Antariksh: Ek Nayi Duniya, Ek Naya Bhavishya
Author:
K. SiddharthaPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
Science0 Reviews
Price: ₹ 512
₹
640
Unavailable
अंतरिक्ष हमारी सारी समस्याओं का समाधान कर रहा है। मोबाइल और इंटरनेट उसी के अंश हैं। भारत में चंद्रयान कौ सफलता भारत की अब तक की सबसे बड़ी वैज्ञानिक उपलब्धि है। इसने विज्ञान अर्थव्यवस्था और राजनीतीकरण के बिल्कुल नए आयाम खोल दिए हैं।
अंतरिक्ष विज्ञान पर हिंदी में बहुत पुस्तकें नहीं हैं और आसान भाषा में आम पाठकों को समझ में आने लायक शायद ही किसी पुस्तक का नाम स्मृति में आता है। इस पुस्तक की सबसे बड़ी विशेषता इसकी सहज, सरल, आकर्षक और आसानी से कठिन वैज्ञानिक विषय को समझाने की खूबी है।
प्रस्तुत पुस्तक में प्रयास किया गया है कि कठिन-से-कठिन अंतरिक्ष शब्दावली को आसान-से-आसान भाषा में किस तरह से पिरोया जाए, जिससे कि उनका मूल अर्थ भी प्रभावित न हो और साधारण पाठक को उसके बारे में पूरी और सही जानकारी भी हासिल हो सके।
यह पुस्तक उन सभी उद्यमियों के लिए है, जो अंतरिक्ष को एक अवसर के रूप में देख रहे हैं, जो इस नवीन आयाम का सुख उठाना चाह रहे हैं। यह पुस्तक उन सभी के लिए भी लाभदायक और संग्रहणीय है, जो अंतरिक्ष विज्ञान को जानना चाहते हैं।
ISBN: 9789395386845
Pages: 325
Avg Reading Time: 11 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: विज्ञान के क्षेत्र में अन्तरिक्ष-अनुसन्धान सदैव ही उत्सुकता का विषय रहा है। पाठक इस विषय की मूलभूत और सैद्धान्तिक बातों को सहज-सरल तरीक़े से समझना चाहते रहे हैं। उनकी उत्सुकता के विषय आम तौर पर यह रहते हैं कि अन्तरिक्षयान पृथ्वी से चन्द्र, मंगल या शुक्र तक किस प्रकार पहुँचते हैं? राकेट किस प्रकार बनता है और यह कैसे कार्य करता है? राकेट में किन ईंधनों का इस्तेमाल होता है? राकेट-यानों को पार्थिव कक्षाओं में किस प्रकार स्थापित किया जाता है? ऊपर अन्तरिक्ष में भार-रहित अवस्था का निर्माण क्यों होता है? भविष्य में दूर के ग्रहों तथा नज़दीक के तारों तक की यात्राएँ कैसे सम्पन्न होंगी? इत्यादि। अपनी 'अन्तरिक्ष-यात्रा’ पुस्तक में प्रसिद्ध विज्ञान लेखक गुणाकर मुळे ने इन सारे प्रश्नों के साथ-साथ 'महिला अन्तरिक्ष-यात्री’, 'अन्तरिक्ष में भारत के बढ़ते क़दम’, 'अन्तरिक्ष में हथियारों की होड़’ जैसे विषयों की भी गहराई से पड़ताल की है, ताकि पाठक अन्तरिक्ष के हर एक पहलू से ठीक-ठीक अवगत हो सकें। पुस्तक में बहुत-से चित्र हैं, जो इस विषय की कई सूक्ष्म बातों को समझने में सहायक सिद्ध होंगे। विषय को ऐतिहासिक पृष्ठभूमि में प्रस्तुत किया गया है, ताकि पाठकों को विकास की भी जानकारी मिल सके, इसलिए परिशिष्ट में 'अन्तरिक्ष-यात्रा विज्ञान का संक्षिप्त विकासक्रम’ अध्याय विशेष महत्त्व का बन पड़ा है। साथ ही, विषय से सम्बन्धित 'हिन्दी-अंग्रेज़ी पारिभाषिक शब्दावली’ होने से पाठक अतिरिक्त रूप से लाभान्वित हो सकेंगे। अन्तरिक्ष-यात्रा के सैद्धान्तिक और ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में ठोस आधार पर लिखी गई यह पुस्तक पाठकों के साथ-साथ शोधार्थियों और अध्येताओं के लिए भी उपयोगी सिद्ध होगी।
Upgrahon Ka Rochak Sansar
- Author Name:
Dr. D.D. Ojha
- Book Type:

- Description: अंतरिक्ष सदैव ही मानव के लिए रहस्यमय रहा है और अंतरिक्ष विज्ञान भी उतना ही प्राचीन है जितना कि स्वयं मानव। भारत ने सर्वप्रथम 19 अप्रैल, 1975 को ‘आर्यभट्ट’ नामक उपग्रह का सफल प्रक्षेपण किया। उस समय अंतरिक्ष कार्यक्रम के क्षेत्र में भारत का स्थान विश्व में 11वाँ था, जो कि संप्रति छठे स्थान पर जा पहुँचा है। भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को गति देने का पूरा श्रेय स्वर्गीय डॉ. विक्रम अंबालाल साराभाई को है, जिनके अथक प्रयासों से भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में इतनी प्रगति की है। ‘चंद्रयान-I’ इस दिशा में भारतीय वैज्ञानिकों की दक्षता एवं क्षमता का द्योतक है। प्रस्तुत पुस्तक में अंतरिक्ष, उपग्रह एवं सुदूर संवेदन से संबंधित महत्त्वपूर्ण विषयों, यथा अंतरिक्ष अन्वेषण, इसमें पशुओं का योगदान, अतीत के अंतरिक्ष विज्ञानी, महिलाएँ, उपग्रह एवं प्रमोचन, विभिन्न प्रकार के उपग्रह, भारत में अंतरिक्ष कार्यक्रम, उद्देश्य, प्रमुख संस्थान, इसरो के जनक वैज्ञानिक, प्रथम अंतरिक्ष यात्री, भारतीय उपग्रहों का विहंगावलोकन, चंद्रयान-I मिशन एवं संबंधित नवीनतम जानकारी, कृत्रिम उपग्रहों के प्रकार, विश्व के अन्य देशों के राष्ट्रीय संचार उपग्रह, आर्यभट्ट, रोहिणी, इनसैट उपग्रह, एजुसैट, कार्टोसैट, इनसैट-4 सी.आर., रिसैट-2 उपग्रह, उपग्रह संचार प्रणाली की विभिन्न क्षेत्रों में उपादेयता, भारत में जी.पी.एस. कार्यक्रम, विश्व के प्रमुख उपग्रह संचार तंत्र, सुदूर संवेदन तकनीक एवं उपयोगिता, भौगोलिक सूचना प्रणाली (जी.आई.एस.) एवं उपयोग, क्वेकसैट तथा सौर ऊर्जा उपग्रह आदि नवीनतम तकनीकी विषयों पर अति दुर्लभ जानकारी अत्यंत सरल एवं बोधगम्य भाषा में यथोचित चित्रों सहित प्रदान की गई है। आशा है, पुस्तक में वर्णित तकनीकी जानकारी से प्रबुद्ध पाठकगण अवश्य लाभान्वित होंगे।
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