Ramvilas Sharma
Author:
Namvar SinghPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Language-linguistics0 Reviews
Price: ₹ 556
₹
695
Available
रामविलास शर्मा और नामवर सिंह के कृतित्व की विकास-यात्रा में एक-दूसरे की अपरिहार्य भूमिका और उपस्थिति को महसूस किया जा सकता है। यदि नामवर सिंह नहीं होते तो सम्भवतः रामविलास शर्मा के कृतित्व की विशिष्टता, उनकी उपलब्धि और मूल्यांकन कुछ और प्रतीत होते। उसी तरह रामविलास शर्मा की अनुपस्थिति में नामवर सिंह का व्यक्तित्व और कृतित्व शायद कुछ और प्रतीत होता।</p>
<p>रामविलास शर्मा और नामवर सिंह जीवन, संस्कृति, साहित्य और राजनीति से जुड़ी यात्रा में ‘हमराही' से हैं। दोनों एक-दूसरे के चिन्तन और समालोचना को गहराई से प्रभावित करते प्रतीत होते हैं। शीर्षस्थ समीक्षकों ने एक-दूसरे को प्रभावित करने के साथ-साथ एक-दूसरे का मूल्यांकन भी किया है।</p>
<p>सच तो यही है कि रामविलास शर्मा के कृतित्व, उपलब्धि, प्रासंगिकता और सीमाओं का बोध साहित्य-जगत को लगभग उतना ही है, जितना नामवर सिह ने अपनी समीक्षा से प्रस्तुत किया है। तथ्य है कि आज भी हम रामविलास शर्मा के कृतित्व को ‘...केवल जलती मशाल’ और ‘इतिहास की शव-साधना’ के दो ध्रुवान्तों के मध्य ही विश्लेषित करने को मजबूर हैं। रामविलास शर्मा के सन्दर्भ में यह नामवर सिह की समीक्षा की अपरिहार्यता और केन्द्रीयता का दुर्निवार तथ्य और प्रमाण हैं।</p>
<p>रामविलास शर्मा को समीक्षित करने के क्रम में यह संस्कृति, भारतीयता, साहित्य, आलोचना, विचारधारा और अन्ततः जीवन को समीक्षित करनेवाली अपरिहार्य एवं अविस्मरणीय समालोचना पुस्तक प्रतीत होती है।
ISBN: 9789388183239
Pages: 271
Avg Reading Time: 9 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
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Description:
‘रेती के फूल' युवा पीढ़ी के लिए एक युगदृष्टा साहित्यकार का उद्बोधन है। इसमें शामिल प्रत्येक निबन्ध ओजस्वी और प्रेरणा का पुंज है।
'हिम्मत और ज़िन्दगी', 'ईर्ष्या, तू न गई मन से', 'कर्म और वाणी', 'खड्ग और वीणा', 'कला, धर्म और विज्ञान' और 'संस्कृति है क्या?' जैसे शाश्वत विषयों के अतिरिक्त 'भविष्य के लिए लिखने की बात', 'राष्ट्रीयता और अन्तरराष्ट्रीयता', 'हिन्दी कविता में एकता का प्रवाह', 'नेता नहीं, नागरिक चाहिए' जैसे ज्वलन्त मुद्दों पर समर्थ कवि का मौलिक चिन्तन है जो आज भी उतना ही सार्थक है, जितना साठ वर्षों पूर्व था।
वस्तुतः 'रेती के फूल' ऐसे निबन्धों का संग्रह है जिसमें कलाकारिता तो है ही, जो विचारोत्तेजक भी हैं।
Sahitya Ka Bhashik Chintan
- Author Name:
Ravindranath Shrivastava
- Book Type:

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Description:
सर्जनात्मक समीक्षा पर यह एक अनूठी पुस्तक है। प्रो. रवीन्द्रनाथ श्रीवास्तव के लेखों के इस संकलन से आन्तरिक और पाठ-केन्द्रित आलोचना की एक मुकम्मल तस्वीर सामने आ गई है।
आलोचना स्वयं में एक अनुशासन है, जो अपनी सिद्धि के लिए एक निश्चित कार्य-प्रणाली का विकास करती है। व्यावहारिक आलोचना के इस सूत्र कथन को प्रो. श्रीवास्तव ने हिन्दी साहित्य को साक्षी बनाकर समीक्षा का संक्रियात्मक प्रारूप तैयार किया है।
कविता या किसी भी कृति को भाषा की ही एक विधा मानते हुए समीक्षा की नवीन और वैज्ञानिक पद्धति के उद्देश्य प्रो. श्रीवास्तव ने भाषावादी समीक्षा-चिन्तन के परिप्रेक्ष्य में घटित करके दिखाए हैं कि कविता को शैली के रूप में देखना, नार्म से अलग हटी हुई भाषा के रूप में देखना, देखना कि शब्द ख़ुद क्या बोलते हैं, अधिक समीचीन और सार्थक दृष्टि है। अर्थात् पाठ को निकट से पढ़कर शिल्प और भाषा-कौशलों के विश्लेषण के माध्यम से कृति को आलोकित करना, समीक्षा का परम लक्ष्य है, क्योंकि कविता शब्द नहीं शाब्दिक होती है, वह भाषा के माध्यम द्वारा केवल व्यक्त नहीं होती, अपितु भाषा में ही अपना अस्तित्व पाती है।
रचना की स्वनिष्ठता या उसकी सत्ता की स्वायत्तता इस पुस्तक में मात्र सैद्धान्तिक स्तर पर विवेचित नहीं है और यही इसकी नव्यता है, विशेषता है। तुलसी, सूर, प्रेमचन्द, मैथिलीशरण गुप्त, हजारीप्रसाद द्विवेदी आदि के पाठ में और इनके बहाने पुनर्जागरण काल, छायावादी युग, गद्य-भाषा आन्दोलन में साहित्यिक भाषा हिन्दी के बनते-बिगड़ते भाषायी समीकरणों पर इतनी आन्दोलित करनेवाली सामग्री कम ही मिलती है।
इस किताब में मार्क्सवादी आलोचना का भाषाकेन्द्रित दृष्टिकोण, नई कविता की सम्प्रेषण-युक्तियों में परिवर्तन की दिशाओं, भिन्न समयों में साहित्यिक हिन्दी की भाषा-संघटना में आए विघटनों और उनके कारणों पर भी विस्तृत चर्चा है। पाठ-केन्द्रित आलोचना के इतिहास और विचारों पर तो इस पुस्तक में विपुल सामग्री है ही।
आज की उत्तर-आधुनिक साहित्य समीक्षा में वि-संरचना का जो पक्ष अनजाने में कहीं छूट-सा गया है, वह इस पुस्तक में भरपूर मौजूद है। अतः आज की हिन्दी समीक्षा को भी यह पुस्तक बहुत कुछ देने की सामर्थ्य रखती है।
Latin America, Caribbeyayi Kshetra Aur Bharat
- Author Name:
Deepak Bhojwani
- Book Type:

- Description: लैटिन अमेरिकी और कैरेबियाई क्षेत्र के बारे में आम तौर पर भारत में कम जानकारी है। इस क्षेत्र में भारतीयों का अपेक्षाकृत प्रवास और संपर्क कम ही रहा है। यह पुस्तक इस क्षेत्र और यहाँ के देशों की विशिष्टताओं से पाठकों को परिचित कराती है। प्रारंभिक अध्यायों में इस क्षेत्र के राजनीतिक विकास-क्रम तथा आर्थिक-सामाजिक-राजनीतिक आंदोलनों की जानकारी दी गई है। बाद के अध्यायों में भारत के साथ इन देशों के राजनीतिक, आर्थिक, वाणिज्यिक और सांस्कृतिक संबंधों का विवेचन किया गया है। तैंतीस देशों वाले इस क्षेत्र के देशों से मैत्री में भारत के लिए अनेक संभावनाएँ निहित हैं । ये देश विविध संसाधनों से समृद्ध हैं; इन देशों ने आकर्षक विकास-दर हासिल की है और इनकी सामाजिक नीतियों ने स्थिर सरकारों को आधार दिया है। इस पुस्तक से पाठकों को अनेक महत्त्वपूर्ण अंतर्निहित पक्षों की भी जानकारी मिलती है। लेखक ने इस क्षेत्र के देशों से संबंधों की चुनौतियों और संभावनाओं का आकलन करते हुए, अधिक प्रभावी तथा सार्थक संबंधों की दिशा दिखाई है।
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