Katra Katra Aasakti
Author:
Harsh RanjanPublisher:
Author'S Ink PublicationsLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 127.5
₹
150
Available
फिर कभी सोचूँगा कि अब वदन में कितनी आग बाकीं है। आजकल पानी पड़ती है आग भी सोचूंगा इसके लिये कितनी राख काफी है। गुजरते लोग आज भी देखते हैं इज्जत से मुझे इस गली में, लगता है कि मेरी साख अभी बाकीं है, और मेरी जो राह खुली है घर के आगे बड़ी सड़क पर लाख कदम चल चुके, लाख अभी बाकीं है। एक छोटा सा घर बनाया है अरमान उत्पात न करें मेरे यहाँ इसलिये उन्हें दूर बाहर ही छोड़ आया। यहाँ पीने के लिये मैं और सात पर्दों में छिपा मेरा इतिहास ही काफी है। शोध का विषय है कईयों के लिये कि गिरा हुआ आदमी संभ्हलने से पहले कितनी बार गिर सकता है और एक मरा हुआ आदमी जीने की शर्त पूरी करने को कितनी बार मर सकता है। मेरे अंदर जी रहे लोगों को मैं बार-बार विश्वास दिलाता हूँ जीने की कोशिशों में मरने का हिस्सा उन्हें बार-बार याद दिलाता हूँ और जो मैं कहलाता हूँ वो बहुत है कि जिंदगी और मौत, आग और राख, गुमनामी और साख से मैं क्या पाता हूँ।
ISBN: 9788193827130
Pages: 126
Avg Reading Time: 2 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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Description:
ग्यारह किस्सों के जरिए, प्रेम की शक्ति और विश्वास की डोर तक पहुँचने वाला यह उपन्यास ‘यूनिक’ है, मुम्बई के निम्न-मध्यवर्गीय जीवन का मिनिएचर बनाते हुए हिन्दी कथा-साहित्य में एक दुर्लभ और विरल पाठकीय अनुभव की सर्जना करता है, राघव और सायरा जैसे दो यादगार किरदारों के जरिए रंग और बदरंग के बीच भावनात्मकता का उदास उत्सव मनाता है और सपनों का ताना-बाना बुनता है। यह सब करते हुए सारंग उपाध्याय का उपन्यास ‘सलाम बॉम्बे व्हाया वर्सोवा डोंगरी’ मुम्बई की आत्मा को एक कड़क कथात्मक सलाम ठोंकता है, वह आत्मा जिसका नाम ‘जिजीविषा’ है। साहित्य की आत्मा का नाम भी दरअसल यही है।
—गीत चतुर्वेदी
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