Sanskriti Sangam
Author:
Acharya Kshiti Mohan SenPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
General-non-fiction0 Reviews
Price: ₹ 200
₹
250
Available
इस पुस्तक में आचार्य क्षितिमोहन सेन के अद्भुत पाण्डित्य और तीक्ष्ण दृष्टि के साथ मानव-प्रेम और सहज भाव का परिचय मिलता है। पुस्तक में केवल शुद्ध पाण्डित्य की ज्ञान-चर्चा नहीं हैं, इसमें 'मनुष्य' के प्रति आचार्य सेन के अटूट विश्वास और दृढ़ निष्ठा का परिचय मिलता है। साथ ही अपने देश की उस महती प्रतिभा का साक्षात्कार पायेंगे जो विषम परिस्थितियों में अपना रास्ता निकाल लेती है और अनैक्य के भीतर ऐक्य का सन्देश खोज लेती है। पुराने युग से कितनी ही मानव-मण्डलियाँ इस देश में अपने आचार-विचारों और संस्कारों को लेकर आयी हैं, कुछ देर तक एक-दूसरे के प्रति शंकालु भी रही हैं पर अन्त तक भारतीय प्रतिभा ने नानात्व के भीतर से ऐक्य-सूत्र खोज निकाला है। सन्तों-महात्माओं की सहज दृष्टि प्रत्येक युग में बाह्य जंजाल के नीचे गुप्त रूप से प्रवहमान् प्राणधारा का सन्धान पाती रही है।
ISBN: 9789348229786
Pages: 152
Avg Reading Time: 5 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: एक मानवीय इकाई के रूप में स्त्री और पुरुष, दोनों अपने समय व यथार्थ के साझे भोक्ता हैं लेकिन परिस्थितियाँ समान होने पर भी स्त्री-दृष्टि दमन के जिन अनुभवों व मन:स्थितियों से बन रही है, मुक्ति की आकांक्षा जिस तरह करवटें बदल रही है, उसमें यह स्वाभाविक है कि साहित्यिक संरचना तथा आलोचना, दोनों की प्रणालियाँ बदलें। स्त्री-लेखन स्त्री की चिन्तनशील मनीषा के विकास का ही ग्राफ़ है जिससे सामाजिक इतिहास का मानचित्र गढ़ा जाता है और जेंडर तथा साहित्य पर हमारा दिशा-बोध निर्धारित होता है। भारतीय समाज में जाति एवं वर्ग की संरचना जेंडर की अवधारणा और स्त्री-अस्मिता को कई स्तरों पर प्रभावित करती है। स्त्री-कविता पर केन्द्रित प्रस्तुत अध्ययन जो कि तीन खंडों में संयोजित है, स्त्री-रचनाशीलता को समझने का उपक्रम है, उसका निष्कर्ष नहीं। पहले खंड, 'स्त्री-कविता : पक्ष और परिप्रेक्ष्य' में स्त्री-कविता की प्रस्तावना के साथ-साथ गगन गिल, कात्यायनी, अनामिका, सविता सिंह, नीलेश रघुवंशी, निर्मला पुतुल और सुशीला टाकभौरे पर विस्तृत लेख हैं। एक अर्थ में ये सभी वर्तमान साहित्यिक परिदृश्य में विविध स्त्री-स्वरों का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। उनकी कविता में स्त्री-पक्ष के साथ-साथ अन्य सभी पक्षों को आलोचना के केन्द्र में रखा गया है, जिससे स्त्री-कविता का बहुआयामी रूप उभरता है। दूसरा खंड, 'स्त्री-कविता : पहचान और द्वन्द्व' स्त्री-कविता की अवधारणा को लेकर स्त्री-पुरुष रचनाकारों से बातचीत पर आधारित है। इन रचनाकारों की बातों से उनकी कविताओं का मिलान करने पर उनके रचना-जगत को समझने में तो सहायता मिलती ही है, स्त्री-कविता सम्बन्धी उनकी सोच भी स्पष्ट होती है। स्त्री-कविता को लेकर स्त्री-दृष्टि और पुरुष-दृष्टि में जो साम्य और अन्तर है, उसे भी इन साक्षात्कारों में पढ़ा जा सकता है। तीसरा खंड, 'स्त्री-कविता : संचयन' के रूप में प्रस्तावित है...। इन सारे प्रयत्नों की सार्थकता इसी बात में है कि स्त्री-कविता के माध्यम से साहित्य और जेंडर के सम्बन्ध को समझते हुए मूल्यांकन की उदार कसौटियों का निर्माण हो सके जिसमें सबका स्वर शामिल हो।
Hindu, Hindutva, Hindustan
- Author Name:
Sudhir Chandra
- Book Type:

-
Description:
सारे बौद्धिक प्रयत्न के बावजूद, ‘हिन्दू अवचेतन’ अपने को ही भारतीय मानता है। भारत जैसे बहुधर्मी और सांस्कृतिक वैविध्य से भरपूर देश के लिए ऐसी मान्यता अनिवार्यतः अनिष्टकारी है। पिछले कुछ समय से यह मान्यता अवचेतन से निकलकर उत्तरोत्तर आक्रामक होती जा रही है। बौद्धिक प्रयत्न के बावजूद नहीं, बल्कि खुलकर एक विचारधारा के रूप में यह हिन्दू को ही राष्ट्र मान बैठी है। ख़तरा यदि प्रधानतः विचारधारा और उससे जुड़ी किसी राजनीतिक पार्टी का होता तो उससे जूझना मुश्किल न होता। पर आज परेशानी यह है कि ‘हिन्दू अवचेतन’ कहीं न कहीं उन बातों को अपनी अँधेरी गहराइयों में मानता है, जिनको चेतना के स्तर पर वह राष्ट्र के लिए घातक और नैतिक रूप से अवांछनीय समझता है। ज़रूरी है कि उसका सामना इस दुविधा से कराया जाए।
—इसी पुस्तक से
AAJ KI BAAT KAREN
- Author Name:
Helle Helle
- Book Type:

- Description: हेल्ले हेल्ले का जन्म 1965 में डेनमार्क के चौथे सबसे बड़े द्वीप लोलैंड के नगर नाकस्कॉव में हुआ था। उनका पालन-पोषण द्वीप लोलैंड के ही फेरी शहर रॉड्बी (Rødby) में हुआ था, जहाँ से नौकाएँ पुटगार्डन (जर्मनी) जाती हैं। साहित्य के प्रभाव में हेल्ले हेल्ले बचपन से थीं और अधिकांश समय पुस्तकालय में बिताती थीं। यह आभास उन्हें बहुत जल्दी ही हो गया था कि वह खुद भी एक लेखिका बनेंगी। रॉड्बी में करने के लिए बहुत कुछ नहीं था, इसलिए वे वयस्क होने पर कोपनहेगन शिफ्ट हो गईं। 1985 में उन्होंने कोपनहेगन विश्वविद्यालय में साहित्य अध्ययन में दाखिला लिया और एक लेखिका के रूप में उभरने लगीं। साहित्य में स्नातक करने के पश्चात् उन्होंने 1991 में राइटर्स स्कूल, कोपनहेगन से स्नातक किया। उनकी पहली पुस्तक वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई और तब से ही उनका लोकप्रिय लेखन प्रशंसा और आलोचना दोनों का एक चर्चित विषय रहा है। उन्होंने अभी तक कई कहानियों के अलावा वयस्क साहित्य पर 10 उपन्यास और बाल साहित्य पर एक पुस्तक लिखी है। हेल्ले हेल्ले अनेक साहित्यिक पुरस्कारों से सम्मानित हुई हैं डेनिश क्रिटिक्स पुरस्कार, डेनिश अकादमी का बीट्राइस पुरस्कार, पी.ओ. एनक्विस्ट अवार्ड और डेनिश कला परिषद् का प्रतिष्ठित लाइफटाइम अवार्ड। उनकी कहानियों और उपन्यासों का 22 भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। उपन्यास Dette Burde Skrives I Nutid (...आज की बात करें) के लिए उनको प्रतिष्ठित साहित्यिक पुरस्कार गोल्डन लौरेल से नवाजा गया है।
BABULAL MARMU ADIVASI
- Author Name:
Dr. R. K. Nirad
- Book Type:

- Description: यह पुस्तक संताली के प्रख्यात लेखक, कवि, समालोचक और भाषाविद् बाबूलाल मुर्मू “आदिवासी ' के जीवन, व्यक्तित्व और कृतित्व को समग्रता से प्रस्तुत करती है । 15 अध्यायों में विभाजित इस पुस्तक में उनके साहित्यिक जीवन, गद्य-पद्य साहित्य के विविध आयामों, उनके साहित्य को विशेषता, उन्हें मिले सम्मान एवं पुरस्कार तथा उनको प्रकाशित-अप्रकाशित पुस्तकों की गहन जानकारी समायोजित है। बाबूलाल मुर्मू "आदिवासी ' का संताली भाषा-साहित्य को समृद्ध करने में महत्त्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने संताली लोकगीतों का संग्रह, संताल में साहित्य सृजन तथा भाषा एवं संस्कृति आदि विषयों पर भरपूर लेखन किया। वे संताली पत्रिका 'होड़ सोम्बाद' के संपादक रहे। 1966 से 2004 तक उनकी 23 पुस्तकें प्रकाशित हुई, जबकि 13 पुस्तकें अप्रकाशित हैं। विश्वभारती, शांति निकेतन सहित झारखंड और पश्चिम बंगाल के कई विश्वविद्यालयों के स्नातक एवं स्नातकोत्तर के पाठ्यक्रमों में उनकी रचनाएँ सम्मिलित हैं, किंतु उनके जीवन, व्यक्तित्व और कृतित्व पर समग्रता से जानकारी देनेवाली पुस्तक का अभाव था। डॉ. आर. के. नीरद की यह पुस्तक इस अभाव को दूर करती है। बाबूलाल मुर्मू ' आदिवासी ' पर अब तक जिलने कार्य हुए हैं, उन सभी को इस पुस्तक में समायोजित करने का प्रयत्न किया गया है। यह पुस्तक इस दृष्टि से भी महत्त्वपूर्व है कि इसमें संताली संस्कृति, कला, मिथकों और परंपराओं का दिद्वत्तापूर्ण विश्लेषण- विवेचन किया गया है।
Kirtishesh : Mohan Rakesh
- Author Name:
Jaidev Taneja
- Rating:
- Book Type:

- Description: मोहन राकेश के समृद्ध और बहुआयामी व्यक्तित्व के अनेक पक्ष थे, जो शायद किसी एक मित्र के साथ पूरी तरह शेयर नहीं किये जा सकते थे। लेकिन यह भी सच है कि उन्होंने जिस मित्र के साथ जो पहलू शेयर किया, वह पूरी ईमानदारी के साथ किया। फिर भी, आज इतने समय के बाद भी उनके दोस्त और दुश्मन, प्रशंसक और आलोचक, दर्शक, पाठक और इतिहासकार यही तय नहीं कर पाए कि वह व्यक्ति वास्तव में था क्या? उसके कृतित्व का मूल्य और महत्त्व क्या और कितना है? वह असीम भावुक था या चरम बौद्धिक? अत्यन्त महत्त्वाकांक्षी अवसरवादी था या तमाम उपलब्धियों के मोहपाश को पल-भर में काटकर किसी नये, अज्ञात और बड़े लक्ष्य की ओर निर्भय आगे बढ़ जानेवाला निरासक्त संन्यासी? मोहन राकेश के अन्तर्विरोधी एवं चौंकानेवाले अप्रत्याशित-अनपेक्षित कारनामों को लेकर उनके दोस्त और दुश्मन समान रूप से सच्चे-झूठे किन्तु चकित करनेवाले क़िस्से, प्रसंग, लतीफ़े, कथा-कहानियाँ, ख़बरें और अफ़वाहें रचते रहे हैं। सत्य और कल्पना तथा हक़ीक़त और फ़सानों से उपजी इस धुंध ने राकेश के जीवनकाल में ही उन्हें एक जीवित किंवदन्ती बना दिया था। ‘कीर्तिशेष : मोहन राकेश’ पुस्तक उन्हें, उनके जटिल व्यक्तित्व को एक नये सिरे से समझने का रास्ता खोलती है। यहाँ आप उनके समकालीनों, सहकर्मियों, मित्रों, सम्पादकों, प्रकाशकों, नाट्य-निर्देशकों, अभिनेताओं, फ़िल्मकारों, आलोचकों, मीडिया-कर्मियों और शिष्यों के संस्मरण पढ़ेंगे। उम्मीद है कि इनसे हम मोहन राकेश के व्यक्तित्व को कुछ बेहतर समझ सकेंगे।
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