
Hindu-Darshan
Author:
Dr. S. RadhakrishnanPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
Religion-spirituality0 Reviews
Price: ₹ 136
₹
170
Unavailable
"डॉ.एस. राधाकृष्णन ने हिंदू धर्म के केंद्रीय सिद्धांतों, इसके दार्शनिक और आध्यात्मिक सिद्धांत, धार्मिक अनुभव, नैतिक चरित्र और पारंपरिक धर्मों की व्याख्या की है। हिंदू धर्म परिणाम नहीं एक प्रक्रिया है, विकसित होती परंपरा है, न कि निश्चित रहस्योद्घाटन—जैसा कि अन्य धर्मों में होता है। उन्होंने ईसाई धर्म, इसलाम और बौद्ध धर्म की तुलना हिंदू धर्म के संदर्भ में की है और इस बात पर बल दिया है कि इन धर्मों का अंतिम उद्देश्य सार्वभौमिक स्वयं की प्राप्ति है। धर्म को लेकर राधाकृष्णन का विश्लेषण परम बौद्धिक और संतुलित है तथा उनके व्याख्यानों को विश्व भर में हार्दिक प्रतिक्रिया मिली है। इस पुस्तक के लेख इस महान् दार्शनिक के मन को प्रतिबिंबित करते हैं, जिनका अभिवादन एक और विवेकानंद के रूप में किया गया है।
हिंदू धर्म का विहंगम दिग्दर्शन करानेवाली पठनीय पुस्तक।
ISBN: 9789352663637
Pages: 154
Avg Reading Time: 5 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
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वेद सनातनविद्या के काव्यात्मक प्रतिपादन हैं। ऋग्वेद संहिता के अनुवाद एवं व्याख्या का प्रयास अनेक भाषाओं में समय-समय पर होता रहा है, किन्तु अभी तक उपलब्ध सभी अनुवादों में काव्यपक्ष की उपेक्षा अथवा पद्यानुवाद की प्रस्तुति के असम्भव प्रयास ही किए गए हैं जो ऋचाओं के साथ पूरा न्याय नहीं करते हैं। वेदों में भावों की सनातनता एक व्यापक ध्वनि के रूप में सूक्तों, संवादों और आख्यानों में विद्यमान है। प्रस्तुत अनुवाद में पादानुसारी किन्तु भावपरक अनुवाद पर विशेष आग्रह सोद्देश्य है ताकि ऋचाओं की काव्यात्मकता का यथासम्भव सम्प्रेषण एवं मूल की अर्थयोजना का क्रम अनुवाद में सुरक्षित रहे।
भाषान्तर में व्याख्या का सूक्ष्म प्रकार अनिवार्य होता है और वही अनुवाद का वर्तमान और अतीत के मध्य संवाद बनाकर बहुत कुछ को परम्परा में जीवित तथा प्रगतिशील रखता है। अतः ग्रन्थ में अनुवाद के लिए उपयुक्त भाषा, पुरातन ध्वनि बहुलता और समसामयिक सजीवता के संरक्षण की दृष्टि से तत्सम, तद्भव एवं देशी शब्दों के समन्वित प्रयोग किए गए हैं। साथ ही, गम्भीर और बहुमुखी अर्थों को स्पष्ट करने के लिए क्रियापदों के अनुवाद, दुरूह पदों के अर्थनिर्वचन में धातुपाठ, निरुक्त की पद्धति एवं आधुनिक तथा तुलनात्मक व्याकरण के अनुसरण से सहायता ली गई है।
वेद आर्षकाव्य के निर्देशन के साथ-साथ अध्यात्मगवेषियों के मार्गदर्शक भी हैं। अतः ऋचाओं में संश्लिष्ट आधियाज्ञिक, आधिभौतिक, आधिदैविक और आध्यात्मिक अर्थों को उद्घाटित करने का प्रयास किया गया है। व्याख्याकारों में जहाँ विवाद की स्थिति है, वहाँ प्राचीन एवं नवीन दोनों ही मतों का विवेचन प्रस्तुत किया गया है। इस प्रकार काव्यात्मक पक्ष की प्रस्तुति, निगूढ़ अर्थ के आयामों का विश्लेषण और विवादित स्थलों का तुलनात्मक विवेचन इस ग्रन्थ के अनुवाद एवं व्याख्या की अभीप्सित विशेषताएँ हैं।
इस खंड में ‘ऋग्वेद’ के छठे एवं सातवें मंडल का व्याख्या सहित हिन्दी अनुवाद प्रस्तुत किया गया है।
Ramcharitmanas : Ocean of Science
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S.P. Gautam
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Philosophy of Hinduism & Waiting For A Visa
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DR. B.R. Ambedkar
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- Description: "Philosophy of Hinduism is a profound and critical analysis by Dr. B.R. Ambedkar that examines the foundations and philosophical underpinnings of Hinduism. Written with an intent to investigate the principles of justice, equality and morality within Hindu religious and social doctrines, the book delves into key concepts of Hindu philosophy, such as the idea of karma, dharma and the caste system. Waiting for a Visa is a powerful and eye-opening work by Dr. B.R. Ambedkar, one of India's foremost social reformers and the chief architect of the Indian Constitution. Written in 1935-36, this autobiographical account is a collection of personal and real-life incidents that expose the harsh realities of caste discrimination faced by Ambedkar and other Dalits in the Pre-independent India."
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