Aakash Darshan
Author:
Gunakar MuleyPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Science0 Reviews
Price: ₹ 560
₹
700
Available
धरती का मानव हज़ारों सालों से आकाश के टिमटिमाते दीपों को निहारता आया है। सभी के मन में सवाल उठते हैं—आकाश में कितने तारे हैं? पृथ्वी से कितनी दूर हैं? कितने बड़े हैं? किन पदार्थों से बने हैं? ये सतत क्यों चमकते रहते हैं? तारों के बारे में इन सवालों के उत्तर आधुनिक काल में, प्रमुख रूप से 1920 ई. के बाद, खोजे गए हैं; इसलिए भारतीय भाषाओं में सहज उपलब्ध भी नहीं हैं। प्रख्यात विज्ञान-लेखक गुणाकर मुळे ने इस भारी अभाव की पूर्ति के लिए ही प्रस्तुत ग्रन्थ की रचना की है। आधुनिक खगोल-विज्ञान में आकाश के सभी तारों को 88 तारामंडलों में बाँटा गया है। गुणाकर मुले ने हर महीने आकाश में दिखाई देनेवाले दो-तीन प्रमुख तारामंडलों का परिचय दिया है। साथ में तारों की स्पष्ट रूप से पहचान के लिए भरपूर स्थितिचित्र भी दिए हैं। बीच-बीच में स्वतंत्र लेखों में आधुनिक खगोल-विज्ञान से सम्बन्धित विषयों की जानकारी है, जैसे—आकाशगंगा, रेडियो-खगोल-विज्ञान, सुपरनोवा, विश्व की उत्पत्ति, तारों की दूरियों का मापन आदि। तारामंडलों के परिचय के अन्तर्गत सर्वप्रथम इनसे सम्बन्धित यूनानी और भारतीय आख्यानों की जानकारी है। उसके बाद तारों की दूरियों और उनकी भौतिक स्थितियों के बारे में वैज्ञानिक सूचनाएँ हैं। ग्रन्थ में तारों से सम्बन्धित कुछ उपयोगी परिशिष्ट और तालिकाएँ भी हैं। अन्त में तारों की हिन्दी-अंग्रेज़ी नामावली और शब्दानुक्रमणिका है। संक्षेप में कहें तो ‘आकाश-दर्शन’ एक ओर हमें धरती और इस पर विद्यमान मानव-जीवन की परम लघुता का आभास कराता है, तो दूसरी ओर विश्व की अति-दूरस्थ सीमाओं का अन्वेषण करनेवाली मानव-बुद्धि की अपूर्व क्षमताओं का भी परिचय कराता है। ‘आकाश दर्शन’ वस्तुतः विश्व-दर्शन है।
ISBN: 9788126705658
Pages: 376
Avg Reading Time: 13 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Antariksh: Ek Nayi Duniya, Ek Naya Bhavishya
- Author Name:
K. Siddhartha
- Book Type:

- Description: अंतरिक्ष हमारी सारी समस्याओं का समाधान कर रहा है। मोबाइल और इंटरनेट उसी के अंश हैं। भारत में चंद्रयान कौ सफलता भारत की अब तक की सबसे बड़ी वैज्ञानिक उपलब्धि है। इसने विज्ञान अर्थव्यवस्था और राजनीतीकरण के बिल्कुल नए आयाम खोल दिए हैं। अंतरिक्ष विज्ञान पर हिंदी में बहुत पुस्तकें नहीं हैं और आसान भाषा में आम पाठकों को समझ में आने लायक शायद ही किसी पुस्तक का नाम स्मृति में आता है। इस पुस्तक की सबसे बड़ी विशेषता इसकी सहज, सरल, आकर्षक और आसानी से कठिन वैज्ञानिक विषय को समझाने की खूबी है। प्रस्तुत पुस्तक में प्रयास किया गया है कि कठिन-से-कठिन अंतरिक्ष शब्दावली को आसान-से-आसान भाषा में किस तरह से पिरोया जाए, जिससे कि उनका मूल अर्थ भी प्रभावित न हो और साधारण पाठक को उसके बारे में पूरी और सही जानकारी भी हासिल हो सके। यह पुस्तक उन सभी उद्यमियों के लिए है, जो अंतरिक्ष को एक अवसर के रूप में देख रहे हैं, जो इस नवीन आयाम का सुख उठाना चाह रहे हैं। यह पुस्तक उन सभी के लिए भी लाभदायक और संग्रहणीय है, जो अंतरिक्ष विज्ञान को जानना चाहते हैं।
Kepler
- Author Name:
Gunakar Muley
- Book Type:

- Description: गुणाकर मुळे का विज्ञान-लेखन सिर्फ़ जानकारी नहीं देता, उनका प्रयास हमेशा यह रहा कि पाठक की चेतना का विकास वैज्ञानिक पद्धति पर हो, वे जीवन-जगत् को स्पष्ट, तार्किक नज़रिए से देखें और धार्मिक तथा कर्मकांडीय अन्धविश्वासों से मुक्त हों। इसीलिए उन्होंने अनेक वैज्ञानिकों, गणितज्ञों, खगोलशास्त्रियों और उनके सिद्धान्तों के सम्बन्ध में अकसर सरल भाषा में लिखा है। यह पुस्तक योहानेस केपलर के जीवन और सिद्धान्तों की जानकारी देती है। केपलर संसार के पहले वैज्ञानिक हैं जिन्होंने स्पष्ट किया कि ग्रह वृत्तमार्ग में नहीं, बल्कि दीर्घवृत्तीय यानी अंडाकार कक्षाओं में सूर्य की परिक्रमा करते हैं। इतना ही नहीं, चन्द्रमा जैसे उपग्रह भी दीर्घवृत्ताकार कक्षाओं में अपने-अपने ग्रहों का चक्कर लगाते हैं। यह एक महान खोज थी। आगे जाकर केपलर ने ग्रहों की गतियों के बारे में तीन नियमों की खोज की, जिनके कारण उन्हें आधुनिक खगोल-भौतिकी का जनक माना जाता है। विज्ञान के इतिहास में केपलर के इन तीन नियमों का चिरस्थायी महत्त्व है। ग्रहों की गतियों से सम्बन्धित केपलर के तीन नियम पहले से तैयार नहीं होते, तो महान न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण का सिद्धान्त हमें इतनी जल्दी उपलब्ध नहीं हो पाता। न्यूटन ने भी स्वीकार किया था : “मैंने जो कुछ पाया है, वह दूसरे महान वैज्ञानिकों के कन्धों पर खड़े होकर ही।” इन ‘दूसरे महान वैज्ञानिकों’ में एक प्रमुख वैज्ञानिक थे—केपलर।
Vanodeya
- Author Name:
Maruti Chitampalli
- Book Type:

- Description: वनोदेय वनसम्पदा प्रकृति का अनोखा उपहार है| वर्षा-पानी, कृषि, पशुपालन आदि अन्य उद्योग भी जंगलों के साथ अभिन्न रूप से जुड़े हैं। प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से कई प्रकार के लाभ जंगलों से हमें प्राप्त होते हैं। भारतीय आध्यात्मिक जीवन-दर्शन एवं चिन्तन के पवित्र तथा उदात्त केन्द्र माने जाते हैं ये। इन्हीं सब विशेषताओं के मद्देनज़र अनादि काल से वनांचल बहुमूल्य धरोहर माने जाते रहे हैं। किन्तु विगत कुछेक दर्शकों से हमने इस धरोहर की रक्षा की और पर्याप्त ध्यान नहीं दिया और अभी भी हम इस ओर अनदेखी ही कर रहे हैं। हम जंगलों की निरन्तर नोच-खसोट और हत्या इतनी निर्ममता से कर रहे हैं कि इससे हमारी सहृदयता पर बड़े-बड़े प्रश्नचिन्ह लगते ही जा रहे हैं। प्रकृति के प्रति यह कृतघ्नता अन्ततः समूची मानवता के विनाश का कारण बन सकती है। दुनिया पर मँडरा रहे इन्हीं ख़तरों के बादलों की ओर ध्यान आकृष्ट करने का प्रयास इस पुस्तक के ज़रिए किया गया है।
Upgrahon Ka Rochak Sansar
- Author Name:
Dr. D.D. Ojha
- Book Type:

- Description: अंतरिक्ष सदैव ही मानव के लिए रहस्यमय रहा है और अंतरिक्ष विज्ञान भी उतना ही प्राचीन है जितना कि स्वयं मानव। भारत ने सर्वप्रथम 19 अप्रैल, 1975 को ‘आर्यभट्ट’ नामक उपग्रह का सफल प्रक्षेपण किया। उस समय अंतरिक्ष कार्यक्रम के क्षेत्र में भारत का स्थान विश्व में 11वाँ था, जो कि संप्रति छठे स्थान पर जा पहुँचा है। भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को गति देने का पूरा श्रेय स्वर्गीय डॉ. विक्रम अंबालाल साराभाई को है, जिनके अथक प्रयासों से भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में इतनी प्रगति की है। ‘चंद्रयान-I’ इस दिशा में भारतीय वैज्ञानिकों की दक्षता एवं क्षमता का द्योतक है। प्रस्तुत पुस्तक में अंतरिक्ष, उपग्रह एवं सुदूर संवेदन से संबंधित महत्त्वपूर्ण विषयों, यथा अंतरिक्ष अन्वेषण, इसमें पशुओं का योगदान, अतीत के अंतरिक्ष विज्ञानी, महिलाएँ, उपग्रह एवं प्रमोचन, विभिन्न प्रकार के उपग्रह, भारत में अंतरिक्ष कार्यक्रम, उद्देश्य, प्रमुख संस्थान, इसरो के जनक वैज्ञानिक, प्रथम अंतरिक्ष यात्री, भारतीय उपग्रहों का विहंगावलोकन, चंद्रयान-I मिशन एवं संबंधित नवीनतम जानकारी, कृत्रिम उपग्रहों के प्रकार, विश्व के अन्य देशों के राष्ट्रीय संचार उपग्रह, आर्यभट्ट, रोहिणी, इनसैट उपग्रह, एजुसैट, कार्टोसैट, इनसैट-4 सी.आर., रिसैट-2 उपग्रह, उपग्रह संचार प्रणाली की विभिन्न क्षेत्रों में उपादेयता, भारत में जी.पी.एस. कार्यक्रम, विश्व के प्रमुख उपग्रह संचार तंत्र, सुदूर संवेदन तकनीक एवं उपयोगिता, भौगोलिक सूचना प्रणाली (जी.आई.एस.) एवं उपयोग, क्वेकसैट तथा सौर ऊर्जा उपग्रह आदि नवीनतम तकनीकी विषयों पर अति दुर्लभ जानकारी अत्यंत सरल एवं बोधगम्य भाषा में यथोचित चित्रों सहित प्रदान की गई है। आशा है, पुस्तक में वर्णित तकनीकी जानकारी से प्रबुद्ध पाठकगण अवश्य लाभान्वित होंगे।
Adbhut Brahmand
- Author Name:
Chandramani Singh
- Book Type:

- Description: यह पुस्तक ब्रह्माण्ड के बनने की जिज्ञासा, उसके बने रहने की उम्मीद और एक दिन उसके ख़त्म होने की आशंकाओं को तमाम वैज्ञानिक साक्ष्यों और आयामों के परिप्रेक्ष्य में सहज-सरल तरीक़े से प्रस्तुत करती है। ब्रह्माण्ड के रहस्यों, खोजों और उसके क्रिया-कलापों तथा घटनाओं में उलझने और उलझाने के बजाय उनको सुलझाने की दृष्टि का यह एक उत्कृष्ट उदाहरण है. लेखक ने न्यूटन, आइन्स्टीन से लेकर आज के वैज्ञानिकों तक के नियमों, सिद्धान्तों और खोजों के परिप्रेक्ष्य में ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति एवं विकास-क्रम, उसके विशाल होने की सम्भावना, आकाशगंगाओं में घटनाओं के चक्र आदि को काल के भीतर और बाहर देखने के लिए कैनवस की सफल रचना की है। साथ ही, यह पुस्तक ब्रह्माण्ड में कृष्ण पदार्थ और कृष्ण ऊर्जा के अस्तित्व तथा महत्त्व; सममिति और दिक् का स्वरूप; महाविस्फोट की पुनर्रचना; बहुब्रह्माण्डीय परिकल्पना; क्वाण्टम-सिद्धान्त; प्रकृति के मौलिक सिद्धान्तों का एकीकरण; सूत्रिका-सिद्धान्त की भूमिका; ब्रह्माण्डीय संयोग; सौन्दर्यमयी ज्यामिति; गुरुत्व एवं ब्रह्माण्ड आदि पाठों के अन्तर्गत विज्ञान-सम्मत सूत्रों को विश्लेषित और परिभाषित करने की अभिनव दृष्टि प्रदान करती है। 'अद्भुत ब्रह्माण्ड’ ब्रह्माण्ड की अन्तर्गुम्फित सत्ताओं के रहस्य के विपरीत उसके अन्वेषण की एक यथार्थवादी भूमिका रेखांकित करती है जो ब्रह्माण्डिकी में अभिरुचि रखनेवाले पाठकों को अपने वर्तमान और भविष्य के प्रति चेतना-सम्पन्न तो बनाती ही है, हिन्दी में विज्ञान विषयक पुस्तकों की कमी की भरपाई भी करती है।
Quantum Mechanics and Field Theory
- Author Name:
B.K. Agarwal
- Book Type:

- Description: Quantum Mechanics and Field Theory
Disruptive Geology Science
- Author Name:
Dr.Sanjay Rout
- Book Type:

- Description: In Disruptive Geology Science: A Global Perspective ,Dr .Sanjay Rout explains his findings through vivid descriptions of case studies from all over the world where he has studied different types of disruptive events related to geologic changes occurring within regions affected by them first hand including Japan’s 2011 Fukushima Daiichi nuclear disaster resulting from seismic activity causing catastrophic damage throughout its surrounding areas; India’s 2004 tsunami event triggered off Indian Ocean coasts due to shifts along tectonic plates beneath sea levels; USA's Yellowstone National Park experiencing frequent earthquakes since 2017 leading up towards potential volcanic eruption scenarios near future dates etc., just some examples among many others included inside this book providing readers with comprehensive overview regarding current state affairs when it comes down dealing with disruptive phenomena associated Earth Sciences field work nowadays worldwide! Overall , Disruptive Geology Science is an essential read for anyone interested in understanding more about what causes geological disturbances on planet Earth - whether naturally occurring ones (such volcanoes) man made ones (like fracking), & their implications upon nearby communities living close proximity sites where these events take place – so we may better prepare ourselves against any risks posed them time goes one way direction only forward cannot go back ! The author does excellent job presenting complex topics easy understand manner allowing readers gain valuable insight into realm earth sciences critical importance sustainable development global scale going further ahead next century beyond.
Earth Science Progress
- Author Name:
Dr.Sanjay Rout
- Book Type:

- Description: Introducing "Earth Science Progress: Discovering the Wonders of Our Planet", the definitive guide to understanding the Earth's dynamic systems and the cutting-edge research that is driving the field forward.Authored by renowned scientist, Dr.Sanjay Rout, this book takes readers on a journey through the fascinating world of Earth science. With a focus on the latest developments in the field and practical applications, Dr. Rodriguez provides a comprehensive overview of the Earth's geological, atmospheric, and oceanic systems. Some of the topics covered in the book include: The Earth's structure and geological processes The role of plate tectonics in shaping the planet's surface The Earth's atmosphere and climate system The oceanic and coastal environments and their importance for life on Earth The latest advances in remote sensing and geospatial technologies Through clear explanations and real-world examples, this book will inspire readers to develop a deeper appreciation for the wonders of our planet and the complex interplay between its many systems. Whether you are a student, researcher, or simply a curious reader, "Earth Science Progress" is an essential resource for anyone interested in gaining a deeper understanding of the Earth's dynamic processes. Get your copy today and start your journey towards discovering the wonders of our planet!
Chemical Technology Futurity
- Author Name:
Dr.Sanjay Rout
- Book Type:

- Description: Chemical Technology Futurity is a book written by Dr. Sanjay Rout, an expert in the field of chemical engineering and technology development. This book provides readers with an extensive overview of the current state of chemical technology as well as a glimpse into its future potentials. It examines how advances in chemistry can be used to create new products, materials and processes that will shape our world for generations to come. The first section of Chemical Technology Futurity focuses on the history and fundamentals behind some major breakthroughs in chemistry over recent decades such as nanotechnology, biotechnology, fuel cells and green energy technologies like solar power or wind turbines . Dr Brantley then goes on to discuss how these advancements have impacted society thus far – from improved health care options through better drug delivery systems or cheaper food production techniques - before delving into their potential applications for tomorrow’s world including artificial intelligence (AI), robotics , 3D printing , renewable resources management etc.. He also looks at what challenges may arise along this journey towards technological progress such as ethical considerations when it comes to AI-driven decision making or environmental issues due increasing levels pollution caused by industrial activities . Overall Chemical Technology Futurity is an insightful read which offers readers invaluable insight into both present day achievements within chemistries realm but also its possible futures developments if we are able tap properly use all available resources wisely while remaining conscious about any associated risks involved along way .
Element Science Prospects
- Author Name:
Dr.Sanjay Rout
- Book Type:

- Description: Introducing "Element Science Prospects: The Future of Materials", a groundbreaking exploration of the exciting and rapidly evolving field of materials science. Authored by leading scientist, Dr. Sanjay Rout, this concise book offers a glimpse into the latest developments in the field, including cutting-edge research and emerging technologies. With a focus on the practical applications of materials science, Dr.Rout highlights the potential for new and innovative materials to transform industries ranging from medicine to aerospace. In this book, you'll discover: The latest breakthroughs in materials research, from nanotechnology to biomaterials The role of materials science in solving some of the world's biggest challenges, including climate change and energy storage The potential for new materials to transform industries such as healthcare, electronics, and transportation Through clear explanations and real-world examples, "Element Science Prospects" offers a unique insight into the exciting world of materials science and the boundless potential for innovation and progress. Whether you are a student, researcher, or simply a curious reader, this book is an essential resource for anyone interested in understanding the future of materials. Get your copy today and discover the limitless possibilities of materials science!
20vin Sadi Mein Bhautik Vigyan
- Author Name:
Gunakar Muley
- Book Type:

-
Description:
सभी वैज्ञानिक विषयों का मूल भौतिकी है, इसी से जैव-भौतिकी, रसायन-भौतिकी और आनुवंशिकी जैसी विज्ञान-सरणियों का उदय हुआ। भौतिक तकनीकी से ही लेसर और कम्प्यूटर जैसे साधनों की खोज हुई। कहा जाता है कि व्यापक आपेक्षिकता का सिद्धान्त आज तक का सबसे सुन्दर सिद्धान्त रहा है।
आइंस्टाइन के इस क्रान्तिकारी सिद्धान्त के बाद परमाणु का विखंडन सम्भव हुआ और अपार ऊर्जा का स्रोत मनुष्य के हाथ लगा। पिछले नौ दशकों में भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में असाधारण प्रगति हुई है जिसके चलते हम विज्ञान की नई क्रान्ति के द्वार पर खड़े हैं।
हिन्दी में विज्ञान को सरल भाषा में जनसाधारण तक सफलतापूर्वक पहुँचाने वाले गुणाकर मुळे की यह पुस्तक मूलतः 1972 में ‘साप्ताहिक हिन्दुस्तान’ में प्रकाशित उनकी लेखमाला का संकलित रूप है। इन लेखों को चित्रों तथा हिन्दी-अंग्रेज़ी पारिभाषिक शब्दावली से समृद्ध कर, और उपयोगी रूप में इस पुस्तक में प्रस्तुत किया गया है।
कहने की ज़रूरत नहीं कि मुळे जी की अन्य पुस्तकों की तरह यह पुस्तक भी न सिर्फ़ विज्ञान में रुचि रखनेवाले पाठकों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी, बल्कि साधारण पाठकों में वैज्ञानिक विषयों के प्रति नई रुचि भी जाग्रत करेगी।
भौतिकी के जिन विषयों को इस पुस्तक में समाहित किया गया है, उनमें प्रमुख रूप से सापेक्षवाद और क्वांटम सिद्धान्त, परमाणु ऊर्जा और प्राथमिक कणों की दुनिया के साथ-साथ भौतिक विज्ञानों के भविष्य पर एक सामग्री विश्लेषण भी शामिल है।
Antariksha Yatra
- Author Name:
Gunakar Muley
- Book Type:

- Description: विज्ञान के क्षेत्र में अन्तरिक्ष-अनुसन्धान सदैव ही उत्सुकता का विषय रहा है। पाठक इस विषय की मूलभूत और सैद्धान्तिक बातों को सहज-सरल तरीक़े से समझना चाहते रहे हैं। उनकी उत्सुकता के विषय आम तौर पर यह रहते हैं कि अन्तरिक्षयान पृथ्वी से चन्द्र, मंगल या शुक्र तक किस प्रकार पहुँचते हैं? राकेट किस प्रकार बनता है और यह कैसे कार्य करता है? राकेट में किन ईंधनों का इस्तेमाल होता है? राकेट-यानों को पार्थिव कक्षाओं में किस प्रकार स्थापित किया जाता है? ऊपर अन्तरिक्ष में भार-रहित अवस्था का निर्माण क्यों होता है? भविष्य में दूर के ग्रहों तथा नज़दीक के तारों तक की यात्राएँ कैसे सम्पन्न होंगी? इत्यादि। अपनी 'अन्तरिक्ष-यात्रा’ पुस्तक में प्रसिद्ध विज्ञान लेखक गुणाकर मुळे ने इन सारे प्रश्नों के साथ-साथ 'महिला अन्तरिक्ष-यात्री’, 'अन्तरिक्ष में भारत के बढ़ते क़दम’, 'अन्तरिक्ष में हथियारों की होड़’ जैसे विषयों की भी गहराई से पड़ताल की है, ताकि पाठक अन्तरिक्ष के हर एक पहलू से ठीक-ठीक अवगत हो सकें। पुस्तक में बहुत-से चित्र हैं, जो इस विषय की कई सूक्ष्म बातों को समझने में सहायक सिद्ध होंगे। विषय को ऐतिहासिक पृष्ठभूमि में प्रस्तुत किया गया है, ताकि पाठकों को विकास की भी जानकारी मिल सके, इसलिए परिशिष्ट में 'अन्तरिक्ष-यात्रा विज्ञान का संक्षिप्त विकासक्रम’ अध्याय विशेष महत्त्व का बन पड़ा है। साथ ही, विषय से सम्बन्धित 'हिन्दी-अंग्रेज़ी पारिभाषिक शब्दावली’ होने से पाठक अतिरिक्त रूप से लाभान्वित हो सकेंगे। अन्तरिक्ष-यात्रा के सैद्धान्तिक और ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में ठोस आधार पर लिखी गई यह पुस्तक पाठकों के साथ-साथ शोधार्थियों और अध्येताओं के लिए भी उपयोगी सिद्ध होगी।
Hamari Pramukh Rashtriya Prayogshalayen
- Author Name:
Gunakar Muley
- Book Type:

- Description: वैज्ञानिक प्रयोगशालाएँ आधुनिक भारत की प्रगतिशील यात्रा के पड़ाव भी हैं और उसे बल देनेवाले शक्ति–केन्द्र भी। ये प्रयोगशालाएँ देश के विद्यार्थियों को बड़े पैमाने पर शोधकार्य करने की सहूलियतें देती हैं, उन्हें अपनी प्रतिभा का उपयोग करने का अवसर प्रदान करती हैं, और इस प्रकार देश के वैज्ञानिक व आर्थिक विकास को गति देती हैं। हमारी प्रमुख विज्ञान–संस्था ‘वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसन्धान परिषद’ (सी.एस.आई.आर.) के तहत तीस राष्ट्रीय प्रयोगशालाएँ और बारह सरकारी औद्योगिक संस्थाएँ कार्यरत हैं। इस पुस्तक के लेखक और वैज्ञानिक विषयों के विद्वान गुणाकर मुळे 1994–95 में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की सलाहकार समिति के सदस्य थे। उसी समय उन्होंने यह विचार प्रकट किया था कि इन प्रयोगशालाओं में क्या कार्य हो रहे हैं, और उनके प्रमुख शोध–क्षेत्र क्या–क्या हैं, इस विषय में जनसाधारण को बहुत ज़्यादा जानकारी नहीं है, जबकि इन प्रयोगशालाओं पर देश की जनता का ही पैसा खर्च होता है। परिषद द्वारा उनके विचार का अनुमोदन मिलने पर उन्होंने देश–भर की प्रयोगशालाओं में जाकर उनके कार्य को देखा और वहाँ हो रही शोध–प्रक्रियाओं को समझा। उनकी इन्हीं यात्राओं का नतीजा है यह पुस्तक। देश की विभिन्न प्रयोगशालाओं के इतिहास, उनके कार्यों, उपलब्धियों और सम्बन्धित विषयों की सम्पूर्ण जानकारी से लैस इस पुस्तक में गुणाकर मुळे ने अत्यन्त सरल भाषा में आधुनिक भारत के इन शक्तिपीठों का वर्णन किया है। निस्सन्देह, यह पुस्तक देश की वैज्ञानिक प्रगति में रुचि रखनेवाले जिज्ञासु पाठकों के लिए उपादेय और रुचिकर सिद्ध होगी।
Mendeleev
- Author Name:
Gunakar Muley
- Book Type:

- Description: आज यदि हम किसी स्कूल-कॉलेज में रसायन-विज्ञान की प्रयोगशाला या कक्षा में जाएँ, तो वहाँ दीवार पर टँगा हुआ एक चार्ट अवश्य देखने को मिलेगा। यह है—तत्त्वों की ‘आवर्त्त-तालिका’ का चार्ट, जिसकी खोज रूस के महान वैज्ञानिक दिमित्री मेंडेलीफ (1834-1907 ई.) ने 1869 ई. में की थी। इस आवर्त्त-तालिका को देखने से ही तत्त्वों के परमाणु-भार और उनके अन्य कई गुणधर्मों के बारे में तत्काल जानकारी मिल जाती है। मेंडेलीफ के पहले तत्त्वों के अध्ययन में कोई तारतम्यता नहीं थी। मेंडेलीफ ने तत्त्वों को उनके परमाणु-भार के अनुसार सात स्तम्भों की एक तालिका में सजाया, तो उनमें एक नियमबद्धता दिखाई दी। वस्तुजगत में जहाँ पहले अनेकरूपता दिखाई देती थी, उसके मूल में यह अद्भुत एकसूत्रता प्रकट हुई। मेंडेलीफ ने जब आवर्त्त-तालिका की खोज की, तब वैज्ञानिकों को 63 मूलतत्त्व ही मालूम थे। उस समय आवर्त्त-तालिका में कई स्थान अभी ख़ाली थे। लेकिन मेंडेलीफ के जीवनकाल में 86 तत्त्व खोजे जा चुके थे। आज यदि हम आवर्त्त-तालिका को देखें, तो उसमें 110 के आसपास तत्त्व दिखाई देंगे। उसमें आप यह भी देखेंगे कि 101 नम्बर के तत्त्व का नाम ‘मेंडेलेवियम’ है—मेंडेलीफ की महान खोज ‘आवर्त्त-तालिका’ में स्वयं उनके नामवाला एक तत्त्व। मेंडेलीफ का जीवन परिश्रम, लगन, त्याग और सेवाभाव की एक लम्बी कथा है। वे अपने स्वभाव में ही नहीं, वेश-भूषा में भी एक ऋषि-मुनि जैसे दिखते थे। वे एक सफल अध्यापक थे। उनके विद्यार्थी उन्हें बेहद प्यार करते थे। उनकी शवयात्रा में उनके विद्यार्थी एक लम्बे-चौड़े बोर्ड को ऊपर उठाए आगे-आगे चल रहे थे। उस बोर्ड पर अंकित थी मेंडेलीफ की महान खोज-तत्त्वों की आवर्त्त-तालिका। आशा है, विज्ञान के विद्यार्थी, और अध्यापक ‘मेंडेलीफ’ के इस नए संशोधित संस्करण को प्रेरणाप्रद और उपयोगी पाएँगे।
Albert Einstein
- Author Name:
Gunakar Muley
- Book Type:

- Description: विख्यात वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टाइन (1879-1955 ई.) द्वारा प्रतिपादित आपेक्षिता-सिद्धान्त को वैज्ञानिक चिन्तन की दुनिया में एक क्रन्तिकारी खोज की तरह देखा जाता है। क्वांटम सिद्धान्त के आरम्भिक विकास में भी उनका बुनियादी योगदान रहा है। इन दो सिद्धान्तों ने भौतिक विश्व की वास्तविकता को समझने के लिए नए साधन तो प्रस्तुत किए ही हैं, मानव-चिन्तन को भी बहुत गहराई से प्रभावित किया है। इन्होंने हमें एक नितान्त नए अतिसूक्ष्म और अतिविशाल जगत के दर्शन कराए हैं। अब द्रव्य, ऊर्जा, गति, दिक् और काल के स्वरूप को नए नज़रिए से देखा जाने लगा है।< आपेक्षिता-सिद्धान्त से, विशेषज्ञों को छोड़कर, अन्य सामान्य जन बहुत कम परिचित हैं। इसे एक ‘क्लिष्ट’ सिद्धान्त माना जाता है। बात सही भी है। भौतिकी और उच्च गणित के अच्छे ज्ञान के बिना इसे पुर्णतः समझना सम्भव नहीं है। मगर आपेक्षिता और क्वांटम सिद्धान्त की बुनियादी अवधराणाओं और मुख्य विचारों को विद्यार्थियों व सामान्य पाठकों के लिए सुलभ शैली में प्रस्तुत किया जा सकता है—इस बात को यह ग्रन्थ प्रमाणित कर देता है। न केवल हमारे साहित्यकारों, इतिहासकारों व समाजशास्त्रियों को, बल्कि धर्माचार्यों को भी इन सिद्धान्तों की मूलभूत धारणाओं और सही निष्कर्षों की जानकारी अवश्य होनी चाहिए। आइंस्टाइन और उनके समकालीन यूरोप के अन्य अनेक वैज्ञानिकों के जीवन-संघर्ष को जाने बग़ैर नाजीवाद-फासीवाद की विभीषिका का सही आकलन क़तई सम्भव नहीं है। आइंस्टाइन की जीवन-गाथा को जानना, न सिर्फ़ विज्ञान के विद्यार्थियों-अध्यापकों के लिए, बल्कि जनसामान्य के लिए भी अत्यावश्यक है। आइंस्टाइन ने दो विश्वयुद्धों की विपदाओं को झेला और अमरीका में उन्हें मैकार्थीवाद का मुक़ाबला करना पड़ा। वे विश्व-सरकार के समर्थक थे, वस्तुतः एक विश्व-नागरिक थे। भारत से उन्हें विशेष लगाव था। हिन्दी माध्यम से आपेक्षिता, क्वांटम सिद्धान्त, आइंस्टाइन की संघर्षमय व प्रमाणिक जीवन-गाथा और उनके समाज-चिन्तन का अध्ययन करनेवाले पाठकों के लिए एक अत्यन्त उपयोगी, संग्रहणीय ग्रन्थ—विस्तृत ‘सन्दर्भो व टिप्पणियों’ तथा महत्तपूर्ण परिशिष्टों सहित।
Ank Katha
- Author Name:
Gunakar Muley
- Book Type:

- Description: अंकों की जिस थाती ने हमें आज इस लायक़ बनाया है कि हम चाँद और अन्य ग्रहों पर न सिर्फ़ पहुँच गए बल्कि कई जगह तो बसने की योजना तक बना रहे हैं, उन अंकों का आविष्कार भारत में हुआ था। वही 1,2,3,4...आदि अंक जो इस तरह हमारे जीवन का हिस्सा हो चुके हैं कि हम कभी सोच भी नहीं पाते कि इनका भी आविष्कार किया गया होगा, और ऐसा भी एक समय था जब ये नहीं थे। हिन्दी के अनन्य विज्ञान लेखक गुणाकर मुळे की यह पुस्तक हमें इन्हीं अंकों के इतिहास से परिचित कराती है। पाठकों को जानकर आश्चर्य होगा कि दुनिया में चीज़ों को गिनने की सिर्फ़ यही एक पद्धति हमेशा से नहीं थी। लगभग हर सभ्यता ने अपनी अंक-पद्धति का विकास और प्रयोग किया। लेकिन भारत की इस पद्धति के सामने आने के बाद इसी को पूरे विश्व ने अपना लिया, जिसका कारण इसका अत्यन्त वैज्ञानिक और सटीक होना था। मैक्स मूलर ने कहा था कि ‘संसार को भारत की यदि एकमात्र देन केवल दशमिक स्थानमान अंक पद्धति ही होती, और कुछ भी न होता तो भी यूरोप भारत का ऋणी रहता।’ इस पुस्तक में गुणाकर जी ने विदेशी अंक पद्धतियों के विस्तृत परिचय, यथा—मिस्र, सुमेर-बेबीलोन, अफ्रीका, यूनानी, चीनी और रोमन पद्धतियों की भी तथ्यपरक जानकारी दी है। इसके अलावा गणितशास्त्र के इतिहास का संक्षिप्त परिचय तथा संख्या सिद्धान्त पर आधारभूत और विस्तृत सामग्री भी इस पुस्तक में शामिल है। कुछ अध्यायों में अंक-फल विद्या और अंकों को लेकर समाज में प्रचलित अन्धविश्वासों का विवेचन भी लेखक ने तार्किक औचित्य के आधार पर किया है जिससे पाठकों को इस विषय में भी एक नई और तर्कसंगत दृष्टि मिलेगी।
Koutuka Vijnana
- Author Name:
R B Gurubasavaraj
- Book Type:

- Description: DESCRIPTION AWAITED
Bhartiya Ank-Paddhati Ki Kahani
- Author Name:
Gunakar Muley
- Book Type:

- Description: विश्व संस्कृति को भारत की एक महानतम देन है—दस अंक-संकेतों पर आधारित स्थानमान अंक-पद्धति। आज सारे सभ्य संसार में इसी दशमिक स्थानमान अंक-पद्धति का इस्तेमाल होता है। न केवल यह अंक-पद्धति बल्कि इसके साथ संसार के अनेक देशों में प्रयुक्त होने वाले 1, 2, 3, 9...और शून्य संकेत भी, जिन्हें आज हम ‘भारतीय अन्तरराष्ट्रीय अंक’ कहते हैं, भारतीय उत्पत्ति के हैं। देवनागरी अंकों की तरह इनकी व्युत्पत्ति भी पुराने ब्राह्मी अंकों से हुई है। ‘भारतीय अंक-पद्धति की कहानी’ में भारतीय प्रतिभा की इस महान उपलब्धि के उद्गम और देश-विदेश में इसके प्रचार-प्रसार का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया गया है। साथ ही, अपने तथा दूसरे देशों में प्रचलित पुरानी अंक-पद्धतियों का भी संक्षिप्त परिचय दिया गया है। अन्त में, आजकल के इलेक्ट्रॉनिक गणक-यंत्रों में प्रयुक्त होनेवाली द्वि-आधारी अंक-पद्धति को भी समझाया गया है। इस प्रकार, इस पुस्तक में आदिम समाज से लेकर आधुनिक काल तक की सभी प्रमुख गणना-पद्धतियों की जानकारी मिल जाती है। विभिन्न अंक-पद्धतियों के स्वरूप को भली-भाँति समझने के लिए पुस्तक में लगभग चालीस चित्र हैं। न केवल विज्ञान के, विशेषतः गणित के विद्यार्थी, बल्कि भारतीय संस्कृति के अध्येता भी इस पुस्तक को उपयोगी पाएँगे। हमारे शासन ने ‘भारतीय अन्तरराष्ट्रीय अंकों’ को ‘राष्ट्रीय अंकों’ के रूप में स्वीकार किया है। फिर भी, बहुतों के दिमाग़ में इन ‘अन्तरराष्ट्रीय अंकों’ के बारे में आज भी काफ़ी भ्रम है—विशेषतः हिन्दी-जगत् में। इस भ्रम को सही ढंग से दूर करने के लिए हमारे शासन की ओर से अभी तक कोई पुस्तक प्रकाशित नहीं हुई है। ‘भारतीय अन्तरराष्ट्रीय अंकों’ की उत्पत्ति एवं विकास को वैज्ञानिक ढंग से प्रस्तुत करनेवाली यह हिन्दी में, सम्भवतः भारतीय भाषाओं में, पहली पुस्तक है। ‘भारतीय अंक-पद्धति की कहानी’ एक प्रकार से लेखक की इस माला में प्रकाशित भारतीय लिपियों की कहानी की परिपूरक कृति है। अतः इसे भारतीय इतिहास और पुरालिपि-शास्त्र के पाठक भी उपयोगी पाएँगे।
Surya
- Author Name:
Gunakar Muley
- Book Type:

- Description: धरती का समूचा जीवन सूर्य पर निर्भर है। इसलिए यदि यह कहा जाए कि सूर्य के बारे में जानना विश्व-जीवन को जानना है, तो ग़लत न होगा। इस नाते खगोल विज्ञान विषयक हिन्दी लेखकों में अग्रगण्य गुणाकर मुळे की यह पुस्तक न सिर्फ़ अद्यतन जानकारियों, बल्कि अपने सरल और रोचक भाषा-शिल्प की दृष्टि से भी अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। विद्वान लेखक ने इस कृति को ‘सूर्य और हम’, ‘सूर्य देवता’, ‘सूर्य : एक सामान्य तारा’, ‘सूर्य का परिवार’, ‘किरणों की भाषा’, ‘सूर्य की भट्ठी’, ‘सूर्य की सतह और इसका बाह्य वातावरण’, ‘पृथ्वी पर सूर्य का प्रभाव’, ‘सूर्य का जन्म और अन्त’ नामक नौ अध्यायों में बाँटा है। साथ ही परिशिष्ट में सूर्य सम्बन्धी विशिष्ट आँकड़े और तत्सम्बन्धी हिन्दी-अंग्रेज़ी पारिभाषिक शब्दावली इस पुस्तक को और अधिक उपयोगी बनाते हैं। लेखक के शब्दों को उद्धृत करें तो ‘हिन्दी में सूर्य पर यह अपनी तरह की पहली पुस्तक है।’ दरअसल पृथ्वी से सूर्य की दूरी, सूर्य के व्यास, सूर्य-सतह के क्षेत्रफल, उसके आयतन, द्रव्यमान, औसत घनत्व, घूर्णन-काल, उसकी सतह और केन्द्र के तापमान आदि खगोल भौतिकी के जटिल आँकड़े कहानी की तरह रोचक होकर हमारे सामने आते हैं, फलस्वरूप ज्ञान का एक विराट कोश सहज ही हमारे भीतर समा जाता है।
Bharat Mein Vigyan Aur Takneeki Pragati
- Author Name:
A. Rahman
- Book Type:

- Description: पाश्चात्य विद्वान ऐसा बताते रहे हैं कि विज्ञान एवं टेक्नोलॉजी पाश्चात्य वस्तु है। इस दृष्टिकोण के अन्तर्गत यह ग्रीस में शुरू हुई और कुछ समय बाद पुन: यूरोप में प्रकट हुई, तब से जो उन्नति हुई वह मानव इतिहास में अद्वितीय है। उनके अनुसार, इस उन्नति से बाक़ी विश्व को लाभ हुआ है। वह आगे बताते हैं कि इस समय यूरोप इस ज्ञान को उन देशों में प्रसारित कर रहा है जिनमें इसे जज़्ब करने की क्षमता है। लेकिन आज हमें जो ऐतिहासिक साक्ष्य उपलब्ध हैं, वह इसके विरुद्ध हैं। इतिहास पर एक सरसरी नज़र दौड़ाने से यह स्पष्ट हो जाता है कि विज्ञान एवं टेक्नोलॉजी भारतीय संस्कृति के अंश और उसकी सभ्यता का आधार रहे हैं। अपने इतिहास के हर काल में भारतीयों ने विज्ञान एवं टेक्नोलॉजी में उल्लेखनीय योगदान दिया। यह ज्ञान पूर्णत: उपलब्ध था और विश्व के भिन्न भागों में और भिन्न संस्कृतियों में फैला। पूर्व में चीन और इंडोनेशिया, पश्चिमी एशिया, केन्द्रीय एशिया और यूरोप ने भारत से जो कुछ ग्रहण किया, उससे पर्याप्त लाभ उठाया। अन्धकार युग में और 12वीं से 18वीं सदी के सात सौ वर्षों की अवधि में भारत में संस्कृत, अरबी और फ़ारसी में विज्ञान एवं टेक्नोलॉजी पर दस हज़ार ग्रन्थ लिखे गए। यह फ़ेहरिस्त अन्तिम नहीं है। इसके अलावा इन भाषाओं और अन्य भारतीय भाषाओं में अनेक ग्रन्थ थे। इसलिए जो अब किया जा रहा है, वह उसी परम्परा का पुनरुद्धार है जिसे औपनिवेशिक राज में भंग कर दिया गया था। आज़ादी के विगत वर्षों ने देश को, जो कभी सिर्फ़ यूरोप को कच्चा माल देता था, विश्व की तीसरी सबसे बड़ी वैज्ञानिक और तकनीकी शक्ति के रूप में रुपान्तरित किया है। भारत आणविक, अन्तरिक्ष, सागरीय और अटलांटिक क्लब में प्रवेश कर चुका है। विज्ञान के विख्यात अध्येता ए. रहमान की यह पुस्तक स्वतंत्र भारत में विज्ञान और तकनीकी प्रगति के विभिन्न आयामों को रेखांकित करती हुई हमें इस प्रगति का एक सम्पूर्ण तथ्यात्मक विवरण उपलब्ध कराती है।
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...