Aadhunik Bharat Ke Mahan Vaigyanik
Author:
Gunakar MuleyPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Science0 Reviews
Price: ₹ 120
₹
150
Available
हमारे प्राचीन वैज्ञानिकों ने अपने ग्रन्थ संस्कृत भाषा में लिखे। आधुनिक काल के वैज्ञानिक अपने शोध-निबन्ध अंग्रेज़ी में लिखते हैं। अत: इन वैज्ञानिकों के कृतित्व को आज की जनभाषा में प्रस्तुत करने में जो कठिनाइयाँ होती हैं, उनकी कल्पना करना कठिन नहीं है।
पुराने संस्कृत ग्रन्थों के ज्ञान को आज की भारतीय भाषाओं में समझाना उतना कठिन नहीं हैं। परन्तु विरेशी भाषाओं में प्रस्तुत किए गए आधुनिक विज्ञान को जनभाषा में समझाने में अनेक कठिनाइयाँ हैं। आधुनिक विज्ञान अब विशेष सांकेतिक चिन्हों और पारिभाषिक शब्दों में प्रस्तुत किया जाता है।
आधुनिक भारत के दस वैज्ञानिकों को मैंने चुना है। दस को ही चुनना था, इसीलिए यह चुनाव। वरना, और भी कई वैज्ञानिकों को चुना जा सकता है। अक्सर यह होता है कि ‘प्रशासक-वैज्ञानिक’ को अधिक प्रसिद्ध मिल जाती है और अपने क्षेत्र में विशेष कार्य करनेवाले वैज्ञानिक जनसाधारण के लिए गुमनाम बने रहते हैं।
आशा है, पाठक इस पुस्तक को पसन्द करेंगे।
—‘अपनी बात’ से
ISBN: 9788126717149
Pages: 118
Avg Reading Time: 4 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Jyotish Vikas, Prakar Aur Jyotirvid
- Author Name:
Gunakar Muley
- Rating:
- Book Type:

- Description: ज्योतिष शब्द का नाम आते ही हमारा ध्यान भाग्यफल या फलित ज्योतिष की ओर जाता है। आज टी.वी. चैनलों और अख़बारों में ज्योतिष विद्या और ज्योतिषियों की बाढ़ आई हुई है। लोग सड़क पर, मन्दिर में बैठे ज्योतिषियों से अपने भविष्य और भाग्य का पता लगाते रहते हैं। इस तरह लोक-व्यवहार में, ज्योतिष का अर्थ हो गया है—फलित ज्योतिष, यानी ग्रह-नक्षत्रों के शुभाशुभ फल बतानेवाली विद्या। परन्तु आरम्भ में इस शब्द का यह अर्थ नहीं था। वस्तुत: ज्योतिष खगोल विज्ञान का हिस्सा है। यह सूर्यादि ग्रह और काल का बोध करानेवाला शास्त्र है। आदिमानव से लेकर आज तक मानव को काल-ज्ञान, स्थिति-ज्ञान और दिशा-ज्ञान की जिज्ञासा रही है। उसने इसी जिज्ञासा के समाधान के लिए प्रयत्न किया और इसी से ज्योतिष का उदय हुआ। आकाशीय ज्योतियों अर्थात् सूर्यादि नक्षत्रों तथा ग्रहों आदि की गतियों को जानना और उनकी गणना करना मुख्य रूप से इसके अन्तर्गत आता है। गुणाकर मुळे स्वयं खगोल विज्ञान के विद्यार्थी थे। नक्षत्रों और ग्रहों के बारे में उन्होंने गहन अध्ययन किया था। उन्होंने 'ज्योतिष : विकास, प्रकार और ज्योतिर्विद्’ पुस्तक में ज्योतिष के विकास-क्रम पर तो प्रकाश डाला ही है, ज्योतिष के वैज्ञानिक और तार्किक पक्ष को भी उभारा है। उन्होंने इस पुस्तक में यह भी स्थापित किया है कि फलित ज्योतिष अवैज्ञानिक और अभारतीय है।
Vigyan, Prakriti Aur Satya
- Author Name:
Deviprasad Chattopadhyay
- Book Type:

- Description: विज्ञान, प्रकृति को समझने का एक साधन है, जो सत्य की खोज में लगा रहता है, और यह ज्ञान को अवलोकन, प्रयोग और तर्क पर आधारित करता है, जो समय के साथ विकसित और बदल सकता है।
Chemistry Innovations
- Author Name:
Dr.Sanjay Rout
- Book Type:

- Description: Chemistry Innovations is an essential guide for anyone looking to explore the fascinating world of chemistry. Written by renowned chemist and innovator, Dr. Sanjay Rout, this book provides a comprehensive overview of modern chemical discoveries and innovations in the field. The first section introduces readers to basic concepts such as atoms, molecules, compounds and ions before moving on to more advanced topics like catalysis reactions, electrochemistry and biochemistry. The second section dives deeper into specific areas of research such as polymers science or nanotechnology while also providing detailed explanations on how these fields are used in everyday life applications ranging from drug development to food production processes. Finally the third part focuses on cutting-edge developments including artificial intelligence (AI), machine learning (ML) and quantum computing which have revolutionized our understanding of matter at its most fundamental level – that’s where Chemistry Innovations truly shines! Dr Sanjay has written this book with clarity so that even those without any background knowledge can understand it easily; making it perfect for students studying chemistry or aspiring scientists alike! With its combination of clear language coupled with expertly researched information about some incredible advances made in recent years; Chemistry Innovations is sure be a valuable addition your library shelf - no matter what your interest may be!
Disruption of Quantum Physics Myths
- Author Name:
Dr.Sanjay Rout
- Book Type:

- Description: Disruption of Quantum Physics Myths is a book written by Dr. Sanjay Rout, an Futurist and science writer who has been featured in numerous scientific publications such as Scientific American and Wired Magazine. This book offers a comprehensive overview of the quantum physics myths that have been perpetuated for decades, from the popular “spooky action at a distance” to the idea that quantum mechanics disproves causality or determinism. Dr Rout explores these concepts with clarity and precision, using both historical analysis as well as modern experiments to explain why many of these ideas are untrue or exaggerated beyond their actual implications within physics theory itself. He also explains how some interpretations of quantum mechanics can be seen through various philosophical lenses which often lead to misconceptions about its effects on our everyday lives - something which he believes should not be taken lightly given its importance in fields like computing technology and nanotechnology engineering amongst others. In Disruption Of Quantum Physics Myths readers will find clear explanations regarding core principles behind this field along with fascinating insights into how it may shape our future technologies; making it an essential read for anyone interested in understanding more about this complex yet captivating subject matter!
Adbhut Brahmand
- Author Name:
Chandramani Singh
- Book Type:

- Description: यह पुस्तक ब्रह्माण्ड के बनने की जिज्ञासा, उसके बने रहने की उम्मीद और एक दिन उसके ख़त्म होने की आशंकाओं को तमाम वैज्ञानिक साक्ष्यों और आयामों के परिप्रेक्ष्य में सहज-सरल तरीक़े से प्रस्तुत करती है। ब्रह्माण्ड के रहस्यों, खोजों और उसके क्रिया-कलापों तथा घटनाओं में उलझने और उलझाने के बजाय उनको सुलझाने की दृष्टि का यह एक उत्कृष्ट उदाहरण है. लेखक ने न्यूटन, आइन्स्टीन से लेकर आज के वैज्ञानिकों तक के नियमों, सिद्धान्तों और खोजों के परिप्रेक्ष्य में ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति एवं विकास-क्रम, उसके विशाल होने की सम्भावना, आकाशगंगाओं में घटनाओं के चक्र आदि को काल के भीतर और बाहर देखने के लिए कैनवस की सफल रचना की है। साथ ही, यह पुस्तक ब्रह्माण्ड में कृष्ण पदार्थ और कृष्ण ऊर्जा के अस्तित्व तथा महत्त्व; सममिति और दिक् का स्वरूप; महाविस्फोट की पुनर्रचना; बहुब्रह्माण्डीय परिकल्पना; क्वाण्टम-सिद्धान्त; प्रकृति के मौलिक सिद्धान्तों का एकीकरण; सूत्रिका-सिद्धान्त की भूमिका; ब्रह्माण्डीय संयोग; सौन्दर्यमयी ज्यामिति; गुरुत्व एवं ब्रह्माण्ड आदि पाठों के अन्तर्गत विज्ञान-सम्मत सूत्रों को विश्लेषित और परिभाषित करने की अभिनव दृष्टि प्रदान करती है। 'अद्भुत ब्रह्माण्ड’ ब्रह्माण्ड की अन्तर्गुम्फित सत्ताओं के रहस्य के विपरीत उसके अन्वेषण की एक यथार्थवादी भूमिका रेखांकित करती है जो ब्रह्माण्डिकी में अभिरुचि रखनेवाले पाठकों को अपने वर्तमान और भविष्य के प्रति चेतना-सम्पन्न तो बनाती ही है, हिन्दी में विज्ञान विषयक पुस्तकों की कमी की भरपाई भी करती है।
Aakash Darshan
- Author Name:
Gunakar Muley
- Book Type:

- Description: धरती का मानव हज़ारों सालों से आकाश के टिमटिमाते दीपों को निहारता आया है। सभी के मन में सवाल उठते हैं—आकाश में कितने तारे हैं? पृथ्वी से कितनी दूर हैं? कितने बड़े हैं? किन पदार्थों से बने हैं? ये सतत क्यों चमकते रहते हैं? तारों के बारे में इन सवालों के उत्तर आधुनिक काल में, प्रमुख रूप से 1920 ई. के बाद, खोजे गए हैं; इसलिए भारतीय भाषाओं में सहज उपलब्ध भी नहीं हैं। प्रख्यात विज्ञान-लेखक गुणाकर मुळे ने इस भारी अभाव की पूर्ति के लिए ही प्रस्तुत ग्रन्थ की रचना की है। आधुनिक खगोल-विज्ञान में आकाश के सभी तारों को 88 तारामंडलों में बाँटा गया है। गुणाकर मुले ने हर महीने आकाश में दिखाई देनेवाले दो-तीन प्रमुख तारामंडलों का परिचय दिया है। साथ में तारों की स्पष्ट रूप से पहचान के लिए भरपूर स्थितिचित्र भी दिए हैं। बीच-बीच में स्वतंत्र लेखों में आधुनिक खगोल-विज्ञान से सम्बन्धित विषयों की जानकारी है, जैसे—आकाशगंगा, रेडियो-खगोल-विज्ञान, सुपरनोवा, विश्व की उत्पत्ति, तारों की दूरियों का मापन आदि। तारामंडलों के परिचय के अन्तर्गत सर्वप्रथम इनसे सम्बन्धित यूनानी और भारतीय आख्यानों की जानकारी है। उसके बाद तारों की दूरियों और उनकी भौतिक स्थितियों के बारे में वैज्ञानिक सूचनाएँ हैं। ग्रन्थ में तारों से सम्बन्धित कुछ उपयोगी परिशिष्ट और तालिकाएँ भी हैं। अन्त में तारों की हिन्दी-अंग्रेज़ी नामावली और शब्दानुक्रमणिका है। संक्षेप में कहें तो ‘आकाश-दर्शन’ एक ओर हमें धरती और इस पर विद्यमान मानव-जीवन की परम लघुता का आभास कराता है, तो दूसरी ओर विश्व की अति-दूरस्थ सीमाओं का अन्वेषण करनेवाली मानव-बुद्धि की अपूर्व क्षमताओं का भी परिचय कराता है। ‘आकाश दर्शन’ वस्तुतः विश्व-दर्शन है।
Pracheen Bharat Mein Vigyan
- Author Name:
Gunakar Muley
- Book Type:

- Description: विज्ञान की दृष्टि से प्राचीन भारत विश्व के अग्रणी देशों में रहा है। चिकित्सा के क्षेत्र में ‘चरक-संहिता’ और ‘सुश्रुत-संहिता’ के साथ-साथ संसार-भर में प्रचलित शून्य पर आधारित दाशमिक स्थानमान अंक-पद्धति इसका प्रमाण है। धातुकर्म के क्षेत्र में, दिल्ली में कुतुब मीनार के निकट स्थित सोलह सौ वर्ष पुराना लौह-स्तम्भ भी प्राचीन भारत की वैज्ञानिक चेतना का ज्वलन्त उदाहरण है। यह पुस्तक विज्ञान-विषयों के अग्रणी लेखक गुणाकर मुळे की ओर से भारतीय वैज्ञानिक चेतना के प्रति एक कृतज्ञता-ज्ञापन है। विज्ञान की जटिल गुत्थियों को सरल शब्दों में जन-जन तक पहुँचाने की मुहिम में जीवन-भर कटिबद्ध रहे श्री मुळे ने इस पुस्तक में वेदों में वैज्ञानिक अवधारणाओं से लेकर प्राचीन भारत में गणित के विकास, आयुर्वेद के उद्भव और उन्नयन के साथ-साथ वराहमिहिर और नागार्जुन आदि वैज्ञानिकों के अवदान पर प्रकाश डाला है। भारत में प्लास्टिक सर्जरी के इतिहास पर पुस्तक में एक स्वतंत्र अध्याय रखा गया है। इसके अलावा परिशिष्ट में प्राचीन भारत से सम्बन्धित प्रमुख तिथियों का संकलन किया गया है, जिनसे इस देश की वैज्ञानिक चेतना के विकास का एक समग्र मानचित्र हमारे सामने आ जाता है।
Aapeshikta Siddhant Kya Hai
- Author Name:
Lev Landau & yuri Rumer
- Book Type:

- Description: महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टाइन (1879-1955 ई.) द्वारा प्रतिपादित आपेक्षिकता-सिद्धान्त को वैज्ञानिक चिन्तन की दुनिया में एक क्रान्तिकारी खोज की तरह देखा जाता है। इस सिद्धान्त ने विश्व की वास्तविकता को समझने के लिए एक नया साधन तो प्रस्तुत किया ही है, मानव चिन्तन को भी गहराई से प्रभावित किया है। अब द्रव्य, गति, आकाश और काल के स्वरूप को नए नज़रिए से देखा जा रहा है। सन् 1905 में ‘विशिष्ट आपेक्षिकता’ का पहली बार प्रकाशन हुआ, तो इसे बहुत कम वैज्ञानिक समझ पाए थे, इसके बहुत-से निष्कर्ष पहेली जैसे प्रतीत होते थे। आज भी इसे एक ‘क्लिष्ट’ सिद्धान्त माना जाता है। लेकिन इस पुस्तक में आपेक्षिकता के सिद्धान्त को, गणितीय सूत्रों का उपयोग किए बिना, इस तरह प्रस्तुत किया गया है कि इसकी महत्त्वपूर्ण बातों को सामान्य पाठक भी समझ सकते हैं। संसार की कई प्रमुख भाषाओं में अनूदित इस पुस्तक के लेखक हैं, ‘नोबेल पुरस्कार’ विजेता प्रख्यात भौतिकवेत्ता लेव लांदाऊ और उनके सहयोगी यूरी रूमेर। परिशिष्ट में इनका जीवन-परिचय भी दिया गया है। इतिहास-पुरातत्त्व और वैज्ञानिक विषयों के सुविख्यात लेखक गुणाकर मुळे ने सरल भाषा में इस पुस्तक का अनुवाद किया है। कई वैज्ञानिक शब्दों और कथनों को स्पष्ट करने के लिए अनुवादक ने पाद-टिप्पणियाँ भी दी हैं। साथ ही, परिशिष्ट में ‘विशिष्ट शब्दावली’ तथा ‘पारिभाषिक शब्दावली’ के अलावा अल्बर्ट आइंस्टाइन की संक्षिप्त जीवनी भी जोड़ी गई है, चित्रों सहित। हिन्दी माध्यम से ज्ञान-विज्ञान का अध्ययन करनेवाले पाठकों के लिए आपेक्षिकता सिद्धान्त के शताब्दी वर्ष में यह पुस्तक एक अनमोल उपहार की तरह है।
Sansar Ke Mahan Ganitagya
- Author Name:
Gunakar Muley
- Book Type:

- Description: वैज्ञानिकों ने भौतिक जगत् के अन्वेषण के लिए गणित का उपयोग परमावश्यक माना है। लेकिन इतने महत्त्व का विषय होते हुए भी अंग्रेज़ी तक में गणित के इतिहास और गणितज्ञों के बारे में जानकारी देनेवाले ज़्यादा ग्रन्थ नहीं हैं। जो हैं, उनमें भारत या पूर्व के अन्य देशों की गणितीय उपलब्धियों के बारे में बहुत कम सूचनाएँ मिलती हैं। इस दृष्टि से प्रस्तुत पुस्तक की उपादेयता स्वयंसिद्ध है। यह इसलिए और भी महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि हिन्दी में यह अपने विषय की सम्भवतः पहली कृति है। इस ग्रन्थ में विद्वान लेखक ने यूनानी गणितज्ञ यूक्लिड (300 ई.पू.) से लेकर जर्मन गणितज्ञ डेविड हिल्बर्ट (1862-1943) तक संसार के उनचालीस गणितज्ञों के जीवन और कृतित्व का परिचय दिया है। इनमें पाँच भारतीय गणितज्ञ भी हैं—आर्यभट, ब्रह्मगुप्त, महावीराचार्य, भास्कराचार्य और रामानुजन, जो संसार के श्रेष्ठ गणितज्ञों के समुदाय में स्थान पाने के निश्चय ही अधिकारी हैं। हम न्यूटन, गॉस, आयलर, रीमान, कान्तोर आदि महान गणितज्ञों के गणितीय सिद्धान्तों के बारे में पढ़ते हैं, उनका उपयोग करते हैं। मगर इन गणितज्ञों के संघर्षमय जीवन के बारे में हमारी जानकारी नहीं के बराबर होती है। प्रस्तुत ग्रन्थ में गणितज्ञों को कालक्रमानुसार रखा गया है, इसलिए इस ग्रन्थ से प्राचीन काल से लेकर वर्तमान सदी के आरम्भ काल तक के गणित के बहुमुखी विकास की भी सिलसिलेवार जानकारी मिल जाती है। ग्रन्थ के अन्त में पारिभाषिक शब्दावली, सहायक ग्रन्थ-सूची, नामानुक्रमणिका, विषयानु- क्रमणिका आदि के छह परिशिष्ट हैं। संसार के महान गणितज्ञों के जीवन और कृतित्व से सम्बन्धित यह प्रेरणाप्रद जानकारी इस ग्रन्थ में मिलेगी, हिन्दी में पहली बार
Urja Sankat Aur Hamara Bhavishya
- Author Name:
Gunakar Muley
- Book Type:

-
Description:
वर्तमान ऊर्जा-संकट का प्रभाव समाज के सभी वर्गों पर पड़ रहा है। कोयले और तेल की कमी से किसानों, कारख़ानों और घरेलू उपयोग के लिए बिजली का नियमित मिलना कठिन हो गया है। आज साधारण जन यह जानने के लिए उत्सुक है कि इस संकट का निवारण कब और कैसे होगा?
खनिज तेल की कमी और उसके मूल्यों में अत्यधिक वृद्धि के कारण हमें सौर-ऊर्जा, परमाणु-ऊर्जा, तप्तकुंड-ऊर्जा, ज्वार-भाटा तथा पवन-ऊर्जा की ओर ध्यान देना होगा, क्योंकि ऊर्जा के ये स्रोत सस्ते तथा न ख़त्म होनेवाली ऊर्जा हैं। बिजली हमारी मूलभूत आवश्यकता है, मगर जिस रफ़्तार से इसकी खपत हो रही है, उस हिसाब से भविष्य में हम इससे वंचित हो सकते हैं।
प्रसिद्ध विज्ञान-लेखक गुणाकर मुळे की यह पुस्तक ऊर्जा के विभिन्न स्रोतों की आधारभूत जानकारी देती है, और बताती है कि इस समय ऊर्जा उत्पादन और संरक्षण को लेकर भारत की क्या स्थिति है? ऊर्जा के नए स्रोत क्या हो सकते हैं? सूर्य, जल, वायु और परमाणु आदि स्रोतों से ऊर्जा प्राप्त करने की दिशा में क्या कोशिशें की जा रही हैं, यह पुस्तक ऐसे तमाम प्रश्नों का उत्तर देने का प्रयास करती है।
Parmanu Vigyan Ke Badhte Charan
- Author Name:
Gunakar Muley
- Book Type:

- Description: परमाणु, जीवन का भी स्रोत हो सकता है, और विनाश का भी। मनुष्य ने उसे ऊर्जा के उत्पादन के लिए प्रयोग किया है तो बमों के रूप में इस ऊर्जा का विनाशकारी संचयन भी किया है जो एक ही बार में समूची पृथ्वी और जीव-जगत को नष्ट कर सकता है। विज्ञान-लेखक गुणाकर मुळे की यह पुस्तक परमणु की खोज, उसके इतिहास और संभावनाओं के बारे में तथ्यपरक जानकारी देते हुए उन सवालों पर भी विचार करती है जो परमाणु के ग़ैर जिम्मेदार इस्तेमाल के सन्दर्भ में हमारी स्थायी चिन्ता बने हुए हैं। विश्व के मौजूदा हालात को देखते हुए आज यह और भी ज़रूरी हो गया है कि 'परमाणु क्या है' से लेकर 'परमाणु क्या कर सकता है' तक के सभी पहलुओं की जानकारी बतौर एक जिम्मेदार नागरिक हमारे पास हो। यह पुस्तक यही करती है। न सिर्फ़ परमाणु, बल्कि उसकी आन्तरिक संचरना के बारे में अब तक की खोजों की विस्तृत पड़ताल करते हुए उन वैज्ञानिकों के बारे में यहाँ हमें पर्याप्त सूचनाएँ प्राप्त होती है जिन्होंने इस पर काम किया। भारत के प्राचीन ऋषि कणाद को भी मुळे जी चिन्तकों की उसी परम्परा में मानते हैं। उनका नाम ही 'कणाद' इसलिए पड़ा था कि उन्होंने सबसे पहले यह कल्पना की थी कि संसार का सब कुछ अत्यन्त छोटे-छोटे कणों से निर्मित है। छात्रों और सामान्य पाठकों के लिए सरल और सुग्राह्य भाषा में लिखित यह पुस्तक परमाणु विज्ञान की वृहत्तर समझ प्रदान करती है।
Quantum Mechanics and Field Theory
- Author Name:
B.K. Agarwal
- Book Type:

- Description: Quantum Mechanics and Field Theory
Hamari Pramukh Rashtriya Prayogshalayen
- Author Name:
Gunakar Muley
- Book Type:

- Description: वैज्ञानिक प्रयोगशालाएँ आधुनिक भारत की प्रगतिशील यात्रा के पड़ाव भी हैं और उसे बल देनेवाले शक्ति–केन्द्र भी। ये प्रयोगशालाएँ देश के विद्यार्थियों को बड़े पैमाने पर शोधकार्य करने की सहूलियतें देती हैं, उन्हें अपनी प्रतिभा का उपयोग करने का अवसर प्रदान करती हैं, और इस प्रकार देश के वैज्ञानिक व आर्थिक विकास को गति देती हैं। हमारी प्रमुख विज्ञान–संस्था ‘वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसन्धान परिषद’ (सी.एस.आई.आर.) के तहत तीस राष्ट्रीय प्रयोगशालाएँ और बारह सरकारी औद्योगिक संस्थाएँ कार्यरत हैं। इस पुस्तक के लेखक और वैज्ञानिक विषयों के विद्वान गुणाकर मुळे 1994–95 में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की सलाहकार समिति के सदस्य थे। उसी समय उन्होंने यह विचार प्रकट किया था कि इन प्रयोगशालाओं में क्या कार्य हो रहे हैं, और उनके प्रमुख शोध–क्षेत्र क्या–क्या हैं, इस विषय में जनसाधारण को बहुत ज़्यादा जानकारी नहीं है, जबकि इन प्रयोगशालाओं पर देश की जनता का ही पैसा खर्च होता है। परिषद द्वारा उनके विचार का अनुमोदन मिलने पर उन्होंने देश–भर की प्रयोगशालाओं में जाकर उनके कार्य को देखा और वहाँ हो रही शोध–प्रक्रियाओं को समझा। उनकी इन्हीं यात्राओं का नतीजा है यह पुस्तक। देश की विभिन्न प्रयोगशालाओं के इतिहास, उनके कार्यों, उपलब्धियों और सम्बन्धित विषयों की सम्पूर्ण जानकारी से लैस इस पुस्तक में गुणाकर मुळे ने अत्यन्त सरल भाषा में आधुनिक भारत के इन शक्तिपीठों का वर्णन किया है। निस्सन्देह, यह पुस्तक देश की वैज्ञानिक प्रगति में रुचि रखनेवाले जिज्ञासु पाठकों के लिए उपादेय और रुचिकर सिद्ध होगी।
Asia Ke Mahan Vaigyanik
- Author Name:
Gunakar Muley
- Book Type:

- Description: आमतौर पर माना जाता है कि सभी वैज्ञानिक खोजें और आविष्कार आदि यूरोप की ही देन हैं। लेकिन यह धारणा पूरी तरह सही नहीं है, यह पुस्तक बताती है कि जिन सिद्धान्तों और जिज्ञासाओं को लेकर पश्चिमी दुनिया ने बाद में जाकर अनेक आविष्कार और खोजें कीं, उनका बीज एशिया में पहले ही पड़ चुका था, और उस सम्बन्ध में वैज्ञानिक अन्वेषण आरम्भ हो चुका था। भारत, पाकिस्तान, अरब मुल्कों, जापान, श्रीलंका, चीन तथा इस्राइल आदि देशों के अस्सी से ज़्यादा वैज्ञानिकों के जीवन और विज्ञान के क्षेत्र में उनकी उपलब्धियों को सहज भाषा में संकलित कर प्रस्तुत करनेवाली यह पुस्तक चित्रों के साथ एशिया की समृद्ध वैज्ञानिक परम्परा को रेखांकित करती है। प्राचीन तथा अर्वाचीन विज्ञान-पुरुषों के विषय में पूरी जानकारी देने के साथ पुस्तक में तत्कालीन सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों की तरफ़ भी संकेत किया गया है, ताकि पाठक एशिया की विज्ञान-चेतना को उसके सम्पूर्ण परिप्रेक्ष्य में समझ सकें। पुस्तक में शामिल विस्तृत परिशिष्ट में विभिन्न चिकित्सा-पद्धतियों तथा चिकित्सकों की तथ्यात्मक जानकारी के अलावा, गणित के विकास की कालानुक्रमिक, विवरणिका तथा भारतीय गणित-ज्योतिष का विकास-क्रम भी दिया गया है, जिससे यह पुस्तक और भी मूल्यवान हो जाती है। गुणाकर मुळे अपने जीवन-काल में जिन महत्त्वाकांक्षी परियोजनाओं में व्यस्त रहे, उनमें यह पुस्तक महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है।
Vanodeya
- Author Name:
Maruti Chitampalli
- Book Type:

- Description: वनोदेय वनसम्पदा प्रकृति का अनोखा उपहार है| वर्षा-पानी, कृषि, पशुपालन आदि अन्य उद्योग भी जंगलों के साथ अभिन्न रूप से जुड़े हैं। प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से कई प्रकार के लाभ जंगलों से हमें प्राप्त होते हैं। भारतीय आध्यात्मिक जीवन-दर्शन एवं चिन्तन के पवित्र तथा उदात्त केन्द्र माने जाते हैं ये। इन्हीं सब विशेषताओं के मद्देनज़र अनादि काल से वनांचल बहुमूल्य धरोहर माने जाते रहे हैं। किन्तु विगत कुछेक दर्शकों से हमने इस धरोहर की रक्षा की और पर्याप्त ध्यान नहीं दिया और अभी भी हम इस ओर अनदेखी ही कर रहे हैं। हम जंगलों की निरन्तर नोच-खसोट और हत्या इतनी निर्ममता से कर रहे हैं कि इससे हमारी सहृदयता पर बड़े-बड़े प्रश्नचिन्ह लगते ही जा रहे हैं। प्रकृति के प्रति यह कृतघ्नता अन्ततः समूची मानवता के विनाश का कारण बन सकती है। दुनिया पर मँडरा रहे इन्हीं ख़तरों के बादलों की ओर ध्यान आकृष्ट करने का प्रयास इस पुस्तक के ज़रिए किया गया है।
Chemical Technology Futurity
- Author Name:
Dr.Sanjay Rout
- Book Type:

- Description: Chemical Technology Futurity is a book written by Dr. Sanjay Rout, an expert in the field of chemical engineering and technology development. This book provides readers with an extensive overview of the current state of chemical technology as well as a glimpse into its future potentials. It examines how advances in chemistry can be used to create new products, materials and processes that will shape our world for generations to come. The first section of Chemical Technology Futurity focuses on the history and fundamentals behind some major breakthroughs in chemistry over recent decades such as nanotechnology, biotechnology, fuel cells and green energy technologies like solar power or wind turbines . Dr Brantley then goes on to discuss how these advancements have impacted society thus far – from improved health care options through better drug delivery systems or cheaper food production techniques - before delving into their potential applications for tomorrow’s world including artificial intelligence (AI), robotics , 3D printing , renewable resources management etc.. He also looks at what challenges may arise along this journey towards technological progress such as ethical considerations when it comes to AI-driven decision making or environmental issues due increasing levels pollution caused by industrial activities . Overall Chemical Technology Futurity is an insightful read which offers readers invaluable insight into both present day achievements within chemistries realm but also its possible futures developments if we are able tap properly use all available resources wisely while remaining conscious about any associated risks involved along way .
Bhartiya Vigyan Ki Kahani
- Author Name:
Gunakar Muley
- Book Type:

- Description: मध्ययुग तक भारतीय विज्ञान किसी भी अन्य देश के विज्ञान से पीछे नहीं था। हमारे देश में चरक, सुश्रुत, आर्यभट, वराहमिहिर, नागार्जुन तथा भास्कराचार्य (1150 ई.) जैसे महान वैज्ञानिक हुए। आरम्भ में अरबों ने भारतीय विज्ञान से लाभ उठाया और फिर यूरोप में इसका प्रचार-प्रसार किया। आज सारे संसार में प्रयुक्त होने वाली शून्य पर आधारित स्थानमान अंक-पद्धति मूलतः भारत का आविष्कार है। विज्ञान के क्षेत्र में भारत ने संसार को बहुत कुछ दिया है, और अन्य देशों से बहुत कुछ लिया भी है। भारतीय विज्ञान की कहानी ज्ञान-विज्ञान के इसी आदान-प्रदान की चर्चा से शुरू होती है। आगे पाषाणयुग, ताम्रयुग की सिन्धु सभ्यता तथा वैदिक काल की वैज्ञानिक उपलब्धियों की जानकारी दी गई है। तदनन्तर विषयानुसार भारतीय विज्ञान के विकास की रूपरेखा प्रस्तुत की गई है। लेखक स्वयं विज्ञान के अध्येता थे, इसलिए भारतीय विज्ञान के इस विवेचन को उन्होंने वैज्ञानिक दृष्टिकोण से ही प्रस्तुत किया। संसार के सभी विकसित देशों के स्कूल-कॉलेजों में ‘विज्ञान का इतिहास’ पढ़ाया जाता है। हमारे देश के विज्ञान के विद्यार्थियों को भी प्राचीन भारत के विज्ञान की थोड़ी-बहुत जानकारी अवश्य होनी चाहिए। इतिहास के विद्यार्थियों को तो भारतीय विज्ञान की उपलब्धियों की जानकारी अवश्य ही होनी चाहिए। इसी आवश्यकता को ध्यान में रखकर यह पुस्तक लिखी गई है और यह हिन्दी में एक बड़े अभाव की पूर्ति करती है। अध्यापक तथा सामान्य पाठक भी इस पुस्तक को उपयोगी पाएँगे।
Ganit Se Jhalakti Sanskriti
- Author Name:
Gunakar Muley
- Book Type:

- Description: गणित और संस्कृति का अन्योन्याश्रित सम्बन्ध रहा है। अतीत की कौन सी संस्कृति कितनी उन्नत रही है, यह उसकी गणितीय उपलब्धियों से पहचाना जा सकता है। किसी आदिम जनजाति की भौतिक अवस्था इस बात से भी जानी जा सकती है कि वह कहाँ तक गिनती कर सकती है। यूनानियों ने मिस्र से ज्यामितीय जानकारी हासिल करके उसका आगे विकास किया और उसे निगमनात्मक तर्कशास्त्र का इतना सुदृढ़ जामा पहनाया कि यूक्लिड (300 ई.पू.) की ज्यामिति आज भी सारी दुनिया के स्कूलों में पढ़ाई जाती है। ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में संसार को भारत की सबसे बड़ी देन है—शून्य सहित सिर्फ़ दस संकेतों से सारी संख्याएँ लिखने की अंक-पद्धति, जिसका आज सारी दुनिया में व्यवहार होता है। गणित अब एक व्यापक विषय बन गया है। आज गणित के बिना किसी भी विषय का गहन अध्ययन सम्भव नहीं है। भौतिकी, रसायन, आनुवंशिकी आदि अनेक वैज्ञानिक विषयों के लिए गणित का बुनियादी महत्त्व है। इस पुस्तक के लेखक गुणाकर मुळे आजीवन हिन्दी भाषा-भाषी समाज को वैज्ञानिक चेतना से सम्पन्न बनाने का सपना देखते रहे। इसी उद्देश्य को ध्यान में रख उन्होंने अनेकानेक ग्रन्थों की रचना की। गणित और संस्कृति के अन्तर्सम्बन्धों को रेखांकित करनेवाली यह पुस्तक भी उनकी इसी साधना का फल है जिसे पाठक निश्चय ही अत्यन्त उपयोगी पाएँगे।
Ank Katha
- Author Name:
Gunakar Muley
- Book Type:

- Description: अंकों की जिस थाती ने हमें आज इस लायक़ बनाया है कि हम चाँद और अन्य ग्रहों पर न सिर्फ़ पहुँच गए बल्कि कई जगह तो बसने की योजना तक बना रहे हैं, उन अंकों का आविष्कार भारत में हुआ था। वही 1,2,3,4...आदि अंक जो इस तरह हमारे जीवन का हिस्सा हो चुके हैं कि हम कभी सोच भी नहीं पाते कि इनका भी आविष्कार किया गया होगा, और ऐसा भी एक समय था जब ये नहीं थे। हिन्दी के अनन्य विज्ञान लेखक गुणाकर मुळे की यह पुस्तक हमें इन्हीं अंकों के इतिहास से परिचित कराती है। पाठकों को जानकर आश्चर्य होगा कि दुनिया में चीज़ों को गिनने की सिर्फ़ यही एक पद्धति हमेशा से नहीं थी। लगभग हर सभ्यता ने अपनी अंक-पद्धति का विकास और प्रयोग किया। लेकिन भारत की इस पद्धति के सामने आने के बाद इसी को पूरे विश्व ने अपना लिया, जिसका कारण इसका अत्यन्त वैज्ञानिक और सटीक होना था। मैक्स मूलर ने कहा था कि ‘संसार को भारत की यदि एकमात्र देन केवल दशमिक स्थानमान अंक पद्धति ही होती, और कुछ भी न होता तो भी यूरोप भारत का ऋणी रहता।’ इस पुस्तक में गुणाकर जी ने विदेशी अंक पद्धतियों के विस्तृत परिचय, यथा—मिस्र, सुमेर-बेबीलोन, अफ्रीका, यूनानी, चीनी और रोमन पद्धतियों की भी तथ्यपरक जानकारी दी है। इसके अलावा गणितशास्त्र के इतिहास का संक्षिप्त परिचय तथा संख्या सिद्धान्त पर आधारभूत और विस्तृत सामग्री भी इस पुस्तक में शामिल है। कुछ अध्यायों में अंक-फल विद्या और अंकों को लेकर समाज में प्रचलित अन्धविश्वासों का विवेचन भी लेखक ने तार्किक औचित्य के आधार पर किया है जिससे पाठकों को इस विषय में भी एक नई और तर्कसंगत दृष्टि मिलेगी।
Mahan Vaigyanik
- Author Name:
Gunakar Muley
- Book Type:

- Description: विज्ञान विषयों के सुप्रसिद्ध लेखक गुणाकर मुळे ने प्रस्तुत पुस्तक में संसार के इक्कीस महान वैज्ञानिकों के जीवन और कर्म का तथ्यपरक शब्दांकन किया है। यहाँ आर्किमीदिज़, कोपर्निकस, गैलिलियो, न्यूटन, मैडम क्यूरी, आइंस्टाइन जैसे वैज्ञानिकों के अतिरिक्त भारत के तीन महान विभूति—सुब्रह्मण्यन् चंद्रशेखर, रामानुजन्, चन्द्रशेखर वेंकट रामन् की जीवन-साधना का भी रोचक आख्यान है। रामानुजन् निस्संदेह एक महान गणितज्ञ थे। बीसवीं शताब्दी के गणितज्ञों में न केवल भारत के अपितु संसार के महान गणितज्ञों में उनका प्रमुख स्थान है। जिस कठिनाई से और अल्पायु में रामानुजन् ने गणितशास्त्र की सेवा की है, वह हमारे लिए एक आदर्श है। इसी प्रकार वेंकट रामन् ने प्रकाश-किरणों के गुण-धर्म से सम्बन्धित अद्भुत खोज की। इस नियम को ‘रामन्-प्रभाव’ के नाम से जाना गया। प्रस्तुत पुस्तक में इन्हीं सब तथ्यों को अत्यंत प्रामाणिक और रोचक तरीके से रखा गया है। भाषा-शैली इतनी सरल और सहज है कि कोई भी पाठक इसे आद्योपांत पढ़े बिना नहीं रहेगा।
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...