Mahan Vaigyanik
Author:
Gunakar MuleyPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Science0 Reviews
Price: ₹ 316
₹
395
Available
विज्ञान विषयों के सुप्रसिद्ध लेखक गुणाकर मुळे ने प्रस्तुत पुस्तक में संसार के इक्कीस महान वैज्ञानिकों के जीवन और कर्म का तथ्यपरक शब्दांकन किया है। यहाँ आर्किमीदिज़, कोपर्निकस, गैलिलियो, न्यूटन, मैडम क्यूरी, आइंस्टाइन जैसे वैज्ञानिकों के अतिरिक्त भारत के तीन महान विभूति—सुब्रह्मण्यन् चंद्रशेखर, रामानुजन्, चन्द्रशेखर वेंकट रामन् की जीवन-साधना का भी रोचक आख्यान है।
रामानुजन् निस्संदेह एक महान गणितज्ञ थे। बीसवीं शताब्दी के गणितज्ञों में न केवल भारत के अपितु संसार के महान गणितज्ञों में उनका प्रमुख स्थान है। जिस कठिनाई से और अल्पायु में रामानुजन् ने गणितशास्त्र की सेवा की है, वह हमारे लिए एक आदर्श है। इसी प्रकार वेंकट रामन् ने प्रकाश-किरणों के गुण-धर्म से सम्बन्धित अद्भुत खोज की। इस नियम को ‘रामन्-प्रभाव’ के नाम से जाना गया।
प्रस्तुत पुस्तक में इन्हीं सब तथ्यों को अत्यंत प्रामाणिक और रोचक तरीके से रखा गया है। भाषा-शैली इतनी सरल और सहज है कि कोई भी पाठक इसे आद्योपांत पढ़े बिना नहीं रहेगा।
ISBN: 9788171787913
Pages: 104
Avg Reading Time: 3 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Quantum Mechanics and Field Theory
- Author Name:
B.K. Agarwal
- Book Type:

- Description: Quantum Mechanics and Field Theory
Mendeleev
- Author Name:
Gunakar Muley
- Book Type:

- Description: आज यदि हम किसी स्कूल-कॉलेज में रसायन-विज्ञान की प्रयोगशाला या कक्षा में जाएँ, तो वहाँ दीवार पर टँगा हुआ एक चार्ट अवश्य देखने को मिलेगा। यह है—तत्त्वों की ‘आवर्त्त-तालिका’ का चार्ट, जिसकी खोज रूस के महान वैज्ञानिक दिमित्री मेंडेलीफ (1834-1907 ई.) ने 1869 ई. में की थी। इस आवर्त्त-तालिका को देखने से ही तत्त्वों के परमाणु-भार और उनके अन्य कई गुणधर्मों के बारे में तत्काल जानकारी मिल जाती है। मेंडेलीफ के पहले तत्त्वों के अध्ययन में कोई तारतम्यता नहीं थी। मेंडेलीफ ने तत्त्वों को उनके परमाणु-भार के अनुसार सात स्तम्भों की एक तालिका में सजाया, तो उनमें एक नियमबद्धता दिखाई दी। वस्तुजगत में जहाँ पहले अनेकरूपता दिखाई देती थी, उसके मूल में यह अद्भुत एकसूत्रता प्रकट हुई। मेंडेलीफ ने जब आवर्त्त-तालिका की खोज की, तब वैज्ञानिकों को 63 मूलतत्त्व ही मालूम थे। उस समय आवर्त्त-तालिका में कई स्थान अभी ख़ाली थे। लेकिन मेंडेलीफ के जीवनकाल में 86 तत्त्व खोजे जा चुके थे। आज यदि हम आवर्त्त-तालिका को देखें, तो उसमें 110 के आसपास तत्त्व दिखाई देंगे। उसमें आप यह भी देखेंगे कि 101 नम्बर के तत्त्व का नाम ‘मेंडेलेवियम’ है—मेंडेलीफ की महान खोज ‘आवर्त्त-तालिका’ में स्वयं उनके नामवाला एक तत्त्व। मेंडेलीफ का जीवन परिश्रम, लगन, त्याग और सेवाभाव की एक लम्बी कथा है। वे अपने स्वभाव में ही नहीं, वेश-भूषा में भी एक ऋषि-मुनि जैसे दिखते थे। वे एक सफल अध्यापक थे। उनके विद्यार्थी उन्हें बेहद प्यार करते थे। उनकी शवयात्रा में उनके विद्यार्थी एक लम्बे-चौड़े बोर्ड को ऊपर उठाए आगे-आगे चल रहे थे। उस बोर्ड पर अंकित थी मेंडेलीफ की महान खोज-तत्त्वों की आवर्त्त-तालिका। आशा है, विज्ञान के विद्यार्थी, और अध्यापक ‘मेंडेलीफ’ के इस नए संशोधित संस्करण को प्रेरणाप्रद और उपयोगी पाएँगे।
Chemistry Innovations
- Author Name:
Dr.Sanjay Rout
- Book Type:

- Description: Chemistry Innovations is an essential guide for anyone looking to explore the fascinating world of chemistry. Written by renowned chemist and innovator, Dr. Sanjay Rout, this book provides a comprehensive overview of modern chemical discoveries and innovations in the field. The first section introduces readers to basic concepts such as atoms, molecules, compounds and ions before moving on to more advanced topics like catalysis reactions, electrochemistry and biochemistry. The second section dives deeper into specific areas of research such as polymers science or nanotechnology while also providing detailed explanations on how these fields are used in everyday life applications ranging from drug development to food production processes. Finally the third part focuses on cutting-edge developments including artificial intelligence (AI), machine learning (ML) and quantum computing which have revolutionized our understanding of matter at its most fundamental level – that’s where Chemistry Innovations truly shines! Dr Sanjay has written this book with clarity so that even those without any background knowledge can understand it easily; making it perfect for students studying chemistry or aspiring scientists alike! With its combination of clear language coupled with expertly researched information about some incredible advances made in recent years; Chemistry Innovations is sure be a valuable addition your library shelf - no matter what your interest may be!
Archimedes
- Author Name:
Gunakar Muley
- Book Type:

- Description: यदि संसार के 10 महान वैज्ञानिकों की सूची बनानी पड़े, तो उसमें आर्किमिडीज़ का नाम अवश्य रखना होगा। आर्किमिडीज़ एक महान गणितज्ञ ही नहीं, उच्च कोटि के भौतिकवेत्ता और यंत्रविद् भी थे। रोमन सेना के हमले से अपने सिराक्यूज नगर (सिसिली द्वीप, भूमध्य सागर) की रक्षा के लिए उन्होंने कई युद्ध-यंत्रों का आविष्कार किया था। आर्किमिडीज़ ‘द्रव-स्थिति-विज्ञान’ के संस्थापक माने जाते हैं। सुनार द्वारा सोने के मुकुट में मिलाई गई चाँदी का अध्ययन करके उन्होंने द्रव-स्थिति-विज्ञान के बुनियादी नियम खोज निकाले थे। उन्होंने उत्तोलक और घिरनियों के बारे में भी कई नियम खोज निकाले। पानी को नीचे से ऊपर उठाने के लिए आर्किमिडीज़ ने जिस यंत्र का आविष्कार किया था, वह ‘आर्किमिडीज़ का स्क्रू’ कहलाता है और आज भी मिस्र में उसका प्रयोग होता है। आर्किमिडीज़ के नाम से प्रसिद्ध वक्र (आर्किमिडीज़ का सर्पिल) का उपयोग आजकल रेडारों के निर्माण में होता है। उन्होंने न्यूटन से सदियों पहले कलन-गणित की भी नींव रख दी थी। आर्किमिडीज़ ‘बहुत बड़ी संख्या’ और ‘अनन्त’ के अन्तर को भली-भाँति समझ गए थे। ऐसे महान वैज्ञानिक का वध एक रोमन सैनिक के हाथों हुआ। आर्किमिडीज़ अपनी तरुणाई में उच्च अध्ययन के लिए मिस्र के सिकन्दरिया विश्वविद्यालय गए थे। इसलिए प्राचीन यूनानी विज्ञान के इस महान विद्या केन्द्र के बारे में कुछ विस्तार से जानकारी दी गई है। पुस्तक के आरम्भ में प्राचीन यूनानी विज्ञान के भूक्षेत्र का एक नक़्शा भी दिया गया है। आशा है, विज्ञान के विद्यार्थी और अध्यापक ‘आर्किमिडीज़’ के इस नए संशोधित संस्करण को प्रेरणाप्रद और उपयोगी पाएँगे।
Pracheen Bharat Mein Vigyan
- Author Name:
Gunakar Muley
- Book Type:

- Description: विज्ञान की दृष्टि से प्राचीन भारत विश्व के अग्रणी देशों में रहा है। चिकित्सा के क्षेत्र में ‘चरक-संहिता’ और ‘सुश्रुत-संहिता’ के साथ-साथ संसार-भर में प्रचलित शून्य पर आधारित दाशमिक स्थानमान अंक-पद्धति इसका प्रमाण है। धातुकर्म के क्षेत्र में, दिल्ली में कुतुब मीनार के निकट स्थित सोलह सौ वर्ष पुराना लौह-स्तम्भ भी प्राचीन भारत की वैज्ञानिक चेतना का ज्वलन्त उदाहरण है। यह पुस्तक विज्ञान-विषयों के अग्रणी लेखक गुणाकर मुळे की ओर से भारतीय वैज्ञानिक चेतना के प्रति एक कृतज्ञता-ज्ञापन है। विज्ञान की जटिल गुत्थियों को सरल शब्दों में जन-जन तक पहुँचाने की मुहिम में जीवन-भर कटिबद्ध रहे श्री मुळे ने इस पुस्तक में वेदों में वैज्ञानिक अवधारणाओं से लेकर प्राचीन भारत में गणित के विकास, आयुर्वेद के उद्भव और उन्नयन के साथ-साथ वराहमिहिर और नागार्जुन आदि वैज्ञानिकों के अवदान पर प्रकाश डाला है। भारत में प्लास्टिक सर्जरी के इतिहास पर पुस्तक में एक स्वतंत्र अध्याय रखा गया है। इसके अलावा परिशिष्ट में प्राचीन भारत से सम्बन्धित प्रमुख तिथियों का संकलन किया गया है, जिनसे इस देश की वैज्ञानिक चेतना के विकास का एक समग्र मानचित्र हमारे सामने आ जाता है।
Kepler
- Author Name:
Gunakar Muley
- Book Type:

- Description: गुणाकर मुळे का विज्ञान-लेखन सिर्फ़ जानकारी नहीं देता, उनका प्रयास हमेशा यह रहा कि पाठक की चेतना का विकास वैज्ञानिक पद्धति पर हो, वे जीवन-जगत् को स्पष्ट, तार्किक नज़रिए से देखें और धार्मिक तथा कर्मकांडीय अन्धविश्वासों से मुक्त हों। इसीलिए उन्होंने अनेक वैज्ञानिकों, गणितज्ञों, खगोलशास्त्रियों और उनके सिद्धान्तों के सम्बन्ध में अकसर सरल भाषा में लिखा है। यह पुस्तक योहानेस केपलर के जीवन और सिद्धान्तों की जानकारी देती है। केपलर संसार के पहले वैज्ञानिक हैं जिन्होंने स्पष्ट किया कि ग्रह वृत्तमार्ग में नहीं, बल्कि दीर्घवृत्तीय यानी अंडाकार कक्षाओं में सूर्य की परिक्रमा करते हैं। इतना ही नहीं, चन्द्रमा जैसे उपग्रह भी दीर्घवृत्ताकार कक्षाओं में अपने-अपने ग्रहों का चक्कर लगाते हैं। यह एक महान खोज थी। आगे जाकर केपलर ने ग्रहों की गतियों के बारे में तीन नियमों की खोज की, जिनके कारण उन्हें आधुनिक खगोल-भौतिकी का जनक माना जाता है। विज्ञान के इतिहास में केपलर के इन तीन नियमों का चिरस्थायी महत्त्व है। ग्रहों की गतियों से सम्बन्धित केपलर के तीन नियम पहले से तैयार नहीं होते, तो महान न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण का सिद्धान्त हमें इतनी जल्दी उपलब्ध नहीं हो पाता। न्यूटन ने भी स्वीकार किया था : “मैंने जो कुछ पाया है, वह दूसरे महान वैज्ञानिकों के कन्धों पर खड़े होकर ही।” इन ‘दूसरे महान वैज्ञानिकों’ में एक प्रमुख वैज्ञानिक थे—केपलर।
Jivashmon Ki Kahani
- Author Name:
Ajit Kumar Pal
- Book Type:

- Description: जीवाश्मों की तुलना यदि पृथ्वी की आत्मकथा के पृष्ठों से की जाए तो पृथ्वी के विभिन्न भूभागों में इन्हें धारण करनेवाली कोशिकाएँ वस्तुत: बीते हुए कल के अभिलेखागार कही जाएगी। ‘फ़ॉसिल’ शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के शब्द ‘फ़ॉसिलिस’ से हुई है जिसमें इसका अर्थ होता है ‘पृथ्वी के गर्भ से निकली हुई वस्तु’। इस प्रकार रोमन साम्राज्य के काल से लेकर अठारहवीं शताब्दी तक भू–गर्भ से प्राप्त प्रत्येक वस्तु को ‘फ़ॉसिल’ की संज्ञा दी जाती रही। इसके पश्चात् वैज्ञानिकों ने इस शब्द की सीमाओं को संकुचित करते हुए जो परिभाषा दी, उसका अभिप्राय है—‘भूवैज्ञानिक अतीत में पाए जानेवाले जीवों के चिह्न’। यद्यपि इनमें प्राणियों अथवा वनस्पतियों के अवशेष, उनके प्राकृतिक समदृश्य, अथवा उनकी जैविक गतिविधियाँ भी शामिल हैं। अत: जहाँ एक ओर जीवाश्मों (फ़ॉसिल) से हमें चर–अचर प्राणियों और वनस्पतियों की उत्पत्ति, विनाश तथा उनके आकृतिक उद्भव की जानकारी मिलती है। वहीं दूसरी तरफ़ वे कालान्तर में महाद्वीपों एवं महासागरों की भौगोलिक स्थिति, ध्रुवों के घूर्णन और भू-पपड़ी के भौतिक विकास का रहस्य भी उजागर करते हैं। जीवाश्मों के विषय में मानव की जिज्ञासा अत्यन्त प्राचीन है। पृथ्वी की आदि–सृष्टि से लेकर आज तक निरन्तर चलनेवाली विकास–प्रक्रिया की उलझी हुई शृंखलाओं को सुलझाने में जीवाश्मों की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। यही कारण है कि ‘डायनासोर’ की जीवाश्मीकृत अस्थियों से चिपकी हुई रक्त की एक बूँद में ‘एमिनो–एसिड’ की उपस्थिति ने मनुष्यों की कल्पना शक्ति को नए आयाम दिए हैं। मौलिक दृष्टि से इस पुस्तक में जीवन की उत्पत्ति से लेकर जीवाश्मीकरण की प्रक्रिया से जुड़े हर प्रश्न का समाधान प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। जीवाश्म विज्ञान से सम्बन्धित नवीनतम शोध–कार्य के मुख्य अंश को संक्षेप में प्रस्तुत किया गया है, जो सम्भवत: राष्ट्रभाषा हिन्दी में अपनी तरह का प्रथम प्रयास है। महत्त्वपूर्ण तथ्यों से साक्षात्कार कराने हेतु अनेक श्वेत–श्याम छायाचित्रों को शामिल किया गया है, जो इस पुस्तक को और भी रोचक तथा ज्ञानवर्धक बनाते हैं।
Koutuka Vijnana
- Author Name:
R B Gurubasavaraj
- Book Type:

- Description: DESCRIPTION AWAITED
Chemical Industry Futurity Myths
- Author Name:
Dr.Sanjay Rout
- Book Type:

- Description: Chemical Industry Futurity Myths is a book written by Dr. Sanjay Rout that examines the myths and realities of the chemical industry in today's world. The book focuses on how these myths can be used to shape policy decisions, business strategies, and public perceptions about this vital sector of our economy. The first chapter delves into common misconceptions about chemicals such as their potential for harm or usefulness as a resource for energy production or manufacturing processes. It also looks at how technological advances have changed the way we think about chemicals and their impact on society over time, including topics like nanotechnology, biotechnology, green chemistry initiatives, synthetic biology research projects etc.. Additionally it provides an overview of current regulations governing chemical use in different countries around the world - from environmental protection laws to product safety standards - which are essential pieces information when considering any new venture involving them . The second chapter explores various ways in which companies can capitalize on emerging technologies related to chemicals while minimizing risks associated with using them; such as investing heavily in research & development (R&D) efforts towards creating more efficient products that are safer for consumers , developing alternative sources of raw materials , engaging local stakeholders through community outreach programs etc., In addition it discusses some promising areas where advancements could lead us into future – including renewable energy resources based off organic compounds or advanced techniques aimed at reducing waste output from industrial processes . All-in-all Chemical Industry Futurity Myths offers readers valuable insight into understanding key issues impacting this field so they can make informed decisions going forward .
Bharat Mein Vigyan Aur Takneeki Pragati
- Author Name:
A. Rahman
- Book Type:

- Description: पाश्चात्य विद्वान ऐसा बताते रहे हैं कि विज्ञान एवं टेक्नोलॉजी पाश्चात्य वस्तु है। इस दृष्टिकोण के अन्तर्गत यह ग्रीस में शुरू हुई और कुछ समय बाद पुन: यूरोप में प्रकट हुई, तब से जो उन्नति हुई वह मानव इतिहास में अद्वितीय है। उनके अनुसार, इस उन्नति से बाक़ी विश्व को लाभ हुआ है। वह आगे बताते हैं कि इस समय यूरोप इस ज्ञान को उन देशों में प्रसारित कर रहा है जिनमें इसे जज़्ब करने की क्षमता है। लेकिन आज हमें जो ऐतिहासिक साक्ष्य उपलब्ध हैं, वह इसके विरुद्ध हैं। इतिहास पर एक सरसरी नज़र दौड़ाने से यह स्पष्ट हो जाता है कि विज्ञान एवं टेक्नोलॉजी भारतीय संस्कृति के अंश और उसकी सभ्यता का आधार रहे हैं। अपने इतिहास के हर काल में भारतीयों ने विज्ञान एवं टेक्नोलॉजी में उल्लेखनीय योगदान दिया। यह ज्ञान पूर्णत: उपलब्ध था और विश्व के भिन्न भागों में और भिन्न संस्कृतियों में फैला। पूर्व में चीन और इंडोनेशिया, पश्चिमी एशिया, केन्द्रीय एशिया और यूरोप ने भारत से जो कुछ ग्रहण किया, उससे पर्याप्त लाभ उठाया। अन्धकार युग में और 12वीं से 18वीं सदी के सात सौ वर्षों की अवधि में भारत में संस्कृत, अरबी और फ़ारसी में विज्ञान एवं टेक्नोलॉजी पर दस हज़ार ग्रन्थ लिखे गए। यह फ़ेहरिस्त अन्तिम नहीं है। इसके अलावा इन भाषाओं और अन्य भारतीय भाषाओं में अनेक ग्रन्थ थे। इसलिए जो अब किया जा रहा है, वह उसी परम्परा का पुनरुद्धार है जिसे औपनिवेशिक राज में भंग कर दिया गया था। आज़ादी के विगत वर्षों ने देश को, जो कभी सिर्फ़ यूरोप को कच्चा माल देता था, विश्व की तीसरी सबसे बड़ी वैज्ञानिक और तकनीकी शक्ति के रूप में रुपान्तरित किया है। भारत आणविक, अन्तरिक्ष, सागरीय और अटलांटिक क्लब में प्रवेश कर चुका है। विज्ञान के विख्यात अध्येता ए. रहमान की यह पुस्तक स्वतंत्र भारत में विज्ञान और तकनीकी प्रगति के विभिन्न आयामों को रेखांकित करती हुई हमें इस प्रगति का एक सम्पूर्ण तथ्यात्मक विवरण उपलब्ध कराती है।
Bhaskaracharya
- Author Name:
Gunakar Muley
- Book Type:

- Description: भास्कराचार्य प्राचीन भारत के सबसे महत्त्वपूर्ण गणितज्ञ-खगोलविद् हैं। ईसा की बारहवीं सदी में (1114 ई.), आज से लगभग नौ सौ साल पहले जन्मे भास्कराचार्य ने भारतीय गणित व ज्योतिष को लगभग चरम पर पहुँचा दिया था। विद्वानों का मानना है कि उसके बाद भारत में गणित व ज्योतिष का विकास बहुत कम हुआ। उनकी ‘लीलावती’ पुस्तक के बारे में आज भी गाँवों में बुज़ुर्ग लोग बात करते मिल जाते हैं। इस प्रसंग में एक दिलचस्प घटना का उल्लेख लेखक ने पुस्तक के शुरू में किया भी है। भारत की देशीय वैज्ञानिक चेतना के पैरोकार तथा अन्वेषक गुणाकर मुळे ने गहन अध्यवसाय तथा शोध के बाद भास्कराचार्य के जीवन, व्यक्तित्व तथा कृतित्व से सम्बन्धित कुछ दुर्लभ तथ्यों की खोज कर इस पुस्तक की रचना की, और गणित के क्षेत्र में सदियों पहले किए गए उनके कार्यों को सरल-सुगम भाषा में प्रस्तुत किया है। पुस्तक का एक महत्त्वपूर्ण पक्ष यह है कि इसमें केवल भास्कराचार्य ही नहीं, बल्कि उनके आविर्भाव से पहले भारत में गणित के विकास और उनके बाद की स्थिति की भी विस्तृत विवेचना की गई है जिससे यह पुस्तक भारतीय गणित ज्योतिष के इतिहास का एक विस्तृत सूचनात्मक ख़ाका भी हमें देती है। पुस्तक में भास्कराचार्य की जीवनगाथा के सूत्रों को जोड़ने के अलावा उनकी उपलब्ध पुस्तकों—‘लीलावती’, ‘बीजगणित’, ‘सिद्धान्त शिरोमणि’ तथा ‘करण कुतूहल’—पर विस्तृत अध्याय हैं जिनसे हमें इन पुस्तकों की विषय-वस्तु की सम्यक् जानकारी मिलती है और साथ में है विस्तृत परिशिष्ट। जिससे हमें भारतीय गणित-ज्योतिष के बारे में अद्यतन सूचनाएँ तथा गणित-ज्योतिष के आधुनिक इतिहासकारों आदि का परिचय प्राप्त होता है। मसलन परिशिष्ट के एक अध्याय में बताया गया है कि राजा सवाई जयसिंह द्वारा बनवाई वेधशालाओं के बाद भारत में आकाश के अध्ययन अवलोकन के लिए निर्मित साधनों में कितनी प्रगति हुई है। कहना न होगा कि भारत में गणित-ज्योतिष के विकास-क्रम पर यह एक सम्पूर्ण-ग्रन्थ है। साथ ही यह भी उल्लेखनीय है कि यह स्वर्गीय गुणाकर जी की उन कुछ पुस्तकों में एक है, जिन पर वे अपने अन्तिम दिनों में काम कर रहे थे; हमारा सौभाग्य कि यह पुस्तक उनके ही हाथों पूरी हो चुकी थी।
Element Science Prospects
- Author Name:
Dr.Sanjay Rout
- Book Type:

- Description: Introducing "Element Science Prospects: The Future of Materials", a groundbreaking exploration of the exciting and rapidly evolving field of materials science. Authored by leading scientist, Dr. Sanjay Rout, this concise book offers a glimpse into the latest developments in the field, including cutting-edge research and emerging technologies. With a focus on the practical applications of materials science, Dr.Rout highlights the potential for new and innovative materials to transform industries ranging from medicine to aerospace. In this book, you'll discover: The latest breakthroughs in materials research, from nanotechnology to biomaterials The role of materials science in solving some of the world's biggest challenges, including climate change and energy storage The potential for new materials to transform industries such as healthcare, electronics, and transportation Through clear explanations and real-world examples, "Element Science Prospects" offers a unique insight into the exciting world of materials science and the boundless potential for innovation and progress. Whether you are a student, researcher, or simply a curious reader, this book is an essential resource for anyone interested in understanding the future of materials. Get your copy today and discover the limitless possibilities of materials science!
Parmanu Vigyan Ke Badhte Charan
- Author Name:
Gunakar Muley
- Book Type:

- Description: परमाणु, जीवन का भी स्रोत हो सकता है, और विनाश का भी। मनुष्य ने उसे ऊर्जा के उत्पादन के लिए प्रयोग किया है तो बमों के रूप में इस ऊर्जा का विनाशकारी संचयन भी किया है जो एक ही बार में समूची पृथ्वी और जीव-जगत को नष्ट कर सकता है। विज्ञान-लेखक गुणाकर मुळे की यह पुस्तक परमणु की खोज, उसके इतिहास और संभावनाओं के बारे में तथ्यपरक जानकारी देते हुए उन सवालों पर भी विचार करती है जो परमाणु के ग़ैर जिम्मेदार इस्तेमाल के सन्दर्भ में हमारी स्थायी चिन्ता बने हुए हैं। विश्व के मौजूदा हालात को देखते हुए आज यह और भी ज़रूरी हो गया है कि 'परमाणु क्या है' से लेकर 'परमाणु क्या कर सकता है' तक के सभी पहलुओं की जानकारी बतौर एक जिम्मेदार नागरिक हमारे पास हो। यह पुस्तक यही करती है। न सिर्फ़ परमाणु, बल्कि उसकी आन्तरिक संचरना के बारे में अब तक की खोजों की विस्तृत पड़ताल करते हुए उन वैज्ञानिकों के बारे में यहाँ हमें पर्याप्त सूचनाएँ प्राप्त होती है जिन्होंने इस पर काम किया। भारत के प्राचीन ऋषि कणाद को भी मुळे जी चिन्तकों की उसी परम्परा में मानते हैं। उनका नाम ही 'कणाद' इसलिए पड़ा था कि उन्होंने सबसे पहले यह कल्पना की थी कि संसार का सब कुछ अत्यन्त छोटे-छोटे कणों से निर्मित है। छात्रों और सामान्य पाठकों के लिए सरल और सुग्राह्य भाषा में लिखित यह पुस्तक परमाणु विज्ञान की वृहत्तर समझ प्रदान करती है।
Albert Einstein
- Author Name:
Gunakar Muley
- Book Type:

- Description: विख्यात वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टाइन (1879-1955 ई.) द्वारा प्रतिपादित आपेक्षिता-सिद्धान्त को वैज्ञानिक चिन्तन की दुनिया में एक क्रन्तिकारी खोज की तरह देखा जाता है। क्वांटम सिद्धान्त के आरम्भिक विकास में भी उनका बुनियादी योगदान रहा है। इन दो सिद्धान्तों ने भौतिक विश्व की वास्तविकता को समझने के लिए नए साधन तो प्रस्तुत किए ही हैं, मानव-चिन्तन को भी बहुत गहराई से प्रभावित किया है। इन्होंने हमें एक नितान्त नए अतिसूक्ष्म और अतिविशाल जगत के दर्शन कराए हैं। अब द्रव्य, ऊर्जा, गति, दिक् और काल के स्वरूप को नए नज़रिए से देखा जाने लगा है।< आपेक्षिता-सिद्धान्त से, विशेषज्ञों को छोड़कर, अन्य सामान्य जन बहुत कम परिचित हैं। इसे एक ‘क्लिष्ट’ सिद्धान्त माना जाता है। बात सही भी है। भौतिकी और उच्च गणित के अच्छे ज्ञान के बिना इसे पुर्णतः समझना सम्भव नहीं है। मगर आपेक्षिता और क्वांटम सिद्धान्त की बुनियादी अवधराणाओं और मुख्य विचारों को विद्यार्थियों व सामान्य पाठकों के लिए सुलभ शैली में प्रस्तुत किया जा सकता है—इस बात को यह ग्रन्थ प्रमाणित कर देता है। न केवल हमारे साहित्यकारों, इतिहासकारों व समाजशास्त्रियों को, बल्कि धर्माचार्यों को भी इन सिद्धान्तों की मूलभूत धारणाओं और सही निष्कर्षों की जानकारी अवश्य होनी चाहिए। आइंस्टाइन और उनके समकालीन यूरोप के अन्य अनेक वैज्ञानिकों के जीवन-संघर्ष को जाने बग़ैर नाजीवाद-फासीवाद की विभीषिका का सही आकलन क़तई सम्भव नहीं है। आइंस्टाइन की जीवन-गाथा को जानना, न सिर्फ़ विज्ञान के विद्यार्थियों-अध्यापकों के लिए, बल्कि जनसामान्य के लिए भी अत्यावश्यक है। आइंस्टाइन ने दो विश्वयुद्धों की विपदाओं को झेला और अमरीका में उन्हें मैकार्थीवाद का मुक़ाबला करना पड़ा। वे विश्व-सरकार के समर्थक थे, वस्तुतः एक विश्व-नागरिक थे। भारत से उन्हें विशेष लगाव था। हिन्दी माध्यम से आपेक्षिता, क्वांटम सिद्धान्त, आइंस्टाइन की संघर्षमय व प्रमाणिक जीवन-गाथा और उनके समाज-चिन्तन का अध्ययन करनेवाले पाठकों के लिए एक अत्यन्त उपयोगी, संग्रहणीय ग्रन्थ—विस्तृत ‘सन्दर्भो व टिप्पणियों’ तथा महत्तपूर्ण परिशिष्टों सहित।
Aadhunik Bharat Ke Mahan Vaigyanik
- Author Name:
Gunakar Muley
- Book Type:

- Description: हमारे प्राचीन वैज्ञानिकों ने अपने ग्रन्थ संस्कृत भाषा में लिखे। आधुनिक काल के वैज्ञानिक अपने शोध-निबन्ध अंग्रेज़ी में लिखते हैं। अत: इन वैज्ञानिकों के कृतित्व को आज की जनभाषा में प्रस्तुत करने में जो कठिनाइयाँ होती हैं, उनकी कल्पना करना कठिन नहीं है। पुराने संस्कृत ग्रन्थों के ज्ञान को आज की भारतीय भाषाओं में समझाना उतना कठिन नहीं हैं। परन्तु विरेशी भाषाओं में प्रस्तुत किए गए आधुनिक विज्ञान को जनभाषा में समझाने में अनेक कठिनाइयाँ हैं। आधुनिक विज्ञान अब विशेष सांकेतिक चिन्हों और पारिभाषिक शब्दों में प्रस्तुत किया जाता है। आधुनिक भारत के दस वैज्ञानिकों को मैंने चुना है। दस को ही चुनना था, इसीलिए यह चुनाव। वरना, और भी कई वैज्ञानिकों को चुना जा सकता है। अक्सर यह होता है कि ‘प्रशासक-वैज्ञानिक’ को अधिक प्रसिद्ध मिल जाती है और अपने क्षेत्र में विशेष कार्य करनेवाले वैज्ञानिक जनसाधारण के लिए गुमनाम बने रहते हैं। आशा है, पाठक इस पुस्तक को पसन्द करेंगे। —‘अपनी बात’ से
Upgrahon Ka Rochak Sansar
- Author Name:
Dr. D.D. Ojha
- Book Type:

- Description: अंतरिक्ष सदैव ही मानव के लिए रहस्यमय रहा है और अंतरिक्ष विज्ञान भी उतना ही प्राचीन है जितना कि स्वयं मानव। भारत ने सर्वप्रथम 19 अप्रैल, 1975 को ‘आर्यभट्ट’ नामक उपग्रह का सफल प्रक्षेपण किया। उस समय अंतरिक्ष कार्यक्रम के क्षेत्र में भारत का स्थान विश्व में 11वाँ था, जो कि संप्रति छठे स्थान पर जा पहुँचा है। भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को गति देने का पूरा श्रेय स्वर्गीय डॉ. विक्रम अंबालाल साराभाई को है, जिनके अथक प्रयासों से भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में इतनी प्रगति की है। ‘चंद्रयान-I’ इस दिशा में भारतीय वैज्ञानिकों की दक्षता एवं क्षमता का द्योतक है। प्रस्तुत पुस्तक में अंतरिक्ष, उपग्रह एवं सुदूर संवेदन से संबंधित महत्त्वपूर्ण विषयों, यथा अंतरिक्ष अन्वेषण, इसमें पशुओं का योगदान, अतीत के अंतरिक्ष विज्ञानी, महिलाएँ, उपग्रह एवं प्रमोचन, विभिन्न प्रकार के उपग्रह, भारत में अंतरिक्ष कार्यक्रम, उद्देश्य, प्रमुख संस्थान, इसरो के जनक वैज्ञानिक, प्रथम अंतरिक्ष यात्री, भारतीय उपग्रहों का विहंगावलोकन, चंद्रयान-I मिशन एवं संबंधित नवीनतम जानकारी, कृत्रिम उपग्रहों के प्रकार, विश्व के अन्य देशों के राष्ट्रीय संचार उपग्रह, आर्यभट्ट, रोहिणी, इनसैट उपग्रह, एजुसैट, कार्टोसैट, इनसैट-4 सी.आर., रिसैट-2 उपग्रह, उपग्रह संचार प्रणाली की विभिन्न क्षेत्रों में उपादेयता, भारत में जी.पी.एस. कार्यक्रम, विश्व के प्रमुख उपग्रह संचार तंत्र, सुदूर संवेदन तकनीक एवं उपयोगिता, भौगोलिक सूचना प्रणाली (जी.आई.एस.) एवं उपयोग, क्वेकसैट तथा सौर ऊर्जा उपग्रह आदि नवीनतम तकनीकी विषयों पर अति दुर्लभ जानकारी अत्यंत सरल एवं बोधगम्य भाषा में यथोचित चित्रों सहित प्रदान की गई है। आशा है, पुस्तक में वर्णित तकनीकी जानकारी से प्रबुद्ध पाठकगण अवश्य लाभान्वित होंगे।
Pascal
- Author Name:
Gunakar Muley
- Book Type:

- Description: सामान्यत: हम मान लेते हैं कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है। लेकिन पास्कल जीवन-भर अजीर्ण और अनिद्रा से पीड़ित रहे। फिर भी 39 वर्ष की अल्पायु में गणित के क्षेत्र में इतना मौलिक कार्य कर गए कि आज उन्हें न केवल फ़्रांस का, अपितु संसार का एक महान गणितज्ञ माना जाता है। बालक पास्कल की शिक्षा घर पर ही हुई, पिता की देखरेख में। वह इतने प्रतिभाशाली थे कि 12 वर्ष की आयु में, किसी की सहायता के बिना, स्वयं ही यूक्लिड की ज्यामिति के कई प्रमेयों को सिद्ध कर डाला। इसमें वह प्रमेय भी शामिल था, जिसके अनुसार त्रिभुज के तीन भीतरी कोणों का योग दो समकोणों के बराबर होता है। गणित को पास्कल की एक और महान देन है—सम्भाविता-सिद्धान्त। ताश के पत्तों के खेल से उपजे सवालों को हल करने के प्रयासों में इस सिद्धान्त का जन्म हुआ था। आज सम्भाविता-सिद्धान्त एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण विषय बन गया है; यह सिद्धान्त प्रकृति की लीलाओं के मूल में पैठा हुआ है। हिन्दी के विशिष्ट विज्ञान-लेखक गुणाकर मुळे ने गहन शोध के बाद ख़ास तौर पर किशोर पाठकों के लिए यह पुस्तक तैयार की थी जिसमें पास्कल के जीवन के साथ-साथ उनकी वैज्ञानिक उपलब्धियों की भी सरल भाषा में जानकारी दी गई है। यह पुस्तक किशोरों के मानस को एक वैज्ञानिक दिशा प्रदान करती है।
Vigyan, Prakriti Aur Satya
- Author Name:
Deviprasad Chattopadhyay
- Book Type:

- Description: विज्ञान, प्रकृति को समझने का एक साधन है, जो सत्य की खोज में लगा रहता है, और यह ज्ञान को अवलोकन, प्रयोग और तर्क पर आधारित करता है, जो समय के साथ विकसित और बदल सकता है।
Adbhut Brahmand
- Author Name:
Chandramani Singh
- Book Type:

- Description: यह पुस्तक ब्रह्माण्ड के बनने की जिज्ञासा, उसके बने रहने की उम्मीद और एक दिन उसके ख़त्म होने की आशंकाओं को तमाम वैज्ञानिक साक्ष्यों और आयामों के परिप्रेक्ष्य में सहज-सरल तरीक़े से प्रस्तुत करती है। ब्रह्माण्ड के रहस्यों, खोजों और उसके क्रिया-कलापों तथा घटनाओं में उलझने और उलझाने के बजाय उनको सुलझाने की दृष्टि का यह एक उत्कृष्ट उदाहरण है. लेखक ने न्यूटन, आइन्स्टीन से लेकर आज के वैज्ञानिकों तक के नियमों, सिद्धान्तों और खोजों के परिप्रेक्ष्य में ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति एवं विकास-क्रम, उसके विशाल होने की सम्भावना, आकाशगंगाओं में घटनाओं के चक्र आदि को काल के भीतर और बाहर देखने के लिए कैनवस की सफल रचना की है। साथ ही, यह पुस्तक ब्रह्माण्ड में कृष्ण पदार्थ और कृष्ण ऊर्जा के अस्तित्व तथा महत्त्व; सममिति और दिक् का स्वरूप; महाविस्फोट की पुनर्रचना; बहुब्रह्माण्डीय परिकल्पना; क्वाण्टम-सिद्धान्त; प्रकृति के मौलिक सिद्धान्तों का एकीकरण; सूत्रिका-सिद्धान्त की भूमिका; ब्रह्माण्डीय संयोग; सौन्दर्यमयी ज्यामिति; गुरुत्व एवं ब्रह्माण्ड आदि पाठों के अन्तर्गत विज्ञान-सम्मत सूत्रों को विश्लेषित और परिभाषित करने की अभिनव दृष्टि प्रदान करती है। 'अद्भुत ब्रह्माण्ड’ ब्रह्माण्ड की अन्तर्गुम्फित सत्ताओं के रहस्य के विपरीत उसके अन्वेषण की एक यथार्थवादी भूमिका रेखांकित करती है जो ब्रह्माण्डिकी में अभिरुचि रखनेवाले पाठकों को अपने वर्तमान और भविष्य के प्रति चेतना-सम्पन्न तो बनाती ही है, हिन्दी में विज्ञान विषयक पुस्तकों की कमी की भरपाई भी करती है।
Disruptive Geology Science
- Author Name:
Dr.Sanjay Rout
- Book Type:

- Description: In Disruptive Geology Science: A Global Perspective ,Dr .Sanjay Rout explains his findings through vivid descriptions of case studies from all over the world where he has studied different types of disruptive events related to geologic changes occurring within regions affected by them first hand including Japan’s 2011 Fukushima Daiichi nuclear disaster resulting from seismic activity causing catastrophic damage throughout its surrounding areas; India’s 2004 tsunami event triggered off Indian Ocean coasts due to shifts along tectonic plates beneath sea levels; USA's Yellowstone National Park experiencing frequent earthquakes since 2017 leading up towards potential volcanic eruption scenarios near future dates etc., just some examples among many others included inside this book providing readers with comprehensive overview regarding current state affairs when it comes down dealing with disruptive phenomena associated Earth Sciences field work nowadays worldwide! Overall , Disruptive Geology Science is an essential read for anyone interested in understanding more about what causes geological disturbances on planet Earth - whether naturally occurring ones (such volcanoes) man made ones (like fracking), & their implications upon nearby communities living close proximity sites where these events take place – so we may better prepare ourselves against any risks posed them time goes one way direction only forward cannot go back ! The author does excellent job presenting complex topics easy understand manner allowing readers gain valuable insight into realm earth sciences critical importance sustainable development global scale going further ahead next century beyond.
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...