Amazing Astro Science
Author:
Dr.Sanjay RoutPublisher:
ISL PUBLICATIONSLanguage:
EnglishCategory:
Religion-spirituality0 Reviews
Price: ₹ 170
₹
200
Available
Amazing Astro Science is the must-read book for anyone interested in space exploration and the latest developments in astronomy. Written by renowned astrophysicist Dr. Sanjay, this comprehensive guide provides readers with an in-depth look into the fascinating world of space science. From the history of astronomy to the latest discoveries in star formation and black holes, this book covers it all. Readers will gain an understanding of the fundamentals of astrophysics and the technology used to explore the outer reaches of the universe. With its easy-to-understand explanation of complex topics and its stunning visuals, Amazing Astro Science is both a captivating and educational read. Whether you’re a student of astronomy, a casual hobbyist, or just curious about the universe, this book will provide readers with a wealth of knowledge and insight.
ISBN: 9781393724735
Pages: 176
Avg Reading Time: 6 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Ghazal Kumbh 2020
- Author Name:
Dixit Dankauri
- Book Type:

- Description: This Book Doesn't have a Description
Devi | Unveiling The Mysteries Of The Divine Goddess: Exploring The Secrets Of Goddess
- Author Name:
Nirjharini Tripathy
- Book Type:

- Description: Prepare to be captivated by a story that transcends time, evoking a tapestry of emotions-from the heart-wrenching struggles of the past to the empowering triumphs of the present. 'Devi' is a celebration of resilience-a reminder of the power of women to create, nurture, and transform the world around them; not just a tale of survival. 'Devi' beautifully explores the sacred symbolism of water, from the confluence at Prayagraj to the sacred Ghats of Kashi, Triveni Sangam to Manikarnika, with the Ganges taking centre-stage, reverberating through the ages as a mother, a goddess, and a spiritual archetype. 'Devi' delves deeply into the teachings of the revered texts-the Vedas, Upanishads, Bhagavad Gita, and Shastras that shape the moral fabric of society. In the heart of Odisha's remote Sambalpur, set against the backdrop of the pandemic-stricken year of 2020, a profound narrative unfolds a journey that weaves together the threads of history, and the indomitable spirit of five generations of mothers and daughters, rendering the Navadurga : Shailaputri, Brahmacharini, Chandraghanta, Kushmanda, Skandamata, Katyayani, Kalaratri, Mahagauri, and Siddhidatri.
Parashakti Shri Sita
- Author Name:
Suresh Kumar Singh
- Book Type:

- Description: श्री सुरेश कुमार सिंह, प्रशासनिक पद पर होते हुए भी आध्यात्मिक चिन्तन और लेखन में लीन रहते हैं। उनकी आध्यात्मिक चेतना और शोध-दृष्टि स्पृहणीय है। ‘पराशक्ति श्रीसीता’ और उनसे सम्बन्धित स्थल की प्रामाणिक खोज उनके व्यक्तित्व को उजागर करती है। एक प्रशासनिक अधिकारी के गुरुतर दायित्वों का निर्वहन करते हुए इक्यावन शक्तिपीठों का अन्वेषण, उपनिषदों में देवी के विविध स्वरूपों का शोधपरक विश्लेषण तथा ‘पराशक्ति श्रीसीता’ के विविध स्वरूपों का विवेचन इनकी वैचारिक ऊँचाइयों का दिग्दर्शन कराता है। भदोही जनपद के ख्यातिलब्ध विद्वानों—शास्त्र चूड़ामणि, डॉ. विद्याशंकर त्रिपाठी, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित डॉ. भारतेन्दु द्विवेदी तथा डॉ. लक्ष्मीधर चतुर्वेदी ने पुस्तक को उपयोगी बनाने में अहम् भूमिका निभाई है। विश्वास है, यह पुस्तक ‘पराशक्ति श्रीसीता’ और वाल्मीकि आश्रम सीतामढ़ी के सन्दर्भ में मील के पत्थर का काम करेगी।
Ramlila Ki Utpatti Tatha Vikas
- Author Name:
Mohan Ram Yadav
- Book Type:

-
Description:
राम के जीवन में भारतीय आदर्शों के चरम विकास के दर्शन होते हैं। भक्ति-सम्प्रदाय में वे भगवान के अवतार माने जाते हैं। अतः उनके चारित्रिक गुण एवं जीवन का ज्ञान बड़े उत्साह से प्राप्त किया जाता है। रामलीला का आयोजन भारत में तो अत्यन्त प्राचीन काल से होता ही रहा है, विदेशों में भी सहस्रों वर्षों से बसे भारतीय इसे अक्षुण्ण बनाए हुए हैं। इस प्रकार रामलीला ने विदेशों में स्थापित भारतीय सांस्कृतिक सम्बन्ध को ऐसा दृढ़ बना दिया है कि सहस्रों वर्षों तक निरन्तर प्रयत्न करते रहने पर भी काल उसे नष्ट करने में समर्थ नहीं हो सका है। इसमें सांस्कृतिक जीवन की ऐसी महत्त्वपूर्ण झाँकी मिलती है जो इस युग में भी समस्त क्षेत्रों में मानव का पथ-प्रदर्शन करने में सर्वथा समर्थ है।
देश के कोने-कोने में रामलीला के आयोजन की चर्चा अनेक धार्मिक तथा ऐतिहासिक ग्रन्थों में हुई। किन्तु किसी में उसका सम्यक् निरूपण प्राप्त नहीं होता। रामलीला का आयोजन प्रायः भक्ति-साधना के रूप में होता रहा है। अतएव भौतिकता से दूर रहनेवाले साधु-महात्मा इसके विश्लेषणात्मक इतिहास को धर्म-विरुद्ध समझ इससे दूर ही रहे। उन्हें तो रामलीला के दर्शन मात्र से प्रयोजन था। गोस्वामी जी राम का व्यापक प्रचार करना चाहते थे। उनके मत से तात्कालिक व्याधियों का सबसे बड़ा उपचार रामचरित था। जहाँ उन्होंने प्रचार के अनेक साधन अपनाए वहाँ मानस की रामलीला का आयोजन धूम-धाम से किया। रामलीला प्रचार का बड़ा उपयुक्त साधन है। कथा-वार्ता, मन्दिर या अखाड़ों में तो वह व्यक्ति जाता है जिसमें उस प्रकार की प्रवृत्ति रहती है, किन्तु रामलीला के कारण ऐसे जन भी उनकी ओर आकृष्ट होते हैं जिनकी सम्भावना नहीं की जाती। इसमें मनोरंजन के साथ-साथ शिक्षा भी मिलती हैं। प्रत्यक्ष दर्शन का प्रभाव श्रव्यकाव्य या उपदेश की अपेक्षा अधिक तथा स्थायी होता है।
गोस्वामी जी के पूर्व से वाल्मीकीय ‘रामायण’ के अनुसार रामलीला होती थी। उसके प्रति जनता में आस्था भी थी। वाल्मीकीय ‘रामायण’ के निर्माण काल की सामाजिक, राजनीतिक तथा आर्थिक परिस्थिति तत्कालीन समय से भिन्न थी। वाल्मीकीय ‘रामायण’ के आधार पर होनेवाली रामलीला में धार्मिक भावना की प्रधानता थी। वह मुसलमानी शासन तथा इस्लाम धर्म के कारण उस युग में उपादेय सिद्ध नहीं हो सकती थी। गोस्वामी जी उसको नया तथा उपयोगी स्वरूप प्रदान करना चाहते थे। यह रामलीला का आन्दोलन था। रामलीला के आयोजन से जनता में नव-चेतना जग पड़ी। उनके सामने एक उदाहरण प्रत्यक्ष रूप में आ गया। राम की भाँति विपत्तियों में धैर्य रखने तथा पराक्रम द्वारा कार्य करने से राक्षसी प्रवृत्तियों का विनाश हो सकता है। भारतीय संस्कृति का मूर्त रूप पाकर जनता ने अपने हृदय का परिष्कार किया तथा चरित्र सुधारा। गोस्वामी जी की रामलीला की लहर सारे उत्तरी भारत में फैलती हुई दक्षिण में भी जा पहुँची। सारा देश राममय हो गया। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक तथा अटक से लेकर कटक तक रामलीला का आन्दोलन व्याप्त हो गया। इस क्षेत्र में गोस्वामी जी को अपूर्व सफलता मिली।
AMAZING ALLOY HEALING
- Author Name:
Dr.Sanjay Rout
- Book Type:

- Description: This is the book that you need. It is a must read for anyone who is interested in Healing and Health. They can make this book your source of information about how to heal themselves physically and mentally."
Devalayon Per Mithun Murtiyan Kyon ?
- Author Name:
Tapi Dharma Rao
- Book Type:

-
Description:
तेलगू लेखक तापी धर्माराव के लेखन का प्रयोजन समाज को शिक्षित करना रहा है। इतिहास को बाँचने में उन्हें कोई गुरेज़ नहीं। वे तथ्यों की वैज्ञानिक पड़ताल भी करते हैं और अन्धविश्वासों को चुपचाप पचा लेने की ग़लतियाँ वह नहीं करते। आत्मानुभव उनके मन में उठे द्वन्द्व का कारण बनता है और वह उनके समाधान की खोज करने में जुट जाते हैं। उनके लेखन में ज्ञान से अधिक अनुभव है और परम्परा से अधिक व्यावहारिक तथ्य।
सच कहने के लिए साहस, धैर्य और आत्मबल की ज़रूरत होती है। तापी धर्माराव के यह गुण प्रस्तुत पुस्तक में साफ़ महसूस किए जा सकते हैं। पुस्तक सवाल–दर–सवाल खड़े करती है। लेखक ने इन प्रश्नों को प्रस्तुत करने और उनके सम्बन्ध में तथ्यों को स्पष्ट करने की चेष्टा की है। प्रश्नों के कारणों की विवेचना के साथ–साथ उनके हल की तलाश भी ज़रूरी है। पुस्तक में कई प्रश्न टकराते हैं और उनका समाधान जिज्ञासाओं की पूर्ति के रूप में किया गया है।
Bhagwatigita
- Author Name:
Ashok Kumar Sharma
- Book Type:

- Description: Bhagwati gita
Alchemy – A Siddha Science
- Author Name:
Dr.Sanjay Rout
- Book Type:

- Description: Alchemy – A Siddha Science is an insightful and captivating exploration of the ancient science of Alchemy, a spiritual practice and form of healing that has been used for centuries in India and Southeast Asia. This book provides an in-depth look at the history and practices of Alchemy, as well as the application of its teachings in modern times. It includes a wide variety of topics, from the health benefits of Alchemy to its spiritual and metaphysical aspects, as well as practical advice on how to incorporate its teachings into your own life. Learn how to unlock the power of your inner energy, and gain skills to aid in personal transformation. Through this book, you'll discover how to unlock the hidden mysteries of the universe and find true balance and harmony. Unlock the secrets of the Siddha Science, and discover a world of wellness, wisdom, and transformation.
Ramgita
- Author Name:
Ashok Kumar Sharma
- Book Type:

- Description: भगवान श्रीराम त्रेता युग में हुए थे, उनकी शिक्षाओं को हर युग में उपयोगी माना जाता रहा है। ये शिक्षाएँ संसार में रहते हुए ही जीतने, आगे बढ़ने तथा असम्भव को सम्भव बनाने का मार्ग दिखाती हैं। उनकी शिक्षाएँ आत्मज्ञान, नैतिकता, मानसिक सन्तुलन, ध्यान, साहस, मैत्री और प्रेम का महत्त्व समझाने के साथ-साथ निराशा से बचे रहने का मार्ग भी दिखाती हैं। जीवन में ठीक रास्ते पर चलने, अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने और समाज में सकारात्मक भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करती है। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की शिक्षाओं की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वे कर्म के साथ कर्तव्य पालन और आत्मविश्वास के महत्त्व पर बल देते हैं। उचित-अनुचित के बीच अन्तर करने एवं नैतिक मूल्यों का पालन करने की प्रेरणा देते हैं।
In Service Of Sai
- Author Name:
Dr. Suresh Haware
- Book Type:

- Description: The opportunity of service of Sai Baba came into my life as a divine blessing. As a result, my life was completely transformed. Earlier, I rarely visited Shirdi. During this Period, I visited no other Place but Shirdi. I did not think about Sai Baba very often before. During this period, I thought about nothing other than sai. My feet would always yearn to go to Shirdi
Hindu Dharma : Jeevan Mein Sanatan Ki Khoj
- Author Name:
Vidhyaniwas Mishra
- Book Type:

-
Description:
‘हिन्दू धर्म : जीवन में सनातन की खोज’ पुस्तक में हिन्दू धर्म-दर्शन पर विवेचनापूर्ण विचारों का संकलन किया गया है। इसमें हिन्दू धर्म की व्याख्या नहीं है, बल्कि विद्यानिवास जी के भीतर उमड़ रही सोच की साफ़-सुथरी अभिव्यक्ति है। सनातनता का हिन्दू धर्म के सन्दर्भ में यहाँ परम्परागत अर्थ नहीं है। यह तो एक खोज है, सत्य का अन्वेषण है, जिसे निरन्तर जारी रहना है।
यह पुस्तक उन सभी को सम्बोधित है, जो कहीं मन में यह पीड़ा पाले हुए हैं कि ऐसा हिन्दू होने से क्या हुआ, जो हमें मुसलमान कवि रसखान की अहीर की छोहरी न बना सका, जिसकी छछिया भर छाछ पर पूरी विश्व-सत्ता, पूरा विश्व-रससम्भार और पूरा विश्व-चैतन्य नाचने को बाध्य हो गया।
हिन्दू धर्म का उदात्त भाव, समन्वय की क्षमता, उदारता से भरा-पूरा विराट स्वरूप ही मनुष्य के जीवन को आलोकमय बनाने के साधन हैं। यह पुस्तक सभी के लिए प्रीतिकर प्रमाणित होगी।
Prayagraj Aur Kumbh : Sanskritik Vaibhav Ki Abhinav Gatha
- Author Name:
Zilani Bano
- Book Type:

- Description: यागराज को तीर्थराज कहा गया है। यह भारत का सर्वप्रमुख सांस्कृतिक केन्द्र होने के साथ ही भारतीय सात्त्विकता का सर्वोत्तम प्रतीक भी है। यह हिन्दू-आस्था का एक महान केन्द्र तो है ही, यह हमारे देश की धार्मिक और आध्यात्मिक चेतना का केन्द्रबिन्दु भी है। प्रयागराज के माहात्म्य का विस्तृत वर्णन मत्स्य, पद्म और कूर्म पुराण के कई अध्यायों में मिलता है। कुम्भ के दौरान संगम तीर्थ पर एक स्नान-दिवस पर भक्तिभाव से कई बार इतने लोग जमा हो जाते हैं कि उनकी संख्या दुनिया के कई देशों की कुल जनसंख्या से भी अधिक होती है। उन श्रद्धालुओं को कभी कोई निमंत्रण नहीं देता, वे श्रद्धा और भक्ति की एक अदृश्य डोर में बँधकर वहाँ खिंचे चले आते हैं। हमारी सनातन सस्कृति का यह चुम्बकीय आकर्षण अनादिकाल से यथावत् बना हुआ है। श्रद्धा और आस्था का यह आवेग सदियों से चली आ रही हमारी परम्परा का हिस्सा है। यह परम्परा हमें अपनी मूल संस्कृति से जोड़े रखने के साथ ही सांस्कृतिक एकीकरण का पथ भी प्रशस्त करती है। स्वाभाविक रूप से प्रयागराज और कुम्भ के गौरवशाली इतिहास के बारे में जानना-समझना एक सुखद अनुभूति है। बहरहाल, अभिलेखीय और साहित्यिक स्रोतों के आधार पर प्रयागराज और कुम्भ के गौरवशाली इतिहास को इस पुस्तक में बहुत ही सरस ढंग से प्रस्तुत किया गया है। इसमें प्रामाणिकता और रोचकता का मणि-कांचन संयोग है। यह पुस्तक हमारे देश के सांस्कृतिक वैभव की एक अभिनव गाथा लेकर आई ह
MadhyaKalin Dharm-Sadhna
- Author Name:
Hazariprasad Dwivedi
- Book Type:

- Description: ्यकालीन धर्म-साधना' यद्यपि भिन्न-भिन्न अवसर पर लिखे गये निबन्धों का संग्रह ही है, तथापि आचार्य द्विवेदी जी ने प्रयत्न किया है कि ये लेख परस्पर विच्छिन और असम्बद्ध न रहें और पाठकों को मध्यकालीन धर्म-साधनाओं का संक्षिप्त और धारावाहिक परिचय प्राप्त हो जाए। दो प्रकार के साहित्य से इन धर्म-सानाओं का परिचय संग्रह किया गया है— (1) विभिन्न सम्प्रदायों के साधना-विषयक और सिद्धान्त-विषयक ग्रन्थ; और (2) साधारण काव्य-साहित्य। इस प्रकार पुस्तक में आलोचित अधिकांश धर्म-साधनाएँ शास्त्रीय रूप में ही आई हैं। जिन सम्प्रदायों के कोई धर्म-ग्रन्थ प्राप्त नहीं हैं या जो धर्म-साधनाएँ साधारण काव्य-साहित्य में नहीं आ सकी हैं, वे छूट गई हैं। हमारे देश की धर्म-साधना का इतिहास बहुत विपुल है। विभिन्न युग की सामाजिक स्थितियों से भी इसका सम्बन्ध है। फलस्वरूप इस पुस्तक में प्रयत्न किया गया है कि उत्तर भारत की प्रधान धर्म-साधनाएँ यथासम्भव विवेचित हो जाएँ और उनकी सामाजिक पृष्ठभूमि का भी सामान्य परिचय पाठक को मिल जा
Dharam Ka Marm
- Author Name:
Akhilesh Mishra
- Book Type:

-
Description:
संस्कृत, पालि, अंग्रेज़ी, प्राकृत, उर्दू, अर्थशास्त्र, खगोलशास्त्र, गणित और भाषाविज्ञान आदि भाषाओं और विषयों के अधिकारी विद्वान अखिलेश मिश्र के बौद्धिक व्यक्तित्व की विशेषता यह थी कि उन्होंने ज्ञान को कर्म से जोड़ा। जीवन-भर वे ज्ञान, कर्म, वाणी और लेखनी की एकाग्र शक्ति के साथ जनसंघर्षों में संलग्न रहे। अस्सी के दशक में जब साम्प्रदायिक शक्तियाँ उभार पर थीं, उन्होंने अपनी पूरी ताक़त साम्प्रदायिकता विरोधी संघर्ष में झोंक दी। साक्षरता और जन-शिक्षण में उनकी बहुत गहरी और निजी दिलचस्पी थी।
इस पुस्तक में उनके राष्ट्रीय सहारा में जनवरी 1997 से दिसम्बर 1998 तक ‘धर्म-संस्कृति’ के अन्तर्गत लिखे गए निबन्धों को संकलित किया गया है। ये निबन्ध साबित करते हैं कि मिश्र जी हिन्दी के स्वतन्त्रचेता और विवेकशील विचारकों की गौरवशाली परम्परा की एक महत्त्वपूर्ण कड़ी थे।
डॉ. नामवर सिंह के शब्दों में : ‘उनके विचार से धर्म गुण है और हर वस्तु की तरह मनुष्य का गुण धर्म होता है जिसे मनुष्यता अथवा मानवता कहते हैं।’ और, ‘जो गुण धर्म का मर्म के लेखक के प्रति श्रद्धावनत होने को विवश करता है वह है उसकी निर्भयता।’
धर्म, संस्कृति, इतिहास और राष्ट्र आदि पदों को लेकर आज पैदा की जा रही धुन्ध के बीच ये निबन्ध हमें निश्चय ही रोशनी दिखाएँगे।
Sufiwad Ke Adhyatmik Ayam
- Author Name:
Zafar Raza
- Book Type:

-
Description:
हिन्दी में तसव्वु़फ या सूफ़ीमत पर दो प्रामाणिक पुस्तकें छपी हैं। एक चन्द्रबली पाण्डेय की, दूसरी डॉ. राममूर्ति त्रिपाठी की। इस्लाम धर्म के अनुयायी विद्वान् की हिन्दी में यह पहली पुस्तक है—सू़फ़ीवाद के आध्यामिक आयाम।
इस पुस्तक में ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के साथ-साथ सू़फ़ी सिद्धान्तों का बहुत ही स्पष्ट और प्रामाणिक विवेचन है। प्रोफ़ेसर जाफ़र रज़ा ने अपने प्रतिपादन की पुष्टि क़ुर्आन के उद्धरणों से की है। इसके साथ-साथ विभिन्न सू़फ़ी सम्प्रदायों का ऐतिहासिक, दार्शनिक और साधनापरक विवेचन भी इसमें है।
इस पुस्तक की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें पूर्ववर्ती मूल अरबी-फ़ारसी विवेचकों का संक्षिप्त परिचय भी दिया गया है। विशेष रूप से भारत में प्रसिद्ध सू़फ़ी-फ़कीर सम्प्रदायों और उनके प्रमुख हस्ताक्षरों के बारे में बहुत ही प्रामाणिक विवेचन है। प्रोफ़ेसर जाफ़र ऱजा ने अत्यन्त निष्पक्ष होकर सूफ़ीवाद का एक प्रामाणिक दस्तावेज़ प्रस्तुत किया है।
सूफ़ी-दर्शन इस्लाम को मथ करके निकला मक्खन है। यह इस्लाम को प्रतिष्ठा दिलाने में तो सफल हुआ ही है, इसकी पृष्ठभूमि का दिग्दर्शन प्रोफ़ेसर जाफ़र ऱजा ने अच्छी तरह प्रस्तुत किया है।
Tulsi Ke Hanuman
- Author Name:
Shriram Mehrotra
- Book Type:

-
Description:
महाकवि गोस्वामी तुलसीदास काव्य-जगत् के निर्विवाद साहित्य सम्राट हैं, यह सत्य है किन्तु कवि होते हुए उनके अद्वितीय जुझारू समाजसेवी व्यक्तित्व का विस्तार से प्रकाशन हो तो उन्हें साहित्य-सम्राट जैसी ही एक और उपाधि देने में संकोच नहीं होगा। ‘रा’ और ‘म’ दो अक्षर मात्र पर ‘रामबोला’ ने बारह आर्ष ग्रन्थों की रचना देश की परम राजनीतिक-सामाजिक उथल-पुथल की विषमता में की। लेखन-कार्य सुरक्षित बन्द कोठरियों में किया किन्तु अपनों और ग़ैरों के धार्मिक मदान्धता के संकटों में खुले मैदानों में अखाड़ची ताल की ठोक में अकेले चलते हुए महाबीर जी के नगर-भर में एक-दो नहीं, बारह विग्रहों की स्थापना को कवि का असाधारण साहस कहना ग़लत नहीं होगा।
अपने महान् वैभव और अस्मिता को भूली वीर वसुन्धरा की ‘अमृतस्य पुत्र: जाति’ को फिर से जगाने के समाजकाज के लिए रामकाज करनेवाले बल, बुद्धि, विद्या, युक्ति, शक्ति के धनी हनुमान की मूर्ति-प्रतिष्ठा का तुलसीदास ने क्रान्तिकारी कार्य किया। आज इसका कोई स्पष्ट अभिलेख उपलब्ध नहीं है कि ये स्थापनाएँ कहाँ-कहाँ हैं। लेखक को मात्र दस मन्दिर मिले। काशी के एक कोने से दूसरे कोने तक आज इनकी वास्तविक स्थिति का पता लगानेवाला लेखा-जोखा श्री मेहरोत्रा का यह शोध-ग्रन्थ है।
इस ग्रन्थ में उन अखाड़ों, लीलाओं का भी विवेचन है जिन्हें तुलसीदास जी ने नगर के कोने-कोने में मन्दिरों के साथ स्थापित किया था। ये स्थापनाएँ साबित करती हैं कि तुलसीदास एक व्यक्ति या साहित्यकार मात्र ही नहीं, सम्पूर्ण संस्कृति थे। आज हम सब का पुनीत कर्त्तव्य है कि इन सांस्कृतिक धरोहरों की पूर्ण निष्ठा से संरक्षा करें। तुलसीदास जी द्वारा स्थापित बारह अखाड़ों में आज मात्र दो शेष हैं। सम्भवत: राजमन्दिर से उन्होंने पहला रामलीला मंचन आरम्भ किया था जो आज धनाभाव के कारण बन्द है। उस लीला मंचन के भवन अभी तीन वर्ष पूर्व तक जीवित अवशेष थे जिन पर अब किसी का क़ब्ज़ा है। ये पुरातात्त्विक अवशेष राष्ट्र की धरोहर हैं। इस पुस्तक के माध्यम से लेखक ने समाज और सरकार दोनों को इन्हें संरक्षित रखने का आह्वान किया है।
Main Arvind Bol Raha Hoon
- Author Name:
Giriraj Sharan Agrawal
- Book Type:

- Description: संसार को आध्यात्मिकता, राष्ट्र को राजनीतिक चेतना तथा समाज को समन्वय की संस्कृति का ज्ञान देकर जिसने हमारे सांस्कृतिक इतिहास तथा राजनीतिक चिंतनधारा को सबसे अधिक अलंकृत किया, उस व्यक्तित्व का नाम है—महर्षि अरविंद घोष। अरविंद ने भारत की आराधना माता के समान की। भारतमाता को स्वाधीन कराने के लिए उन्होंने निरंतर संघर्ष किया। भारत की स्वतंत्रता के माध्यम से वे विश्व-मानवता की सेवा करना चाहते थे। भारतीय स्वतंत्रता के संदर्भ में उन्होंने कहा था—‘किसी भी राष्ट्र के सुस्वास्थ्य तथा जीवंतता के लिए स्वतंत्रता पहली आवश्यकता है।’ राष्ट्रवाद को उन्होंने राष्ट्र तथा नागरिकों के लिए वरदान माना। उनका मत था कि स्वराज्य के बिना राष्ट्र समान है। अरविंद मूलत: अध्यात्म-पुरुष थे। वे प्रकांड पांडित्य और गहन अंतर्दृष्टि के व्यक्ति थे। ऐसे क्रांतिकारी विचारक, महान् योगी, विश्व-मानवता के उन्नायक, आध्यात्मिक महापुरुष महर्षि अरविंद घोष की चिंतनधारा से परिचित कराने के संकल्प के साथ यह संकलन प्रस्तुत है।
Dharam Ke Naam Par
- Author Name:
Geetesh Sharma
- Book Type:

-
Description:
धर्म के सही चरित्र एवं स्वरूप से परिचित हुए बिना विवेकहीनता, अन्धविश्वासों एवं भ्रान्तियों से मुक़ाबला नहीं किया जा सकता। इस दिशा में यह पुस्तक एक सार्थक प्रयास है। लेखक ने निष्पक्ष दृष्टि से बिना किसी पूर्वग्रह के तीन धर्मों—हिन्दू, ईसाई और इस्लाम की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए हिंसा, नारी और दासत्व के सन्दर्भ में संक्षिप्त पर तथ्यपरक व वस्तुगत विश्लेषण प्रस्तुत किया है।
धर्म का बीभत्स और बर्बर रूप आज हम देख रहे हैं। पूरे भारतीय उपमहाद्वीप और अफ़ग़ानिस्तान में धर्म के रक्तरंजित इतिहास को दोहराया जा रहा है। धार्मिक-स्थल अपराधियों के शरण-स्थल बने हुए हैं। धर्म का अपराध के साथ गठजोड़ चिन्तित करता है। भजन-कीर्तन-प्रवचन के आयोजनों और धार्मिक-स्थलों के निर्माण में बेशुमार वृद्धि हुई है, वहीं हत्या, बलात्कार, उत्पीड़न और भ्रष्टाचार बढ़े हैं। स्वयं मनुष्य अपनी नियति तथा भाग्य का निर्माता है। समता, स्वतंत्रता और न्याय प्रत्येक व्यक्ति का जन्मसिद्ध अधिकार है। कोई भी ऐसी व्यवस्था जो मनुष्य को इन अधिकारों से वंचित करती है, वह मानव-विरोधी है, चाहे वह धर्म हो या साम्राज्यवाद या फासीवाद या निजी स्वार्थों पर आधारित विकृत तथा जनविरोधी जनतंत्र। मनुष्य सर्वोपरि है, उसके ऊपर कोई नहीं, न धर्म न ईश्वर।
Rigved : Mandal-1 Uttarardh
- Author Name:
Govind Chandra Pandey
- Book Type:

- Description: सनातनविद्या के काव्यात्मक प्रतिपादन हैं। ऋग्वेद संहिता के अनुवाद एवं व्याख्या का प्रयास अनेक भाषाओं में समय-समय पर होता रहा है, किन्तु अभी तक उपलब्ध सभी अनुवादों में काव्यपक्ष की उपेक्षा अथवा पद्यानुवाद की प्रस्तुति के असम्भव प्रयास ही किए गए हैं जो ऋचाओं के साथ पूरा न्याय नहीं करते हैं। वेदों में भावों की सनातनता एक व्यापक ध्वनि के रूप में सूक्तों, संवादों और आख्यानों में विद्यमान है। प्रस्तुत अनुवाद में पादानुसारी किन्तु भावपरक अनुवाद पर विशेष आग्रह सोद्देश्य है ताकि ऋचाओं की काव्यात्मकता का यथासम्भव सम्प्रेषण एवं मूल की अर्थयोजना का क्रम अनुवाद में सुरक्षित रहे। भाषान्तर में व्याख्या का सूक्ष्म प्रकार अनिवार्य होता है और वही अनुवाद का वर्तमान और अतीत के मध्य संवाद बनाकर बहुत कुछ को परम्परा में जीवित तथा प्रगतिशील रखता है। अतः ग्रन्थ में अनुवाद के लिए उपयुक्त भाषा, पुरातन ध्वनि बहुलता और समसामयिक सजीवता के संरक्षण की दृष्टि से तत्सम, तद्भव एवं देशी शब्दों के समन्वित प्रयोग किए गए हैं। साथ ही, गम्भीर और बहुमुखी अर्थों को स्पष्ट करने के लिए क्रियापदों के अनुवाद, दुरूह पदों के अर्थनिर्वचन में धातुपाठ, निरुक्त की पद्धति एवं आधुनिक तथा तुलनात्मक व्याकरण के अनुसरण से सहायता ली गई है। वेद आर्षकाव्य के निर्देशन के साथ-साथ अध्यात्मगवेषियों के मार्गदर्शक भी हैं। अतः ऋचाओं में संश्लिष्ट आधियाज्ञिक, आधिभौतिक, आधिदैविक और आध्यात्मिक अर्थों को उद्घाटित करने का प्रयास किया गया है। व्याख्याकारों में जहाँ विवाद की स्थिति है, वहाँ प्राचीन एवं नवीन दोनों ही मतों का विवेचन प्रस्तुत किया गया है। इस प्रकार काव्यात्मक पक्ष की प्रस्तुति, निगूढ़ अर्थ के आयामों का विश्लेषण और विवादित स्थलों का तुलनात्मक विवेचन इस ग्रन्थ के अनुवाद एवं व्याख्या की अभीप्सित विशेषताएँ हैं। इस खंड में ‘ऋग्वेद’ के पहले मंडल (उत्तरार्द्ध) का व्याख्या सहित हिन्दी अनुवाद प्रस्तुत किया गया है।
Siddharameshwara : Vyakti-Kriti
- Author Name:
Kashinath Ambalge
- Book Type:

- Description: वाचन से जो अनुभवी नहीं होता वह प्रेत है, वाचन से जो अनुभवी होता है वह पंडित है। विद्या तो परिश्रमी के वश में है, विद्या-अविद्या की पहचान से जग के लिए वेदज्ञ हो सका तो वही महापंडित है। हे कपिलसिद्ध मल्लिकार्जुन! भक्त का मन कामिनी में अनुरक्त होता है तो विवाह कर संग रहना चाहिए, भक्त का मन भूमि पर अनुरक्त होता है तो प्राप्त कर घर बनाना चाहिए, भक्त का मन कनक में अनुरक्त होता है तो सप्रयास प्राप्त करना चाहिए, हे कपिलसिद्ध मल्लिकार्जुन!
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...