Mansarovar Vol. 8 : Uddhar Aur Anya Kahaniyan
Author:
PremchandPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Short-story-collections0 Reviews
Price: ₹ 120
₹
150
Available
प्रेमचन्द मनुष्य और मानवीय स्थितियों में दिलचस्पी रखते थे।... प्रेमचन्द के लिए मनुष्य की स्थिति ही समाज की स्थिति थी। उनकी कहानियों में मनुष्य को स्वयं में सम्पूर्ण इकाई के रूप में शायद ही कहीं प्रस्तुत किया गया हो। मनुष्य के अन्तर्मन की उथल-पुथल और दुविधाएँ हमेशा समाज और</p>
<p>आस-पास के माहौल से जुड़ी</p>
<p>होती हैं। यहाँ तक कि पारिवारिक सम्बन्धों को भी सामाजिक तर्कों से प्रभावित होता दिखाया गया है। उनका गहरा सामाजिक निरीक्षण उनकी कहानियों में झलकता है जिनमें उन्होंने हर 'प्रकार' के इनसानों को और लगभग हर व्यवसाय को शामिल किया है।</p>
<p>—विश्वनाथ एस. नरवणे
ISBN: 9789393603319
Pages: 224
Avg Reading Time: 7 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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Akhilesh
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- Description: अखिलेश की कहानियाँ बातूनी कहानियाँ हैं...ग़ज़ब का बतरस है उनमें। वे अपने पाठकों से जमकर बातें करती हैं। अपने सबसे प्यारे दोस्त की तरह गलबहियाँ लेकर वे आपको आगे और आगे ले जाती हैं और उनमें उस तरह की सभी बातें होती हैं जो दो दोस्तों के बीच घट सकती हैं (कोई चाहे तो इसे कहानीपन भी कह सकता है)। यही वजह है कि बेहद गम्भीर विषयों पर लिखते हुए भी अखिलेश की कहानियाँ ज़बर्दस्ती की गम्भीरता कभी नहीं ओढ़ती हैं। पढ़ते हुए कई बार एक मुस्कान-सी होंठों पर आने को होती है। क्योंकि उनके यहाँ कोई बौद्धिक आतंक, सूचना का कोई घटाटोप या किसी और तरह का बेमतलब का जंजाल चक्कर नहीं काटता कि पाठक कहीं और ही फँसकर रह जाए...। इन कहानियों की एक और ख़ूबी यह भी है कि ये कहानियाँ पाठक से ही नहीं बात करती चलतीं, बल्कि ख़ुद उनके भीतर भी कई तरह के समानान्तर संवाद चलते रहते हैं। वे ख़ुद भी अपने चरित्रों से बतियाते चलते हैं, उनके भीतर चल रही उठा-पटक को अपने अखिलेशियन अन्दाज़ में सामने लाते हुए। क्या है ये अखिलेशियन अन्दाज़! उसकी पहली पहचान यह है कि वह बिना मतलब गम्भीरता का ढोंग नहीं करते, बल्कि उनकी कहानियाँ अपने पाठकों को भी थोपी हुई गम्भीरता से दूर ले जानेवाली कहानियाँ हैं। उनकी कहानियों का गद्य मासूमियत वाले अर्थों में हँसमुख नहीं है, बल्कि चुहल-भरा, शरारती पर साथ ही बेधनेवाला गद्य है।
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