Parkeey Haat
Author:
Ravi AmlePublisher:
Manovikas Prakashan LLPLanguage:
MarathiCategory:
General-non-fiction0 Reviews
Price: ₹ 479.2
₹
599
Available
परकीय हात. फॉरिन हँड.विदेशी शक्तींचा, त्यांच्या हेरसंस्थांचा...तो भारतात सतत फिरत होता. फिरत आहे.तो अमेरिका, ब्रिटन, रशिया यांसारख्या मित्रराष्ट्रांचा आहे, तसाच पाकिस्तान, चीनसारख्या शत्रूंचाही.तो भारतात हेरगिरी करत आहे. येथील माणसे फोडत आहे. पण ते एवढ्यापुरतेच मर्यादित नाही.येथील राजकारण, अर्थकारण, समाजकारण यांत तो हस्तक्षेप करत आहे. सरकारी धोरणे आणि निर्णयांवर प्रभाव टाकत आहे. येथील लोकमानसास हवे ते वळण लावण्याचा प्रयत्न करत आहे. यातून तो आपल्या मन-मेंदूपर्यंत पोचू पाहत आहे. हेच ते सायवॉर!आज त्याला जोड लाभली आहे सायबरयुद्धाची. हे युद्धही केवळ येथील गोपनीय माहिती पळवणे एवढ्यापुरते मर्यादित नाही. भारतात घातपात घडवण्यासाठीही सायबरशस्त्रे वापरली जात आहेत. ही बखर आहे त्या थरारक कारवाया आणि कुटील कारस्थानांची.त्या विदेशी शक्तींच्या, सीआयए, केजीबी, एमआय-सिक्स, आयएसआय, चीनची क्वोचानछांपू अशा हेरसंस्थांच्या उद्योग आणि उपद्व्यापांची... स्वातंत्र्यपूर्वकाळापासून आजपर्यंतची...
Parkeey Haat | Ravi Amale
परकीय हात | रवि आमले
ISBN: 9788196774820
Pages: 472
Avg Reading Time: 16 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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‘दर्शनशास्त्र : पूर्व और पश्चिम’ ग्रन्थमाला की यह दूसरी पुस्तक है जिसमें विश्व की एक प्राचीनतम दार्शनिक धारा का परिचय प्रस्तुत किया गया है।
चीन में दर्शन की परम्परा यों तो बहुत पुरानी है, लेकिन ईसा-पूर्व की पाँचवीं से तीसरी शताब्दी का काल दार्शनिक चिन्तन की दृष्टि से समृद्धि का काल माना जाता है। कन्फ्यूशियस का चिन्तन इसी काल की देन है। तब से लेकर कुछ शताब्दी पहले तक इस देश में अनेक दार्शनिक मतवाद अस्तित्व में आए। प्रस्तुत पुस्तक में इन सभी मतवादों की पृष्ठभूमि स्पष्ट करने के लिए अनेक सदियों के कालक्रम में चीन के राजवंशों की एक संक्षिप्त रूपरेखा दी गई है। उसके बाद विभिन्न सम्प्रदायों के सिद्धान्तों और उनके सामाजिक-राजनीतिक निहितार्थों का विवेचन किया गया है। चीन में बौद्ध मत का आगमन एक महत्त्वपूर्ण घटना थी, जिसके फलस्वरूप चिन्तन के क्षेत्र में कई धाराओं-उपधाराओं का जन्म हुआ। चीनी दर्शन में चूँकि इन धाराओं-उपधाराओं का विशेष महत्त्व है, इसलिए लेखक ने ख़ास तौर पर इनका विश्लेषण और इनके दार्शनिक लक्ष्यों का मूल्यांकन किया है। इसी प्रकार, इन्होंने एक ओर महिमामंडित कन्फ्यूशियस को एक सटीक ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में स्थापित किया है तो दूसरी ओर लांछित ताओवाद की एक सुबोध व्याख्या भी दी है।
चीनी दर्शन के अनेक सम्प्रदायों का मत रहा है कि दर्शनशास्त्री होने के लिए हर समय तत्त्वमीमांसा के गूढ़ रहस्यों में उलझे रहना आवश्यक नहीं है। इसी प्रकार हमारा भी विश्वास है कि प्रस्तुत पुस्तक को पढ़ने और समझने के लिए दर्शन का पंडित होना आवश्यक नहीं है। थोड़े-से पृष्ठों में चीनी दर्शन का एक व्यापक, फिर भी सुबोध, परिचय इस पुस्तक की विशेषता है, और आशा की जा सकती है कि इससे विशेषतः भारतीय और चीनी दर्शनों के तुलनात्मक अध्ययन की प्रेरणा प्राप्त होगी।
Padchihna Bulate Hain
- Author Name:
Devendra Swarup
- Book Type:

- Description: प्रो. देवेंद्र स्वरूप—इतिहासकार, पत्रकार, अध्यापक, चिंतक, लेखक—72 वर्ष के सार्वजनिक जीवन में हजारों लोगों से संपर्क; सभी से आत्मीय संबंध पर उनमें से कुछ से अधिक प्रभावित। उनके द्वारा लिखे गए कुछ संस्मरणों में किसी व्यक्ति पर ही नहीं, वरन् तात्कालिक परिस्थितियों एवं कालखंड पर भी टिप्पणी होती हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की व्यक्तित्व-निर्माण की पद्धति की झलक और इस निर्माणशाला से निकले लोगों द्वारा खड़े किए गए कुछ प्रकल्पों की जानकारी। सामाजिक एवं राष्ट्रीय कार्यों में जीवन खपाने वाली कुछ विभूतियों का परिचय। पठनीय ग्रंथ।
Bharat Mein Manavaadhikar
- Author Name:
Satya Narayan Sabat
- Book Type:

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मानवाधिकारों की अवधारणा वर्तमान सामाजिक विमर्शों में एक महत्त्वपूर्ण तथा सार्वदेशिक मूल्य का स्थान रखती है। 1215 ई. में पारित मैग्नाकार्टा के आरम्भिक स्वरूप से चलकर आज यह अवधारणा मौजूदा विश्व-सभ्यता का ठोस घटक बन चुकी है।
इस पुस्तक का उद्देश्य भारतीय संस्कृति में इस घटक की पहचान करना और यह देखना है कि हमारे इतिहास के विभिन्न चरणों में मानवाधिकारों की स्थिति क्या थी! मूलतः अध्यात्म-प्रमुख भारतीय संस्कृति के अनुसार मनुष्य प्रकृति का ही एक अंग है, जिसके साहचर्य में ही वह अपने अधिकारों तथा कर्तव्यों का निर्वाह करता है। ऋग्वेद में भी यह वर्णन आया है कि हम अपना सम्पूर्ण विकास सबके कल्याण को ध्यान में रखते हुए ही कर सकते हैं, और यही मानवाधिकार की अवधारणा की केन्द्रीय निष्ठा है।
प्राचीन समाज में हालाँकि मानव-अधिकारों की स्थिति इतनी स्पष्टता के साथ परिभाषित नहीं है, लेकिन यह सर्वमान्य है कि भारतीय समाज-व्यवस्था ने अपने समाज में व्यक्ति तथा समष्टि के परस्पर सन्तुलन के लिए कुछ नियमों या सिद्धान्तों का निर्धारण अवश्य किया था।
‘भारत में मानवाधिकार’ पुस्तक में प्राचीन हिन्दू धर्म-दर्शन में मानवाधिकारों की अभिकल्पना, जैन तथा बौद्ध धर्म व कौटिल्य के समय में मानवाधिकारों की अवस्थिति, मध्यकालीन युग और पुनर्जागरण के दौरान और उसके बाद के समय में मानवाधिकारों की दशा-दिशा का आकलन किया गया है। इसके साथ ही स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान और स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद मानवाधिकारों को लेकर हमारी चेतना तथा उनके संरक्षण के लिए किए गए प्रयासों की तथ्यपरक जानकारी भी दी गई है।
परिशिष्ट खंड में मानव अधिकार अधिनियम 1993, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (प्रक्रिया) विनियम-1994 तथा सूचना के अधिकार पर भी सामग्री दी गई है जो इस पुस्तक को और मूल्यवान बनाती है।
Amir Khusro : Vyaktittva, Chintan Aur Sampoorna Hindavi Kalam
- Author Name:
Zakir Hussain Zakir
- Book Type:

- Description: अमीर ख़ुसरो जिन्हें दो बड़ी सभ्यताओं के सम्मिलन का प्रतिनिधि व्यक्तित्व कहा जाता है; और चौदहवीं सदी में रचा गया जिनका कलाम आज भी अपनी जगह कायम है, वे एक बड़े कवि तो थे ही, राजनीतिज्ञ, संगीतकार और भाषाविद भी थे। ‘अमीर ख़ुसरो : व्यक्तित्व, चिन्तन और सम्पूर्ण हिन्दवी कलाम’ पुस्तक उनके व्यक्तित्व और कृतित्व की लगभग सम्पूर्ण प्रस्तुति है। पुस्तक दो खंडों में विभक्त है। पहले खंड में खुसरो की भाषा और उनकी हिन्दवी रचनाओं पर शोधपरक विवेचना के साथ उनकी रचना ‘ख़ालिक़ बारी’ और उससे जुड़े विवादों पर विचार, तसव्वुफ़ की उनकी धारणा और उनके व्यक्तित्व में तसव्वुफ़ की भूमिका पर केन्द्रित शोध के अलावा जिन सुल्तानों और सूबेदारों के आश्रय में वे रहे उनकी जानकारी भी विस्तारपूर्वक दी गई है। अमीर ख़ुसरों ने अपने जीवनकाल में बारह युद्ध-अभियानों में भाग लिया था, इस खंड में उनकी चर्चा भी ऐतिहासिक संदर्भों के साथ की गई है। एक संगीत-सृजक के रूप में उन्होंने जहाँ नए रागों की रचना की, वहीं नए संगीत वाद्यों का भी आविष्कार किया। एक विस्तृत आलेख इस विषय पर भी इसी खंड में शामिल है। किताब के दूसरे हिस्से में उनके अब तक उपलब्ध हिन्दवी काव्य को प्रस्तुत किया गया है। उनकी पहेलियों, कहमुकरियों, दोहों, कविताओं, गीतों, कव्वालियों, ग़ज़लों और ‘ख़ालिक़ बारी’ को यहाँ आप एक साथ देख सकते हैं। कहने की जरूरत नहीं कि अमीर खुसरो के साथ यह पुस्तक उनके समय, तत्कालीन इतिहास और उस दौर की सांस्कृतिक विशेषताओं पर भी प्रकाश डालती है।
AIIMS Mein Ek Jung Ladte Huye
- Author Name:
Ramesh Pokhriyal 'Nishank'
- Book Type:

- Description: कोरोना ‘‘हार कहाँ मानी है मैंने रार कहाँ ठानी है संघर्षों की गाथाएँ गायी है मैंने मुझे आज भी गानी है। मैं तो अपने पथ-संघर्षों का पालन करते आया हूँ। फिर कैसे पीछे हट जाऊँ मैं सौगंध धरा की खाया हूँ। क्यों आए तुम कोरोना मुझ तक अब तुमको तो बैरंग जाना है पूछ सको तो पूछो मुझको मैंने मन में क्या ठाना है। तुम्हें पता है मैं संघर्षों का दीप जलाने आया हूँ। फिर कैसे पीछे हट जाऊँ मैं सौगंध धरा की खाया हूँ। हार कहाँ मानी है मैंने रार कहाँ ठानी है। मैं तिल-तिल जल मिटा तिमिर को आशाओं को बोऊँगा, नहीं आज तक सोया हूँ अब कहाँ मैं सोऊँगा! देखो, इस घनघोर तिमिर में, मैं जीवन-दीप जलाया हूँ। फिर कैसे पीछे हट जाऊँ मैं सौगंध धरा की खाया हूँ। हार कहाँ मानी है मैंने रार कहाँ ठानी है संघर्षों की गाथाएँ गायी मुझे आज भी गानी है।’’ —रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ 6 मई, 2021, दिल्ली, एम्स कक्ष-704, प्रातः 7:00 बजे
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