Rajkapoor : Aadhi Haqiqat Aadha Fasaana
Author:
Prahlad AgarwalPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
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Price: ₹ 716
₹
895
Available
परदे पर राजकपूर की छवि यह सोचने को मजबूर करती है कि क्या कोई मनुष्य इतना निश्छल, कोमल और मासूम भी हो सकता है? ‘चार दिल चार राहें’ का वह निष्ठावान नवयुवक जो भंगिन को ब्याह लाने के लिए ढोल बजानेवाले लड़के के साथ अकेला ही निकल पड़ा है, ज़िन्दगी की चालाक सच्चाइयों से बेख़बर ‘अनाड़ी’, नंगी सच्चाई को देख लेने की सज़ा भुगतता ‘जागते रहो’ का माटीपुत्र, ईमानदारी से ज़िन्दा रहने की लालसा लिए ईमान बेचने को मजबूर ‘श्री 420’ का शिक्षित बेरोज़गार, तालियों की गड़गड़ाहट और दर्शकों की किलकारियों के बीच अपनी माँ की मौत का आँसुओं की नक़ली पच्कारी छोड़कर मातम मनाता जोकर—ये सब राजकपूर ही हैं। और रेणु की माटी के आदमी की आत्मा में प्रवेश कर जानेवाला तीसरी क़सम का हीरामन भी वही हैं।
ये किरदार इसलिए अनोखे बन पड़े हैं, क्योंकि इनमें ज़िन्दगी का संगीत है। दु:खों और अभावों के बीच कराहती मानवता का मज़ाक़ नहीं उड़ाया गया है। तकलीफ़ों के बयान में महानता का मुलम्मा भी नहीं चढ़ाया गया है।
‘आह’ में वह अपनी नायिका से कहता है—‘जी हाँ, मैं सपने बहुत देखता हूँ।’ सपने जो नई दुनिया को रचने में मदद करते हैं। सपने जो न हों तो आदमी भले ही रहे, उसकी आँखों में उजाला और होंठों पर मुस्कान कभी न रहे। यही सपने राजकपूर की सबसे बड़ी मिल्कियत हैं।
राजकपूर के रचनात्मक व्यक्तित्व को परत-दर-परत खोलनेवाली एक महत्त्वपूर्ण पुस्तक।
ISBN: 9788126714056
Pages: 263
Avg Reading Time: 9 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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