
Janjatiye Mithak : Udiya Aadivasiyon Ki Kahaniyan
Publisher:
Rajkamal Prakashan Samuh
Language:
Hindi
Pages:
519
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
1038 mins
Book Description
यह पुस्तक हमें ओड़िया की जनजातियों की लगभग एक हज़ार लोककथाओं से परिचित कराती है। इसमें भतरा, बिंझवार, गदबा, गोंड और मुरिया, झोरिया और पेंगू, जुआंग, कमार, कोंड, परेंगा, साँवरा आदि की लोककथाओं को संगृहीत किया गया है।</p> <p>इन कहानियों के माध्यम से आदिवासियों के जीवन को सही परिप्रेक्ष्य में देखा-परखा जा सकता है। इन जनजातियों में आपस में अनेक समानताएँ हैं। उनकी दैनन्दिन जीवन-शैली, उनकी अर्थव्यवस्था, उनके सामाजिक संगठन, यहाँ तक कि उनके विश्वासों और आचार-व्यवहार में भी समानता पाई जाती है। जहाँ भी उनमें विभिन्नताएँ हैं, वह जातीय वैशिष्ट्य के कारण नहीं, वरन् परिवेश, शिक्षा और हिन्दू प्रभाव के फलस्वरूप आई हैं। तुलनात्मक दृष्टि से एक आदिम कोंड एक आदिम दिदयि से अधिक समानता रखता है बजाय उत्तर-पश्चिम पर्वतीय क्षेत्र के किसी कोंड के जो रसेलकोंडा मैदानी क्षेत्र के कोंड के अधिक समीप लगता है।</p> <p>इन रोचक कहानियों का क्रमवार व विषयवार संयोजन किया गया है, ताकि पाठक की तारतम्यता बनी रहे। सदियों से दबे आदिवासियों की ये कहानियाँ जहाँ सामान्य पाठक के लिए ज्ञानवर्द्धक हैं, वहीं शोधकर्त्ताओं को शोध के लिए एक नई ज़मीन भी मुहैया कराती हैं।