Maupassan Ki Sankalit Kahaniyan : Vol. 1
Author:
Guy De MaupassantPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Short-story-collections0 Reviews
Price: ₹ 200
₹
250
Unavailable
साहित्य के क्षितिज पर मोपासां मानो एक धूमकेतु के समान प्रकट हुआ था। महज़ तैंतालीस वर्षों की छोटी-सी ज़िन्दगी उसे जीने को मिली। सिर्फ़ बारह वर्षों का उसका साहित्यिक जीवन रहा। लेकिन इस छोटी-सी अवधि में उसने तीन सौ से अधिक कहानियाँ और छह उपन्यास लिख डाले। इसके अतिरिक्त इस दौरान उसके नाटकों, यात्रा-वृत्तान्तों और लेखों के कई संकलन प्रकाशित हुए। उन्नीसवीं शताब्दी के अन्त में, न सिर्फ़ फ़्रांस में बल्कि पूरे यूरोप में तथा रूस और अमेरिका में साहित्य के सुधी पाठकों के बीच सबसे अधिक पढ़े जानेवाले फ़्रांसीसी लेखक बाल्ज़ाक और मोपासां थे। फ्लाबेअर, स्तान्धाल और मोपासां—इन तीन फ़्रांसीसी लेखकों की कृतियों को पढ़ने की सलाह लेव तोल्स्तोय युवा लेखकों को अकसर दिया करते थे।</p>
<p>मोपासां का कथा-संसार 1870 से 1890 के बीच के फ़्रांसीसी जीवन का एक विशद चित्र विराट कैनवस पर प्रस्तुत करता है जिसके अलग-अलग हिस्सों की सूक्ष्मताएँ अलग से ग़ौरतलब हैं। मोटे तौर पर मोपासां की कहानियों को विषय-वस्तु की दृष्टि से पाँच श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है : (i) फ़्रांस-जर्मनी युद्ध विषयक कहानियाँ, (ii) नॉर्मन किसानों के जीवन से जुड़ी कहानियाँ, (iii) नौकरशाही के बारे में कहानियाँ, (iv) सेन नदी के तटवर्ती जीवन की कहानियाँ और (v) विभिन्न सामाजिक वर्गों की भावनात्मक-संवेगात्मक समस्याओं से सम्बन्धित कहानियाँ। यूँ तो इन सभी प्रवर्गों में कुछ आम चलताऊ रचनाओं के साथ ही अनेक बेहद सशक्त-शानदार रचनाएँ मौजूद हैं, लेकिन अधिकांश आलोचकों की यह राय रही है कि नॉर्मंडी के किसानों के जीवन के बारे में मोपासां ने सर्वाधिक आधिकारिक एवं वस्तुपरक ढंग से लिखा है। इस संकलन की कहानियाँ मोपासां के कथाकार का एक समग्र चित्र बनाने में आपकी मददगार होंगी।
ISBN: 9788126721597
Pages: 182
Avg Reading Time: 6 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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