Zara Si Roshani
Author:
Ravindra KaliyaPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Short-story-collections0 Reviews
Price: ₹ 96
₹
120
Available
रवीन्द्र कालिया ने साठ के दशक में ‘सिर्फ़ एक दिन’, ‘नौ साल छोटी पत्नी’, ‘गड़े शहर का आदमी’ और ‘काला रजिस्टर’ जैसी कहानियों से शिल्प और संवेदना दोनों स्तरों पर हिन्दी कहानी की परम्परा को रूमान और भावुकता के दलदल से बाहर निकालकर उसे यथार्थ की ठोस ज़मीन पर खड़ा होने में मदद की थी। इसका सबूत इस संग्रह की कहानियाँ हैं।</p>
<p>रवीन्द्र कालिया की ये कहानियाँ मनुष्य की जिजीविषा, उसके संकल्प और अदम्य विसंगतिबोध को अपना विषय बनाती हैं और विलक्षण कलात्मकता और अचूक राजनीतिक दृष्टि के साथ उनका निर्वाह करती हैं। इन कहानियों के बच्चे, बूढ़े, युवक, युवतियाँ यहाँ तक कि पशु-पक्षी और पौधे भी कथाकार की आत्मा का स्पर्श पाकर मानवीय उद्यम और नियति में साझा करनेवाले प्रतिनिधि चरित्र बन जाते हैं। इस नज़रिए से सबसे उल्लेखनीय कहानी ‘सुन्दरी’ है। सुन्दरी नाम की घोड़ी एक दुर्घटना में अपनी एक आँख गँवा देने के बाद विवाह जैसे मांगलिक अवसर पर नाचने की पात्रता खो देती है, लेकिन इसे अपनी नियति मानने से इनकार कर देती है। शुभ और अशुभ में यक़ीन करनेवाला मानव समुदाय और उसे बेहद प्यार करनेवाला उसका मालिक जहीर जो ख़ुद भी उसी दुर्घटना में एक आँख गँवा बैठा है, अपनी व्यावहारिकता के चलते उसके हठ का कारण नहीं समझ पाता, लेकिन जहीर के बच्चे अपनी अन्तश्चेतना में सुन्दरी के निकट होने के कारण इसे समझ जाते हैं। अनेक स्तरों पर बुनी गई यह कहानी सहज ही पशु-पक्षियों पर लिखी गई, विश्व साहित्य की अविस्मरणीय कहानियों में रखी जा सकती है।</p>
<p>एक और कहानी ‘गौरैया’ है जो कथाकार के सहज मानवीय राग-विराग से गुज़रती हुई अचानक हमारे दौर की साम्प्रदायिक कुटिलता का पर्दाफ़ाश करनेवाली सशक्त कहानी बन जाती है। ‘बोगेनविलिया’ शीर्षक कहानी का नन्हा सा पौधा आज़ाद हिन्दुस्तान के अमानवीय विकास के शिकार करोड़ों लोगों की पीड़ा को हमारी संवेदना तक पहुँचाने का माध्यम बनता है। दूसरी तरफ़ ‘एक होम्योपैथी कहानी', ‘बुढ़वा मंगल' और ‘रूप की रानी चोरों का राजा’ जैसी कहानियाँ हैं। इनमें पहली कहानी एक उपभोक्तावादी समाज में ठीक-ठाक कमाई कर रहे एक युवक और युवती की है जो परिस्थितिवश अपने स्वाभाविक आवेगों का गला घोंटने पर विवश हैं। ‘डाक्टर और मरीज़’ की भूमिका को अनेक कोणों में दिखानेवाली इस कहानी को हमारे दौर की एक यथार्थवादी प्रेम कहानी भी कहा जा सकता है। ‘बुढ़वा मंगल’ सिर्फ़ एक साधारण बूढ़े की असाधारण जीवनाकांक्षा की कहानी नहीं है, बल्कि इसमें स्वाधीनता पूर्व की तथाकथित त्यागी और बलिदानी पीढ़ी का रहस्य भी उजागर हुआ है। जबकि ‘रूप की रानी चोरों का राजा' में बिलकुल ताज़ा सामाजिक-राजनीतिक हालात का जायजा लिया गया <br />है।</p>
<p>रवीन्द्र कालिया की ये कहानियाँ साधारण स्थितियों, घटनाओं और चरित्रों की असाधारणता को रेखांकित करती हैं और हमारी संवेदना पर दस्तक देने के साथ हमारी विचार शक्ति और कल्पना को उकसाकर उन्हें हल्की सी चुनौती भी देती हैं। इसी प्रक्रिया में ये हमें संस्कारित करती हैं और मनुष्य की ताक़त पर हमारे विश्वास को और मज़बूत करती हैं।</p>
<p>—कृष्णा मोहन
ISBN: 9788180310027
Pages: 120
Avg Reading Time: 4 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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