Kepler
Author:
Gunakar MuleyPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Science0 Reviews
Price: ₹ 76
₹
95
Available
गुणाकर मुळे का विज्ञान-लेखन सिर्फ़ जानकारी नहीं देता, उनका प्रयास हमेशा यह रहा कि पाठक की चेतना का विकास वैज्ञानिक पद्धति पर हो, वे जीवन-जगत् को स्पष्ट, तार्किक नज़रिए से देखें और धार्मिक तथा कर्मकांडीय अन्धविश्वासों से मुक्त हों।
इसीलिए उन्होंने अनेक वैज्ञानिकों, गणितज्ञों, खगोलशास्त्रियों और उनके सिद्धान्तों के सम्बन्ध में अकसर सरल भाषा में लिखा है।
यह पुस्तक योहानेस केपलर के जीवन और सिद्धान्तों की जानकारी देती है।
केपलर संसार के पहले वैज्ञानिक हैं जिन्होंने स्पष्ट किया कि ग्रह वृत्तमार्ग में नहीं, बल्कि दीर्घवृत्तीय यानी अंडाकार कक्षाओं में सूर्य की परिक्रमा करते हैं। इतना ही नहीं, चन्द्रमा जैसे उपग्रह भी दीर्घवृत्ताकार कक्षाओं में अपने-अपने ग्रहों का चक्कर लगाते हैं। यह एक महान खोज थी। आगे जाकर केपलर ने ग्रहों की गतियों के बारे में तीन नियमों की खोज की, जिनके कारण उन्हें आधुनिक खगोल-भौतिकी का जनक माना जाता है। विज्ञान के इतिहास में केपलर के इन तीन नियमों का चिरस्थायी महत्त्व है।
ग्रहों की गतियों से सम्बन्धित केपलर के तीन नियम पहले से तैयार नहीं होते, तो महान न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण का सिद्धान्त हमें इतनी जल्दी उपलब्ध नहीं हो पाता। न्यूटन ने भी स्वीकार किया था : “मैंने जो कुछ पाया है, वह दूसरे महान वैज्ञानिकों के कन्धों पर खड़े होकर ही।” इन ‘दूसरे महान वैज्ञानिकों’ में एक प्रमुख वैज्ञानिक थे—केपलर।
ISBN: 9788126708802
Pages: 99
Avg Reading Time: 3 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
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- Description: पाश्चात्य देशों के वैज्ञानिकों के बारे में अंग्रेज़ी तथा भारतीय भाषाओं में काफ़ी साहित्य उपलब्ध है। इन वैज्ञानिकों के बारे में स्कूल-कॉलेजों के अध्यापकों से भी विद्यार्थियों को थोड़ी-बहुत जानकारी मिल ही जाती है, पर खेद की बात है कि अपने देश के चरक, सुश्रुत, आर्यभट तथा भास्कराचार्य जैसे चोटी के वैज्ञानिकों के बारे में हमारे विद्यार्थियों को नहीं के बराबर जानकारी है। विद्यार्थियों और सामान्य पाठकों को दृष्टि में रखकर प्रस्तुत पुस्तक में प्राचीन भारत के दस वैज्ञानिकों का संक्षिप्त परिचय दिया गया है। इन वैज्ञानिकों के ग्रन्थ तो प्राप्त हैं, किन्तु इनके जीवन के बारे में हमें ठोस जानकारी नहीं मिलती। मूल ग्रन्थ संस्कृत भाषा में होने से प्रस्तुत पुस्तक की सीमा में विषयों की विशद व्याख्या सम्भव नहीं थी, इसके बावजूद यह पुस्तक प्राचीन भारत के विज्ञान एवं वैज्ञानिकों का प्रारम्भिक परिचय कराने में बहुत ही उपयोगी सिद्ध होती है।
Janane ki Batein (Vol. 3)
- Author Name:
Deviprasad Chattopadhyay
- Book Type:

- Description: Janane ki Batein (Vol. 2)
Jal Ki Rochak Baaten
- Author Name:
B. J. Vasavada +1
- Book Type:

- Description: जल हमारे पर्यावरण का एक महत्त्वपूर्ण घटक है तथा पंचमहाभूतों में विशिष्ट भूमिका निभाता है । किसी भी देश के विकास में जल की स्थिति का आकलन पहले किया जाता है । साधारण सा दिखनेवाला जल अपने गुणों की दृष्टि से है बहुत विलक्षण । यह अपने आप में अपवाद भी है । जल को जीवन की भी संज्ञा दी गई है । यह रोगकारक एवं रोगशामक भी है । पृथ्वी पर स्वच्छ जल की मात्रा भी निर्धारित ही है; परंतु मानव अपनी विकास-यात्रा तथा अन्य क्रिया-कलापों के कारण इस प्राकृतिक संपदा को प्रदूषित भी कर रहा है, अपव्यय भी कर रहा है । आज इक्कीसवीं सदी में स्वच्छ पेयजल सबके लिए एक गंभीर विषय है । अत: जल से संबद्ध रोचक जानकारियाँ प्रस्तुत पुस्तक में अत्यंत ही सरल एवं बोधगम्य भाषा में दी गई हैं । पचास से अधिक दिए गए चित्र पुस्तक को और भी उपयोगी बनाते हैं । हमें विश्वास है, प्रस्तुत पुस्तक को पढ़कर पाठकगण जल से संबद्ध जानकारी से स्वयं कौ समृद्ध व संपन्न कर सकेंगे ।
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