Navajeevana Gamyam
Author:
Navajeevan ReddyPublisher:
Shrimant PublicationLanguage:
TeluguCategory:
Poetry2 Reviews
Price: ₹ 144
₹
180
Available
The book Navajeevana Gayam is about Telugu versus a poetry and is one of the best books of its kind. In this book the author talks about social responsibility, society about its role, life and inspirational talk for all ages, Shiva philosophy, love, life and how to live a successful life, old and new generations, Hinduism and its essence. And every thing is written in a book. Essentially the author used simple everyday language to reach many people.
ISBN: 9788195643981
Pages: 124
Avg Reading Time: 4 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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Description:
यह ‘विद्यापति पदावली’ इसलिए महत्त्वपूर्ण है कि इसका संग्रह बेनीपुरी जी ने किया है। हिन्दी के प्रसिद्ध ललित निबन्धकार बेनीपुरी कवि, कहानीकार ही नहीं ग़रीबों, पीड़ितों और शोषितों के लिए आजीवन संघर्षरत रहे। ऐसे लेखक के द्वारा विद्यापति की पदावली का सम्पादन प्रतीकात्मक अर्थ रखता है।
पुस्तक के प्रारम्भ में बेनीपुरी जी द्वारा लिखी गई भूमिका केवल विश्लेषण और सूचना की दृष्टि से नहीं, बल्कि नई अर्थ-मीमांसा की दृष्टि से नई है। इससे विद्यापति को हम पहले से कुछ अधिक जानने लगते हैं।
विद्यापति की यह पदावली शब्दों के अर्थ की दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण है। बेनीपुरी जी शब्द पारखी थे। उन्होंने इस पदावली में शब्दों के सांकेतिक अर्थ को भी स्पष्ट करने का प्रयास किया है जो अन्यत्र दुर्लभ है। विद्यापति के पदों को गाते हुए चैतन्य महाप्रभु समाधिस्थ हो जाते थे। आनन्द कुमार स्वामी को पदावली काव्य-कला की दृष्टि से बहुत प्रिय थी। उन्होंने लिखा भी है। उस पदावली का यह प्रस्तुतीकरण अत्यन्त उपयोगी है। बेनीपुरी जी विद्यापति को ‘हिन्दी का जयदेव’ और ‘मैथिल कोकिल’ कहते थे। उनकी वाणी का बेनीपुरी द्वारा भावित यह संस्करण लोगों को अवश्य रुचेगा। भूमिका में बेनीपुरी ने अपनी चिर-परिचित शैली में पदों की भाषा और कविता माधुरी का जो वर्णन किया है, वह तो अन्यत्र दुर्लभ है ही।
‘राजा की गगनचुम्बी अट्टालिका’ से लेकर ग़रीबों की टूटी हुई फूस की झोंपड़ी तक में विद्यापति के पदों का जो सम्मान है; भूतनाथ के मन्दिर और कोहबर घर में पदों की जो प्रतिष्ठा है, उसको ध्यान में रखते हुए ही यह पुस्तक बेनीपुरी जी ने सम्पादित की है। इससे विद्यापति और उनकी पदावली की नई अर्थवत्ता और चमक उजागर होती है। पाठ्यक्रम की दृष्टि से यह सर्वोत्तम है।
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4.5 out of 5
Book
January 19, 2023, 5:54 pm
Kiran Kumar
ముందుగా శ్రీ నవజీవన్ రెడ్డి గారికి న అభినందనలు. ఈ రచనలు అగాధమైన మరియు నిగూడమైన విశ్లేషణ కు తార్కాణం. ఇది కవితలు మాత్రమే కావు, ఇవి యువత మేలుకొలుపులు. మనలని చాల లోతుగా ఆలోచింపజేసే సంకలనాలు. ఈ పుస్తకము నందు యాభై పై చీలుకు పద్య మాలికలు నిక్షిప్త పరిచియున్నారు ప్రతి కవిత పాఠకులకు స్పూర్తి తో పాటు మనసు చెలింపజేసేలా పొందుపరిచారు, సరళీకృత భాష, దిశా నిర్దేశం చేయగలిగిన సత్తా ఉన్న మేలుకొలుపు, జ్ఞాపక విశ్లేషణ, జీవిత గమ్య మార్గదర్శనాలు ఈ పుస్తకం నందు పుష్కలంగా అందించారు. "జననం,మరణం మధ్యలో మన జీవితం ఒక రణరంగం" అన్న నానుడి తో ప్రారంభించి "గతాన్ని గతంలోనే వదిలి, వర్తమానం లో జీవిస్తూ, బంగారు భవిష్యత్తు కు పునాదులు వేసుకోవాలి" అన్న అందమైన ముగింపు ఇచ్చారు మన ప్రియతమా రచయత ప్రతి ఒకరికి ఆచరణ యోగ్యమైన మరియు ఆశయ సాధన దోహద పడే నిధిని మనకు పద్య రూపేణా అందించారు మన "నవజీవన్ రెడ్డి" గారు. ఊహ శక్తి, రచన సామర్థ్యం, సరళ చాతుర్యం ఈ నవల ప్రత్యేకం, వ్యక్తిగతంగా నాకు స్ఫూర్తి తో పాటు ఆచరణ సాధ్యమైన మేధస్సు మరియ నా భావనలు కావలసిన స్పష్టమైన ప్రేరణ నే కాకా వ్యవహార జ్ఞానం తో కూడిన జీవన సార్ధక్యం అందించడమే కాక ఆలోచింప జేసినా మాలికలు కో-కొల్లలు తెలుగు చదవ గలిగిన ప్రతి భారతీయుడు చదవ వలసిన సంపుటం ఈ "నవజీవన గమ్యం". ఈ బుక్ ద్వారా పాఠకులకు తన కవితలు ప్రస్ఫుటమైన జీవన గమ్య నిర్దేశం అందిచడం లో "నవజీవన్ రెడ్డి" గారు కృతకృత్యులు. - కిరణ్ కుమార్ అధరాపురం-
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