Balabodhini
Author:
Vasudha Dalmiya, Sanjeev KumarPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Short-story-collections0 Reviews
Price: ₹ 796
₹
995
Available
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र आधुनिक हिन्दी साहित्य के प्रवर्तक माने जाते हैं। खड़ी बोली हिन्दी को साहित्य के माध्यम के रूप में प्रसारित-प्रचारित करने तथा रचनात्मक स्तर पर इस्तेमाल करने के लिए, साथ ही, अपने समय की बहुसंख्य प्रतिभाओं को अपने विराट मित्रमंडली में शामिल और प्रोत्साहित करने के लिए भी उन्हें याद किया जाता है।
सुविदित है कि 1870 के दशक में उनकी प्रकाशन गतिविधियाँ बहुत तेज़ी से बढ़ी और वे उत्तर-पश्चिमी प्रान्तों में केन्द्रीय महत्त्व वाली एक शख़्सियत के रूप में उभरे। उनकी दो साहित्यिक पत्रिकाएँ—‘कविवचनसुधा’ (1868-85) औ‘हरिश्चन्द्र मैगज़ीन’, जिसका नाम बाद में ‘हरिश्चन्द्र चन्द्रिका’ (1873-85) कर दिया गया—उनके जीवनकाल में ही प्रसिद्धि हासिल कर चुकी थीं। इनके साथ-साथ 1874 से 1877 तक उन्होंने महिलाओं की पत्रिका ‘बालाबोधिनी’ भी सम्पादित की थी, जिसका हिन्दी की पहली स्त्री-पत्रिका होने के नाते साहित्यिक इतिहास में विशिष्ट महत्त्व है। पर यह एक विडम्बना है कि भारतेन्दु की सभी जीवनियों में अनिवार्य और सम्मानजनक नामोल्लेख के बावजूद इस पत्रिका की सामग्र अन्तर्वस्तु या ढब-ढाँचे को लेकर वहाँ या अन्यत्र भी कोई विवेचन नहीं मिलाता और न ही इसकी प्रतियाँ कहीं सुलभ हैं।
विभिन स्रोतों से इकट्ठा किए गए बालाबोधिनी के अंकों को पुस्तकाकार रूप में हिन्दी जगत् के सामने लाना इसीलिए महत्त्वपूर्ण है। यह सन्तोष की बात है कि अब भारतेन्दु पर या हिन्दी प्रदेश में स्त्री-प्रश्न पर काम करनेवालों के सामने इस प्रथम स्त्री-मासिक का नामोल्लेख भर करने की मजबूरी नहीं रहेगी।
ISBN: 9788126725786
Pages: 352
Avg Reading Time: 12 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Ek Mutthi Ret
- Author Name:
Veena Sinha
- Book Type:

- Description: वीणा सिन्हा की कहानियों में स्त्री-लेखन की पहचान बन चुकी सभी विशेषताएँ हैं, फिर भी उनके सरोकारों को सिर्फ़ स्त्री-लेखन के दायरे में रखकर नहीं परखा जा सकता। उनकी लेखनी स्त्री के बहाने समाज के एक बड़े कैनवस पर चलती है। शहरी मध्यवर्ग से लेकर खाँटी ग्रामीण परिवेश तक को उन्होंने समान कौशल के साथ अंकित किया है। इससे भी महत्त्वपूर्ण विशेषता अपने पात्रों के अन्तस में झाँकने की उनकी क्षमता है जिसके चलते छोटे-छोटे कथानक भी बड़े अनुभव-संसार के वाहक बन जाते हैं। इस संग्रह में शामिल सभी कहानियाँ इस बात की गवाह हैं कि वीणा सिन्हा अपने पात्रों को गढ़ती नहीं हैं, वे अपने आसपास की दुनिया में उनकी तलाश करती हैं और फिर उनके मन की गुफाओं को खोलती हैं। इन कहानियों को समकालीन भारतीय स्त्री के जीवन की प्रतिनिधि कहानियों के रूप में भी चिन्हित किया जा सकता है और भारतीय जीवन-दृष्टि को अभिव्यक्ति देनेवाली गाथाओं के रूप में भी।
Dogri Folk Tales
- Author Name:
Shivanath
- Rating:
- Book Type:

- Description: The language of about five million Dogras, Dogri has a rich oral literature and folk tales form a substantial part of it. There are over seven hundred Dogri folk tales which have been collected and printed so far. This volume is the 1st attempt to bring out the English translation of some of these folk tales. The tales in this volume provide a peep into the 'backyard' of Dogra culture. Here gods and goddesses assume human forms and join human beings to drive home some important truth or moral lesson.
When Stone Melts
- Author Name:
Vanamala Viswanath +1
- Rating:
- Book Type:

- Description: A collage of stories the growing rebellion in the young and educated Savithri; the spontaneous love of Girija that burns downs the evil forces of the village; the adamant but nourishing affection of Shamala that wins over the Dalit Thippanna, the self-denying fetters of Nirmala's morality; the bewildered recognition of male exploitative in Stella; Basavaraj's longing to outgrow his insatiable thirst for womanising; Parvathi's irresistible calling the coconut tree Basalinga's traumatic touch of the untouchable doctor Thippanna... With the combined strength of the sceptic and saint, eminent Kannada literary culture figure Lankesh uncovers the invisible realities of politics and culture in contemporary India in these mediations on life's failure and fulfillment.
Sampoorn Kahaniyan : Gyanranjan
- Author Name:
Gyanranjan
- Book Type:

-
Description:
ऐसे लेखक विरले ही होते हैं जिनकी रचनाएँ अपनी विद्या को भी बदलती हों और उस विधा के इतिहास को भी ज्ञानरंजन के बारे में यह बात निर्विवाद कही जा सकती है कि उनकी कहानियों के बाद हिन्दी कहानी वैसी नहीं रही जैसी कि उनसे पहले थी। उनके साथ हिन्दी गद्य का एक नया, आधुनिक, सघन और समर्थ व्यक्तित्व सामने आया जो उस दौर की भाषा में व्याप्त काव्यात्मक रूमान के बजाय काव्यात्मक सचाई से निर्मित हुआ था। ज्ञानरंजन की भाषा में उस पीढ़ी की भाषा थी जो भारतीय समाज में आजादी महास्वप्नों के टूटने, परिवारों के बिखरने, मनुष्य के अकेला होते जाने और जीवन में अर्थहीनता के प्रवेश जैसे हादसों के बीच अपने विक्षोभ, अपनी हताशा और अपनी उम्मीद को पहचानने की बेचैन कोशिश कर रही थी। युवा होते समाज की इस आन्तरिक उथल-पुथल का इतना गहरा साक्षात्कार ज्ञानरंजन की कहानियों में मिलता है। कि उनके अनेक चरित्र प्रेमचन्द के कई चरित्रों की तरह हमारी स्मृति में अभिन्न रूप से शामिल हो गए। सन् साठ के बाद की हिन्दी कहानी एक महत्त्वपूर्ण प्रस्थान बिन्दु या कहानी का दूसरा इतिहास मानी गई और ज्ञानरंजन सामाजिक रूप से उसके सबसे बड़े रचनाकार कहे गए। लेकिन हर बड़े लेखक की तरह ज्ञानरंजन की कहानियाँ अपने दौर या समय को लाँघती गईं और इसीलिए आज भी पढ़ने पर उनकी प्रायः सभी कहानियाँ उतनी ही जीवन्त, प्रासंगिक और प्रामाणिक महसूस होती हैं। ‘क्षणजीवी’ जैसी कहानी लिखने और जीवन के निरर्थक क्षणों में अर्थ की खोज करनेवाले ज्ञानरंजन दरअसल हमारे समय के सबसे ‘दीर्घजीवी’ लेखकों में से हैं।
‘फेंस के इधर और उधर’, ‘पिता’, ‘शेष होते हुए’, ‘सम्बन्ध’, ‘यात्रा’, ‘घंटा’ और ‘बहिर्गमन’ आदि कहानियाँ जिस निम्न-मध्यवर्गीय यथार्थ से मुठभेड़ के कारण प्रसिद्ध हुई, वह भले ही बदल गया हो, लेकिन उस पर लिखी गई ये कहानियाँ कभी पुरानी या बासी नहीं हुईं। ज्ञानरंजन सरीखे कृती लेखक की ही यह सामर्थ्य है कि यथार्थ के पुराने पड़ जाने पर भी उसका अनुभव पुराना या समय सापेक्ष नहीं हो जाता। बल्कि इन कहानियों में अभिव्यक्त विराट हलचल के बीच आनेवाले यथार्थ की अनेक आहटें भी हम सुन सकते हैं। ‘अनुभव’ में तथाकथित उच्चवर्ग की विकृति और अश्लीलता के विवरणों में उस अपसंस्कृति का पूर्वाभास है जो आज हमारे समाज में चौतरफ बजबजा रही है। वह एक स्वस्थ समाज की मृत्यु पर हिला देनेवाला शोकगीत है।
ज्ञानरंजन की सभी कहानियों का यह संग्रह हमारे समय का एक साहित्यिक दस्तावेज़ भी है और हमारे यथार्थ का साफ आईना भी है, जिसमें दिखते जीवन के बिम्ब पाठक को हमेशा उद्वेलित करते रहेंगे।
Chhiyanat
- Author Name:
Taranand Viyogi
- Book Type:

- Description: संख्या मे कम कथा लिखलाक बादो मैथिली कथा-साहित्य मे तारानंद वियोगीक पैघ आ जरूरी स्थान मानल गेल अछि। प्रतिष्ठित कथा-संकलन सब मे हुनकर कथा संकलित भेल छनि आ आन-आन भाषा मे अनूदित सेहो। समाजक हाशिया परक लोक के कथा, ओकर संपूर्ण मानवीय गरिमाक संग, मैथिली मे कम लिखल गेल अछि। वियोगी जीक प्राय: सब टा कथा एही निम्नवर्ग, जाति आ वर्णक विषय मे लिखल गेल अछि। सब दिन ओ निर्माणाधीन सामाजिक यथार्थ केँ अपन कथाक विषय बनौलनि। एहि गुणक कारण हुनकर कथाक बेस मान अछि, मुदा एही कारणें विवादो अक्सरहां होइत रहल अछि। हुनकर सदा मान्यता रहलनि जे केवल मैथिली भाषा मे लिखल रहबाक कारण कोनो कथा मैथिली कथा नहि भ' सकैत अछि। तेँ, हुनकर कथा सब मे मिथिलाक जनजीवन केँ धकधक करैत महसूस कयल जा सकैए। तहिना, हुनकर कथा सब मे कथादेश आ कथासमय केँ साफ-साफ चित्रित भेल देखल जा सकैत अछि। ओ अपना समयक हरेक हलचल केँ नोटिस करैत चलैत छथि। तहिना, हुनकर कथाभाषा सेहो बेछप आ विलक्षण छनि। अपन देस-समाज केँ देखबाक आलोचनात्मक विवेक सब दिन वियोगी जी मे जाग्रत रहलनि, तेँ हुनकर कथाकला अपन उत्कर्ष धरि पहुँचल, जाहि लेल हुनकर कथा सब केँ बेस महत्त्व देल जाइत रहल अछि। हुनक कथा-लेखनक मादे पं. गोविन्द झा लिखने छथि— 'ललित-राजकमलक समय आ तारानंद वियोगीक समय मे महान अंतर अछि। पहिल विद्रूपता आ विसंगतिक समय छल तँ दोसर विकट संकटक समय। एहि संकट-काल मे मुख्य प्रश्न भ' गेल अछि अस्तित्व-रक्षाक। ललितक कालक जे स्थिति-रेखा छल, वियोगी जीक कथा-यात्रा तकर अतिक्रमण क' गेल अछि। मैथिली कथाक एक जीवन्त परंपरा हिनका एहि कथा-यात्रा मे संग दए रहल छनि आ तकर बोध सँ उद्भासित छथि। परंपरा-बोध आ अपन जीवन-अनुभव दुनू मिलि हिनका आबि तुलाएल संकट सँ लड़बाक ऊर्जा दैत अछि।'
Ichchhayen
- Author Name:
Kumar Ambuj
- Book Type:

-
Description:
मैं कुमार अंबुज की कविताओं का तो प्रशंसक रहा हूँ लेकिन मुझे दूर-दूर तक यह ख़याल नहीं था कि वे कहानी की दुनिया में भी क़दम रखेंगे। क़दम भी ऐसा कि कहानी की परिभाषा ही बदल दी है। ये चित्रों में कही गई कहानियाँ हैं। एक कैमरे की आँख है जो एक-एक बारीक दृश्य को देखती है। भाषा अंबुज की इन कहानियों की सबसे बड़ी ताक़त है जो हर दृश्य की सूक्ष्म परतों को खोलती चली जाती है।
—नामवर सिंह
इन कहानियों की रेंज बहुत व्यापक है, प्राय: ही अपने समय, समाज और जीवन का बहुत कुछ घेरते हुए। छोटे-छोटे उदाहरण या ब्यौरों से कुमार अंबुज क़िस्सागोई की कला को जैसे एक नया आयाम देते हैं। इन्हीं छोटी-छोटी चीज़ों से वे समाज और राष्ट्र की बड़ी चिन्ता से जुड़ते हैं, यहीं से वे भूमंडलीकरण और बाज़ारवाद के बढ़ते संक्रमण के प्रतिवाद और प्रतिरोध के सूत्र उठाते हैं। ये प्रच्छन्न इच्छाएँ ही वस्तुत: एक दुनिया के प्रतिवाद के साथ दूसरी वैकल्पिक दुनिया का संकेत देती हैं। ये गहरे में जाकर मनुष्य को मानवीय बनाने और बने रहने के उद्यम के अंग हैं। कुमार अंबुज की ये कहानियाँ बार-बार पढ़े जाने को उकसाएँगी।
—मधुरेश
ये कहानियाँ हमारे जीवन के बेहद मामूली अनुभवों के बीच से असाधारणता का विरल तत्त्व खोजने का जो साहस दिखाती हैं, वह हिन्दी के सन्दर्भ में बेहद औचक और नया है। समूचे सामाजिक एवं बौद्धिक जीवन में जो ठहराव धीरे-धीरे घर कर रहा है, उसकी तह तक पहुँचने, उसे तोड़ने और उसका सर्जनात्मक विकल्प तैयार करने का महत्त्वपूर्ण काम ये कहानियाँ सहजता और बेहद सादगी के साथ करती हैं। यही इन विलक्षण कहानियों की सबसे बड़ी सफलता भी है।
—जितेन्द्र भाटिया
Aginkhor
- Author Name:
Phanishwarnath Renu
- Book Type:

- Description: हिन्दी भाषा फणीश्वरनाथ रेणु की ऋणी है उस शब्द-सम्पदा के लिए जो उन्होंने स्थानीय बोली-परम्परा से लेकर हिन्दी को दी। नितान्त ज़मीन की ख़ुशबू से रचे शब्दों को खड़ी बोली के फ़्रेम में रखकर उन्होंने ऐसे प्रस्तुत किया कि वे उनके पाठकों की स्मृति में हमेशा-हमेशा के लिए जड़े रह गए। उनके लेखन का अधिकांश इस अर्थ में बार-बार पठनीय है। दूसरे जिस कारण से रेणु को लौट-लौटकर पढ़ना ज़रूरी हो जाता है, वह है उनकी संवेदना और उसे शब्दों में चित्रित करने की उनकी कला। वे भारतीय लोकजीवन और जनसाधारण के अस्तित्व के लिए निर्णायक अहमियत रखनेवाली भावधाराओं को तक़रीबन जादुई ढंग से पकड़ते हैं, और उतनी ही कुशलता से उसे पाठक के सामने प्रस्तुत कर देते हैं। इस संग्रह में ‘अगिनखोर’ के अलावा ‘मिथुन राशि’, ‘अक्ल और भैंस’, ‘रेखाएँ : वृत्तचक्र’, ‘तब शुभ नामे’, ‘एक अकहानी का सुपात्र’, ‘जैव’, ‘मन का रंग’, ‘लफड़ा’, ‘अग्निसंचारक’ और ‘भित्तिचित्र मयूरी’ कहानियाँ शामिल हैं। इन ग्यारह कहानियों में से हर एक कहानी और उसका हर पात्र इस बात का प्रमाण है कि उत्तर भारत, विशेषकर गंगा के तटीय इलाक़ों की ग्राम्य-संवेदना और जीवन को समझने के लिए रेणु का ‘होना’ कितना महत्त्वपूर्ण और ज़रूरी है।
Na Bhoolanewali 100 Kahaniyan
- Author Name:
J.P. Vaswani
- Book Type:

- Description: दादा जे.पी. वासवानी हमेशा से उत्कृष्ट किस्सागो रहे हैं। उनकी अनौपचारिक वार्त्ताओं, प्रवचनों और पुस्तकों में भी पुराणों की कहानियाँ बहुतायत से बिखरी होती हैं, ताकि वे उन बातों को सुस्पष्ट कर सकें, जिन्हें वे चाहते हैं कि हम आत्मसात् कर लें। ये कहानियाँ इतनी यादगार हैं कि एक लंबे समय तक हमारे दिलों में बसी रहती हैं तथा उन संदेशों या जीवन-मूल्यों को हृदयंगम करने में हमारी मदद करती हैं, जिन्हें दादा ने इतने रचनात्मक रूप में हमारे सामने रखा है। इस पुस्तक में, पूज्य दादा की वार्त्ताओं और पुस्तकों से चुनी हुई एक सौ कहानियाँ संगृहीत हैं। प्रत्येक कहानी के साथ आपके द्वारा मनन करने के लिए आदरणीय दादा का या उनका पसंदीदा विचार तथा एक पुस्तक के रूप में व्यावहारिक अभ्यास भी दिया गया है, जो दादा की अपनी विशेषता है, जिसका अनुसरण करके आप लाभान्वित हो सकते हैं। न भूलनेवाली एक सौ रोचक-ज्ञानवर्धक कहानियों का प्रेरणादायक संग्रह।
Achchhe Aadmee
- Author Name:
Phanishwarnath Renu
- Book Type:

- Description: रेणु ने अपने आत्म-कथ्य में चित्रगुप्त महाराज द्वारा निर्मित भाग्य-लेख के अंशों में अपना परिचय देते हुए कहा है कि यह आदमी ‘एक ही साथ सुर और असुर, सुन्दर और असुन्दर, पापी और विवेकी, दुरात्मा और सन्त, आदमी और साँप, जड़ और चेतन—सब कुछ होगा।’ क्या यही परिचय अपने विविध और विस्तृत रूप में उनकी समस्त रचनाओं में नहीं लहरा रहा है? जड़ीभूत सौन्दर्याभिरुचि को गतिशील और व्यापक फ़लक प्रदान करनेवाली रेणु की कहानियों ने हिन्दी कथा-साहित्य को एक नई दिशा दी है—सामाजिक परिवर्तन ही एकमात्र विकल्प है। यह दिशा ही रेणु की रचनाओं की मूल सोच है। बड़े चुपके से कभी उनकी कहानियाँ किसानों और खेत मज़दूरों के कान में कह देती हैं कि ज़मींदारी प्रथा अब नहीं रह सकती और ज़मीन जोतनेवाले की ही होनी चाहिए। कभी मज़दूरों को यह सन्देश देने लगती हैं कि तुम्हारी मुक्ति में ही असली सुराज का अर्थ छिपा है—भूल-भुलैया में पड़ने की जरूरत नहीं। क्या कला, क्या भाषा, क्या अन्तर्वस्तु और विचारधारा, कोई भी कसौटी क्यों न हो, रेणु की कहानियाँ एकदम खरी उतरती हैं, लोगों का रुझान बदल देती हैं और यही रचनात्मक गतिविधि रेणु के साहित्य में उनके अप्रतिम योगदान को अक्षुण्ण बनाती है। ‘अच्छे आदमी’ में संग्रहीत विधित रंगों की ये कहानियाँ रेणु की इसी विशिष्ट रचना-यात्रा का अगला पड़ाव हैं।
NAKAB
- Author Name:
Vinod Ghanshala
- Book Type:

- Description: Collection of Stories
Rajjo Mistri
- Author Name:
Pragya
- Book Type:

- Description: Book
Mahboob Jamana Aur Jamane Mein Ve
- Author Name:
Alpana Mishr
- Book Type:

-
Description:
अल्पना मिश्र हिन्दी कहानी के सूची-समाज में अनिवार्य रूप से शामिल नहीं हैं लेकिन वे उसकी सबसे मज़बूत परम्परा का एक विद्रोही और दमकता हुआ नाम हैं। उन्हें उखड़े और बाज़ार प्रिय लोगों द्वारा सूचीबद्ध नहीं किया जा सका। कहानी का यह धीमा सितारा मिटने वाला, धुँधला होने वाला नहीं है, निश्चय ही यह स्थायी दूरियों तक जाएगा।
अल्पना मिश्र की कहानियों में अधूरे, तकलीफ़देह, बेचैन, खंडित और संघर्ष करते मानव जीवन के बहुसंख्यक चित्र हैं। वे अपनी कहानियों के लिए, बहुत दूर नहीं जातीं, निकटवर्ती दुनिया में रहती हैं। आज, पाठक और कथाकार के बीच की दूरी कुछ अधिक ही बढ़ती जा रही है, अल्पना मिश्र की कहानियों में यह दूरी नहीं मिलेगी। आज बहुतेरे नए कहानीकार प्रतिभाशाली तो हैं पर कहानी तत्व उनका दुर्बल है, वे अपनी निकटस्थ, खलबलाती, उजड़ती, दुनिया को छोड़कर नए और आकर्षक भूमंडल में जा रहे हैं। इस नज़रिये से देखें तो अल्पना मिश्र उड़ती नहीं हैं, वे प्रचलित के साथ नहीं हैं, वे ढूँढ़ती हुई, खोजती हुई, धीमे-धीमे अँगुली पकड़कर लोगों यानी अपने पाठकों के साथ चलती हैं।
‘ग़ैरहाज़िरी में हाज़िर’, ‘गुमशुदा’, ‘रहगुज़र की पोटली’, ‘महबूब ज़माना और ज़माने में वे’, ‘सड़क मुस्तकिल’, ‘उनकी व्यस्तता’, ‘मेरे हमदम मेरे दोस्त’, ‘पुष्पक विमान’ और ‘ऐ अहिल्या’ कहानियाँ इस संग्रह में हैं। इन सभी में किसी-न-किसी प्रकार के हादसे हैं। भूस्खलन, पलायन, छद्म आधुनिकता, जुल्म, दहेज हत्याएँ, स्त्री-शोषण से जुड़ी घटनाएँ अल्पना मिश्र की कहानियों के केन्द्र में हैं। इन सभी कहानियों में लेखिका की तरफ़दारी और आग्रह तीखे और स्पष्ट हैं। वे अत्याधुनिक अदाओं और स्थापत्य के लिए विकल नहीं हैं। उनकी कहानियाँ आलंकारिक नहीं हैं, वे उत्पीड़न के ख़िलाफ़ मानवीय आन्दोलन का पक्ष रखती हैं और इस तरह सामाजिक कायरता से हमें मुक्त कराने का रचनात्मक प्रयास करती हैं। मुझे इस तरह की कहानियाँ प्रिय हैं।
—ज्ञानरंजन
Tuti Ki Aawaz
- Author Name:
Hrishikesh Sulabh
- Book Type:

-
Description:
हृषीकेश सुलभ की कहानियाँ तेज़ी से बदले और बदलते हुए समाज की कहानियाँ हैं। ये कहानियाँ उन कारकों की गहरी और सघन पहचान करती हैं जिनके कारण, आज के समय में, आदमी तुच्छ और अपदार्थ हुआ है। उनकी कहानियाँ पढ़कर प्राय: ही भीष्म साहनी और अमरकान्त की बहुत-सी कहानियाँ याद आती हैं। हृषीकेश सुलभ की कहानियाँ एक ओर यदि राजनीति में मनुष्य की स्थिति और नियति को परिभाषित करती हैं, वहीं वे एक कारक के रूप में साम्प्रदायिकता के उभार को भी पर्याप्त बेधक दृष्टि से देखती हैं।
ये कहानियाँ उनके तीन संग्रहों में छपकर अब एकाग्र रूप से यहाँ संकलित हैं। यहाँ कहानियों का क्रम आगे से पीछे की ओर है—यानी बाद की कहानियाँ पहले दी गई हैं और पहले की बाद में। लेकिन कहानियों के लेखन-प्रकाशन वर्ष की चिन्ता के बिना भी इनके पाठ में कलागत कोई बड़ा अन्तर सामान्यत: पकड़ में नहीं आता। यहाँ किसी लेखक की अभ्यास के लिए लिखित आरम्भिक कहानियों जैसा कुछ नहीं है। इन कहानियों की रेंज बड़ी और व्यापक है—पत्रकारिता, स्त्री-यातना के प्रसंग, रंगमंच की दुनिया, दलित चेतना का उभार आदि से मिलकर इन कहानियों की दुनिया बनती है।
हृषीकेश सुलभ की कहानियों की भाषा अपने पात्रों और उनके परिवेश से गहरे जुड़ी भाषा का उदाहरण है। बिम्ब, प्रतीक और दूसरे काव्योपकरणों के इस्तेमाल में न सिर्फ़ यह कि वे कोई परहेज़ नहीं बरतते, बहुत सजगता से वे इन्हें सहेजते और सँवारते हैं। किरणें यहाँ फुदकती हुई ओसकणों को चुगती हैं। इसी तरह जाड़े की धूप के टुकड़े पक्षियों की तरह फुदकते हैं। इन कहानियों की भाषा की सबसे बड़ी सफलता संवादों में दिखाई देती है। एक दूसरे में घुलती और एकाकार होती ब्योरों और संवाद की यह भाषा इन कहानियों की पठनीयता को आश्चर्यजनक उठान देती है। बदलते हुए समय का अक्स इन कहानियों में एहतियात से रखे गए साफ़ शीशे में झलकते अक्स की तरह देखा और पढ़ा जा सकता है।
—मधुरेश
Ansuni Aawazen
- Author Name:
Harsh Mander
- Rating:
- Book Type:

- Description: भोपाल का गैस कांड, 1984 में दिल्ली और 1989 में भागलपुर में हुए दंगे, ओड़िसा का चक्रवात—ये कुछ घटनाएँ हैं जो हमारी सामूहिक स्मृति का हिस्सा बन चुकी हैं। लेकिन उन लोगों को हम अक्सर भूल जाते हैं जिन्हें वास्तव में इनका शिकार होना पड़ा था। इनके अलावा अन्य लोग भी हैं, मसलन—यौनकर्मी, दलित, सड़कों पर ज़िन्दगी गुज़ारनेवाले बच्चे, एचआईवी और कोढ़ जैसे रोगों के मरीज़ तथा अकालपीड़ित लोग—ये सब भी हमारी स्मृति में अक्सर दाख़िल नहीं हो पाते। ये लोग उस जनसंख्या का हिस्सा हैं जिसे विकास और प्रगति के नाम पर समाज के सबसे बाहरी हाशिये पर धकेल दिया गया है। इस पुस्तक में सामाजिक कार्यकर्ता और प्रशासक हर्ष मन्दर अपने और अपने साथियों के अनुभवों के आधार पर ऐसे ही बीस लोगों की ज़िन्दगियों का लेखा–जोखा पेश करते हैं—उनके संघर्ष का जो उन्होंने जीवित रहने, अपनी जिजीविषा को बचाए रखने के लिए किया। मिसाल के तौर पर बंगलौर के फुटपाथों पर भटकनेवाला वह बच्चा जो अब अपने जैसे दूसरे बच्चों को शिक्षा और रोज़गार पाने के मामले में मार्गदर्शन देता है, या फिर भोपाल गैस कांड में अनाथ हुआ वह ग्यारह वर्षीय किशोर जिसने अपने से छोटे दो बच्चों को पाला, एक युवा यौनकर्मी जिसने हैदराबाद की एचआईवी–पोजिटिव यौनकर्मी महिलाओं के अधिकारों के लिए संघर्ष किया, या फिर वह कुष्ठरोगी जिसने आशाग्राम में कुष्ठ कालोनी की स्थापना में सहायता देकर कोढ़ के कलंक से मुक्ति पाई। ये कहानियाँ सिर्फ़ ज़िन्दा–भर रहने के बारे में नहीं हैं, बल्कि ये सबूत के साथ बताती हैं कि इन लोगों ने किस तरह अपने विनम्र साहस, सहनशीलता और मानवीयता के बल पर परिस्थितियों पर फ़तह हासिल की। अनुभव की उष्ण अन्तर्धारा से सम्पन्न ये कहानियाँ जनसाधारण में निहित रचनात्मकता और जीवट को उजागर करती हैं और उन लोगों को चुनौती देती हैं जो भारत के भविष्य को लेकर निराश हैं।
Do Sakhiyan
- Author Name:
Shivani
- Book Type:

-
Description:
महिला कथाकारों में जितनी ख्याति और लोकप्रियता शिवानी ने प्राप्त की है, वह एक उदाहरण है श्रेष्ठ लेखन के लोकप्रिय होने का। शिवानी लोकप्रियता के शिखर को छू लेनेवाली ऐसी हस्ती हैं, जिनकी लेखनी से उपजी कहानियाँ कलात्मक भी होती हैं और मर्मस्पर्शी भी।
अन्तर्मन की गहरी पर्तें उघाड़नेवाली ये मार्मिक कहानियाँ शिवानी की अपनी मौलिक पहचान हैं जिनके कारण उनका अपना एक व्यापक पाठक वर्ग तैयार हुआ।
इनकी कहानियाँ न केवल श्रेष्ठ साहित्यिक उपलब्धियाँ हैं, बल्कि रोचक भी इतनी हैं कि आप एक बार शुरू करके पूरी पढ़े बिना छोड़ ही न सकेंगे।
प्रस्तुत संग्रह में ‘उपप्रेती’, ‘दो सखियाँ’, ‘चाँचरी’, ‘पाथेय’ एवं ‘बन्द घड़ी’ कहानियाँ संकलित हैं। हर कथा अपनी मोहक शैली में अभिभूत कर देने की अपार क्षमता रखती है।
कलात्मक कौशल के साथ रची गईं ये कहानियाँ हमारी धरोहर हैं जिन्हें आज की नई पीढ़ी अवश्य पढ़ना चाहेगी।
Parantah
- Author Name:
Ram Badan Ray
- Book Type:

- Description: Stories
Download Hote Hain Sapne
- Author Name:
Geeta Shree
- Rating:
- Book Type:

- Description: collection of stories
Beyond the Shores of the River Existentialism
- Author Name:
Munipalle B Raju +1
- Book Type:

- Description: English translation by Nidadavolu Malathi of Sahitya Akademi Award winning Telugu short stories Astitvanadam Aavali Teerana by Munipalle B Raju.
Sach Kahati Kahaniyan
- Author Name:
Kusum Khemani
- Book Type:

-
Description:
कुसुम खेमानी की कहानियों का यह पहला संग्रह हिन्दी कथा-संसार के लिए एक घटना से कम नहीं। सम्भवतः पहली बार इतनी मार्मिक कौटुम्बिक कहानियाँ हिन्दी पाठकों को उपलब्ध हो रही हैं। यह सच कहती कहानियाँ नहीं; बल्कि स्वयं सच हैं; सच का तना रूप। भिन्न-भिन्न सामाजिक स्तरों के प्रसंगों एवं अनुभवों से बुनी गई ये कहानियाँ समकालीन जीवन का एक अद्भुत कसीदा जड़ती हैं। चाहे ‘लावण्यदेवी’ हो या ‘रश्मिरथी माँ’ या ‘एक माँ धरती-सी’, इन सबमें सूक्ष्मता और अन्तरंगता से घर-परिवार के भीतर के जीवन को यथार्थ के साथ अंकित किया गया है।
कुसुम खेमानी भाव से कथा कहती हैं, लोक कथा की तरह। उनकी कहन शैली से पाठक इतना बँध जाता है कि हुंकारी भरे बिना नहीं रह पाता। इन कहानियों की सबसे बड़ी ख़ूबी है इनकी भाषा और शैली। हिन्दी में होते हुए भी ये कहानियाँ एक ही साथ बांग्ला, राजस्थानी और उर्दू का भी विपुल व्यवहार करती हैं जो इन्हें एक महानगरीय संस्कार प्रदान करता है। कुसुम खेमानी के पहले ऐसा प्रयोग शायद कभी नहीं हुआ। इन कहानियों की बुनावट और अन्त भी सहज, किन्तु अप्रत्याशित होता है। हर कहानी अपने आपमें एक स्वतंत्र लोक है।
इस संग्रह के साथ कुसुम खेमानी के रूप में हिन्दी को एक अत्यन्त सशक्त शैलीकार एवं संवेदनशील क़िस्सागो मिला है। निश्चय ही यह संग्रह सहृदय पाठकों एवं साहित्य के अध्येताओं द्वारा अंगीकार किया जाएगा।
—अरुण कमल
Gandh Gatha
- Author Name:
Mrinal Pande
- Book Type:

-
Description:
‘गंध गाथा’ समकालीन हिन्दी साहित्य के अग्रणी कथाकारों में एक मृणाल पाण्डे का नया संग्रह है जिसमें शामिल कहानियाँ देखन और कहन दोनों स्तरों पर न सिर्फ़ हमारे सोच को प्रभावित करती हैं बल्कि मर्म को भी गहरे छूती हैं। ‘गंध गाथा’ की कहानियाँ अपने समय के चाक पर रची गई ऐसी कहानियाँ हैं जिनकी जड़ें बौद्ध और जैन जातक कथाओं के सोतों से भी अपनी नमी हासिल करती हैं, और स्त्री-प्रश्न हो या समाज-सत्ता के अन्य मसले, एक बड़े कैनवस पर एक नए आस्वाद को रचते हैं।
मृणाल जी के इस संग्रह को पाठक उनके शब्दों में इस तरह भी देख सकते हैं—‘‘हर कथा मेरे लिए कहीं न कहीं टुकड़ा-टुकड़ा मिले जीवन-ज्ञान के बीच सचाई की घनचक्करी तलाश है।...केदारघाटी का हादसा, पार्टीशन की विभीषिका, मनुष्य और पशु के बीच का शब्दहीन प्रेम और बतकही, इनकी बाबत मोटामोटी हम सब जानते हैं। पर इस संकलन की कथाओं में जहाँ, जिस तरह और जिस लिए कुदरत और व्यक्तित्वों के पास-पास सरकने से जो कई तरह के ब्रह्मांड टूटते, मिलते और दूर होते दिखते थे, उनका पीछा मेरे लिए अधिक महत्त्व रखता रहा है। इनमें कई बार जीवन के गहरे लेकिन अनुत्तरित प्रश्नों के छोर पर, जवाब की जो-जो सम्भावनाएँ झिलमिल करती मुझे दिखी हैं, उनका चित्रण सरलीकृत रिपोर्टिंग के परे कहीं अधिक महत्त्व का है।’’
हम कह सकते हैं कि ‘गंध गाथा’ एक ऐसा संग्रह है जिसमें रचित लोक अपनी चिन्ताओं से अवगत तो कराता ही है, अपने चिन्तन से समृद्ध भी करता है।
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...