Pratinidhi Kahaniyan : Zilani Bano
Author:
Zilani BanoPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Short-story-collections0 Reviews
Price: ₹ 159.2
₹
199
Available
जीलानी बानो उर्दू की ऐसी कथाकार हैं जिन्होंने पर्दे में रहते हुए भी अपने जमाने की अदबी चहल -पहल की आहटें सुनकर लिखना आरंभ किया । यह वो जमाना था जब हैदराबाद में पुलिस कार्रवाई के नतीजे में आसिफजादी पीढ़ी के आखिरी नवाब मीर उस्मान अली खाँ को अपनी दस्तार में 'राज -प्रमुख' की कलगी लगाने पर मज़बूर होना पड़ा था । यह नई और पुरानी कद्रों और सभ्यता के आकारों में टूट -फूट का जमाना था । जिंदगी बसर करने का एक खास ढाँचा था । सुबह व शाम अपने रूटीन थे । बड़े, छोटे- अहम और गैर - अहम, आका और गुलाम, कनीज और रखैल ये सारे झूठे -सच्चे रिशते थे जिनके बीच लाड बाजार की चूड़ियाँ, ज़र्क -बर्क लिबास, शेरवानी, तुर्की टोपी, चिलमन बजूर्दार शिकरा में, सिनेमाघर, दावतें, .शादी -ब्याह, और 'शेरो -.शायरी सब अपनी खास सज - धज के सा थ कहानीकार से हाथ मिलाते रहते थे । जीलानी बानो ने हैदराबाद की इस टूट-फूट को बड़े करीब से देखा है जो हैदराबादी दीवानखानों के बजाय जनानखानों में जिंदगी के दुख - सुख को नई-नई सूरतें दे रही थीं । एक कथाकार: के तौर पर जीलानी बानो का विजन बेहद ताकतवर है । वह जिंदगी में बहुत दूर तक पैठता है । जिंन्दगी के पाताल में उतरकर उसके ओर-छोर की खोज कहानी के मा ध्यम से कम ही कहानीकारों ने की होगी । जीलानी बानो का लहजा संभला हुआ, गंभीर और सोचता हु आ है । वहु अपनी कहानी में जायके की खातिर वह सव कुछ नहीं मिलातीं जिससे कहानी की खूब चर्चा' हो और वह पसंद की जाए । जीलानी बानो ने अपनी कहानियों में एक असलूब तराशा है जो उसके लंबे रचनात्मक सफर की देन है । वह यकीनन हमारे दौर के उर्दू कथा-साहित्य की अगली सफ में बैठी हुई कहानीकार हैं ।
ISBN: 9789388183857
Pages: 164
Avg Reading Time: 5 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: इस पुस्तक में संकलित महाकोशल अंचल की लोककथाओं को मध्य प्रदेश के मंडला, सिवनी, बालाघाट, बिलासपुर एवं रायपुर ज़िलों और रीवा, कवर्धा, सारंगढ़ और बस्तर से एकत्र किया गया है। इन कहानियों को स्थानीय जनजातियों के लोगों से सुनकर और बातचीत कर यहाँ लिपिबद्ध किया गया है। मध्यवर्ती भारत में प्रचलित कहानियों के अनेक रूप हैं। इनमें से कुछ को हम गद्य कह सकते हैं—सीधे–सीधे विवरण जिन्हें संकेतों और भंगिमाओं के माध्यम से सुनाया गया, फिर भी उनमें कोई विशेष परिवर्तन नहीं आया। कुछ कहानियों में संवादों के अंशों को गाकर बताया गया था। सूक्तियाँ या पद्य लयबद्ध सरल धुनों में गाई गई थीं। किसी–किसी कहानी में सभी संवाद संगीत में नहीं थे। कुछ विशेष पद्य और भाव ही संगीत में थे। यह जानना दिलचस्प होगा कि कहानी का गाया हुआ अंश कहानी के साथ जुड़ा ही रहा जिससे इन कहानियों की आत्मीयता बनी रही। प्रस्तुत पुस्तक आदिवासियों की कहानियों के ज़रिए हमें उनके नज़दीक ले जाती है। आदिवासियों के विभिन्न संस्कारों के साथ–साथ उनकी मासूमियत और भोलापन भी हमें इन कहानियों में देखने को मिलता है। इसके अलावा इस पुस्तक को आनन्द के उद्देश्य से पढ़ा जाए तो यह और मनोरंजक तथा सरस लगेगी।
The Coffin Master
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John F. Deane
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Markande Ki Kahaniyan
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Markandey
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- Description: प्रस्तुत संकलन में मार्कण्डेय के अब तक प्रकाशित सात कहानी-संग्रह शामिल हैं। कहना न होगा कि स्वतंत्रता के बाद लिखी गई इन कहानियों पर व्यापक विचार-विमर्श हुआ है। देश-विदेश में भी इनके अनुवादों पर वहाँ के आलोचकों ने लेख एवं समीक्षाएँ लिखी हैं। अत्यन्त सहज वाचन और शिल्पगत नवीनता के कारण इन कहानियों में चिन्हित समकालीन सन्दर्भ भारतीय जीवन की वास्तविकताओं को लोगों के सामने ला खड़ा करते हैं। आदर्श और बाह्य मान्यताओं वाली दृष्टि से देखे जाने के कारण संघर्ष और बदलाव की जो बातें हवा में उठाई जा रही थीं, उनके सामने इन कहानियों ने एक नया दृश्य ला खड़ा किया। अन्धकार, अशिक्षा, ग़रीबी ही नहीं धार्मिक अन्धविश्वास, शोषण और अनाचार के परिवेश को उजागर करने के कारण इन कहानियों को लोगों ने एक उपलब्धि की तरह स्वीकार किया। इस संकलन में ‘पान-फूल’, ‘महुए का पेड़’, ‘हंसा जाई अकेला’, ‘भूदान’, ‘माही’, ‘सहज और शुभ’ तथा ‘बीच के लोग’ नामक पुस्तकें शामिल हैं।
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