The Sentient God
Author:
Santanu Kumar AcharyaPublisher:
Sahitya AkademiLanguage:
EnglishCategory:
Short-story-collections2 Reviews
Price: ₹ 124.5
₹
150
Available
"The Sentient God" is a collection of award-winning Odia short stories written by Santanu Kumar Acharya. The book includes 11 stories that are rooted in folklore and myth and cover a range of genres, including fantasy, humor, horror, crime, and romance. The stories are set in villages, small towns, and cities, and will entertain and lighten the mood while also prompting readers to reflect on deep questions about life.
In this book, Acharya experiments with the occult and theoretical postulations in stories like "The Sentient God," "The Witness Tree," "The Dream" and "A Moonlit Night on the College Campus." He was an idealist in his life and never compromised with the establishment, and this is reflected in other stories like "Glasnost," "A Telephone Call," and "August 15," which intend to expose the flaws of the political and bureaucratic system of the present time.
Overall, "The Sentient God" cements Acharya's reputation as one of the decade's most inventive and successful Odia short story writers. As all great stories do, these stories have the power to make readers see the world differently.
ISBN: 9789355483447
Pages: 88
Avg Reading Time: 3 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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1968 से 1975 तक खेतिहर आबादी, सामन्तवादी शोषण, वर्ण-विरोध और तमाम दूसरी असंगतियों से जुड़ा एक विशाल साहित्य बंगाल में सामने आया। ’75 के बाद हिन्दी, तेलुगू व मराठी में भी यह अन्तर्ध्वनि तेज़ हुई। शैवाल की कहानियों के लेखन की यह सामान्य पृष्ठभूमि है। यह दूसरी बात है कि इस वृहत्तर पृष्ठभूमि में शैवाल का अपना संसार भी झाँकता है। शैवाल की कहानियों में अलग-अलग स्थितियाँ ही नहीं हैं, अलग-अलग हलचलें हैं। अलग-अलग छाया-ध्वनियाँ हैं, भीतर के संसार के अलग-अलग शेड्स हैं और एक ऐसी रूढ़िमुक्त भाषा है जो अपने चरित्रों की बोलियों से परहेज़ नहीं करती।
शैवाल ने सामान्य जन की कहानियाँ भी लिखी हैं और बिहार के उन्हीं सामान्य लोगों को विशिष्ट बनाकर भी ढेर सारी कहानियाँ लिखी हैं। इन कहानियों का मूल राग एक ही है और वह आदिम राग भी है, जिसे मैं हिन्दुस्तान का केन्द्रीय अन्तर्विरोध मानता हूँ।
शैवाल की इन कहानियों में गाँव की दुनिया पर बढ़ते हुए दबावों की यंत्रणा है, असंगठित-साधनहीन फिर भी परिस्थितियों से जूझते हुए स्त्री-पुरुष हैं तथा छोटे-छोटे समुदायों के भीतर का आतंक है। इनमें ‘मरुयात्रा’ का कष्ट-भरा अनुभव और वह मारक आतंक भी है, जिससे घिरा हुआ परमेसरा कहता है, ‘सुक्को कुओं में कूद गई, मालिक।’ सूचना चाहे बड़ी न हो, पर सुअर की तरह रीं-रीं कर उसका रोना क्या इस घटना से बाहर जाकर हमें कुछ और सुनने के लिए बाध्य नहीं करता?
— डॉ. सुरेन्द्र चौधरी
Maxim Gorki Ki Lokpriya Kahaniyan
- Author Name:
Maxim Gorki
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मैक्सिम गोर्की की गणना विश्व के श्रेष्ठ साहित्यकारों में की जाती है। उन्होंने साहित्य की सभी विधाओं—नाटक, कविता, निबन्ध, कहानी आदि—में योगदान दिया, किन्तु वे विशेष रूप से अपने उपन्यास ‘माँ’ एवं अन्य उपन्यासों एवं कहानियों के लिए जाने जाते हैं।
गोर्की की प्रारम्भिक कहानियाँ दो भिन्न-भिन्न शैलियों—रोमांटिक (स्वच्छन्दतावादी) और यथार्थवादी—में लिखी गई हैं। अपनी रोमांटिक कहानियों में उन्होंने जीवन के प्रेरणादायक और उदात्त चित्र प्रस्तुत कर अपने अभावों और दरिद्रता से भरे जीवन की परिस्थितियों को भूलने का प्रयत्न किया है। इसलिए उन्होंने अपनी कल्पना की रंगीनियों से उन्हें सजाया है। ये कहानियाँ मनुष्य के शौर्य, साहस और स्वतंत्रता की भावनाओं से अनुप्राणित हैं और इनमें ऐसे स्वप्नों की अभिव्यक्ति है जो आज की यथार्थता को बेधकर आगामी कल की यथार्थता को देखते हैं। यथार्थवादी कहानियों के कथानक, घटनाएँ और पात्र वास्तविक जीवन से लिए गए हैं। ऐसी समस्याएँ प्रस्तुत की गई हैं, जो हर दिन के जीवन में सामने आ रही थीं, जिनका लेखक को अपने इर्द-गिर्द के जीवन में अनुभव हुआ था और जो तत्कालीन रूस के पुराने सामन्तवादी-पितृसत्तात्मक ढाँचे के टूटने और पूँजीवाद की ओर तीव्र संक्रमण के फलस्वरूप जन्म लेते हुए नए सामाजिक सम्बन्धों, नए रिश्तों का परिणाम था। इनमें जहाँ मध्यम वर्ग के लोगों की कूपमंडूकता, उनके बौद्धिक दैन्य, उनकी उदासीनता, उनकी क्रूरता और संकीर्णता पर ज़ोरदार चोट की गई है, वहीं बुद्धिजीवियों तथा साहित्यकारों पर भी प्रहार किया गया है।
गोर्की ने जीवन के स्वामियों अर्थात् साधन-सम्पन्न शोषक वर्ग के लालच, स्वार्थपरता और उसके मुक़ाबले में ऐसे पात्रों को भी प्रस्तुत किया है जो क्रूर परिस्थितियों के परिणामस्वरूप जीवन के गर्त या तल में पहुँच गए थे। उनमें से कुछ अपने मानवीय लक्षणों को भी खो बैठे थे, किन्तु अधिकांश की आत्मा में उनका मानव जीवित रहा था। गोर्की ने उन सामाजिक परिस्थितियों पर प्रकाश डाला है, उनका विश्लेषण किया है, जो लोगों को पतन की ओर ले जाती हैं, किसी नारी को वेश्या बनने के लिए विवश करती हैं, बच्चों से भीख मँगवाती हैं।
Dogri Kathavan
- Author Name:
Shyam Jangid
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- Description: भारतीय भासावां मांय डोगरी कहाणियां आपरी अळगी मठोठ राखै। डीगा डूंगर, चीड़-देवदार रा जंगल अर लोक-संस्क्रति डोगरी कहाणियां में गमकै। केंद्रीय साहित्य अकादेमी कांनी सू प्रकासित राजस्थानी में उल्थासुदा औ डोगरी कथावां रौ संकलण निश्चै ई एक महताऊ ग्रंथ है। क्यूंकै इण पोथी में डोगरी रा सबळ अर नांमी रचनाकारां री कहाणियां भेली है।
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