Nari Kamasutra
Author:
Vinod VermaPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Lifestyle-and-wellness0 Reviews
Price: ₹ 239.2
₹
299
Unavailable
पुरातन काल में नारी और काम, दोनों विषयों पर हमारे देश में बहुत कुछ लिखा गया। वात्स्यायन द्वारा रचित ‘कामसूत्र’ में तथा चरक और सुश्रुत के आयुर्वेद गन्थों में नारी के काम से सम्बन्धित कई पहलुओं पर ज्ञान प्राप्त हुआ। आयुर्वेद के आचार्यों ने गर्भ, प्रसव आदि विषयों पर भी बहुत विस्तार से लिखा। किन्तु पुरुषों द्वारा रचित इन सभी गन्थों में नारी को पुरुष-दृष्टि से देखते हुए उसमें सहचरी एवं जननी का रूप ही देखा गया है। नारी की इच्छाएँ, अनिच्छाएँ, उसकी आर्तव सम्बन्धी समस्याएँ तथा उनका उसके काम-जीवन से सम्बन्ध और ऐसे अनेक विषय पुरुष-दृष्टि से छिपे ही रहे।</p>
<p>‘नारी कामसूत्र’ की रचना में एक भारतीय नारी ने न केवल इन सब विषयों का विस्तार से वर्णन किया है, बल्कि आधुनिक नारियों की समस्याओं तथा हमारे युग के बदलते पहलुओं के सन्दर्भ में भी नारी और नारीत्व को देखा है। इस पुस्तक में लेखिका ने त्रिगुण पर आधारित एक नए सिद्धान्त का प्रतिपादन करते हुए नारी-तत्त्व और पुरुष-तत्त्व के आधार पर नर-नारी की मूल प्रकृति के अन्तर को रेखांकित किया है और उनको एक-दूसरे का पूरक सिद्ध किया है, न कि प्रतिस्पर्द्धी।</p>
<p>यह पुस्तक लेखिका के दस वर्षों के अनुसन्धान और परिश्रम का परिणाम है। नर और नारी दोनों को नारी के भिन्न-भिन्न रूप समझने की प्रेरणा देना तथा काम को आत्मज्ञान की चरम सीमा तक ले जाना ही इस पुस्तक का ध्येय है।</p>
<p>लेखिका की पश्चिमी देशों में आयुर्विज्ञान की शिक्षा तथा आयुर्वेद और योग का लम्बे समय तक अध्ययन, अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर अनुसन्धान और अनुभव इस ग्रन्थ को एक सम्पूर्ण कृति बनाते हैं।</p>
<p>यह पुस्तक इससे पहले जर्मन (1994) में, फ्रेंच (1996) में, अंग्रेज़ी (1997) में तथा डच (1998) भाषाओं में प्रकाशित हो चुकी है।
ISBN: 9788171195480
Pages: 344
Avg Reading Time: 11 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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