Andar Ka School
Author:
Dr. Manohat AgnaniPublisher:
Shivna PrakashanLanguage:
HindiCategory:
Travelogues0 Reviews
Price: ₹ 120
₹
150
Available
In this fast paced world of ours, everyday life is a blur for many of us. We rarely stop to think, but Dr Manohar Agnani’ s book ‘Andar Ka School’ takes us back to the practice of valuing, cherishing and thinking about daily incidents; which has the power of transforming an ordinary incident into an extra ordinary and memorable lesson for life. As a master story teller he manages to keep the curiosity in us at the utmost level till the last paragraph of the story and then gives his frank opinion. And at times tells us the stark truth which many may not have the courage to put into words in public. The gender lens with which he very boldly examines himself, others and the society, gives an altogether different endearing flavour and makes the stories much more interesting and poignant Each story comes with its own characteristics and unique style but all of them have a winning combination of simplicity, curiosity and emotional appeal which make these stories super-readable. I was quite surprised to see my millennial friends reading, reciting and discussing the stories. The size of the stories is such that you hardly need 5-10 minutes to read one but then it leaves you with many thoughts and much emotion which keep lingering and coming back to you long after you have finished the book. These are the stories one would very much like to read time and again; simple and succinct; short yet very comprehensible, everyday but very touching… Thanks a lot for sharing your experiences. Eagerly awaiting the next book BY Mona
ISBN: 9789381520498
Pages: 120
Avg Reading Time: 4 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Viet Nam 1982-2017
- Author Name:
Geetesh Sharma
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Swarg Yatra : Ek Lok Se Doosare Lok
- Author Name:
Manoj Singh
- Book Type:

-
Description:
प्रकृति में पर्वत मुझे विशेष रूप से आकर्षित करते हैं। और सौभाग्य से हिमालय हमारे पास है! फिर और क्या चाहिए। यह कश्मीर से अरुणाचल प्रदेश तक न जाने किस-किस नाम और रूप में फैला हुआ है। मध्य में स्थित हिमाचल प्रदेश में कुछ एक साल रहने का अवसर मिला था तो उस दौरान किन्नौर से लेकर लाहौल स्पीती, रोहतांग पास की यात्रा कर चुका हूँ। यहाँ लद्दाख़ के बारे में बहुत कुछ सुनने को मिला था। कुछ ऐसे तथ्यों की जानकारी हुई कि उत्सुकतावश वहाँ जाने की इच्छा हुई थी।
लद्दाख़ वो क्षेत्र है जो आज भी दुर्गम है। आम भारतीय पर्यटक की कल्पना और चाहत से बाहर। मगर इस क्षेत्र में सदियों से विदेशी आ रहे हैं। ख़ासकर यह जानकर अचम्भा होता है कि यूरोप के कई विद्वान यहाँ तब से आ रहे हैं, जब यहाँ कोई भी साधन नहीं था। हज़ारों साल से यह पश्चिम एशिया से लेकर मध्य एशिया और आगे यारकंड व तिब्बत के बीच व्यापार का एक प्रमुख मार्ग रहा है। बौद्ध भिक्षु ईसा पूर्व इस क्षेत्र में आने लगे थे। और यही नहीं, इस क्षेत्र को उन्होंने बुद्धमय कर दिया था। सोचिए, एक ऐसा प्रदेश जो आज भी दूर दिखाई देता है वहाँ शताब्दियों से बौद्धधर्म विराजमान है। इन सब धार्मिक व बौद्धिकजनों के साथ-साथ व्यापारियों और सेनाओं का काफ़िला, कश्मीर से होता हुआ ही आता-जाता रहा। कश्मीर और लद्दाख़, हिमालय की दो विशिष्ट घाटियाँ हैं। दो पारम्परिक व समृद्ध सभ्यताएँ। प्राचीन संस्कृति और प्राकृतिक सौन्दर्य के दो अति महत्त्वपूर्ण केन्द्र, इतने नज़दीक!!! इसे प्रकृति और मानवीय इतिहास का संयोग ही कहेंगे।
संक्षेप में कहूँ तो यह यात्रा प्रकृति के बीच क़दमताल करने जैसी थी। मुश्किलों से सामना हुआ, तो क्या!! प्रकृति भी तो अपने नग्न रूप में उपस्थित हुई। मूल रंग में। पूरे वैभव के साथ। विराट। मुश्किल इस बात की हुई है कि सौन्दर्य को देखते ही मन-मस्तिष्क स्थिर हो गया। उठ रहे विचारों का अहसास तो हुआ मगर व्यक्त कर पाना मुमकिन न हो सका। विस्तार इतना कि वर्णन सम्भव नहीं। असल में आँखें ही देख सकती हैं, कैमरे व्यर्थ हो जाते हैं।
Kailash Mansarovar Yatra
- Author Name:
Hariom
- Book Type:

- Description: Travelouge
Chitrakala Kavita Ke Deshe
- Author Name:
Sunil Gangopadhyay
- Book Type:

-
Description:
चित्रकला कविता के देशे पुस्तक का ढाँचा भ्रमण-वृत्तान्त का है किन्तु, विधागत रूढ़ अर्थों में यह यात्रा वृत्तान्त नहीं है। दरअसल सुनील गंगोपाध्याय को असल में अपनी युवावस्था में आयोवा विश्वविद्यालय में आयोजित कविता कार्यशाला में नौ मास रहने की वृत्ति मिली थी। यह आमंत्रण प्रसिद्ध कवि पॉल ऐजेल की ओर से मिला था। उस दौरान वहाँ के कवियों, चित्रकारों, संगीतज्ञों, नाटककारों, नर्तकियों से उनकी जो भेंट हुई, इस पुस्तक में उन्हीं का वर्णन है।
किसी ने कहा है, हर शिल्पी की दो मातृभूमियाँ होती हैं, एक उसका अपना देश और दूसरा फ़्रांस। शिल्पी सिर्फ़ चित्रकार श्रेणी का नहीं है, कवि भी उसी में आते हैं। फ़्रांस में जैसे देगा, माने, मोने, रेनोया, गोगा, मोतिस रूयो अथवा पिकासो जैसे महान चित्रकार थे, वैसे ही यहाँ रिम्बो, वेर्लेन, बोदलेयर, मालार्मे, वेलरी, अपोलिनियर और ऑरि मिसोर जैसे कवि भी हुए हैं। इसलिए फ़्रांस ही ऐसा देश है जिसकी आत्मा का अगर वर्णन किया जाए तो उसमें चित्रकला और कविता का संसार आना अनिवार्य है।
Surya Ka Jalavtaran
- Author Name:
Satish Jayaswal
- Book Type:

-
Description:
पूर्वोत्तर भारत की यात्राओं का यह वृत्तान्त-संकलन ‘सूर्य का जलावतरण’ हमें भारतीय राष्ट्र राज्य के उन क्षेत्रों से परिचित कराता है, जो अपने रहन-सहन, बोली-भाषा और संस्कृति के लिहाज से उस उत्तर व मध्य भारत से नितान्त भिन्न हैं, जिसे हम अपनी रोजमर्रा की निगाह से सम्पूर्ण भारत के रूप में देखने के आदी हैं।
इस पुस्तक से गुजरते हुए हमें एक बहु-सांस्कृतिक विराट भारत को जानने का अवसर मिलता है, और अपने उन लोगों को जानने का भी जो धर्म, रीति-रिवाज और वेशभूषा के फर्क के बावजूद भारत को सम्पूर्ण भारत बनाते हैं।
नगालैंड, जो म्यांमार के साथ अपनी सीमा साझा करता है और जहाँ दिन-भर साधारण नगा और बर्मी लोग सीमा के आर-पार अपनी छोटी-छोटी व्यापारिक गतिविधियाँ करते हैं, लेखक ने इस विवरण को बहुत नजदीक से देखकर यहाँ अंकित किया है।
इसी तरह मणिपुर की सीमाएँ भी म्यांमार से गुँथी हैं। असम, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, मिजोरम और सिक्किम भी अपनी तमाम विविधता और सौन्दर्य के साथ इस पुस्तक में मौजूद हैं।
इन यात्रा-विवरणों में लेखक ने राजनीतिक विडम्बनाओं को भी नजरन्दाज नहीं किया है, जो इन क्षेत्रों में अकसर गम्भीर रूप लेती रही हैं। मसलन मणिपुर की वर्तमान समस्या।
लेकिन लेखक का खास जोर उस सौन्दर्य पर है जो यहाँ की प्रकृति और जन-जीवन में साक्षात् होता है; एक स्वप्निल सौन्दर्य जिसे हर कोई अपनी आँखों से देखना चाहेगा।
O Fakira Maan Ja
- Author Name:
Dayashankar Shukla Sagar
- Book Type:

-
Description:
मन यायावर हो और तन की मजबूरी हो कि एक जरूरी रूटीन से खुद को बाँधे रखे तो यह एक दुखद विडम्बना है। लेकिन कहते हैं कि मन अगर अपनी कामनाओं के पार फैलता ही रहे, इच्छा हर रोज और बलवती होती जाए तो राहों की रुकावटों को भी राह आखिर देनी ही पड़ती है।
ये यात्राएँ ऐसे ही यायावर की हैं जिन्हें एक के बाद एक संयोगों ने वह दिया जो उनकी आत्मा चाहती थी यानी सफ़र, घुमक्कड़ी और अब वे यहाँ, इस किताब में, एक चितेरे यात्रावृत्तकार के रूप में उपस्थित हैं। जो उन्होंने देखा, जिनसे वे गुजरे उन्हें उतने ही जीते-जागते स्वरूप में हमारे सामने शब्दों में उकेरते हुए।
एशिया, यूरोप, अमेरिका, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के विभिन्न देशों की ये यात्राएँ सिर्फ पर्यटन-स्थलों का विवरण नहीं हैं, इतिहास, संस्कृति, समाज, साहित्य और राजनीति का पसमंजर इन वृत्तान्तों को एक सजीव, बहुआयामी लैंडस्केप बनाता है। पता ही नहीं चलता कि पढ़ते-पढ़ते आप कब इन अदेखी गलियों में टहलने लगे जो लेखक के भीतर अब भी अपने शोर और सन्नाटों के साथ जीवित हैं।
फ्रांस के राजा की सजा-ए-मौत, नेपोलियन की प्रेमिकाएँ, काफ्का की चिट्ठियाँ, अफ्रीकी नागरिकता वाले अपने को हिन्दुस्तानी बतानेवाले अफ्रीकी, चीन के मकाऊ के जुआघर, अमेरिका के कभी रिटायर न होने वाले और अस्सी से पहले सीनियर सिटीजन नहीं कहलाने वाले लोग, और इन सबको दर्ज करता एक भारतीय मन! इस सफरनामे को पढ़ना एक जीवन्त अनुभव से गुजरना है।
Ras Bhang
- Author Name:
Akshaya Bahibala
- Book Type:

- Description: 1998 से 2008 तक, अक्षय बहिबाला भाँग की गिरफ़्त में थे–गाँजा पीते, भाँगे खाते और पीते, पुरी के समुद्री तट पर विदेशियों, हिप्पियों, बैकपैकर्स और दूसरे भगोड़ों के साथ व्यसन में कभी भंड तो कभी बेहद अवसाद में! फिर वह उस किनारे से लौटते हैं, जिसके आगे जीवन में कोई राह नहीं थी। वह जीने की कोशिश करते हैं, कभी वेटर बनकर, कभी सेल्समैन तो कभी पुस्तक-विक्रेता के रूप में वापसी की कोशिशें करते हैं। इस असाधारण किताब की शुरुआत वह अपने व्यसन के दौर के टूटे-बिखरे किरचों को जोड़ते हुए करते हैं। वहाँ से ओडिशा के सुदूर कोनों में बैठे लोगों की कहानियों तक पहुँचते हैं, जिनकी ज़िन्दगी भाँग, गाँजा और अफ़ीम के गिर्द घूमती है। इनमें एक सरकारी लाइसेंसशुदा भाँग की दुकान वाला है जो सबसे शुद्ध भाँग देने की गर्वीली घोषणा करता है और ज़ोर देकर कहता है कि भाँग तो लोगों को यीशु बना सकता है। एक अफ़ीम कटर है जिसने अपने बचपने में अफ़ीम के ढेर को सरसों तेल से ढीला कर छोटे टैबलेट बनाना सीखा। एक लड़की भी है, जिसने अफ़ीम चाटकर हैजा को मात दी और फिर आजीवन एडिक्ट रही। गाँजे की खेती करनेवाला भी है, तो आबकारी विभाग के लोगों की कहानी भी जो गाँजे की खेती को नष्ट करने जाते हैं और गुस्साए गाँववाले उनको पीट देते हैं। इन कहानियों के साथ गुँथे हैं—गाँजे और अफ़ीम की ज़ब्ती और नष्ट करने के सरकारी आँकड़े, भाँग के औषधीय उपयोग पर संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट और भाँग लड्डू और शर्बत बनाने की रेसिपी भी। भारत के शायद सबसे लोकप्रिय नशों में एक की यादों, क़िस्सों, तथ्यों और आँकड़ों का नशीला, अलहदा और बेहद मनोरंजक सफ़र!
Aap Biti-Jag Biti
- Author Name:
Sandeep Bhutoria
- Book Type:

- Description: वास्तव में यात्रा करना और दृष्टि के साथ यात्रा करना, दो भिन्न बातें हैं। हम सभी यात्रा करते हैं, लेकिन कितने ऐसे होते हैं जो हमें सृजनात्मक अभिव्यक्ति का रूप देते हैं या सोद्देश्यपूर्ण बना पाते हैं। जब यात्रा-वृत्तान्त या सफ़रनामा सृजनात्मकता का स्पर्श करता है, तब यह यात्रा साहित्य के जगत में प्रवेश करने लगता है। संक्षेप में, यात्रा-वृत्तान्त परिचित या अपरिचित समाज व क्षेत्र को स्व-अवलोकन के माध्यम से जानने-समझने की एक सृजनात्मक प्रक्रिया है और जिज्ञासा इसकी कुतुबनुमा होती है। युवा जिज्ञासु संदीप भूतोड़िया ने अपनी पहली यात्रा-कथा ‘आपबीती-जगबीती’ में एक सजग व संवेदनशील यात्रा लेखक का परिचय देकर मुझे निःसन्देह चौंकाया है। क़रीब सात-आठ वर्ष पहले कोलकाता में स्व. डॉ. प्रभा खेतान के निवास पर संदीप से संक्षिप्त भेंट हुई थी। उस समय इतना ही बतलाया गया था कि संदीप की रुचि व्यापार में कम है और सामाजिक कार्यों में इनकी सक्रियता रहती है। विभिन्न अन्तरालों से हुई मुलाक़ातों से यह भी पता चला कि संदीप संयुक्त राष्ट्र से सम्बन्धित संस्थाओं से भी सम्बद्ध हैं और अपने कार्य के सिलसिले में देश-विदेश की यात्राएँ अक्सर करते रहते हैं। विभिन्न समाजों और जीवन-शैलियों का क़रीब से अवलोकन करना भी संदीप भूलते नहीं हैं। इस अवलोकन का ही परिणाम है प्रस्तुत पुस्तक। —रामशरण जोशी
Awaak : Kailash - Mansarovar : Ek Antaryatra
- Author Name:
Gagan Gill
- Book Type:

-
Description:
किसी भी यात्रा में भूगोल कुछ-न-कुछ बदलता है। जगहें, चेहरे, घटनाएँ, दृश्य आदि बदलते हैं पर हर यात्रा ज़रूरी नहीं कि अन्तर्यात्रा हो। जब होती है तो हम भी साथ-साथ बदलते हैं, हमारी आन्तरिकता का भूगोल भी बदल जाता है। ऐसी यात्राओं के वृत्तान्त बिरले हैं। कवयित्री गगन गिल का यह अन्तर्यात्रा-वृत्तान्त हिन्दी में एक अनोखा दस्तावेज़ है जिसमें वृत्तान्त का टीसपन, कथा का प्रवाह और कविता की सघन आत्मीयता सब एक साथ है। उसमें स्मृतियों, संस्कारों, अन्तर्ध्वनियों, जीवन की लयों आदि सबका एक वृन्दवादन लगातार सुनाई देता है। कुछ इस तरह का भाव कि सब कुछ एक-दूसरे से जुड़ा है, प्रतिकृत और झंकृत है।
इस अन्तर्यात्रा में अनेक व्यक्ति आते-जाते हैं, उनकी छवियाँ, उक्तियाँ, संवाद, भंगिमाएँ और क्रियाएँ-प्रतिक्रियाएँ बेहद संवेदनशीलता से अपनी समूची चित्रमयता में उकेरी गई हैं। कैलाश-मानसरोवर जाते और वहाँ से लौटते मानो एक तरह की कथायात्रा भी चलती रहती है। प्रकृति, मनुष्य, हिमालय, ठंड, झीलें, नदियाँ, जल, वायु आदि सब एक निरन्तर प्रवाह में हैं, कभी आकस्मिक, कभी अप्रत्याशित, कभी रहस्यमय, कभी कुतूहल उपजाते, कभी नीरव, कभी घोर विस्मय में डालते लोग, घटनाएँ, दृश्य आदि हमें चुपचाप अनुभव और भावनाओं के एक ऐसे भौतिक देश और अन्तर्देश में ले जाते हैं जिनमें हममें से अधिकतर, शायद ही पहले कभी गये हों।
यह अनूठा गद्य है जिसमें गद्य और कविता, वृत्तान्त और चिन्तन के पारम्परिक द्वैत झर गये हैं और जिसमें होने की, मनुष्य होने के रहस्य और विस्मय का निर्मल आलोक, अपनी कई मोहक रंगतों में आर-पार फैला हुआ है।
—अशोक वाजपेयी
Rahiman Pani Rakhiye
- Author Name:
Mridula Sinha
- Book Type:

- Description: जीवन-पथ पर चलते हुए कितने लोग, कितनी स्थितियाँ, विविध प्रसंग, विविध रसों का रसास्वादन, भिन्न-भिन्न शहरों और निर्जन स्थलों पर अनेकानेक भावों के संवाद और स्वरों के गान सुनने को मिलते हैं। वहीं विरोधाभाषी स्पर्शों की अनुभूति भी होती है। कुछ स्पर्श ऐसे, जो कोमल और कठोर, कुछ भी हों, भुलाए नहीं भूलते। कुछ प्रसंगों को हम दूसरों को बार-बार सुनाते हैं। उसमें हर बार कुछ-न-कुछ नवीनता जुड़ती जाती है। पर मूल प्रसंग तो वही रहता है। प्रसिद्ध साहित्यकार स्व. मृदुला सिन्हाजी के दायित्व का तकाजा घुमक्कड़ी था; वे पिछले चालीस वर्षों में देश-विदेश घूमती ही रहीं। अतीव संवेदनशील होने के कारण अपनी अनुभूतियों को सँजो लेती थीं। उनकी लेखनी और कोरे कागज उनके जीवन-संगी थे ही। ट्रेन में हों या प्लेन में, प्रसंग उनके मानस से उतरकर कोरे कागज को भरते रहे। इन लेखों में व्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक, प्रादेशिक और समाज में स्थित राष्ट्रीय एकता की पहचान संबंधित आलेख भी आ गए। सुदूर अंडमान निकोबार में कोई घटना घटी, उसकी रिपोर्ट ‘दुनिया मेरे आगे’ में छपने के बाद कश्मीर के लोगों को भी अपने आसपास की घटना लगी। तभी तो सब ओर के पाठक उल्लसित होते रहे और इन लेखों की लोकप्रियता लेखिका के लिए समाज के गुण-दोषों, रिश्ते-नातों के विभिन्न तासीर के आकलन का एक माध्यम बन गई। इन लेखों में मनुष्य जीवन ही नहीं, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे सभी की कहानियाँ हैं। अपने आकार-प्रकार में भले ही ये आलेख बहुत बड़े नहीं हैं, फिर भी इनकी गहराई और गंभीरता से इनकार नहीं किया जा सकता। हास्य-व्यंग्य है तो सोचने के लिए विवश करनेवाले प्रसंग भी। विश्वास है कि अब एक सूत्र में गूँथकर हर मौसम में खिलनेवाले विभिन्न सुगंधों और रंगों के फूलों से बना अनुभूतियों का गुच्छा पाठकों को अवश्य आनंद देगा।
Mahatirth Ke Antim Yatri (Lhasa - Kaliashnath - Mansarovar)
- Author Name:
Bimal Mitra
- Book Type:

- Description: सन् 1956 में तिब्बत का दरवाज़ा विदेशियों के लिए लगभग बन्द हो चुका था और राजनैतिक कारणों से भारत के साथ तिब्बत का सम्पर्क भी लगभग टूट चुका था। उन्हीं दिनों, बिना किसी तैयारी के, बिमल दे घर से भागे और नेपाली तीर्थयात्रियों के एक दल में सम्मिलित हो ल्हासा तक जा पहुँचे। उस समय उनकी उम्र मात्र पन्द्रह वर्ष थी। यात्रियों में वह नवीन मौनी बाबा। ल्हासा में उन्होंने तीर्थयात्रियों का दल छोड़ा, और वहाँ से अकेले ही कैलास खंड की ओर कूच कर गए। 'महातीर्थ के अन्तिम यात्री' में उसी रोमांचक यात्रा-अनुभाव का वर्णन है। बिमल दे ने स्वयं इसे ‘एक भिखमंगे की डायरी’ कहा है। किन्तु इस पुस्तक में मिलेगा तिब्बत का दैनंदिन जीवन तथा महातीर्थ का पूर्ण विवरण।
Becoming Bangalore
- Author Name:
Roopa Pai
- Rating:
- Book Type:

- Description: What makes a city uniquely itself? Is it its geography, history, location? Is it its leaders, aspirations, demographics? Or is it a palpable spirit, wrought of a combination of all these, that seeps into the soil over centuries, and charges the air, infecting residents and visitors alike? Two decades of exploring her hometown – and reading, writing and talking about it – has convinced Roopa Pai that the last is true: cities are neither born nor made, they become. In this collection of evocative essays, she trawls the city's history to tease out bits of the Bangalore jigsaw – a scientist's quest for excellence, a maharani's foresight, an entrepreneur's vision, a chief minister's ambition, a writer's pride in his language, and more – in an effort to trace the genesis of the liberal soul of the metropolis and its ability to offer inclusive, creative, laid-back spaces amid its frenetic growth. What emerges is a fascinating mosaic that reveals how a little sixteenth-century settlement on a hill became India's most charismatic city.
Aazadi Mera Brand
- Author Name:
Anuradha Beniwal
- Book Type:

- Description: जितनी बड़ी दुनिया बाहर है, उतनी ही बड़ी एक दुनिया हमारे अन्दर भी है, अपने ऋषियों-मुनियों की कहानियाँ सुनकर लगता है कि वे सिर्फ़ भीतर ही चले होंगे। यह किताब इन दोनों दुनियाओं को जोड़ती हुई चलती है। यह महसूस कराते हुए कि भीतर की मंज़िलों को हम बाहर चलते हुए भी छू सकते हैं, बशर्ते अपने आप को लादकर न चले हों। उतना ही एकान्त साथ लेकर निकले हों जितना एकान्त ऋषि अपने भीतर की यात्रा पर लेकर निकला होगा। अनुराधा बेनीवाल की इस एकाकी यात्रा में आप ज्ञान से भारी नहीं होते, सफ़र से हलके होते हैं। न उसने कहीं ज्ञान जुटाने की ज़्यादा कोशिश की, और न पाठक को वह थाती सौंपकर अमर होने की। इसीलिए शायद यह पुस्तक यात्रा-वृत्तान्त नहीं, ख़ुद एक यात्रा हो गई है। एक सामाजिक, सांस्कृतिक यात्रा, और एक प्रश्न-यात्रा जो शुरू ही इस सवाल से होती है कि आख़िर कोई भारतीय लड़की ‘अच्छी भारतीय लड़की’ के खाँचों-साँचों की पवित्र कुंठाओं के जाल को क्यों नहीं तोड़ सकती? सुदूर बाहर की इस यात्रा में वह भीतर के कई दुर्लभ पड़ावों से गुज़रती है, और अपनी संस्कृति, समाज और आध्यात्मिकता को लेकर कुछ इस अन्दाज़ में प्रश्नवाचक होती है कि अपनी हिप्पोक्रेसी को देखना हमारे लिए यकायक आसान हो जाता है। ज़िन्दगी के अनेक ख़ुशनुमा चेहरे इस सफ़र में अनुराधा ने पकड़े हैं, और उत्सव की तरह जिया है। इनमें सबसे बड़ा उत्सव है निजता का। निजी स्पेस के सम्मान का जो उसे भारत में नहीं दिखा। अपने मन का कुछ कर सकने लायक़ थोड़ी-सी खुली जगह, जो इतने बड़े इस देश में कहीं उपलब्ध नहीं है। औरतों के लिए तो बिलकुल नहीं।
Dilli Se Karachi Via Rawalpindi
- Author Name:
Sabuha Khan
- Book Type:

- Description: This book has no description
Uttar Himalay-Charit
- Author Name:
Prabodh Kumar Sanyal
- Book Type:

-
Description:
सृजनशील रचनाकार उच्चकोटि का यायावर या घुमक्कड़ भी हो, ऐसा संयोग प्राय: दुर्लभ होता है, और जब होता है तो उसकी प्रतिभा अविस्मरणीय कृतियों को जन्म देती है। प्रस्तुत पुस्तक ऐसी ही एक असामान्य और अविस्मरणीय कृति है, जिसमें बांग्ला के सुख्यात यायावर-कथाकार प्रबोध कुमार सान्याल ने अपनी उत्तर हिमालय-यात्रा का रोचक, रोमांचक और कलात्मक विवरण प्रस्तुत किया है।
इस यात्रा-कथा में उत्तरी हिमालय-मेरुदंड के उन दुर्गम अंचलों की दृश्य-छवियों को शब्दों में उतारा गया है जिनसे हमारा परिचय आज भी नहीं के बराबर है और जहाँ की धूल का स्पर्श बाहरी लोगों ने शताब्दियों के दौरान कभी-कभी ही किया है। महासिन्धु, वितस्ता, विपाशा, शतद्रु, इरावती, कृष्णगंगा, चन्द्रभागा आदि नदियों के उस अनोखे उद्गम प्रदेश में पहाड़ी दर्रों के बीच दौड़ती-उछलती धाराओं के किनारे-किनारे चलता हुआ लेखक जैसे पाठक को भी अपने साथ ले चलता है और दिखाता है बिलकुल निकट से हिमशिखरों की अमल-धवल आकृतियाँ तथा सुनाता है एकान्त वन-प्रान्तर और नीरव मरुघाटियों का मुखर-मौन संगीत। इसी क्रम में वह जब-तब अतीत की गुफाओं में भी ले चलता है या फिर भविष्य की टोह लेने लगता है। समर्थ लेखक इस प्रकार अपनी यात्रा में पाठक को सहभागी ही नहीं, सहभोक्ता बना देता है जो रचनात्मक उपलब्धि का सबसे बड़ा प्रमाण है।
Myriad Destinations
- Author Name:
Virag Shivpuri
- Rating:
- Book Type:

- Description: A captivating collection of short stories that takes readers on a journey across the globe. With real people, raw emotions, and genuine destinations, each story offers a glimpse into the lives of those who call these places home. The tales are expertly crafted with a perfect blend of suspense, nostalgia, and surprise. From the bustling streets of Mumbai to the romantic boulevards of Paris, the majestic peaks of Garhwal to the cosmopolitan city of Frankfurt, each locale is vividly brought to life, making readers feel as though they are right there alongside the characters. With each turn of the page, readers will be transported to a new destination and swept away by the stories’ depth, heart, and humanity.
Kalapani
- Author Name:
Leeladhar Mandaloi
- Book Type:

-
Description:
लीलाधर मंडलोई वैसे रचनाकारों में हैं जो धरती के किसी भी हिस्से में अपने रहवास को एक लम्बे कालखंड में, अपनी ऐन्द्रियता से आत्मसात कर आश्चर्यजनक ढंग से स्थानीय हो उठते हैं। ऐसा उन्होंने पातालकोट, छिंदवाड़ा, गोंडवाना (कान्हा अभ्यारण्य), भोपाल और एक हद तक दिल्ली में रहते हुए सम्भव किया है। देखा जाए तो उनका यह आश्चर्य ‘काला पानी’ अंदमान निकोबार द्वीप समूह से आरम्भ हुआ। ‘काला पानी’ से ही उनकी पहचान पहले एक कवि और फिर फीचर लेखक के रूप में हुई। पाठकों को स्मंरण होगा कि इस उपेक्षित भूखंड की दुर्लभतम् नेग्रिटोव्ह और मंगोल मूल की जनजातियों तथा समुद्र और वन्य जीवन पर फीचर शृंखला और कविताएँ देने वाले वे पहले ऐसे लेखक हैं जिन्हें ‘जनसत्ता’ और ‘नवभारत टाइम्स’ सरीखे अख़बारों ने प्रमुखता से प्रकाशित किया। इस दृष्टि से वे इस क्षेत्र में अग्रणी माने जाते हैं। ग्रेट अंदमानी, ओंगी शोम्पेन, निकोनारी जनजातियों की लोक-कथाओं को भी हिन्दी में लाने वाले, वे पहले रचनाकार हैं। कहना न होगा कि उनका ‘कविमन’ ही वह स्रोत है जो उन्हें लोक-कथा, लोक-गीत, यात्रा-वृत्तांत, डायरी, मीडिया, रिपोर्ताज व आलोचना में ले जाता है। इधर जबकि भाव और मन की जगह वस्तु, कला और फॉर्म केन्द्रीय पद हैं, तब एक ऐसे लेखक को पढ़ना परम्परा पाठ के तत्त्वों के समीप पहुँचना है।
‘काला पानी’ में यहाँ प्रस्तुत कविता और गद्य में जो है, वह असल में विविध विधाओं में ‘कविमन’ की अभिव्यक्ति है। ‘काला पानी’ की विविध मार्मिक छवियों को कुछेक विधाओं में सहेजने की ईमानदार कोशिश इसे एक अनूठी कृति बनाती है। वस्तुतः यह एक दिलचस्प किंतु आत्मीय कोलाज है। ‘काला पानी’ सिर्फ़ एक साहित्यिक कृति ही नहीं अपितु एक समाजशास्त्रीय अध्ययन भी है। पाठक इसे पढ़ते हुए एक अदेखी दुनिया को अपने अनक़रीब पाएँगे।
Main Ghumakkar Vanon Ka
- Author Name:
Sherjung
- Book Type:

- Description: शिकार की कहानियाँ वनप्राणियों के जीवन को ही नहीं, बल्कि वनों के परिवेश और उनकी भिन्न-भिन्न स्थितियों को भी प्रदर्शित करती हैं। मनुष्य और जानवर, समय और स्थान तथा अन्य सब घटनाएँ जो शिकारी को वन-जीवन के निकट ले जाती हैं और किसी भी शिकार कथा का अभिन्न अंग हैं। जानवर का पीछा करने का अपना ही आनन्द है जिसके विचार मात्र से शिकारी की आँखों के सामने जंगल के अत्यन्त सुन्दर दृश्य नाचने लगते हैं, जैसे घने वृक्षों के नीचे धरती पर पड़ी उनकी गहरी और ठंडी छाया, प्रभात के शान्तिमय वातावरण में तूफ़ानी सागर की मतवाली लहरों की भाँति चारों ओर गूँजती शेरों की ऊँची एवं गहरी गर्जनाएँ हाथियों की तुरही-की-सी आवाज़ें, शोरगुल मचाते हुए जंगली साँड, मस्त चाल से चलता हुआ भालू, चोरों की तरह बिना ध्वनि किए छिप-छिपकर चलता हुआ बघेरा, द्रुत गति से भागते हुए साम्बर, शान से गर्दन उठाकर चलते हुए चीतल, एक-दूसरे के पीछे से अस्पष्ट दिखाई देती हुई पहाड़ियों के ऊपर इधर-उधर बिखरे हुए घास के मैदान और उन पहाड़ियों के पीछे बर्फ़ से ढके पहाड़, जिनमें यह सब कुछ मानो खो-सा जाता है। शिकार की इन कहानियों में लेखक ने अपने अनुभवों का यथासम्भव सही-सही वर्णन करने का प्रयास किया है। साथ ही अपने साथियों और जंगल में घटी घटनाओं का उल्लेख करते समय, उन्होंने उनसे प्राप्त सुख व दु:ख, प्यार और सहानुभूति के अनुभवों को भी अपने विवरणों का हिस्सा बनाया है।
Wah Bhi Koi Des Hai Mahraj
- Author Name:
Anil Yadav
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Mahatirth Ke Antim Yatri (Lhasa—Kaliashnath—Mansarovar)
- Author Name:
Bimal Mitra
- Book Type:

- Description: सन् 1956 में तिब्बत का दरवाज़ा विदेशियों के लिए लगभग बन्द हो चुका था और राजनैतिक कारणों से भारत के साथ तिब्बत का सम्पर्क भी लगभग टूट चुका था। उन्हीं दिनों, बिना किसी तैयारी के, बिमल दे घर से भागे और नेपाली तीर्थयात्रियों के एक दल में सम्मिलित हो ल्हासा तक जा पहुँचे। उस समय उनकी उम्र मात्र पन्द्रह वर्ष थी। यात्रियों में वह नवीन मौनी बाबा। ल्हासा में उन्होंने तीर्थयात्रियों का दल छोड़ा, और वहाँ से अकेले ही कैलास खंड की ओर कूच कर गए। 'महातीर्थ के अन्तिम यात्री' में उसी रोमांचक यात्रा-अनुभाव का वर्णन है। बिमल दे ने स्वयं इसे ‘एक भिखमंगे की डायरी’ कहा है। किन्तु इस पुस्तक में मिलेगा तिब्बत का दैनंदिन जीवन तथा महातीर्थ का पूर्ण विवरण।
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...