Beetate Huye
Author:
Madhu KankariyaPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Short-story-collections0 Reviews
Price: ₹ 396
₹
495
Available
हमारे समाज में प्रचलित रूढ़ मान्यताओं के बरक्स मानवीय स्वतंत्रता का सवाल सदा ही अनदेखा किया जाता रहा है लेकिन मधु कांकरिया की कहानियाँ सिर्फ़ परम्परागत मान्यताओं की ही नहीं, अधुनिकता के आवरण में लिपटे जीवन-मूल्यों की भी पड़ताल करती हैं और हमारे सामने कई सुलगते हुए सवाल खड़ी कर सोच को रचनात्मक आयाम प्रदान करती हैं। चाहे नक्सलवादी आन्दोलन पर आधारित ‘लेकिन कामरेड’ हो, दाम्पत्य जीवन में परस्पर विश्वास को रेखांकित करती ‘चूहे को चूहा ही रहने दो’ हो या बच्चे के स्कूल में दाख़िले के लिए एक स्त्री की व्यथा-कथा हो; मधु काँकरिया कहीं भी विचार और संवेदना के स्तर पर पाठकों को निराश नहीं करतीं, बल्कि कथारस के प्रवाह में बहाए चलती हैं। औपन्यासिक विस्तार की सम्भावना से युक्त ये कहानियाँ भाषा, शिल्प एवं विचार-तत्त्व के अनूठेपन और भाव एवं विचार के अद्भुत सन्तुलन के कारण निश्चय ही उल्लेखनीय बनी रहेंगी, ऐसा हमारा विश्वास है।
ISBN: 9788126708444
Pages: 207
Avg Reading Time: 7 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Epochal Voices
- Author Name:
Murari Madhusudan Thakur
- Rating:
- Book Type:

- Description: A comparison of the lives and writing of Devkota and Nirala by Murari Madhusudan Thakur. Sahitya Akademi Award 2021
Ghar Bahar Ghar
- Author Name:
Harimohan
- Book Type:

-
Description:
सुपरिचित कथाकार हरिमोहन की कहानियों का यह संग्रह अपनी काव्यात्मक भाषा और सरल-सहज शिल्प के कारण अनायास ही आकर्षित करता है।
व्यक्ति के निजत्व की तलाश, प्रेम में चाँद को छूने की आकांक्षा, समसामयिक राजनीति की विद्रूपताओं व विडम्बनाओं, साम्प्रदायिक डायनासोर के आतंक, रिश्तों की रागात्मकता, प्रेम की मीठी व सुलगती हुई आँच, उपभोक्तावादी जीवन-शैली का एकाकीपन, दफ़्तरी जीवन का छल-छद्म आदि की काली-उजली छायाओं और गतिशील बिम्बों का मोहक कोलाज हैं ये कहानियाँ। भाषा की ताज़गी और कथ्य व विचारों की मौलिकता हरिमोहन की कहानियों की अनूठी विशेषता है।
सुचिंचित सरोकार वाली कथावस्तु, प्रवाहमय भाषा और संवेदनात्मक शिल्प के कारण ये कहानियाँ पाठकों को एक रचनात्मक लोक में ले जाने में सक्षम हैं।
Lutiya Mein Loktantra
- Author Name:
Rajesh Pal
- Book Type:

- Description: Collection of Stories
Bhoot Bhai Sahab Aur Any Kahaniyan
- Author Name:
Priyanka Kaushal
- Book Type:

- Description: This book has no description
Dwipantar
- Author Name:
Yashodhara Mishra
- Book Type:

-
Description:
ओड़िया की चर्चित कथाकार यशोधारा मिश्र की ये कहानियाँ जीवन के सामाजिक और मनोवैज्ञानिक पहलुओं के विषय में हमें अनोखी अन्तर्दृष्टि देती हैं। सामान्यतः उच्च मध्यवर्ग की पृष्ठभूमि में स्थित इन कहानियों में हमें समाज, परिवार और मनुष्य-मन के वे कोने दिखाई देते हैं, जिन्हें हम आमतौर पर नहीं देख पाते।
कहानी को बयान करने की उनकी प्रवहमान शैली, परिवेश का विस्तृत चित्रण और अपने पात्रों को बेहद नज़दीक से जानने-समझने का उनका कौशल उनकी कहानियों को निरन्तर पठनीय बनाए रखता है। पात्रों के भूगोल को वे इस बारीकी से चित्रित करती है कि हम अनायास ही कहीं और होने की यात्रावृत्त जैसी अनुभूति से भर उठते हैं।
संग्रह की शीर्षक कथा ‘द्वीपांतर’ स्त्री-मन के एक अनछुए प्रान्तर के संधान की कहानी है जिसमें प्रौढ़वय नायिका को घर-परिवार को समर्पित अपने अब तक के लम्बे जीवन के बाद अचानक अपने होने का अहसास होना शुरू होता है, वह भी सुबह की सैर शुरू करने से। डॉक्टर के कहने पर हर सुबह बाहर निकलना उसके लिए ऐसा अनुभव बन जाता है जो सिर्फ़ उसका है, अपना; और, डेढ़-दो किलोमीटर के इस विस्तार में ही जैसे उसे अपना एक अलग द्वीप मिलने लगता है।
संग्रह में शामिल अन्य कहानियाँ भी सुख और संतृप्ति के अन्तस में छिपी किसी न किसी टीस का अवगाहन करती हैं। ‘सूर्यास्त के आसपास’ के अतनू और कल्लोला की ज़िन्दगी की दबी-ढँकी कामनाएँ हों, ‘मनोकामना’ के नीलेश और सीमा-सुरेश का ‘सेंस ऑफ़ लॉस’ हो या ‘अपना-अपना प्रेम’ की बढ़ती-बदलती प्रेमकथाएँ, हर कहानी एक टूटन की कथा है जिसे कथाकार ने गहरी संवेदना के साथ लिखा है। संग्रह में कुल दस कहानियाँ शामिल हैं और ये सभी सुख और दुःख के बीच गुम्फित कई विरोधाभासों को हमारे सामने खोलती हैं।
Madhuyamini
- Author Name:
Shivani
- Book Type:

-
Description:
महिला कथाकारों में जितनी ख्याति और लोकप्रियता शिवानी ने प्राप्त की है, वह एक उदाहरण है श्रेष्ठ लेखन के लोकप्रिय होने का। शिवानी लोकप्रियता के शिखर को छू लेनेवाली ऐसी हस्ती हैं, जिनकी लेखनी से उपजी कहानियाँ कलात्मक भी होती हैं और मर्मस्पर्शी भी। अन्तर्मन की गहरी परतें उघाड़नेवाली ये मार्मिक कहानियाँ शिवानी की अपनी मौलिक पहचान हैं जिसके कारण उनका अपना एक व्यापक पाठक वर्ग तैयार हुआ। इनकी कहानियाँ न केवल श्रेष्ठ साहित्यिक उपलब्धियाँ हैं, बल्कि रोचक भी इतनी हैं कि आप एक बार शुरू करके पूरी पढ़े बिना छोड़ ही नहीं पाते।
प्रस्तुत संग्रह में ‘तोप’, ‘मधुयामिनी’, ‘प्रतिशोध’, ‘मरण सागर पारे’, ‘गजदन्त’, ‘मित्र’, ‘दादी’, ‘भीलनी’, ‘चलोगी चन्द्रिका?’ एवं ‘गन्धारी’ कहानियाँ संकलित हैं। हर कथा अपनी मोहक शैली में अभिभूत कर देने की अपार क्षमता रखती है। कलात्मक कौशल के साथ रची गई ये कहानियाँ हमारी धरोहर हैं जिन्हें आज की नई पीढ़ी अवश्य पढ़ना चाहेगी।
KETI-KOTI
- Author Name:
Pushpita Awasthi
- Book Type:

- Description: Collection Of Short stories
Tab Ki Baat Aur Thi
- Author Name:
Harishankar Parsai
- Book Type:

-
Description:
यह परसाई की शुरुआती रचनाओं का संकलन है। कह सकते हैं कि इस दौर की अपने लेखन में वे भाषा के स्तर पर अपनी राह बना रहे थे, और अपने व्यंग्य की धार को भी परख रहे थे। लेकिन यह देखकर आश्चर्य होता है कि समाज और राजनीति को लेकर उनकी समझ तब भी उतनी ही साफ़ थी।
इस संग्रह में शामिल ‘भेड़ें और भेड़िये’, ‘गो-भक्ति’, ‘देव-भक्ति’ और ‘रासलीला’ जैसी कहानियाँ हैं जो धर्म के स्वार्थ-आधारित दुरुपयोग के ख़तरों के प्रति हमें आगाह करती है। रोज़गार और जीवन-यापन के संघर्ष, मध्यवर्ग का पाखंड और स्त्री-स्वाधीनता जैसे प्रश्न इन रचनाओं में उतनी ही तीव्रता से आते हैं, जिस तरह उनकी बाद की रचनाओं में, लेकिन आज़ादी के फ़ौरन बाद वाले दशक में इन अवरोधों को देख पाना अपने आप में एक उपलब्धि है।
संग्रह में शामिल ‘बाबू की बदली’ शीर्षक कहानी ने अपने समय में काफ़ी हलचल पैदा की थी, परसाई पर स्त्री की गुलामी का समर्थन करने तक के आरोप लगे थे, जिनका उत्तर वे यहाँ संकलित ‘अपनी बात’ में देते हैं। अपने व्यंग्य की तीक्ष्णता के सन्दर्भ में उनका कहना है कि चट्टान-सी बुराई पर अगर कोई सुनार की छोटी हथौड़ी से प्रहार करे, तो यह उसकी नासमझी ही कही जाएगी।
अच्छा हुआ कि उन्होंने शुरू से ही घन का इस्तेमाल किया और हमें उन जैसा व्यंग्यकार मिला।
Dharohar Kahaniyaan : Subhadra Kumari Chauhan
- Author Name:
Subhadra Kumari Chauhan
- Book Type:

- Description: अपनी समस्या पूरे देश की समस्या के साथ बँधी हुई है। सबकी मुक्ति में ही अपनी मुक्ति है। अन्धी परम्पराओं के बन्धन, चारों ओर सड़े-गले रस्म रिवाजों के गलीज घेरे, जिनमें क्रूर पाखंड की उँगलियाँ उठती हैं। एक दमन और घुटनवाला समाज, जो खुली तन्दुरुस्त जिन्दगी की साँस लेना जानता ही नहीं। सुभद्रा कुमारी चौहान की स्वस्थ और स्वतंत्र भावुकता ने यथार्थ के बहुत से मर्म पहचान लिये थे। हर चुनौती का जवाब उनके पास था। और यह जवाब था उनके अन्तःकरण और सच्चाई की हठ का। —शमशेर बहादुर सिंह
Mansarovar Vol. 2 : Lottery Aur Anya kahaniyan
- Author Name:
Premchand
- Rating:
- Book Type:

- Description: प्रेमचन्द की रचनाएँ आधुनिक भारत को समझने का एक महत्त्वपूर्ण माध्यम हैं। उन्हीं के समय से भारतीय पुनर्जागरण का प्रारम्भ होता है, जिसके पैरों की आहट उनकी रचनाओं में महसूस होती है। राष्ट्रीय जीवन की परिवर्तनशीलता, क्रिया-प्रतिक्रिया, प्रगति एवं प्रतिक्रियावादिता, धर्म की, मानवता की परछाइयाँ प्रेमचन्द की रचनाओं में झलकती हैं। —डॉ. जाफ़र रज़ा
Jhapatta
- Author Name:
Deepak Kumar Agyat
- Book Type:

- Description: Collection of Short Stories
Dastangoi - 1
- Author Name:
Mohammad Kazim +1
- Book Type:

- Description: दास्तान ज़बानी बयानिया है जिसे पेश करनेवाले दास्तानगो ज़बान, बयान, शायरी और क़िस्त के माहिर होते थे। दास्तानें बहुत-सी सुनाई गईं पर इनमें सबसे मशहूर हुई दास्ताने अमीर हमज़ा जिसमें हजरत मोहम्मद सः के चचा अमीर हमज़ा की ज़िन्दगी और उनके शानदार कारनामों को बयान किया जाता है। 18वीं और 19वीं सदी में जब ये दास्तान उर्दू में मक़बूल हुई तो इससे अदब और पेशकश का बेहतरीन मेल पैदा हुआ और इसमें कई ऐसी बातों का इज़ाफ़ा हुआ जो ख़ालिस हिन्दुस्तानी मिज़ाज की थीं। मसलन, तिलिस्म और अय्यारी जो बाद में दास्तानगोई का सबसे अहम हिस्सा साबित हुईं। बेशुमार क़िस्म के जानदार, सय्यारे सल्तनतें, तिलिस्म, जादूगर, देव, अय्यार, और अय्याराएँ जैसे किरदारों पर ‘मुश्तमिल दास्ताने-अमीर हमज़ा’ आख़िरकार 46 जख़ीम जिल्दों में पूरी होकर छपी और उर्दू अदब और हिन्दुस्तानी फनूने लतीफ़ा का मेराज साबित हुई। दास्तानगोई का फ़न ज़बानी और तहरीरी दोनों शक़्लों में जिस वक़्त अपने उरूज पर पहुँचा तक़रीबन उसी वक़्त नए मिज़ाज और नए मीडिया की आमद के साथ बड़ी तेज़ी से इसका जवाल भी हुआ। आख़िरी दास्तानगो मीर बाक़र अली का इन्तकाल 1928 में हुआ और इसके साथ ही ये अजमी रवायत नापैद हो गई।
Taki Sanad Rahe
- Author Name:
Abdul Bismillah
- Book Type:

-
Description:
अब्दुल बिस्मिल्लाह उस जीवन-यथार्थ के कहानीकार हैं, जहाँ छोटी-से-छोटी इच्छा पूरी करने के लिए अथक संघर्ष करना पड़ता है। इस जीवन को व्यापक सामाजिकता के कुलीन विवरणों के बीच पहचानना एक दृष्टि-सम्पन्न रचनाकार का ही काम है। हाशिए पर चल रही सक्रियताओं को रचनाशीलता के केन्द्र में प्रतिष्ठित करते हुए अब्दुल बिस्मिल्लाह ने अपनी कहानियों को आकार दिया है।
‘ताकि सनद रहे’ अब्दुल बिस्मिल्लाह के चार कहानी-संग्रहों—'रैन बसेरा', ‘कितने-कितने सवाल’, ‘टूटा हुआ पंख’ और ‘ज़ीनिया के फूल’ में शामिल रचनाओं का समग्र है। इनमें से बहुत सारी कहानियाँ पाठकों व आलोचकों के बीच चर्चित हो चुकी हैं।
यदि हम मध्य वर्ग और निम्न वर्ग के जीवन का समकालीन यथार्थ पहचानना चाहते हैं तो इन कहानियों में क़दम-क़दम पर ठहरकर हमें ग़ौर से देखना होगा। लेखक ने सामाजिक विकास की आलोचना इस तरह की है कि स्थितियों को जीनेवाले चरित्र पाठक की संवेदना का हिस्सा बन जाते हैं। अलग से यह घोषित करने की ज़रूरत नहीं कि लेखक की प्रतिबद्धता क्या है और उसके सरोकार क्या हैं।
अब्दुल बिस्मिल्लाह की भाषा पारदर्शी है। सहज और अर्थ की त्वरा से भरी। इस सहजता की अन्विति कई बार ऐसे होती है, ‘नाले के इस पार सड़क थी और उस पार जंगल। उन दिनों जंगल का रंग इस क़दर हरा हो गया था कि वह हमेशा काले बादलों में डूबा हुआ नज़र आता था। वहाँ जो एक छोटी-सी, ऊँची-नुकीली पहाड़ी थी, वह घास के ताजिए की तरह लगती थी। उस जंगल में शाजा, सलई, धवा, हर्रा, पलाश, कुसुम और जामुन के पेड़ कसरत से भरे हुए थे। उन दिनों कुसुम के फल तो झड़कर ख़तम हो गए थे, पर जामुन अभी बचे हुए थे। हवा चलती तो काले-काले जामुन भद-भद नीचे गिरते और ऐसा लगता मानो प्यार के रस में डूबी हुई आँखें टपकी पड़ रही हों।'
वस्तुतः इन कहानियों को समग्रता में पढ़ना परिचित परिवेश में भी अप्रत्याशित यथार्थ से साक्षात्कार करने सरीखा है।
Vasant Ka Ujad
- Author Name:
Prakash Kant
- Book Type:

- Description: Collection of Short Stories
Here, There And Everywhere
- Author Name:
Smt. Sudha Murty
- Rating:
- Book Type:

- Description: Wearer of many hats-philanthropist, entrepreneur, computer scientist, engineer, teacher-Sudha Murty has above all always been a storyteller extraordinaire. Winner of the R.K. Narayan Award for Literature, the Padma Shri, the Attimabbe Award from the government of Karnataka for excellence in Kannada literature, and the Raymond Crossword Lifetime Achievement Award, her repertoire includes adult non-fiction, adult fiction, children’s books, travelogues and technical books. Here, There and Everywhere is a celebration of her literary journey and is her 200th title across genres and languages. Bringing together her best-loved stories from various collections alongside some new ones and a thoughtful introduction, here is a book that is, in every sense, as multifaceted as its author.
Pratinidhi Kahaniyan : Krishna Baldev Vaid
- Author Name:
Krishna Baldev Vaid
- Book Type:

- Description: कृष्ण बलदेव वैद समकालीन हिन्दी कथा-साहित्य में अलग से पहचाने जानेवाले कथा-शिल्पी हैं। उन्हें किसी भी साधारण खाने में रखना कठिन है। इस संग्रह में उनकी चुनिन्दा कहानियाँ शामिल हैं, जिनमें से प्रायः प्रत्येक एक गम्भीर पाठकीय अभिरुचि की माँग करती है, क्योंकि उनके कथा-अभिप्रायों में सीधे-सादे सामाजिक या आर्थिक सन्दर्भ-भर ही नहीं हैं—कई और ऐसे अर्थ भी हैं, जो इकहरी यथार्थवादी रचनाओं में नहीं होते। लिखने की प्रेरणा उन्हें ‘अतीत के उस काले शोर को बार-बार भोगने और बराबर उससे भागते रहने की परस्पर विरोधी विवशताओं’ से मिलती है। इस बारे में उनका यह आत्मस्वीकार भी महत्त्वपूर्ण है कि ‘जैसे वह शोर मेरा अपना है, वह सन्दर्भ (रचना-सन्दर्भ) भी मेरा अपना ही होना चाहिए, अपना ही हो सकता है।’ यथार्थ और अयथार्थ का सारा झमेला अप्रासंगिक है लेकिन इसका आशय यह नहीं कि इन कहानियों में यथार्थ का अभाव है, क्योंकि ‘कलाकार के लिए अयथार्थ कुछ भी नहीं’ होता। निस्सन्देह, कृष्ण बलदेव वैद की ये कहानियाँ उनकी विशिष्ट रचना-दृष्टि, प्रयोगधर्मिता और कसी हुई भाषा-शैली का प्रतिनिधित्व करती हैं।
Himanchali Lok Kathayen
- Author Name:
Sudarshan Vashishtha
- Rating:
- Book Type:

- Description: Himanchali Lok Kathayen
Ek Aur Mrityunjay
- Author Name:
Mithileshwar
- Book Type:

-
Description:
मिथिलेश्वर की ये लम्बी कहानियाँ शोषण, अन्याय, अत्याचार, अन्धविश्वास और सर्वग्रासी भ्रष्टाचार के प्रति संवेदनशील रचनाकार मन की तीखी प्रतिक्रियाएँ हैं, जिनके माध्यम से वह इन सामाजिक बुराइयों के विरुद्ध एक प्रतिकूल वातावरण तैयार करने की चेतना जाग्रत करते हैं। इस तरह उनकी कहानियाँ कथा-सूत्रों एवं चरित्रों के माध्यम से सभ्यता की समीक्षा भी हैं।
मिथिलेश्वर अपनी इन लम्बी कहानियों में हमारे समय की ज्वलन्त समस्याओं को उनके अन्तर्विरोधों के साथ मारक रूप में प्रस्तुत करते हैं, जिससे ये कहानियाँ अनियंत्रित, अमर्यादित, अपसंस्कृति को बेनक़ाब करती हुई वर्गीय चेतना को प्रामाणिक रूप में व्यक्त करती हैं। लोगों की बद्धमूल धारणाएँ, मानसिक पिछड़ापन, बदलते सामाजिक-आर्थिक सम्बन्ध, पारिवारिक ढाँचे में बदलाव, धर्म, संस्कृति एवं अर्थसत्ता का अन्तर्सम्बन्ध, असहिष्णुता, संवेदनहीनता और संकीर्णता में अनपेक्षित वृद्धि, सत्ता की संस्कृति एवं लोकतंत्र की पतनशीलता के परिणाम-जैसे पक्ष इन लम्बी कहानियों की संरचनाओं में समाहित है।
इन कहानियों को पढ़ते हुए कुछ समाजशास्त्रीय अवधारणाएँ भी स्पष्ट होती हैं। असहाय एवं उपेक्षित लोगों के प्रति संवेदनशील दृष्टि और उनके अस्तित्व को स्थापित करने का प्रयास इन लम्बी कहानियों को सार्थक एवं सफल बनाते हैं। इन कहानियों में जीवन का राग है तथा तपती और खुरदरी ज़मीन पर नंगे पाँव चलने का एहसास है। इस रूप में ये कहानियाँ पाठकों के अन्दर आलोचनात्मक विवेक जागृत करने में सक्षम एवं सफल हैं।
कहने की आवश्यकता नहीं कि मिथिलेश्वर की ये लम्बी कहानियाँ असाधारण महत्त्व की कहानियाँ हैं, जो न सिर्फ़ पठनीय हैं, बल्कि संग्रहणीय एवं उल्लेखनीय भी हैं।
Toote Ghonsle Ke Pankh
- Author Name:
Ram Kumar Mukhopadhyaya
- Book Type:

-
Description:
यह एक महिला की डायरी के शिल्प में लिखा गया उपन्यास है। यह शिल्प इसलिए सही है कि डायरी में ही कोई नौजवान महिला जीवन के अनुभव, अपनी पसन्द-नापसन्द एवं समाज और अपनी निजी प्रतिक्रियाओं को दर्ज करती है। ऐसा लेखन जिस तरह स्वतःस्फूर्त होता है, वैसे ही स्पष्ट भी। यह उपन्यास पाठक को उबाऊ नहीं लगता। लेकिन उपन्यास की सबसे ख़ास बात है—उसके कथ्य और शिल्प का नयापन। नौजवानों की धमनियों में दौड़नेवाले ख़ून की गर्मी का अहसास और उत्साह इस उपन्यास की पंक्ति-पंक्ति में निहित है, जिसे हर पढ़नेवाला अनुभव करेगा।
—अपराजित नायक, (आलोचक)
उपन्यास की मुख्य पात्र दिशा चौधरी को पता चलता है कि ज्योतिरिन्द्र मोइत्रा का देहान्त क़रीब बीस वर्ष पूर्व हो चुका और सत्यजित राय की ‘कंचनजंघा’ का पक्षी-प्रेमी मामा (पहाड़ी सान्याल द्वारा अभिनीत) ज्योतिरिन्द्र मोइत्रा की नक़ल है। यह मैं नहीं जानता था, सो इस उपन्यास से मुझे कवि, गीतकार और संगीतज्ञ ज्योतिरिन्द्र मोइत्रा के बारे में नई जानकारी मिली।
—प्रो. पवित्र सरकार, (आलोचक व शिक्षाविद्)
‘टूटे घोंसले के पंख’ हालाँकि आकार में छोटा है, लेकिन निस्सन्देह इसने बांग्ला लेखन को एक नई शक्ल दी है।
—प्रो. कार्तिक लाहिड़ी, (उपन्यासकार व आलोचक)
‘टूटे घोंसले के पंख’ यह अहसास कराता है कि इसका लेखक एक समर्थ उपन्यासकार है। पुस्तक लेखक के भाव को प्रदर्शित करती है लेकिन यह कभी अतिरिक्त भावुकता की तरफ़ नहीं मुड़ती। मनोवेग और बुद्धि का एक सटीक सम्मिश्रण यह उपन्यास बांग्ला उपन्यास लेखन की मौजूदा शैली से नितान्त भिन्न है।
—आशीष बर्मन, (उपन्यासकार व आलोचक)
आपके उपन्यास को पढ़ते हुए मैं चकित हुआ। विषय का चयन, कथानक के कहने का ढंग, भाषा और दिशा, चौधरी के चरित्र का रूपांकन—सभी कुछ आपकी अनोखी कल्पना और शिल्प की गवाही देते हैं।
—प्रो. शिबनारायोन राय, (आलोचक व सम्पादक)
Bahurupiya Shahar
- Author Name:
Shweta Sharda
- Book Type:

-
Description:
हर पल शहर के नक़्शे बदलते हैं। अपनी अन्दरूनी ऊर्जाओं, हुनर और काल्पनिक शक्तियों से लोग अपनी रोज़मर्रा में चलती समय की रेखाओं को आकार देते चलते हैं। दिल्ली की कच्ची कॉलोनियों और पुनर्वास कॉलोनियों में रहते ऐसे सैकड़ों कारीगर हैं, जिनकी जीने की ज़िद्द और चाहतें ज़िन्दगी के अनुभव बनकर क़िस्सों का रूप लेती हुई हमारे रोज़ाना में घुलती हैं। सुनने-सुनाने की इन संस्कृतियों में रहते हुए हमने बचपन से अपने माहौल से सोचने के साधन सींचे हैं। यहाँ अंकुरित हुए ‘बहुरुपिया शहर’ ने दिल्ली के नांगला माँची कॉलोनी के ढहते ढाँचों और घेवरा पुनर्वास कॉलोनी के बनते आकार के बीच अपना रूप लिया है।
पिछले कुछ सालों से एलएनजेपी कॉलोनी, दक्षिणपुरी और नांगला माँची में रहनेवाले लगभग ढाई सौ युवक-युवतियाँ अपने माहौल की बौद्धिक ज़िन्दगी के पहलुओं को अपनी ज़िन्दगी में गहरा करने में तत्पर हैं। ये साझा समूह अपने रियाज़ और क्रियाओं से कॉलोनियों के फैलाव और हममें से हर एक के निजी जीवन के बीच एक साँस लेती परत बनाता आया है। इसमें शहर को समझने के कई सवाल और सोच पनपते हैं। ‘बहुरुपिया शहर’ इस साझे सन्दर्भ का एक प्रतिरूप है। इसके हर लेख में हमारे इन सभी साथियों की सोच के सायों की ठंडक, उनके सवालों की गूँज और उनके रियाज़ से उठती चुनौतियों की उत्तेजना है।
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...