Chirag-E-Dair
Author:
Mirza GhalibPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Poetry0 Reviews
Price: ₹ 159.2
₹
199
Available
मिर्ज़ा ग़ालिब की बनारस-यात्रा मशहूर है। उन्होंने फ़ारसी में, जो उनकी प्रिय काव्यभाषा थी, एक मसनवी ‘चिराग़-ए-दैर' नाम से लिखी थी। यों तो बनारस सदियों से एक पुण्य-नगरी है और उसकी स्तुति में बहुत कुछ इस दौरान लिखा गया है। ग़ालिब की मसनवी उस परम्परा में होते हुए भी अनोखी है जो एक महान कवि की एक महान तीर्थ की यात्रा को सच्चे और सशक्त काव्य में रूपायित करती है। एक ऐसे समय में जब हिन्दू और इस्लाम धर्मों के बीच दूरी बढ़ाने की अनेक प्रबल और निर्लज्ज दुश्चेष्टाएँ हो रही हैं, इस मसनवी का हिन्दी अनुवाद एक तरह की याददहानी का काम करता है कि यह दूरी कितनी बहुत पहले पट चुकी थी।</p>
<p>—अशोक वाजपेयी।
ISBN: 9789389598803
Pages: 124
Avg Reading Time: 4 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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Ladkiyaan Hain To
- Author Name:
Rajendra Prasad Pandey
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- Description: राजेन्द्र प्रसाद पांडेय की कविताओं की दुनिया काफी बड़ी और वैविध्यपूर्ण है। उनमें मनुष्य से लेकर पशु-पक्षियों और अन्य प्राणियों के प्रति भी संवेदना प्रकट हुई है। उनमें सरकारी योजनाओं की निरर्थकता और जनता की स्वार्थ-भावना का भी चित्रण हुआ है। ‘अधबना पुल, ईंटें और पुलघाट’ उनकी ऐसी ही कविता है, जिसमें व्यवस्था की नीतियों का पर्दाफाश हुआ है। ‘परबाबा की विदाई’ में मनुष्य की जिजीविषा, इच्छाओं और सद् विचारों का अच्छा चित्रण हुआ है। ‘सुख के दुख’, ‘कहाँ हो नन्दिता कँवर’, ‘बीज’, ‘दुख है पहचान का मरना’, ‘संस्कार युद्ध’, ‘लालन-पालन’, ‘नाच रही हो माँ’, ‘बेटी’, ‘रक्षाबन्धन पर दीदी को प्रणाम’, ‘पीपल को प्रणाम’ आदि उनकी बेहतरीन कविताएँ हैं। ये कविताएँ एक तरफ मानवीय मूल्यों और रिश्तों को सींचती हैं तो दूसरी तरफ हमारे समय की शिनाख्त करती हैं। साथ ही हमें जगाती और सचेत भी करती हैं।
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