A Journey with My Soulmate
Author:
Arjun Ram MeghwalPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
EnglishCategory:
General-non-fiction0 Reviews
Price: ₹ 320
₹
400
Available
According to the Indian philosophy, wedding is one of the 16 important samskaras of the human life. The marital life begins with this samskar, and a man gets a companion and friend for life. It is the nature of the life partner during various stages of life that takes a man to the pinnacles of success. When he looks back at his journey, he finds that it was his wife who has made remarkable contributions at every turn.
I, too, have the same feelings. As I moved ahead in life traversing through my childhood and adolescence, going through the complexities of the marital life and witnessing the ups and downs of the household I find that if anyone has played an important role in my achievements, it is my wife Pana Devi.
Starting from the golden sand dunes and passing through the turbulences of life, I couldn't have achieved any success without the whole-hearted dedication and commitment of my wife.
With my love and gratitude, I dedicate this book to my life partner, my soulmate
ISBN: 9789355625533
Pages: 112
Avg Reading Time: 4 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: कवि-आलोचक पंकज चतुर्वेदी की पुस्तक ‘आँसू और रौशनी’ दरअस्ल दो कवियन की वार्ता है। यह रूखा-सूखा साक्षात्कार नहीं, वरन् दो संवेदनशील सृजनधर्मियों का संवाद है; जिसमें हम अपने प्रिय साथी कलाकार से वह सब बाँट लेना चाहते हैं, जो हमें रसज्ञ की तरह अभिभूत करता है। आलोकधन्वा जैसे ख़ामोश कवि को थोड़ा-बहुत खोलना भी धैर्य, धृति और साधना की माँग करता है। पंकज ने वे एकान्त क्षण पकड़े, जब आलोक संवाद की सृजन-चेतना में जाग्रत थे। उनकी वह भीगी भावप्रवण आवाज़ इस पुस्तक में सुनाई दे रही है, जो घास के एक तिनके का भी कम्पन पहचान लेती है। पंकज चतुर्वेदी आलोकधन्वा की विह्वलता, वाग्वैभव और तरलता को ज्यों-का-त्यों हम तक लेकर आए हैं इस अनूठी पुस्तक में। संवाद दो कवियों का परस्पर मिलना भी है और खुलना भी। वे जीवन-संग्राम से बच नहीं रहे, उसी में रहते हुए रच रहे हैं। पंकज चतुर्वेदी की युवा उत्कंठाओं को पहचानते हुए आलोकधन्वा उन्हें अपने सृजन-कक्ष की मेज़ तक ले जाकर दिखा देते हैं और कहते हैं, “अच्छे लोग वही हुए, जो अन्याय के ख़िलाफ़ लड़े, उनसे ख़ूबसूरत कोई नहीं है।” एक ऐसे समय में, जब संवाद मन्थर पड़ रहा है, ‘आँसू और रौशनी’ के प्रकाशन का स्वागत है। —ममता कालिया, कथाकार
Prakriti Ka Dwandwavad
- Author Name:
Friedrich Engels
- Book Type:

-
Description:
उन्नीसवीं सदी के आरंभ में, और उससे भी अधिक मध्यकाल में, गणित, ज्योतिष, भौतिकी, रसायन तथा जीव-विज्ञान के क्षेत्र में आविष्कारों और उपलब्धियों का एक तांता-सा लग गया था। नए तथ्यों और प्राकृतिक नियमों की स्थापना हुई, नए सिद्धांतों तथा नई परिकल्पनाओं का बीजारोपण हुआ, और विज्ञान के नए उपांग अस्तित्व में आए।
एंगेल्स ने दिखाया कि प्राकृतिक विज्ञान की उस विजय-यात्रा में तीन सर्वोपरि उत्कर्ष हैं–जैव कोशिका की खोज, ऊर्जा की अविनाशिता, रूपांतरण के नियम की खोज और डार्विनवाद। सन् 1838 तथा 1839 ई. में मत्थियस याकोब श्लेईडैन और थियौडोर श्वान ने वनस्पति एवं पशु कोशिकाओं की एकरूपता सिद्ध की। उन्होंने सिद्ध किया कि कोशिका जीवधारियों की मूल रचना-इकाई है, और उन्होंने आंगिक संरचना के एक सांगोपांग कोशिका सिद्धांत की स्थापना की। इस प्रकार उन्होंने जीव-जगत की एकता को प्रमाणित किया। सन् 1842 और 1847 के बीच के काल में जुलियस मायर, जैम्स जूल, विलियम ग्रोव, एल.ए. कोल्डिंग और हरमान हैल्महोल्ट्ज ने ऊर्जा की अविनाशिता तथा रूपांतरण के नियम की खोज करके इसे प्रमाणित किया। परिणामतः प्रकृति का उद्घाटन एक ऐसी अविरत प्रक्रिया के रूप में हुआ जिसमें द्रव्य की एक प्रकार की सर्वव्यापी गति दूसरे प्रकार में बदलती रहती है। 'प्रकृति का द्वंद्ववाद' में जिन विषयों का समावेश है, उनकी रचना एंगेल्स ने 1873 से 1886 ई. तक के काल में की थी। प्रकृति विज्ञान के इतिहास, विशेषतः पुनर्जागरण से उन्नीसवीं सदी के मध्यकाल तक के इतिहास से, पर्याप्त साक्ष्य लेकर एंगेल्स ने दर्शाया है कि प्रकृति विज्ञान का विकास अंततोगत्वा व्यावहारिक आवश्यकताओं से, उत्पादन से, निर्धारित होता है।
हिन्दी में इस पुस्तक की लम्बे समय से प्रतीक्षा थी लेकिन इसके जटिल पाठ के चलते किसी ने इसके अनुवाद का साहस नहीं किया। विज्ञान और प्रगतिशील सोच के हिमायती गुणाकर मुळे ही ऐसे व्यक्ति थे, जो इस पुस्तक की अहमियत को समझते थे और अनुवाद में इसके साथ न्याय कर सकते थे! कुछ पृष्ठों का जो अनुवाद वे किसी कारणवश नहीं कर पाए थे, वह बाद में कराया गया और पूरी पांडुलिपि को व्यवस्थित किया गया। इस पूरी प्रक्रिया में और पांडुलिपि को प्रकाशन योग्य स्थिति तक लाने में श्रीमती शांति गुणाकर मुळे की भूमिका उल्लेखनीय रही है।
आधारभूत मार्क्सवादी साहित्य में रुचि रखने वाले पाठकों के लिए यह पुस्तक अमूल्य है।
The Stranger
- Author Name:
Albert Camus
- Book Type:

- Description: अल्बेयर कामू कामू का जन्म 7 नवंबर, 1913 को फ्रांस के तत्कालीन उपनिवेश अल्जी़रिया के मांडोवी नामक नगर में हुआ था। आधुनिक फ्रेंच साहित्य के वे प्रमुख हस्ताक्षर और चिन्तक थे। उनके और ज्याँ-पाल सार्त्र के बीच हुई बहस को बीसवीं शताब्दी की सबसे महत्त्वपूर्ण साहित्यिक-वैचारिक बहसों में शुमार किया जाता है। उन्हें 1957 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया था। उपन्यास: प्लेग, सुखी मृत्यु, वह पहला आदमी निर्वासन और आधिपत्य। कहानी-संग्रह: कालिगुला, न्यायप्रिय, अर्थदोष (नाटक) उनकी चर्चित कृतियाँ हैं। कामू के तर्क बिखरे हुए ज़रूर थे लेकिन व्यवहारिक थे इसीलिए किसी सैद्धांतिक पार्टीबद्धता में उनका मन नहीं लगा। दरअसल वे स्वभाव से पार्टीबद्ध व्यक्ति थे ही नहीं। संभवतः इसी कारण वे अल्जीरिया के श्रमिकों और आदिवासी-मुसलमानों के साथ दिली रिश्ता क़ायम कर सके। 1960 को कार दुर्घटना में उनकी 47 साल की आयु में मृत्यु हो गई।
Azadi
- Author Name:
Arundhati Roy
- Book Type:

- Description: आज़ादी—कश्मीर में आज़ादी के संघर्ष का नारा है, जिससे कश्मीरी उस चीज़ की मुख़ालफ़त करते हैं जिसे वे भारतीय क़ब्ज़े के रूप में देखते हैं। विडम्बना ही है कि यह भारत की सड़कों पर हिन्दू राष्ट्रवाद की परियोजना की मुख़ालफ़त करनेवाले लाखों अवाम का नारा भी बन गया। आज़ादी की इन दोनों पुकारों के बीच क्या है–क्या यह एक दरार है या एक पुल है? इस सवाल के जवाब पर ग़ौर करने का वक़्त अभी आया ही था कि सड़कें ख़ामोश हो गईं। सिर्फ़ भारत ही नहीं, पूरी दुनिया की सड़कें। कोविड–19 के साथ आई आज़ादी की एक और समझ, जो कहीं ख़ौफ़नाक थी। इसने मुल्कों के बीच सरहदों को बेमानी बना दिया, सारी की सारी आबादियों को क़ैद कर दिया और आधुनिक दुनिया को इस तरह ठहराव पर ला दिया जैसा कभी नहीं देखा गया था। रोमांचित कर देनेवाले इन लेखों में अरुंधति रॉय एक चुनौती देती हैं कि हम दुनिया में बढ़ती जा रही तानाशाही के दौर में आज़ादी के मायनों पर ग़ौर करें। इन लेखों में, हमारे बेचैन कर देनेवाले इस वक़्त में निजी और सार्वजनिक ज़ुबानों पर बात की गई है, बात की गई है क़िस्सागोई और नए सपनों की ज़रूरत की। रॉय के मुताबिक़, महामारी एक नई दुनिया की दहलीज़ है। जहाँ आज यह महामारी बीमारियाँ और तबाही लेकर आई है, वहीं यह एक नई क़िस्म की इंसानियत के लिए दावत भी है। यह एक मौक़ा है कि हम एक नई दुनिया का सपना देख सकें। आज के समय में जब समाज को बाँटने और नफ़रत की राजनीति मज़बूत हो रही है, ऐसे में लेखिका विचार करती हैं कि क़िस्सागोई और भाषा की भूमिका कितनी अहम है। किताब का ख़ास हिस्सा नए नागरिकता क़ानून (सीएए) और एनपीआर-एनसीआर के बारे में है, और इनके ख़िलाफ़ आंदोलनों के बारे में भी। लेखिका ने इस राजनीति और बँटे हुए समाज में कोरोना महामारी के मायने और प्रभाव को एक गहरी नज़र से देखने की कोशिश की है। एक उपन्यासकार के रूप में लेखिका ने अपने दोनों उपन्यासों को सोचने और उन्हें लिखने की प्रक्रिया पर विस्तार से लिखा है। साथ ही एक निबंध लेखक के रूप में अपने काम पर भी एक निगाह डाली है। अनुवाद ऐसा जैसे किताब मूल हिन्दी में लिखी गई हो।.
Asha
- Author Name:
Devdutt Pattanaik +1
- Book Type:

- Description: आयुष्यात सकारात्मकता कशी शोधायची हे सांगत आहेत पुराणांचे प्रख्यात अभ्यासक.आयुष्यातून आशेचं अस्तित्वच नाहीसं झाल्यासारखं वाटतंय? सगळं जग ओसाड आणि निर्दय झाल्यासारखं वाटतंय? कोविडच्या संकटात आपल्यापैकी अनेकांनी कुटुंबातल्या व्यक्ती, मित्र, सहकारी गमावले. या विध्वंसक हानीतून बाहेर कसं येणार? अवतीभवती सर्वत्र क्रोधाचं आणि हिंसक वातावरण आहे. चहूबाजूंनी दररोज वाईट बातम्या येताहेत. कधी ढासळणाऱ्या अर्थव्यवस्थेच्या, तर कधी हवामान बदलाच्या. कुठेतरी पळून जावंसं वाटतंय? पैशाची, कुटुंबाची आणि भवितव्याची चिंता सतावतेय? अशा संक्रमण काळात आपल्याला भावनांवर नियंत्रण मिळवण्यात आणि काळोखातून प्रकाशाकडे जाण्याची वाट शोधण्यात मदत करणारं हे पुस्तक. आपल्या महाकाव्यांमधल्या कथा आणि हिंदू, बौद्ध, जैन, इस्लाम धर्मांतल्या संकल्पना यांचा वापर करून आयुष्याकडे बघण्याची नवीन दृष्टी लेखक आपल्याला या पुस्तकातून देतात. इतकंच नाहीतर नैराश्यामध्ये आशेचा अंकुर शोधण्यासाठी सुसज्ज करतात. चालना आणि उत्तेजन देणारी ही ‘आशा' आपला दृष्टिकोन बदलून टाकेल आणि पुन्हा एकदा मार्ग शोधण्यात मदत करेल. Asha | Devdutt Pattanaik Translated By : Sayalee Paranjpe आशा | देवदत्त पट्टनायक अनुवाद : सायली परांजप
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