रहन-सहन की मलामत, ख़ासकर भारत-पाकिस्तान में, आम-सी बात है, जो यह किताब नहीं करती। यह जर्मनी को, उसके समाज को अपने सजीव शब्द-चित्रों और एक अच्छे उपन्यास की तरह छोटे-छोटे ब्योरों में इतने पूरेपन के साथ हमारे सामने साकार करती है कि हम अपने दैनिक देसी रोज़मर्रा में यहाँ जकड़े पड़े रहते हुए भी कुछ देर को वहाँ होकर आ जाते हैं। पत्रकार, कथाकार, सम्पादक सुहेल वहीद को कहन का यह जादू बेशक उर्दू की तरफ़ से मिला है, जो यहाँ इस सफ़रनामे में इतनी ख़ूबसूरती से खिल उठा है। वे देखे-सुने और महसूस किए को लिखने-बताने में कतर–ब्यौंत नहीं करते, क्योंकि ऐसा करने से ज़िन्दगी की तस्वीरें तो भरोसे लायक़ नहीं ही बनतीं। सो यहाँ सब कुछ सच्चा, प्यारा और यक़ीन के साथ महसूस करने क़ाबिल है। यह कहने की तो बिल्कुल ज़रूरत नहीं कि आप इस किताब को उठाएँगे तो पढ़ने के बाद ही रखेंगे।
Parton Ke Beech
- Author Name:
Govind Mishra
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Prithvi Gandhmayi Tum
- Author Name:
Anurag Chaturvedi
- Book Type:

- Description: ’पृथ्वी गंधमयी तुम’ एक अलग तरह का यात्रा-वृत्त है जिसमें लेखक ने सिर्फ़ यायावर की आँख से नहीं, समाजशास्त्री और वैश्विक अर्थतंत्र के जानकार की तरह भी चीजों को देखा है। इसमें शामिल पन्द्रह यात्राएँ उस समय की हैं जब दुनिया का रूप-रंग और ढाँचा बदलाव से गुज़र रहा था। साम्यवाद और पूँजीवाद की बहस से निकल कर दुनिया एक नए ढंग की अर्थव्यवस्था की दिशा में बढ़ रही थी। अमेरिका और चीन, दो बड़ी ताक़तों के रूप में चर्चित हो रहे थे। उदारवाद, निजीकरण और वैश्वीकरण की प्रक्रिया को लेखक ने कई देशों में जाकर समझा और इस यात्रा-वृत्तान्त में दर्ज किया है। चीन और अमेरिका के साथ जापान, हांगकांग, कैरेबियन देशों, दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के भारतीय समाज की अन्दरूनी जानकारी भी इस किताब में है और यूरोप के वर्तमान के साथ-साथ उसके अतीत से साक्षात्कार भी। निस्सन्देह एक बेहद पठनीय और सग्रहणीय किताब!
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