Maupassan Ki Sankalit Kahaniyan : Vol. 1
Author:
Guy De MaupassantPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Short-story-collections0 Reviews
Price: ₹ 200
₹
250
Unavailable
साहित्य के क्षितिज पर मोपासां मानो एक धूमकेतु के समान प्रकट हुआ था। महज़ तैंतालीस वर्षों की छोटी-सी ज़िन्दगी उसे जीने को मिली। सिर्फ़ बारह वर्षों का उसका साहित्यिक जीवन रहा। लेकिन इस छोटी-सी अवधि में उसने तीन सौ से अधिक कहानियाँ और छह उपन्यास लिख डाले। इसके अतिरिक्त इस दौरान उसके नाटकों, यात्रा-वृत्तान्तों और लेखों के कई संकलन प्रकाशित हुए। उन्नीसवीं शताब्दी के अन्त में, न सिर्फ़ फ़्रांस में बल्कि पूरे यूरोप में तथा रूस और अमेरिका में साहित्य के सुधी पाठकों के बीच सबसे अधिक पढ़े जानेवाले फ़्रांसीसी लेखक बाल्ज़ाक और मोपासां थे। फ्लाबेअर, स्तान्धाल और मोपासां—इन तीन फ़्रांसीसी लेखकों की कृतियों को पढ़ने की सलाह लेव तोल्स्तोय युवा लेखकों को अकसर दिया करते थे।</p>
<p>मोपासां का कथा-संसार 1870 से 1890 के बीच के फ़्रांसीसी जीवन का एक विशद चित्र विराट कैनवस पर प्रस्तुत करता है जिसके अलग-अलग हिस्सों की सूक्ष्मताएँ अलग से ग़ौरतलब हैं। मोटे तौर पर मोपासां की कहानियों को विषय-वस्तु की दृष्टि से पाँच श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है : (i) फ़्रांस-जर्मनी युद्ध विषयक कहानियाँ, (ii) नॉर्मन किसानों के जीवन से जुड़ी कहानियाँ, (iii) नौकरशाही के बारे में कहानियाँ, (iv) सेन नदी के तटवर्ती जीवन की कहानियाँ और (v) विभिन्न सामाजिक वर्गों की भावनात्मक-संवेगात्मक समस्याओं से सम्बन्धित कहानियाँ। यूँ तो इन सभी प्रवर्गों में कुछ आम चलताऊ रचनाओं के साथ ही अनेक बेहद सशक्त-शानदार रचनाएँ मौजूद हैं, लेकिन अधिकांश आलोचकों की यह राय रही है कि नॉर्मंडी के किसानों के जीवन के बारे में मोपासां ने सर्वाधिक आधिकारिक एवं वस्तुपरक ढंग से लिखा है। इस संकलन की कहानियाँ मोपासां के कथाकार का एक समग्र चित्र बनाने में आपकी मददगार होंगी।
ISBN: 9788126721597
Pages: 182
Avg Reading Time: 6 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Vyangya Saptak - Kailash Mandlekar
- Author Name:
Kailash Mandlekar
- Book Type:

- Description: Collection of humourous and witty stories. Written by Kailash Mandlekar.
Balabodhini
- Author Name:
Sanjeev Kumar +1
- Book Type:

- Description: भारतेन्दु हरिश्चन्द्र आधुनिक हिन्दी साहित्य के प्रवर्तक माने जाते हैं। खड़ी बोली हिन्दी को साहित्य के माध्यम के रूप में प्रसारित-प्रचारित करने तथा रचनात्मक स्तर पर इस्तेमाल करने के लिए, साथ ही, अपने समय की बहुसंख्य प्रतिभाओं को अपने विराट मित्रमंडली में शामिल और प्रोत्साहित करने के लिए भी उन्हें याद किया जाता है। सुविदित है कि 1870 के दशक में उनकी प्रकाशन गतिविधियाँ बहुत तेज़ी से बढ़ी और वे उत्तर-पश्चिमी प्रान्तों में केन्द्रीय महत्त्व वाली एक शख़्सियत के रूप में उभरे। उनकी दो साहित्यिक पत्रिकाएँ—‘कविवचनसुधा’ (1868-85) औ‘हरिश्चन्द्र मैगज़ीन’, जिसका नाम बाद में ‘हरिश्चन्द्र चन्द्रिका’ (1873-85) कर दिया गया—उनके जीवनकाल में ही प्रसिद्धि हासिल कर चुकी थीं। इनके साथ-साथ 1874 से 1877 तक उन्होंने महिलाओं की पत्रिका ‘बालाबोधिनी’ भी सम्पादित की थी, जिसका हिन्दी की पहली स्त्री-पत्रिका होने के नाते साहित्यिक इतिहास में विशिष्ट महत्त्व है। पर यह एक विडम्बना है कि भारतेन्दु की सभी जीवनियों में अनिवार्य और सम्मानजनक नामोल्लेख के बावजूद इस पत्रिका की सामग्र अन्तर्वस्तु या ढब-ढाँचे को लेकर वहाँ या अन्यत्र भी कोई विवेचन नहीं मिलाता और न ही इसकी प्रतियाँ कहीं सुलभ हैं। विभिन स्रोतों से इकट्ठा किए गए बालाबोधिनी के अंकों को पुस्तकाकार रूप में हिन्दी जगत् के सामने लाना इसीलिए महत्त्वपूर्ण है। यह सन्तोष की बात है कि अब भारतेन्दु पर या हिन्दी प्रदेश में स्त्री-प्रश्न पर काम करनेवालों के सामने इस प्रथम स्त्री-मासिक का नामोल्लेख भर करने की मजबूरी नहीं रहेगी।
Kavve Aur Kala Pani
- Author Name:
Nirmal Verma
- Book Type:

-
Description:
निर्मल वर्मा ने हिन्दी कहानी को एक अत्यन्त संवेदनशील, सक्षम और पारदर्शी भाषा दी, और उसमें मनुष्य की आन्तरिक रिक्तियों को दृश्यमान किया। यही कारण है कि उनकी कहानियाँ सिर्फ़ पाठकीय अनुभव तक सीमित नहीं रहतीं, हमारे लिए वे एक समूचा मानवीय अनुभव हो जाती हैं—देर तक साथ रहनेवाला एक समूचा अनुभव।
साहित्य अकादमी पुरस्कार (1985) से सम्मानित ‘कव्वे और काला पानी’ (1983) में उनकी सात कहानियाँ शामिल हैं। इनमें से कुछ कहानियों की पृष्ठभूमि भारतीय है तो कुछ कहानियाँ हमें यूरोपीय ज़मीन की उदासियों से परिचित कराती हैं। यह निर्मल जी की संवेदना का समूचापन ही है कि इससे पाठक की अनुभूति कहीं विभाजित नहीं होती। मानवीय पीड़ा का स्वर कहीं दो-फाँक नहीं होता।
मानव-सम्बन्धों में आज जो एक ठहराव, ठंडापन, उदासी, बेचारगी और व्यर्थता बोध है, वह इन कहानियों के माध्यम से हमें गहरे तक झकझोरता है और हमें उन अनुभवों तक ले जाता है, जो एक व्यक्ति तक सीमित नहीं हैं। घटनाएँ इतनी महत्त्वपूर्ण नहीं, जितना कि वह परिवेश जो इन कहानियों की पंक्तियों से उठकर हमारे भीतर चला आता है। हर कहानी एक गूँज की तरह कहीं भीतर ठहर जाती है।
इस संग्रह में शामिल प्रत्येक कहानी ने अपने समय में व्यापक प्रतिक्रियाओं और अकसर बहसों को भी जन्म दिया। अपनी कलात्मकता में वे आज भी उतनी ही नई हैं।
Kartab Lamboo Dweep Mein
- Author Name:
Ramesh Dave
- Book Type:

- Description: children book
Katha Saptak - Vandana Raag
- Author Name:
Vandana Rag
- Book Type:

- Description: Description Awaited
Pui
- Author Name:
Rahul Srivastava
- Book Type:

-
Description:
राहुल की विशिष्ट बात ये है कि वे निहायत ही निजी अनुभव और दृष्टिकोण से कहानियाँ लिखते हैं पर उनकी कहानियाँ उस व्यापकता तक जाती हैं जहाँ पाठक न सिर्फ़ अपने जीवन का अंश देख पाते हैं बल्कि अपने व्यक्तिगत जीवन की सचाई से भी रू-ब-रू हो जाते हैं। पहले मैंने राहुल को सिर्फ़ एक फ़िल्म सम्पादक और निर्देशक की तरह जाना था जिसमें ‘इकोनॉमी ऑफ़ एक्सप्रेशन’ की कमाल की समझ है। पर अब मैं राहुल की उस हिम्मत से बहुत प्रभावित हूँ, जिससे उसने अपने अन्तर्मन को सचाई से टटोला और अपने दर्द, अपने ग़ुस्से, अपनी यादों और अपने अपराधबोध तक को शब्दों में ढालकर दुनिया के सामने रख दिया। मैंने लगभग सभी कहानियों में उस छोटे से पत्थर को महसूस किया जो चोट नहीं देना चाहता पर ठहरे हुए पानी में हलचल पैदा कर देता है।
‘चूहे’ की हिंसा सिर्फ़ एक घर की नहीं बल्कि समाज में फैली व्यापक हिंसा की तरफ खुलकर इशारा करती है। ‘पुई’ और ‘टर्मिनल-1' पढ़कर मैं उस दर्द को महसूस कर रहा था जिसे राहुल ने शब्द और जीवन दिया है। राहुल की भाषा अत्यन्त साधारण होते हुए भी उस ईमानदारी से भरी है जिसे पढ़कर मैं थोड़ा विचलित हो गया। ऐसा शायद इसलिए हुआ कि मैं ख़ुद को आईने में देख रहा था और सचाई को देखकर मुझे एक भय-सा महसूस हुआ। इस तरह की भाषा की बानगी देखकर मैं यही सोच रहा हूँ कि राहुल की आने वाली कहानियाँ कैसी होंगी। मुझे विश्वास है कि हम भविष्य के एक ऐसे लेखक को पढ़ रहे हैं जिसकी लेखनी से बहुत कुछ महत्त्वपूर्ण लिखा जाने वाला है।
—सईद अख़्तर मिर्ज़ा
Dastangoi - 1
- Author Name:
Mohammad Kazim +1
- Book Type:

- Description: दास्तान ज़बानी बयानिया है जिसे पेश करनेवाले दास्तानगो ज़बान, बयान, शायरी और क़िस्त के माहिर होते थे। दास्तानें बहुत-सी सुनाई गईं पर इनमें सबसे मशहूर हुई दास्ताने अमीर हमज़ा जिसमें हजरत मोहम्मद सः के चचा अमीर हमज़ा की ज़िन्दगी और उनके शानदार कारनामों को बयान किया जाता है। 18वीं और 19वीं सदी में जब ये दास्तान उर्दू में मक़बूल हुई तो इससे अदब और पेशकश का बेहतरीन मेल पैदा हुआ और इसमें कई ऐसी बातों का इज़ाफ़ा हुआ जो ख़ालिस हिन्दुस्तानी मिज़ाज की थीं। मसलन, तिलिस्म और अय्यारी जो बाद में दास्तानगोई का सबसे अहम हिस्सा साबित हुईं। बेशुमार क़िस्म के जानदार, सय्यारे सल्तनतें, तिलिस्म, जादूगर, देव, अय्यार, और अय्याराएँ जैसे किरदारों पर ‘मुश्तमिल दास्ताने-अमीर हमज़ा’ आख़िरकार 46 जख़ीम जिल्दों में पूरी होकर छपी और उर्दू अदब और हिन्दुस्तानी फनूने लतीफ़ा का मेराज साबित हुई। दास्तानगोई का फ़न ज़बानी और तहरीरी दोनों शक़्लों में जिस वक़्त अपने उरूज पर पहुँचा तक़रीबन उसी वक़्त नए मिज़ाज और नए मीडिया की आमद के साथ बड़ी तेज़ी से इसका जवाल भी हुआ। आख़िरी दास्तानगो मीर बाक़र अली का इन्तकाल 1928 में हुआ और इसके साथ ही ये अजमी रवायत नापैद हो गई।
Parsi Dharmshala
- Author Name:
Pankaj Swamy
- Book Type:

- Description: कहानी में पुराना स्वर्णिम युग अपनी समस्त शक्तियों को व्यय कर समाप्त हो चुका है। अब नया युग अपनी तमाम संभावनाओं के साथ उपस्थित है। पंकज स्वामी नये समय के कारीगर हैं और उनकी दस्तक सुनी गई है। कहानी-लेखन में उन्हें कुल दस वर्ष ही हुए हैं और उनका पर्याप्त स्वागत हुआ। वे अपने कथानकों के लिए दूर नहीं गए, अपने आसपास स्थानीय जीवन में ही कथा सरोकारों की जगहें खोज ली हैं। समाज के सीमांतों पर भटकते, बहिष्कृत, एकाकी पात्र उनकी कहानियों में हैं, ऐसे नागरिक भी हैं जो शोषण की सुरंगों में फँसे हैं। पंकज की हर कहानी का कथानक नया है, और शुक्र है कि वे कहानी को कल्पना लोक या बौद्धिक बुनावट की तर$फ नहीं ले गए। सर्वोपरि है कि कहानी का पाठक हर समय में ठोस कथानक चाहता है। इस पुरानेपन को पंकज ने छोड़ा नहीं है, इसे नया प्रकाश दिया है। 'पारसी धर्मशाला’ एक गुम होती, डूबती मासूम नस्ल और संस्कृति की बेजोड़ कहानी है। इस बिछुड़ती और समय के गर्त में जाती 'पारसी धर्मशाला’ की जि़न्दगी में एक बहादुर व्यक्ति नायक की तरह अब भी जीवित है जो मु$काबला करना भूला नहीं है। पंकज की दूसरी कहानियों में भी अंधेरे हैं पर एक चिरा$ग बराबर जल रहा है। पंकज स्वामी उसी विषय का चयन करते हैं जहाँ वे पहुँच सकते हैं या पहुँच चुके हैं। —ज्ञानरंजन
Jahangir Ki Swarnamudra
- Author Name:
Satyajit Ray
- Book Type:

-
Description:
‘जहाँगीर की स्वर्णमुद्रा’ सुविख्यात फ़िल्म-निर्देशक और बांग्ला लेखक सत्यजित राय की बारह कहानियों का महत्त्वपूर्ण संग्रह है।
सत्यजित राय विरल कथा-स्थितियों और मानव-जीवन की विविधता के चितेरे हैं। देशकाल का परिवेश इस चित्रण में एक विराट फलक का कार्य करता है और उनकी अनुभव-सम्पन्न जीवन-दृष्टि विविध रंगों का। एक ऐसा समाज इन कहानियों में बराबर दिखाई देता है, जिसमें विभिन्न प्रकार की आशंकाएँ, कुंठाएँ और अन्तर्विरोध मानव-जीवन को प्रभावित-परिचालित करते हैं। फिर भी उनका मनुष्य कहीं हारता नहीं। ठगा जाकर भी ठगने की कोशिश नहीं करता और मानव-मूल्यों के प्रति एकनिष्ठ बना रहता है। यही कारण है कि वर्तमान व्यावसायिक सभ्यता से शोषित-प्रताड़ित होने के बावजूद कहीं-कहीं तो वह नैतिक प्रतिरोध की शक्ल अख़्तियार करता दिखाई देता है।
राय के कथा-लेखन की कुछ और विशेषताओं से भी ये कहानियाँ परिचित कराती हैं। मसलन, स्थितियों की निस्संग रहस्यात्मकता, व्यंग्य-विनोद का महीन पुट और शिल्पगत नाटकीयता। संक्षेप में कहा जाए तो हिन्दी पाठकों के लिए ये कहानियाँ एक अलग तरह का अनुभव-संसार सँजोए हुए हैं।
Apni Si Rang Dinhin Re
- Author Name:
Sapna Singh
- Book Type:

- Description: Sapna Singh Famous Stories Collection
Chaar Yaar Aath Kahaniyaan
- Author Name:
Doodhnath Singh
- Book Type:

-
Description:
चार यारों की आठ कहानियों की यह प्रस्तुति हमारे चार बड़े लेखकों की समवयस्क-समकालीन रचना-यात्रा को एक भेंट तो है ही, उससे ज़्यादा यह हिन्दी कहानी के उस दौर का पुनर्पाठ है जब लेखक-मानस किन्हीं सिद्ध, स्वीकृत और स्थापित रूढ़ियों का अनुसरण नहीं कर रहा था, बल्कि एक युवा होते विशाल स्वतंत्र देश की तमाम असहायताओं-अपूर्णताओं के बीच खड़ा अपनी रचनात्मक ‘क्वेस्ट' में अपने आन्तरिक और बाह्य विस्तार को भाषा में पकड़ने का जी-तोड़ प्रयत्न कर रहा था। सम्पादक-आलोचक-पाठक-पोषित फार्मूलों
की सुविधा का ईजाद शायद इस दौर के काफ़ी बाद की घटना है।
ये कहानियाँ और इन कहानियों के रचनाकार भाषा की सीमाओं और अनुभव की असीमता, रूढ़ियों की आसानियत और अभिव्यक्ति के दुर्वह संकल्प के बीच तने तारों पर सधे खड़े ‘आइकंस’ हैं, भविष्य ने जिनसे उतना नहीं सीखा, जितना सीखना चाहिए था। अन्तर्बाह्य अन्वेषण की जिस मूल वृत्ति के चलते ये कहानियाँ आविष्कार की तरह घटित होती थीं, वही सबसे मूल्यवान चीज़ आगे की रचनात्मकता में गहनतर होती नहीं दिखती।
नई पीढ़ियों के लिए लगभग दस्तावेज़ी यह प्रस्तुति लेखकीय मित्रताओं के लिहाज़ से भी उन्हें एक ज़्यादा उजले परिसर में आने की दावत है जहाँ स्पर्द्धाओं के ‘टैक्स’ खुली साँस लेने के लिए पर्याप्त अन्तराल देते हुए स्थित होते हैं।
Kahaniyan Rishton Ki : Maa
- Author Name:
Akhilesh
- Book Type:

- Description: माँ यानी दुनिया से पहली पहचान, पहला रिश्ता। एक ऐसा रिश्ता जो जन्म के पहले से ही शुरू हो जाता है। बाद में सन्तान जैसे-जैसे बड़ी होने लगती है, उसकी दुनिया का विस्तार होने लगता है, उसके जीवन में माँ की केन्द्रीयता ख़त्म हो जाती है पर माँ के समूचे व्यक्तित्व और सद् भावना के केन्द्र में उसकी सन्तान ही रहती है। इस संकलन में लगभग सभी महत्त्वपूर्ण कहानियों को चयनित किया गया है, जिससे ‘माँ’ का कोई भी जाना-अनजाना चेहरा छूट न सके। यक़ीनन इसे पढ़ते हुए पाठकों की अपने जीवन से जुड़ी बहुत सारी छवियाँ और स्मृतियाँ कुछ और चटख होंगी।
Katha Saptak Hari Bhatnagar
- Author Name:
Hari Bhatnagar
- Book Type:

- Description: Collection of 7 brilliant stories: - बिल्ली नहीं दीवार - सामूहिक नरसंहार - ज़ाफ़र मियाँ की शहनाई - शिकंजा - माई - शर्म - बजरंग पांडे के पाड़े
Kathavaachak
- Author Name:
Susmita Pathak
- Book Type:

- Description: स्त्रियाँ परिवार और समाज की धुरी होती हैं लेकिन उन स्त्रियों का जीवन कितना कठिन, विपत्तियों से भरा और त्रासद होता है, कितनी अपमानजनक और विकट स्थितियों-परिस्थितियों से वे जूझती और संघर्ष करती हैं, उसका सटीक और सम्यक चित्रण सुस्मिता पाठक की कहानियों में गुम्फित है। अपनी कहानियों में वह स्त्री की दारुण गाथा मात्र नहीं कहती अपितु स्त्री के सपने और संघर्ष को मजबूत स्वर भी देती हैं। इक्कीसवीं सदी में स्त्री-संघर्ष और विमर्श की एक सुपरिचित व्याख्याकार के रूप में मैथिली साहित्य में इनका स्थान सुरक्षित है। अपनी कहानियों में व्यापक जीवनानुभव, नव्यतर कथ्य, उपस्थापन शैली, स्त्री जीवन की विडम्बनाओं को महीनी से उकेरती, उद्घाटित-उद्भेदित करती सुस्मिता अपने पाठकों को कहानियों से विलग नहीं होने देती हैं। इनकी कहानियों से गुजरते हुए मिथिला के सामाजिक जीवन, रीति-रिवाज, सुख-दुख, राग-विराग और नेह-छोह का विरल अनुभव मिलता है।
Alfa Laila
- Author Name:
Abrar Mohsin
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Pratinidhi Kahaniyan : Shekhar Joshi
- Author Name:
Shekhar Joshi
- Book Type:

-
Description:
शेखर जोशी की कहानियों में शिल्प और संवेदना के अन्तर्सम्बन्धों की सुरम्य रचना के साथ जीवन और समाज के सहज उन्नयन एवं परिवर्तनकारी दृष्टि के प्रति दायित्वबोध साफ़ दृष्टिगोचर होता है। कथात्मक गठन में भाषा के सूक्ष्म उपयोग का उन जैसा आधुनिक बोध हिन्दी कहानी में अपरिचित है।
अत्यन्त सहज और ठंडी भाषा के माध्यम से ये कहानियाँ हमारे समक्ष जिस यथार्थ का उद्घाटन करती हैं, उसके पीछे समकालीन जन-जीवन की बहुविध विडम्बनाओं को महसूस किया जा सकता है। सपनों की वास्तविकता से अपरिचित बच्चों की ख़ुशी हो या बिरादरी की दलदल में फँसे व्यक्ति की मनोदशा—लेखकीय दृष्टि उन्हें एक अर्थ-गाम्भीर्य से भर देती है। उनके पास आदर्शवादी निर्णय हैं तो उनके सामने खड़ा कठोर और भयावह यथार्थ भी है।
वस्तुतः शेखर जोशी की ये कहानियाँ बिना किसी शोर-शराबे के हमारी सोच के विभिन्न स्तरों को स्पर्श और झंकृत करनेवाले रचनात्मक गुणों से परिपूर्ण हैं।
Katha Saptak Sudha Om Dhingra
- Author Name:
Sudha Om Dhingra
- Book Type:

- Description: Collection of 7 brilliant stories: - बिल्ली नहीं दीवार - सामूहिक नरसंहार - ज़ाफ़र मियाँ की शहनाई - शिकंजा - माई - शर्म - बजरंग पांडे के पाड़े
Chitra Ka Shirshak
- Author Name:
Yashpal
- Book Type:

- Description: यशपाल के लेखकीय सरोकारों का उत्स सामाजिक परिवर्तन की उनकी आकांक्षा, वैचारिक प्रतिबद्धता और परिष्कृत न्याय-बुद्धि है। यह आधारभूत प्रस्थान बिन्दु उनके उपन्यासों में जितनी स्पष्टता के साथ व्यक्त हुए हैं, उनकी कहानियों में वह ज़्यादा तरल रूप में, ज़्यादा गहराई के साथ कथानक की शिल्प और शैली में न्यस्त होकर आते हैं। उनकी कहानियों का रचनाकाल चालीस वर्षों में फैला हुआ है। प्रेमचन्द के जीवनकाल में ही वे कथा-यात्रा आरम्भ कर चुके थे, यह अलग बात है कि उनकी कहानियों का प्रकाशन किंचित् विलम्ब से आरम्भ हुआ। कहानीकार के रूप में उनकी विशिष्टता यह है कि उन्होंने प्रेमचन्द के प्रभाव से मुक्त और अछूते रहते हुए अपनी कहानी-कला का विकास किया। उनकी कहानियों में संस्कारगत जड़ता और नए विचारों का द्वन्द्व जितनी प्रखरता के साथ उभरकर आता है, उसने भविष्य के कथाकारों के लिए एक नई लीक बनाई, जो आज तक चली आ रही है। वैचारिक निष्ठा, निषेधों और वर्जनाओं से मुक्त न्याय तथा तर्क की कसौटियों पर खरा जीवन—ये कुछ ऐसे मूल्य हैं जिनके लिए हिन्दी कहानी यशपाल की ऋणी है। ‘चित्रा का शीर्षक’ कहानी-संग्रह में उनकी ये कहानियाँ शामिल हैं : ‘चित्रा का शीर्षक’, ‘हाय राम!...ये बच्चे!!’, ‘आदमी या पैसा?’, ‘प्रधानमंत्री से भेंट’, ‘मार का मोल’, ‘शहंशाह का न्याय’, ‘स्थायी नशा’, ‘एक सिगरेट’, ‘फूल की चोरी’, ‘अनुभव की पुस्तक’, ‘पाँव तले की डाल’, ‘साहू और चोर’ तथा ‘इसी सुराज के लिए’?
Dagdar Babu
- Author Name:
Yatish Agarwal
- Book Type:

- Description: चिकित्साशास्त्र की आत्मा को छूती, टटोलती, गुदगुदाती हिन्दी कथा-साहित्य की आठ श्रेष्ठ कहानियाँ। उनमें छिपे हैं हज़ारों सूरज। ग़म और ख़ुशी के लम्हे। काल-कालान्तर से गूँजते मंगल स्वर। सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामया: की पवित्र सोच। सत्य की खोज, नए-नए विरल अनुभवों और विवेक से उपजे ज्ञान के उपवन। कला-विज्ञान का अद्भुत संगम। वह आचार-संहिता जिसमें रँगकर ही कोई चिकित्सक ख़ुद को धन्वन्तरि की सच्ची सन्तान कहलाने का हकदार हो सकता है।
Bapu Katha Chaudas
- Author Name:
Madhukar Upadhyay
- Book Type:

- Description: Mahatma Gandhi's life story in Hindi by Madhuker Upadhyay.
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...