Jane Pahachane Log
Author:
Harishankar ParsaiPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Biographies-and-autobiographies0 Reviews
Price: ₹ 159.2
₹
199
Available
सुविख्यात व्यंग्य लेखक हरिशंकर परसाई के इन संस्मरणात्मक शब्दचित्रों को पढ़ना एक नई अनुभव-यात्रा के समान है। इस अनुभव-यात्रा का एक महत्त्वपूर्ण पहलू यह है कि लेखक ने यहाँ अपने समकालीनों के रूप में कुछ साहित्यिक व्यक्तियों की ही चर्चा नहीं की है, बल्कि कुछ ग़ैर-साहित्यिक व्यक्तियों को भी गहरी आत्मीयता से उकेरा है। संग्रह के इस वैशिष्ट्य को परसाई जी ने स्वयं अपने ख़ास अन्दाज़ में इस प्रकार रेखांकित किया है—‘मेरे समकालीन’ जो यह लेख और चरित्रमाला लिखने की योजना है, तो सवाल है, मेरे समकालीन कौन? क्या सिर्फ़ लेखक? डॉक्टर के समकालीन डॉक्टर और चमार के समकालीन चमार? इसी तरह लेखक के समकालीन क्या सिर्फ़ लेखक? नहीं।...लेखकों, बुद्धिजीवी मित्रों के सिवा ये ‘छोटे’ कहलानेवाले लोग भी मेरे समकालीन हैं। मैं इन पर भी लिखूँगा।</p>
<p>फिर भी जिन जाने-अनजाने साहित्यिकों का उन्होंने यहाँ स्मरण किया है, वे हैं—श्रीकान्त वर्मा, केशव पाठक, प्रभात कुमार त्रिपाठी ‘प्रभात’, ब्रजकिशोर चतुर्वेदी, रामविलास शर्मा, शमशेर बहादुर सिंह, नामवर सिंह, माखनलाल चतुर्वेदी और सोमदत्त। इनके अतिरिक्त ‘मेरे समकालीन’ शीर्षक लेख में परसाई जी ने कुछ और साहित्यिकों को भी प्रसंगत: याद किया है।</p>
<p>वस्तुत: यह कृति परसाई सरीखे रचनाकार के गम्भीर रचनात्मक सरोकारों के साथ-साथ उनकी आत्मीय और सजग सामाजिकता का भी मूल्यवान साक्ष्य पेश करती है।
ISBN: 9789388183536
Pages: 127
Avg Reading Time: 4 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: ‘जो कुछ रह गया अनकहा’ लेखक के जीवन संघर्षों की औपन्यासिक गाथा है। इसे पढ़ते हुए लेखक के जीवन से ही नहीं, युग-युग के उस सच से भी अवगत हो सकते हैं जो अपनी प्रक्रिया में एक दिन एक मिसाल बनता है। उत्तर प्रदेश के ज़िला ग़ाज़ीपुर का गाँव वीरपुर, जहाँ लेखक का जन्म हुआ, यह खाँटी बाँगर मिट्टी का क्षेत्र है। यहाँ सिंचाई के अभाव में तब मुश्किल से ज्वार, बाजरा की फ़सल उपजती। लेखक ने खेती करते हुए पढ़ाई की तो आजीविका के लिए भटकाव की स्थिति से गुज़रना पड़ा। सबसे पहले कानपुर में 60 रुपए मासिक वेतन की नौकरी की, यह नौकरी रास नहीं आई तो नौ माह पश्चात् ही घर आ गए और गाँव के निजी संस्कृत विद्यालय में अध्यापन का कार्य सँभाला। पढ़ने की ललक निरन्तर बनी रही तो धीरे-धीरे एम.ए., एम.एड. तक की शिक्षा प्राप्त कर ली। फिर बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के ज़िला सचिव का पद मिला। 1977 में सीवान में अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन हुआ तो सीवान ज़िला इकाई का सचिव पद मिला। फिर 1992 में मुज़फ़्फ़रपुर राज्य संघ में महासचिव हुए। 2008 में अखिल भारतीय शान्ति एकजुटता संगठन के सौजन्य से वियतनाम में आयोजित द्वितीय भारत वियतनाम मैत्री महोत्सव में शिष्टमंडल के सदस्य रहे। समय तेज़ी से परिवर्तित होता गया, लेखक को वह दौर भी देखने को मिला जब दुनिया-भर में शिक्षा और शिक्षकों के समक्ष एक ही प्रकार की चुनौतियाँ आईं। शिक्षा पर निजीकरण और व्यावसायीकरण का ख़तरा मँडराया, जब शिक्षकों के संवर्ग को समाप्त कर अल्पवेतन, अल्प योग्यताधारी शिक्षकों की नियुक्ति कर शिक्षा को पूर्णतः बाज़ार के हवाले कर देने की योजना को बढ़ावा मिला। लेखक इससे विचलित तो नहीं हुआ परन्तु शारीरिक तौर पर अस्वस्थता ने जीवन-नौका को डुबाने की कगार पर ला दिया। अन्ततः एन्जियोप्लास्टी के कष्ट को भी झेलना पड़ा। एक बार फिर जीवन संघर्षों से जूझने को बाध्य हो गया। तब लगा कि जीवन संघर्षों से ही निखरता है जैसे सोना अग्नि में तपकर चमकता है। हम कह सकते हैं कि यह पुस्तक अपने आख्यान में जीवन्त तो है ही, अपने पाठ में जीने और जीतने की कला भी सिखाती है।
Nit Naval Rajkamal
- Author Name:
Subhash Chandra Yadav
- Book Type:

- Description: Biography
Narayana Murthy: A Complete Biography of Indian Businessman
- Author Name:
Dinkar Kumar
- Book Type:

- Description: This book takes you on an inspiring journey through the life of a visionary who transformed the global business landscape. From his modest beginnings in a small town to becoming the co-founder of Infosys, this is the story of how one man's determination and values reshaped India's IT industry. Discover how Murthy's bold decisions, unwavering ethics and innovative thinking propelled Infosys from a fledgling startup to a global powerhouse. Explore the challenges he faced, the milestones he achieved and the leadership philosophies that made him a revered icon in the corporate world. Beyond the boardroom, this biography delves into Murthy's personal life, his enduring partnership with Sudha Murthy and their shared commitment to giving back to society. It captures the essence of a man who believes in the power of simplicity, hard work and compassionate capitalism. Told with authenticity and insight, this book is not just a biography it's a testament to the transformative power of vision and values
Setubandh
- Author Name:
Narendra Modi
- Book Type:

- Description: This book does not have any description.
Hum Hushmat : Vol. 4
- Author Name:
Krishna Sobti
- Book Type:

-
Description:
‘हम हशमत’ का यह चौथा भाग है। कृष्णा सोबती ने ‘हशमत’ को सिर्फ़ एक उपनाम की तरह ग्रहण नहीं किया था, बल्कि वह अपने आप में एक सम्पूर्ण व्यक्तित्व है। कृष्णा जी ने स्वयं कहा है कि जब वे ‘हशमत’ के रूप में लिखती हैं, तो न सिर्फ़ उनकी भाषा, और शब्द-चयन कुछ अलग हो जाते हैं, उनका हस्तलेख तक कुछ और हो जाता है। ‘हशमत’ का विषय उनके समकालीनों, साथी लेखकों के अलावा गोष्ठियों, पार्टियों में हुए अनुभव और समसामयिक मुद्दों पर उनकी प्रतिक्रियाएँ होती हैं।
‘हम हशमत’ के इस भाग में राजेन्द्र यादव और असद जैदी पर उनके आलेखों के अलावा इस समय के कुछ विवादों पर उनकी प्रतिक्रियाओं को भी लिया गया है। साहित्य, लेखक की अस्मिता, और संस्कृति से सम्बन्धित उनके कुछ पठनीय आलेख भी यहाँ हैं। देश के वर्तमान राजनीतिक और सामाजिक पर्यावरण से कृष्णा जी इधर बहुत क्षुब्ध और निराश रही हैं, लोकतंत्र के भविष्य की चिन्ता उन्हें बार-बार सताती रही है। इसकी छवियाँ इस सामग्री में बार-बार सामने आएँगी। भाषा को लेकर ‘सारिका’ में प्रकाशित उनकी एक प्रतिक्रिया विशेष तौर पर पढ़ी जानी चाहिए। इसमें उन्होंने अत्यन्त स्पष्टता से बोलियों, भाषा और प्रान्तीय बोलियों के अन्तर्सम्बन्धों पर अपनी बात कही है।
Kalam's Family Tree: Ancestral Legacy of Dr. A.P.J. Abdul Kalam
- Author Name:
Dr. A. P. J. M. Nazema Maraikayar +1
- Book Type:

- Description: "This book is an intimate memoir written by A.P.J. Abdul Kalam’s niece, who is closely connected to him and the family. The book offers a rare glimpse into the family life and ancestral roots of India’s beloved “Missile Man.’ The book was originally written in Tamil and later translated in English and Hindi. It takes you to Dr. Kalam’s humble beginnings in Rameshwaram, Tamil Nadu, where the young Kalam’s curiosity and thirst of knowledge were nurtured within the embrace of a close-knit Muslim family. From the sacrifices of his parents to the wisdom imparted by his grandparents, the book celebrates the indelible impact of family on his journey to becoming the President of India. It emphasises on the cultural and religious roots that he inherited from different generations. It mainly reflects how historical events, wars, societal changes, economic conditions, etc., had an effect on his personality. The book is a tribute to the power of heritage, perseverance and the pursuit of knowledge values that resonated deeply within the Kalam lineage."
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