Pracheen Bharat Mein Vigyan
Author:
Gunakar MuleyPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Science0 Reviews
Price: ₹ 396
₹
495
Available
विज्ञान की दृष्टि से प्राचीन भारत विश्व के अग्रणी देशों में रहा है। चिकित्सा के क्षेत्र में ‘चरक-संहिता’ और ‘सुश्रुत-संहिता’ के साथ-साथ संसार-भर में प्रचलित शून्य पर आधारित दाशमिक स्थानमान अंक-पद्धति इसका प्रमाण है। धातुकर्म के क्षेत्र में, दिल्ली में कुतुब मीनार के निकट स्थित सोलह सौ वर्ष पुराना लौह-स्तम्भ भी प्राचीन भारत की वैज्ञानिक चेतना का ज्वलन्त उदाहरण है।
यह पुस्तक विज्ञान-विषयों के अग्रणी लेखक गुणाकर मुळे की ओर से भारतीय वैज्ञानिक चेतना के प्रति एक कृतज्ञता-ज्ञापन है। विज्ञान की जटिल गुत्थियों को सरल शब्दों में जन-जन तक पहुँचाने की मुहिम में जीवन-भर कटिबद्ध रहे श्री मुळे ने इस पुस्तक में वेदों में वैज्ञानिक अवधारणाओं से लेकर प्राचीन भारत में गणित के विकास, आयुर्वेद के उद्भव और उन्नयन के साथ-साथ वराहमिहिर और नागार्जुन आदि वैज्ञानिकों के अवदान पर प्रकाश डाला है। भारत में प्लास्टिक सर्जरी के इतिहास पर पुस्तक में एक स्वतंत्र अध्याय रखा गया है।
इसके अलावा परिशिष्ट में प्राचीन भारत से सम्बन्धित प्रमुख तिथियों का संकलन किया गया है, जिनसे इस देश की वैज्ञानिक चेतना के विकास का एक समग्र मानचित्र हमारे सामने आ जाता है।
ISBN: 9788126722716
Pages: 128
Avg Reading Time: 4 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Ath Shree Jeen Katha
- Author Name:
Narsingh Dayal
- Book Type:

- Description: बैंगन के पौधे में बैंगन ही क्यों, टमाटर क्यों नहीं? ख़रगोश से ख़रगोश ही क्यों पैदा होता है? कौए काले ही क्यों होते हैं, उजले क्यों नहीं? —सभ्यता के आरम्भ काल से ही ऐसे कई सवालों से मनुष्य टकराता रहा है। ‘अथ श्री जीन कथा’ पुस्तक आनुवंशिक विज्ञान के ऐसे तमाम सवालों का जवाब व्याख्या सहित देती है। बीसवीं सदी की शुरुआत में ग्रिगोर मेंडल द्वारा प्रतिपादित आनुवंशिकी आज एक सम्पूर्ण और प्रौढ़ विज्ञान बन चुकी है। मात्र सौ सालों के अल्पकालिक इतिहास में ही इस विज्ञान ने आणविक जीव विज्ञान, जैव-प्रौद्योगिकी और जीनोमिकी जैसे नए विज्ञानों को जन्म दे दिया है। नरसिंह दयाल के अथक श्रम की सुफल यह पुस्तक जीन विज्ञान की ऐतिहासिक कथा-यात्रा को हमारे सामने प्रस्तुत करती है। यात्रा के प्रमुख पड़ावों को इसमें समाहित किया गया है। विषय को बीस अध्यायों में विभक्त किया गया है जिनमें जीन-कथा को लेखक ने क़िस्से और कहानी की शैली में कहने का सफल प्रयास किया है। हालाँकि ये बीस कहानियाँ नहीं, कहानियों जैसी ज़रूर हैं, जिन्हें लेखक ने अत्यन्त सरल और प्रवाहमयी भाषा में लिखा है।
Taaron Bhara Aakash
- Author Name:
Gunakar Muley
- Book Type:

-
Description:
गुणाकर मुळे ने विज्ञान के अनेक विषयों पर लगातार लिखा और इसके लिए एक भाषा भी तैयार की, जिसमें कठिन से कठिन अवधारणा को स्पष्ट किया जा सके। उनका उद्देश्य सिर्फ़ वैज्ञानिक जानकारियों का सम्प्रेषण नहीं था, वे हिन्दी समाज में सोच और व्यवहार के स्तर पर वैज्ञानिक चेतना और दृष्टि की स्थापना करना चाहते थे। विभिन्न विषयों पर उनकी पुस्तकों को इसी नज़रिए से पढ़ना चाहिए।
‘तारों भरा आकाश’ समाज में व्याप्त ज्योतिष-सम्बन्धी अन्धविश्वासों को पाठकों के मन से दूर करने के लिए लिखी गई पुस्तक है। इसमें आकाश के विषय में विस्तार से जानकारी दी गई है।
पुस्तक को आद्योपांत पढ़ने के बाद शायद ही पाठक के मन में किसी अन्धविश्वास के लिए जगह बाक़ी रहेगी। आकाशगंगा, विभिन्न तारों, तारामंडलों, ज्योतिष वास्तव में क्या हैं, भारत के प्रसिद्ध गणितज्ञ-ज्योतिषी, उल्का-वृष्टि, और इन सबसे जुड़ी किंवदन्तियों की जानकारी देते हुए पुस्तक में परिशिष्ट के तहत खगोल-विज्ञान का इतिहास, तारा-मंडलों की सूची, राशि नाम और खगोलीय जगत को समझने के लिए पारिभाषिक शब्दावली आदि सहयोगी सामग्री भी दी गई है। आकाश जिसे हम खुली आँखों से एक रहस्यलोक की तरह देखते हैं, इस पुस्तक को पढ़ने के बाद हमें और दिलचस्प लगने लगता है।
Rocket Ki Kahani
- Author Name:
Gunakar Muley
- Book Type:

- Description: आतिशबाज़ी में या त्योहारों के अवसरों पर जिन ‘राकेटों’ को उड़ाया जाता है, उनका आविष्कार सदियों पहले हुआ था। मनोरंजन करनेवाले इन छोटे राकेटों में और आदमी को चन्द्रमा तक पहुँचानेवाले आज के भीमकाय राकेटों में सिद्धान्तत: कोई अन्तर नहीं है। आतिशबाज़ी के ‘राकेट’ भी निर्वात में यात्रा कर सकते हैं लेकिन वह इतना शक्तिशाली नहीं होते, इसलिए कुछ मीटर ऊपर जाकर नीचे आ गिरते हैं, परन्तु अब ऐसे राकेट बन चुके हैं जो पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र को लाँघते हुए बाह्य अन्तरिक्ष तक पहुँच जाते हैं। यही एक राकेट-यान है जो अन्तरिक्ष में यात्रा कर सकता है। इसी मानव-निर्मित यान ने अन्तरिक्ष-यात्रा के युग का उद्घाटन किया है। राकेट-यान ने धरती के मानव को चन्द्रमा तक पहुँचाया है। निकट भविष्य में यह यान आदमी को सौर-मंडल के सभी ग्रहों तक पहुँचा देगा, और आगे यही यान आदमी को दूसरे तारों के ग्रहों तक या आकाशगंगाओं की दूरस्थ सीमाओं तक भी लेकर जा सकता है। श्री मुळे ने पी.एस.एल.वी. राकेट-यान शृंखला तक के विकास, निर्माण और उन्हें अन्तरिक्ष में छोड़े जाने की कहानी को इस पुस्तक में बड़ी ही रोचक और सरल भाषा में लिखा है और राकेट विज्ञान के तमाम सैद्धान्तिक तथा व्यावहारिक पहलुओं से पाठकों को अवगत कराया है।
Aapeshikta Siddhant Kya Hai
- Author Name:
Lev Landau & yuri Rumer
- Book Type:

- Description: महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टाइन (1879-1955 ई.) द्वारा प्रतिपादित आपेक्षिकता-सिद्धान्त को वैज्ञानिक चिन्तन की दुनिया में एक क्रान्तिकारी खोज की तरह देखा जाता है। इस सिद्धान्त ने विश्व की वास्तविकता को समझने के लिए एक नया साधन तो प्रस्तुत किया ही है, मानव चिन्तन को भी गहराई से प्रभावित किया है। अब द्रव्य, गति, आकाश और काल के स्वरूप को नए नज़रिए से देखा जा रहा है। सन् 1905 में ‘विशिष्ट आपेक्षिकता’ का पहली बार प्रकाशन हुआ, तो इसे बहुत कम वैज्ञानिक समझ पाए थे, इसके बहुत-से निष्कर्ष पहेली जैसे प्रतीत होते थे। आज भी इसे एक ‘क्लिष्ट’ सिद्धान्त माना जाता है। लेकिन इस पुस्तक में आपेक्षिकता के सिद्धान्त को, गणितीय सूत्रों का उपयोग किए बिना, इस तरह प्रस्तुत किया गया है कि इसकी महत्त्वपूर्ण बातों को सामान्य पाठक भी समझ सकते हैं। संसार की कई प्रमुख भाषाओं में अनूदित इस पुस्तक के लेखक हैं, ‘नोबेल पुरस्कार’ विजेता प्रख्यात भौतिकवेत्ता लेव लांदाऊ और उनके सहयोगी यूरी रूमेर। परिशिष्ट में इनका जीवन-परिचय भी दिया गया है। इतिहास-पुरातत्त्व और वैज्ञानिक विषयों के सुविख्यात लेखक गुणाकर मुळे ने सरल भाषा में इस पुस्तक का अनुवाद किया है। कई वैज्ञानिक शब्दों और कथनों को स्पष्ट करने के लिए अनुवादक ने पाद-टिप्पणियाँ भी दी हैं। साथ ही, परिशिष्ट में ‘विशिष्ट शब्दावली’ तथा ‘पारिभाषिक शब्दावली’ के अलावा अल्बर्ट आइंस्टाइन की संक्षिप्त जीवनी भी जोड़ी गई है, चित्रों सहित। हिन्दी माध्यम से ज्ञान-विज्ञान का अध्ययन करनेवाले पाठकों के लिए आपेक्षिकता सिद्धान्त के शताब्दी वर्ष में यह पुस्तक एक अनमोल उपहार की तरह है।
Janane ki Batein (Vol. 3)
- Author Name:
Deviprasad Chattopadhyay
- Book Type:

- Description: Janane ki Batein (Vol. 2)
Antariksha Yatra
- Author Name:
Gunakar Muley
- Book Type:

- Description: विज्ञान के क्षेत्र में अन्तरिक्ष-अनुसन्धान सदैव ही उत्सुकता का विषय रहा है। पाठक इस विषय की मूलभूत और सैद्धान्तिक बातों को सहज-सरल तरीक़े से समझना चाहते रहे हैं। उनकी उत्सुकता के विषय आम तौर पर यह रहते हैं कि अन्तरिक्षयान पृथ्वी से चन्द्र, मंगल या शुक्र तक किस प्रकार पहुँचते हैं? राकेट किस प्रकार बनता है और यह कैसे कार्य करता है? राकेट में किन ईंधनों का इस्तेमाल होता है? राकेट-यानों को पार्थिव कक्षाओं में किस प्रकार स्थापित किया जाता है? ऊपर अन्तरिक्ष में भार-रहित अवस्था का निर्माण क्यों होता है? भविष्य में दूर के ग्रहों तथा नज़दीक के तारों तक की यात्राएँ कैसे सम्पन्न होंगी? इत्यादि। अपनी 'अन्तरिक्ष-यात्रा’ पुस्तक में प्रसिद्ध विज्ञान लेखक गुणाकर मुळे ने इन सारे प्रश्नों के साथ-साथ 'महिला अन्तरिक्ष-यात्री’, 'अन्तरिक्ष में भारत के बढ़ते क़दम’, 'अन्तरिक्ष में हथियारों की होड़’ जैसे विषयों की भी गहराई से पड़ताल की है, ताकि पाठक अन्तरिक्ष के हर एक पहलू से ठीक-ठीक अवगत हो सकें। पुस्तक में बहुत-से चित्र हैं, जो इस विषय की कई सूक्ष्म बातों को समझने में सहायक सिद्ध होंगे। विषय को ऐतिहासिक पृष्ठभूमि में प्रस्तुत किया गया है, ताकि पाठकों को विकास की भी जानकारी मिल सके, इसलिए परिशिष्ट में 'अन्तरिक्ष-यात्रा विज्ञान का संक्षिप्त विकासक्रम’ अध्याय विशेष महत्त्व का बन पड़ा है। साथ ही, विषय से सम्बन्धित 'हिन्दी-अंग्रेज़ी पारिभाषिक शब्दावली’ होने से पाठक अतिरिक्त रूप से लाभान्वित हो सकेंगे। अन्तरिक्ष-यात्रा के सैद्धान्तिक और ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में ठोस आधार पर लिखी गई यह पुस्तक पाठकों के साथ-साथ शोधार्थियों और अध्येताओं के लिए भी उपयोगी सिद्ध होगी।
Aakash Darshan
- Author Name:
Gunakar Muley
- Book Type:

- Description: धरती का मानव हज़ारों सालों से आकाश के टिमटिमाते दीपों को निहारता आया है। सभी के मन में सवाल उठते हैं—आकाश में कितने तारे हैं? पृथ्वी से कितनी दूर हैं? कितने बड़े हैं? किन पदार्थों से बने हैं? ये सतत क्यों चमकते रहते हैं? तारों के बारे में इन सवालों के उत्तर आधुनिक काल में, प्रमुख रूप से 1920 ई. के बाद, खोजे गए हैं; इसलिए भारतीय भाषाओं में सहज उपलब्ध भी नहीं हैं। प्रख्यात विज्ञान-लेखक गुणाकर मुळे ने इस भारी अभाव की पूर्ति के लिए ही प्रस्तुत ग्रन्थ की रचना की है। आधुनिक खगोल-विज्ञान में आकाश के सभी तारों को 88 तारामंडलों में बाँटा गया है। गुणाकर मुले ने हर महीने आकाश में दिखाई देनेवाले दो-तीन प्रमुख तारामंडलों का परिचय दिया है। साथ में तारों की स्पष्ट रूप से पहचान के लिए भरपूर स्थितिचित्र भी दिए हैं। बीच-बीच में स्वतंत्र लेखों में आधुनिक खगोल-विज्ञान से सम्बन्धित विषयों की जानकारी है, जैसे—आकाशगंगा, रेडियो-खगोल-विज्ञान, सुपरनोवा, विश्व की उत्पत्ति, तारों की दूरियों का मापन आदि। तारामंडलों के परिचय के अन्तर्गत सर्वप्रथम इनसे सम्बन्धित यूनानी और भारतीय आख्यानों की जानकारी है। उसके बाद तारों की दूरियों और उनकी भौतिक स्थितियों के बारे में वैज्ञानिक सूचनाएँ हैं। ग्रन्थ में तारों से सम्बन्धित कुछ उपयोगी परिशिष्ट और तालिकाएँ भी हैं। अन्त में तारों की हिन्दी-अंग्रेज़ी नामावली और शब्दानुक्रमणिका है। संक्षेप में कहें तो ‘आकाश-दर्शन’ एक ओर हमें धरती और इस पर विद्यमान मानव-जीवन की परम लघुता का आभास कराता है, तो दूसरी ओर विश्व की अति-दूरस्थ सीमाओं का अन्वेषण करनेवाली मानव-बुद्धि की अपूर्व क्षमताओं का भी परिचय कराता है। ‘आकाश दर्शन’ वस्तुतः विश्व-दर्शन है।
Urja Sankat Aur Hamara Bhavishya
- Author Name:
Gunakar Muley
- Book Type:

-
Description:
वर्तमान ऊर्जा-संकट का प्रभाव समाज के सभी वर्गों पर पड़ रहा है। कोयले और तेल की कमी से किसानों, कारख़ानों और घरेलू उपयोग के लिए बिजली का नियमित मिलना कठिन हो गया है। आज साधारण जन यह जानने के लिए उत्सुक है कि इस संकट का निवारण कब और कैसे होगा?
खनिज तेल की कमी और उसके मूल्यों में अत्यधिक वृद्धि के कारण हमें सौर-ऊर्जा, परमाणु-ऊर्जा, तप्तकुंड-ऊर्जा, ज्वार-भाटा तथा पवन-ऊर्जा की ओर ध्यान देना होगा, क्योंकि ऊर्जा के ये स्रोत सस्ते तथा न ख़त्म होनेवाली ऊर्जा हैं। बिजली हमारी मूलभूत आवश्यकता है, मगर जिस रफ़्तार से इसकी खपत हो रही है, उस हिसाब से भविष्य में हम इससे वंचित हो सकते हैं।
प्रसिद्ध विज्ञान-लेखक गुणाकर मुळे की यह पुस्तक ऊर्जा के विभिन्न स्रोतों की आधारभूत जानकारी देती है, और बताती है कि इस समय ऊर्जा उत्पादन और संरक्षण को लेकर भारत की क्या स्थिति है? ऊर्जा के नए स्रोत क्या हो सकते हैं? सूर्य, जल, वायु और परमाणु आदि स्रोतों से ऊर्जा प्राप्त करने की दिशा में क्या कोशिशें की जा रही हैं, यह पुस्तक ऐसे तमाम प्रश्नों का उत्तर देने का प्रयास करती है।
Disruptive Geology Science
- Author Name:
Dr.Sanjay Rout
- Book Type:

- Description: In Disruptive Geology Science: A Global Perspective ,Dr .Sanjay Rout explains his findings through vivid descriptions of case studies from all over the world where he has studied different types of disruptive events related to geologic changes occurring within regions affected by them first hand including Japan’s 2011 Fukushima Daiichi nuclear disaster resulting from seismic activity causing catastrophic damage throughout its surrounding areas; India’s 2004 tsunami event triggered off Indian Ocean coasts due to shifts along tectonic plates beneath sea levels; USA's Yellowstone National Park experiencing frequent earthquakes since 2017 leading up towards potential volcanic eruption scenarios near future dates etc., just some examples among many others included inside this book providing readers with comprehensive overview regarding current state affairs when it comes down dealing with disruptive phenomena associated Earth Sciences field work nowadays worldwide! Overall , Disruptive Geology Science is an essential read for anyone interested in understanding more about what causes geological disturbances on planet Earth - whether naturally occurring ones (such volcanoes) man made ones (like fracking), & their implications upon nearby communities living close proximity sites where these events take place – so we may better prepare ourselves against any risks posed them time goes one way direction only forward cannot go back ! The author does excellent job presenting complex topics easy understand manner allowing readers gain valuable insight into realm earth sciences critical importance sustainable development global scale going further ahead next century beyond.
Parmanu Vigyan Ke Badhte Charan
- Author Name:
Gunakar Muley
- Book Type:

- Description: परमाणु, जीवन का भी स्रोत हो सकता है, और विनाश का भी। मनुष्य ने उसे ऊर्जा के उत्पादन के लिए प्रयोग किया है तो बमों के रूप में इस ऊर्जा का विनाशकारी संचयन भी किया है जो एक ही बार में समूची पृथ्वी और जीव-जगत को नष्ट कर सकता है। विज्ञान-लेखक गुणाकर मुळे की यह पुस्तक परमणु की खोज, उसके इतिहास और संभावनाओं के बारे में तथ्यपरक जानकारी देते हुए उन सवालों पर भी विचार करती है जो परमाणु के ग़ैर जिम्मेदार इस्तेमाल के सन्दर्भ में हमारी स्थायी चिन्ता बने हुए हैं। विश्व के मौजूदा हालात को देखते हुए आज यह और भी ज़रूरी हो गया है कि 'परमाणु क्या है' से लेकर 'परमाणु क्या कर सकता है' तक के सभी पहलुओं की जानकारी बतौर एक जिम्मेदार नागरिक हमारे पास हो। यह पुस्तक यही करती है। न सिर्फ़ परमाणु, बल्कि उसकी आन्तरिक संचरना के बारे में अब तक की खोजों की विस्तृत पड़ताल करते हुए उन वैज्ञानिकों के बारे में यहाँ हमें पर्याप्त सूचनाएँ प्राप्त होती है जिन्होंने इस पर काम किया। भारत के प्राचीन ऋषि कणाद को भी मुळे जी चिन्तकों की उसी परम्परा में मानते हैं। उनका नाम ही 'कणाद' इसलिए पड़ा था कि उन्होंने सबसे पहले यह कल्पना की थी कि संसार का सब कुछ अत्यन्त छोटे-छोटे कणों से निर्मित है। छात्रों और सामान्य पाठकों के लिए सरल और सुग्राह्य भाषा में लिखित यह पुस्तक परमाणु विज्ञान की वृहत्तर समझ प्रदान करती है।
Brahmanda Parichaya
- Author Name:
Gunakar Muley
- Book Type:

- Description: अपने अस्तित्व के उषःकाल से ही मानव सोचता आया है—आकाश के ये टिमटिमाते दीप क्या हैं? क्यों चमकते हैं ये? हमसे कितनी दूर हैं ये? सूरज इतना तेज़ क्यों चमकता है? कौन-सा ईंधन जलता है उसमें? आकाश का विस्तार कहाँ तक है? कितना बड़ा है ब्रह्मांड? कैसे हुई ब्रह्मांड की उत्पत्ति और कैसे होगा इसका अन्त? क्या ब्रह्मांड के अन्य पिंडों पर भी धरती जैसे जीव-जगत् का अस्तित्व है? इस विशाल विश्व में क्या हमारे कोई हमजोली भी हैं, या कि सिर्फ़ हम ही हम हैं? इन सवालों के उत्तर प्राप्त करने के लिए सहस्राब्दियों तक आकाश के ग्रह-नक्षत्रों की गति-स्थिति का अध्ययन किया जाता रहा। विश्व के नए-नए मॉडल प्रस्तुत किए गए। परन्तु विश्व की संरचना और इसके विविध पिंडों के भौतिक गुणधर्मों के बारे में कुछ सही जानकारी हमें पिछले क़रीब दो सौ वर्षों से मिलने लगी है। इसमें भी सबसे ज़्यादा जानकारी पिछली सदी के आरम्भ से और फिर अन्तरिक्ष-यात्रा का युग शुरू होने के बाद से मिलने लगी है। खगोल-विज्ञान हालाँकि सबसे पुराना विज्ञान है, परन्तु ब्रह्मांड की संरचना और इसके विस्तार के बारे में सही सूचनाएँ पिछले क़रीब सौ वर्षों में ही प्राप्त हुई हैं। इस समूची जानकारी का ग्रन्थ में समावेश है। अगस्त 2006 में अन्तरराष्ट्रीय खगोल-विज्ञान संघ ने ‘ग्रह’ की एक नई परिभाषा प्रस्तुत की। इसके तहत सौरमंडल के ‘प्रधान ग्रहों’ की संख्या 8 में सीमित हो गई और प्लूटो, एरीस तथा क्षुद्रग्रह सीरेस अब ‘बौने ग्रह’ बन गए हैं। इस नई व्यवस्था का ग्रन्थ में समावेश है, विवेचन है। यह ‘ब्रह्मांड-परिचय’ ग्रन्थ सम्पूर्ण ज्ञेय ब्रह्मांड का वैज्ञानिक परिचय प्रस्तुत करता है—भरपूर चित्रों, आरेखों व नक़्शे सहित। ग्रन्थ के 12 परिशिष्टों की प्रचुर सन्दर्भ सामग्री इसे खगोल-विज्ञान का एक उपयोगी ‘हैंडबुक’ बना देती है। हिन्दी माध्यम से ब्रह्मांड के बारे में अद्यतन, प्रामाणिक जानकारी चाहने वाले पाठकों के लिए एक अनमोल ग्रन्थ।
20vin Sadi Mein Bhautik Vigyan
- Author Name:
Gunakar Muley
- Book Type:

-
Description:
सभी वैज्ञानिक विषयों का मूल भौतिकी है, इसी से जैव-भौतिकी, रसायन-भौतिकी और आनुवंशिकी जैसी विज्ञान-सरणियों का उदय हुआ। भौतिक तकनीकी से ही लेसर और कम्प्यूटर जैसे साधनों की खोज हुई। कहा जाता है कि व्यापक आपेक्षिकता का सिद्धान्त आज तक का सबसे सुन्दर सिद्धान्त रहा है।
आइंस्टाइन के इस क्रान्तिकारी सिद्धान्त के बाद परमाणु का विखंडन सम्भव हुआ और अपार ऊर्जा का स्रोत मनुष्य के हाथ लगा। पिछले नौ दशकों में भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में असाधारण प्रगति हुई है जिसके चलते हम विज्ञान की नई क्रान्ति के द्वार पर खड़े हैं।
हिन्दी में विज्ञान को सरल भाषा में जनसाधारण तक सफलतापूर्वक पहुँचाने वाले गुणाकर मुळे की यह पुस्तक मूलतः 1972 में ‘साप्ताहिक हिन्दुस्तान’ में प्रकाशित उनकी लेखमाला का संकलित रूप है। इन लेखों को चित्रों तथा हिन्दी-अंग्रेज़ी पारिभाषिक शब्दावली से समृद्ध कर, और उपयोगी रूप में इस पुस्तक में प्रस्तुत किया गया है।
कहने की ज़रूरत नहीं कि मुळे जी की अन्य पुस्तकों की तरह यह पुस्तक भी न सिर्फ़ विज्ञान में रुचि रखनेवाले पाठकों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी, बल्कि साधारण पाठकों में वैज्ञानिक विषयों के प्रति नई रुचि भी जाग्रत करेगी।
भौतिकी के जिन विषयों को इस पुस्तक में समाहित किया गया है, उनमें प्रमुख रूप से सापेक्षवाद और क्वांटम सिद्धान्त, परमाणु ऊर्जा और प्राथमिक कणों की दुनिया के साथ-साथ भौतिक विज्ञानों के भविष्य पर एक सामग्री विश्लेषण भी शामिल है।
Pracheen Bharat Ke Mahan Vaigyanik
- Author Name:
Gunakar Muley
- Book Type:

- Description: पाश्चात्य देशों के वैज्ञानिकों के बारे में अंग्रेज़ी तथा भारतीय भाषाओं में काफ़ी साहित्य उपलब्ध है। इन वैज्ञानिकों के बारे में स्कूल-कॉलेजों के अध्यापकों से भी विद्यार्थियों को थोड़ी-बहुत जानकारी मिल ही जाती है, पर खेद की बात है कि अपने देश के चरक, सुश्रुत, आर्यभट तथा भास्कराचार्य जैसे चोटी के वैज्ञानिकों के बारे में हमारे विद्यार्थियों को नहीं के बराबर जानकारी है। विद्यार्थियों और सामान्य पाठकों को दृष्टि में रखकर प्रस्तुत पुस्तक में प्राचीन भारत के दस वैज्ञानिकों का संक्षिप्त परिचय दिया गया है। इन वैज्ञानिकों के ग्रन्थ तो प्राप्त हैं, किन्तु इनके जीवन के बारे में हमें ठोस जानकारी नहीं मिलती। मूल ग्रन्थ संस्कृत भाषा में होने से प्रस्तुत पुस्तक की सीमा में विषयों की विशद व्याख्या सम्भव नहीं थी, इसके बावजूद यह पुस्तक प्राचीन भारत के विज्ञान एवं वैज्ञानिकों का प्रारम्भिक परिचय कराने में बहुत ही उपयोगी सिद्ध होती है।
Earth Science Progress
- Author Name:
Dr.Sanjay Rout
- Book Type:

- Description: Introducing "Earth Science Progress: Discovering the Wonders of Our Planet", the definitive guide to understanding the Earth's dynamic systems and the cutting-edge research that is driving the field forward.Authored by renowned scientist, Dr.Sanjay Rout, this book takes readers on a journey through the fascinating world of Earth science. With a focus on the latest developments in the field and practical applications, Dr. Rodriguez provides a comprehensive overview of the Earth's geological, atmospheric, and oceanic systems. Some of the topics covered in the book include: The Earth's structure and geological processes The role of plate tectonics in shaping the planet's surface The Earth's atmosphere and climate system The oceanic and coastal environments and their importance for life on Earth The latest advances in remote sensing and geospatial technologies Through clear explanations and real-world examples, this book will inspire readers to develop a deeper appreciation for the wonders of our planet and the complex interplay between its many systems. Whether you are a student, researcher, or simply a curious reader, "Earth Science Progress" is an essential resource for anyone interested in gaining a deeper understanding of the Earth's dynamic processes. Get your copy today and start your journey towards discovering the wonders of our planet!
Koutuka Vijnana
- Author Name:
R B Gurubasavaraj
- Book Type:

- Description: DESCRIPTION AWAITED
Energy & Humanity
- Author Name:
Dr.Sanjay Rout
- Book Type:

- Description: In Energy & Humanity, author Dr.Sanjay Rout explores the critical intersection between energy and the future of our planet. Through a masterful combination of cutting-edge research, expert analysis, and captivating storytelling, Dr.Sanajy Rout provides readers with a compelling and inspiring vision for a sustainable future. From the history of energy production to the latest developments in renewable energy technologies, Energy & Humanity covers it all. With a keen eye for detail and a deep understanding of the complexities of the energy industry, Dr.Sanjay provides readers with a comprehensive overview of the challenges facing humanity - and offers practical solutions for a more sustainable future. Whether you're an industry expert, an environmentalist, or simply someone who wants to learn more about the critical issues facing our planet, Energy & Humanity is the perfect book for you. So pick up a copy today and discover the incredible power of sustainable energy - for the benefit of both our planet and humanity as a whole.
Upgrahon Ka Rochak Sansar
- Author Name:
Dr. D.D. Ojha
- Book Type:

- Description: अंतरिक्ष सदैव ही मानव के लिए रहस्यमय रहा है और अंतरिक्ष विज्ञान भी उतना ही प्राचीन है जितना कि स्वयं मानव। भारत ने सर्वप्रथम 19 अप्रैल, 1975 को ‘आर्यभट्ट’ नामक उपग्रह का सफल प्रक्षेपण किया। उस समय अंतरिक्ष कार्यक्रम के क्षेत्र में भारत का स्थान विश्व में 11वाँ था, जो कि संप्रति छठे स्थान पर जा पहुँचा है। भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को गति देने का पूरा श्रेय स्वर्गीय डॉ. विक्रम अंबालाल साराभाई को है, जिनके अथक प्रयासों से भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में इतनी प्रगति की है। ‘चंद्रयान-I’ इस दिशा में भारतीय वैज्ञानिकों की दक्षता एवं क्षमता का द्योतक है। प्रस्तुत पुस्तक में अंतरिक्ष, उपग्रह एवं सुदूर संवेदन से संबंधित महत्त्वपूर्ण विषयों, यथा अंतरिक्ष अन्वेषण, इसमें पशुओं का योगदान, अतीत के अंतरिक्ष विज्ञानी, महिलाएँ, उपग्रह एवं प्रमोचन, विभिन्न प्रकार के उपग्रह, भारत में अंतरिक्ष कार्यक्रम, उद्देश्य, प्रमुख संस्थान, इसरो के जनक वैज्ञानिक, प्रथम अंतरिक्ष यात्री, भारतीय उपग्रहों का विहंगावलोकन, चंद्रयान-I मिशन एवं संबंधित नवीनतम जानकारी, कृत्रिम उपग्रहों के प्रकार, विश्व के अन्य देशों के राष्ट्रीय संचार उपग्रह, आर्यभट्ट, रोहिणी, इनसैट उपग्रह, एजुसैट, कार्टोसैट, इनसैट-4 सी.आर., रिसैट-2 उपग्रह, उपग्रह संचार प्रणाली की विभिन्न क्षेत्रों में उपादेयता, भारत में जी.पी.एस. कार्यक्रम, विश्व के प्रमुख उपग्रह संचार तंत्र, सुदूर संवेदन तकनीक एवं उपयोगिता, भौगोलिक सूचना प्रणाली (जी.आई.एस.) एवं उपयोग, क्वेकसैट तथा सौर ऊर्जा उपग्रह आदि नवीनतम तकनीकी विषयों पर अति दुर्लभ जानकारी अत्यंत सरल एवं बोधगम्य भाषा में यथोचित चित्रों सहित प्रदान की गई है। आशा है, पुस्तक में वर्णित तकनीकी जानकारी से प्रबुद्ध पाठकगण अवश्य लाभान्वित होंगे।
Archimedes
- Author Name:
Gunakar Muley
- Book Type:

- Description: यदि संसार के 10 महान वैज्ञानिकों की सूची बनानी पड़े, तो उसमें आर्किमिडीज़ का नाम अवश्य रखना होगा। आर्किमिडीज़ एक महान गणितज्ञ ही नहीं, उच्च कोटि के भौतिकवेत्ता और यंत्रविद् भी थे। रोमन सेना के हमले से अपने सिराक्यूज नगर (सिसिली द्वीप, भूमध्य सागर) की रक्षा के लिए उन्होंने कई युद्ध-यंत्रों का आविष्कार किया था। आर्किमिडीज़ ‘द्रव-स्थिति-विज्ञान’ के संस्थापक माने जाते हैं। सुनार द्वारा सोने के मुकुट में मिलाई गई चाँदी का अध्ययन करके उन्होंने द्रव-स्थिति-विज्ञान के बुनियादी नियम खोज निकाले थे। उन्होंने उत्तोलक और घिरनियों के बारे में भी कई नियम खोज निकाले। पानी को नीचे से ऊपर उठाने के लिए आर्किमिडीज़ ने जिस यंत्र का आविष्कार किया था, वह ‘आर्किमिडीज़ का स्क्रू’ कहलाता है और आज भी मिस्र में उसका प्रयोग होता है। आर्किमिडीज़ के नाम से प्रसिद्ध वक्र (आर्किमिडीज़ का सर्पिल) का उपयोग आजकल रेडारों के निर्माण में होता है। उन्होंने न्यूटन से सदियों पहले कलन-गणित की भी नींव रख दी थी। आर्किमिडीज़ ‘बहुत बड़ी संख्या’ और ‘अनन्त’ के अन्तर को भली-भाँति समझ गए थे। ऐसे महान वैज्ञानिक का वध एक रोमन सैनिक के हाथों हुआ। आर्किमिडीज़ अपनी तरुणाई में उच्च अध्ययन के लिए मिस्र के सिकन्दरिया विश्वविद्यालय गए थे। इसलिए प्राचीन यूनानी विज्ञान के इस महान विद्या केन्द्र के बारे में कुछ विस्तार से जानकारी दी गई है। पुस्तक के आरम्भ में प्राचीन यूनानी विज्ञान के भूक्षेत्र का एक नक़्शा भी दिया गया है। आशा है, विज्ञान के विद्यार्थी और अध्यापक ‘आर्किमिडीज़’ के इस नए संशोधित संस्करण को प्रेरणाप्रद और उपयोगी पाएँगे।
Asia Ke Mahan Vaigyanik
- Author Name:
Gunakar Muley
- Book Type:

- Description: आमतौर पर माना जाता है कि सभी वैज्ञानिक खोजें और आविष्कार आदि यूरोप की ही देन हैं। लेकिन यह धारणा पूरी तरह सही नहीं है, यह पुस्तक बताती है कि जिन सिद्धान्तों और जिज्ञासाओं को लेकर पश्चिमी दुनिया ने बाद में जाकर अनेक आविष्कार और खोजें कीं, उनका बीज एशिया में पहले ही पड़ चुका था, और उस सम्बन्ध में वैज्ञानिक अन्वेषण आरम्भ हो चुका था। भारत, पाकिस्तान, अरब मुल्कों, जापान, श्रीलंका, चीन तथा इस्राइल आदि देशों के अस्सी से ज़्यादा वैज्ञानिकों के जीवन और विज्ञान के क्षेत्र में उनकी उपलब्धियों को सहज भाषा में संकलित कर प्रस्तुत करनेवाली यह पुस्तक चित्रों के साथ एशिया की समृद्ध वैज्ञानिक परम्परा को रेखांकित करती है। प्राचीन तथा अर्वाचीन विज्ञान-पुरुषों के विषय में पूरी जानकारी देने के साथ पुस्तक में तत्कालीन सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों की तरफ़ भी संकेत किया गया है, ताकि पाठक एशिया की विज्ञान-चेतना को उसके सम्पूर्ण परिप्रेक्ष्य में समझ सकें। पुस्तक में शामिल विस्तृत परिशिष्ट में विभिन्न चिकित्सा-पद्धतियों तथा चिकित्सकों की तथ्यात्मक जानकारी के अलावा, गणित के विकास की कालानुक्रमिक, विवरणिका तथा भारतीय गणित-ज्योतिष का विकास-क्रम भी दिया गया है, जिससे यह पुस्तक और भी मूल्यवान हो जाती है। गुणाकर मुळे अपने जीवन-काल में जिन महत्त्वाकांक्षी परियोजनाओं में व्यस्त रहे, उनमें यह पुस्तक महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है।
Mahan Vaigyanik
- Author Name:
Gunakar Muley
- Book Type:

- Description: विज्ञान विषयों के सुप्रसिद्ध लेखक गुणाकर मुळे ने प्रस्तुत पुस्तक में संसार के इक्कीस महान वैज्ञानिकों के जीवन और कर्म का तथ्यपरक शब्दांकन किया है। यहाँ आर्किमीदिज़, कोपर्निकस, गैलिलियो, न्यूटन, मैडम क्यूरी, आइंस्टाइन जैसे वैज्ञानिकों के अतिरिक्त भारत के तीन महान विभूति—सुब्रह्मण्यन् चंद्रशेखर, रामानुजन्, चन्द्रशेखर वेंकट रामन् की जीवन-साधना का भी रोचक आख्यान है। रामानुजन् निस्संदेह एक महान गणितज्ञ थे। बीसवीं शताब्दी के गणितज्ञों में न केवल भारत के अपितु संसार के महान गणितज्ञों में उनका प्रमुख स्थान है। जिस कठिनाई से और अल्पायु में रामानुजन् ने गणितशास्त्र की सेवा की है, वह हमारे लिए एक आदर्श है। इसी प्रकार वेंकट रामन् ने प्रकाश-किरणों के गुण-धर्म से सम्बन्धित अद्भुत खोज की। इस नियम को ‘रामन्-प्रभाव’ के नाम से जाना गया। प्रस्तुत पुस्तक में इन्हीं सब तथ्यों को अत्यंत प्रामाणिक और रोचक तरीके से रखा गया है। भाषा-शैली इतनी सरल और सहज है कि कोई भी पाठक इसे आद्योपांत पढ़े बिना नहीं रहेगा।
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...