Jagadguru Shri Shankaracharya
Author:
Deendayal UpadhyayPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
Other0 Reviews
Price: ₹ 160
₹
200
Unavailable
"हमारे राष्ट्र निर्माताओं में जगद्गुरु श्री शंकराचार्य का स्थान बहुत ऊँचा है। कई विद्वानों ने तो उन्हें आधुनिक हिंदू धर्म का जनक ही कहा है। शंकराचार्य ने समस्त हिंदू-राष्ट्र को एक सूत्र में पिरोने एवं उसे संगठित करने का प्रयास किया। देश के चारों कोनों पर चार धामों के प्रति श्रद्धा केंद्रित करते हुए उन्होंने संपूर्ण भारतवर्ष की, मातृ-भू की मूर्ति जन-जन के हृदय पर अंकित कर दी। पंचायतन का पूजन प्रारंभ कर विभिन्न संप्रदायों को एक-दूसरे के आराध्य देवों के प्रति केवल सहिष्णुता का भाव ही नहीं तो सभी देवताओं के प्रति अपने इष्टदेव के माध्यम से वही श्रद्धा एवं आदर का भाव व्यक्त करने को प्रेरित किया, इसके अनुसार प्रत्येक पाँचों देवताओं—विष्णु, शुक्र, शक्ति, गणपति और सूर्य की पूजा करता है। अपनी श्रद्धा के अनुसार अपने इष्टदेव को बीच में तथा चारों ओर अन्य चार देवताओं को रखकर पूजन करने की उसे छूट है। चार धामों के समान ही उन्होंने समाज को धर्म मार्ग पर नियंत्रित एवं अनुशासित रखने के लिए चार शंकराचार्यों की अध्यक्षता में भारत के चारों कोनों में चार मठ स्थापित किए।
—दीनदयाल उपाध्याय
ISBN: 9789351867913
Pages: 112
Avg Reading Time: 4 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Kamta Prasad Singh ‘Kaam’ Pratinidhi Rachnayen
- Author Name:
Dr. Rashmi Singh +1
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Praja Parishad Ka Itihas | Struggle Story of Jammu and Kashmir
- Author Name:
Prof. Kul Bhushan Mohtra
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
B.Sc Nursing General Nursing and Midwifery (GNM) Training Selection Examination 2023 Guide with Practice Sets in Hindi
- Author Name:
Team Prabhat
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Gita Vatika ke Chune Huye Pushp
- Author Name:
Gita Manishi Pujya Swami Gyananandji Maharaj
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Tamil Ki Lokpriya Kahaniyan
- Author Name:
Dr. A. Bhawani
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Arastu
- Author Name:
Sukesh kumar
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Celebrating Parenting
- Author Name:
Shabanam Gupta
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Nature, Science and Modern Life
- Author Name:
Dr. Y.S. Rajan
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
All India Sainik School Entrance Exam-2024 Study Guide with Solved Papers For Class 6
- Author Name:
Team Prabhat
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Napoleon Hill Ke Mahan Bhashan
- Author Name:
Napoleon Hill
- Book Type:

- Description: उद्देश्य की निश्चितता के बिना इस संसार में कभी किसी ने कोई भी सार्थक उपलब्धि प्राप्त नहीं की। हो सकता है कि आपके छोटे-छोटे उद्देश्य हों; लेकिन आप यदि जीवन में सफल होना चाहते हैं तो भविष्य में आपको कोई ऐसा लक्ष्य तय करना होगा, जिसे आपने अब तक प्राप्त नहीं किया है और कुछ ऐसा, जो यह बताता है कि आपके लिए सफल जीवन का अर्थ क्या है। इस युग में सबसे बड़ा पाप यह है कि अधिकांश लोग न केवल अधिक मेहनत करने से बचते हैं, बल्कि यकीन मानिए, मेहनत करने से ही बचते हैं। मनुष्य अपना ही साँचा गढ़ता है। अपना भाग्य वह खुद लिख सकता है, अपने भविष्य को स्वयं आकार दे सकता है। अपना काम स्वयं तय कर सकता है। आप गरीबी के बारे में सोच सकते हैं, आप विफलता के बारे में सोच सकते हैं, आप पराजय के विषय में सोच सकते हैं और आपको बिलकुल यही सब मिलेगा। आप सफलता के बारे में सोच सकते हैं, पैसों की बाढ़ के बारे में सोच सकते हैं, आप उपलब्धि के विषय में सोच सकते हैं और आपको यही मिलेगा। —इसी पुस्तक से सैल्फ हैल्प पुस्तकों के विश्वविख्यात लेखक नेपोलियन हिल ने अपने भाषणों में जीवन के व्यावहारिक पहलू बताए हैं। उनके दीर्घ अनुभव से आमजन लाभ उठा सकें, इसी उद्देश्य से इस पुस्तक में उनके प्रमुख भाषण संकलित किए गए हैं। ये आपको प्रेरित करेंगे, आत्मविश्वास बढ़ाएँगे व सफलता प्राप्त करने के लिए उद्यत करेंगे।
Samaj - Vigyan Vishwakosh : Vols. 1-6
- Author Name:
Abhay Kumar Dubey
- Book Type:

-
Description:
छह खंडों और तीन हज़ार पृष्ठों में फैला समाज-विज्ञान और मानविकी का यह विश्वकोश राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय ख्याति के 26 विद्वानों के मार्गदर्शन में 60 समाज-वैज्ञानिकों द्वारा अनुवाद का सहारा लिए बिना मूल हिन्दी में तैयार किया गया है। कोश की 1015 प्रविष्टियाँ विश्व के 229 समाज-वैज्ञानिकों, सिद्धान्तकारों, दार्शनिकों, समाज-चिन्तकों, साहित्य-निर्माताओं और विमर्शकारों के कृतित्व की जानकारी देने के साथ-साथ सभी महत्त्वपूर्ण अवधारणाओं, दर्शनों, बहसों, क्रान्तियों और आन्दोलनों का विश्लेषणात्मक परिचय देती हैं। अर्थशास्त्र की 104, इतिहास की 107, अन्तरराष्ट्रीय सम्बन्ध की 52, दर्शन की 135, राजनीतिशास्त्र की 448, मीडिया, फ़िल्म और टीवी-अध्ययनों की 50, स्त्री और सेक्सुअलिटी-अध्ययन की 69, समाजशास्त्र और मानवशास्त्र की 140 प्रविष्टियों के अतिरिक्त इस कोश में गांधी-विचार से सम्बन्धित 32 और मार्क्सवाद से सम्बन्धित 117 प्रविष्टियाँ भी दर्ज हैं।
समाजशास्त्र, मानवशास्त्र, राजनीतिशास्त्र, अर्थशास्त्र, भाषाशास्त्र, मनोविज्ञान, स्त्री-अध्ययन, सेक्सुअलिटी-अध्ययन, संस्कृति-अध्ययन, अन्तरराष्ट्रीय सम्बन्ध-अध्ययन, मीडिया-अध्ययन, फ़िल्म-अध्ययन, टीवी-अध्ययन, साहित्य-अध्ययन, इतिहास और दर्शनशास्त्र के अध्येताओं, छात्रों, अध्यापकों, पत्रकारों, बुद्धजीवियों और गम्भीर पाठकों के लिए उपयोगी इस कोश की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसकी 430 प्रविष्टियाँ भारतीय दर्शन, राजनीति, समाज, संस्कृति, मीडिया, आधुनिकता और इतिहास पर विशेष रूप से प्रकाश डालती हैं। भारतीय लोकतंत्र, भारतीय राज्य, भारतीय सेकुलरवाद, दलित-विमर्श, हिन्दुत्ववादी विमर्श, भारत के राजनीतिक दलों और राज्यों की राजनीति की जानकारी देनेवाली प्रविष्टियों के अतिरिक्त भारतीय धर्म-दर्शन से सम्बन्धित प्रविष्टियों में उन दार्शनिकों, विचारकों और सिद्धान्तकारों के बौद्धिक परिचय भी शामिल हैं जिन्हें अंग्रेज़ी और पश्चिम द्वारा थमाए गए सिद्धान्तों के प्रभाव में लगभग अदृश्य कर दिया गया है। कई प्रविष्टियाँ आधुनिक भारत की संस्थागत संरचना में निर्णायक योगदान देनेवाली हस्तियों पर भी हैं। विश्वकोश में हिन्दी के निर्माताओं, साहित्य और विचार-जगत पर भी काफ़ी सामग्री है।
‘अतिक्रमण’ से ‘अन्तरराष्ट्रीय मुद्राकोष’ तक पहले खंड की 154 प्रविष्टियों में इतिहास-लेखन के अनाल स्कूल से लेकर टॉयनबी और स्पेंगलर के कृतित्व; कौटिल्य के अर्थशास्त्र और आर्यभट्ट के योगदान; एडम स्मिथ, अल्फ़्रेड मार्शल और अमर्त्य सेन के आर्थिक चिन्तन; एंटोनियो ग्राम्शी के विचारों; आधुनिकता की सैद्धान्तिक योजना; अमेरिका के अफ़र्मेटिव एक्शन और भारत में आरक्षण के विभिन्न पहलुओं; उपनिवेशवाद विरोधी आन्दोलन के सशस्त्र और शान्तिपूर्ण आयामों, अल-ग़ज़ाली, इब्न ख़ाल्दून, अल-किन्दी, अबु-अला मौदूदी और असग़र अली इंजीनियर के विमर्श; एडमंड बर्क, ई.एच. कार, एडवर्ड सईद, एरिक फ़्रॉम और आशिस नंदी के विमर्श की झलकियाँ; अमेरिकी क्रान्ति और आत्मसम्मान आन्दोलन से लेकर अंग्रेज़ी हटाओ आन्दोलन तक के ब्योरे शामिल हैं।
Sukhan Tumhare
- Author Name:
Faiz Ahmed 'Faiz' +1
- Book Type:

- Description: 1951 की एक सुबह उर्दू के मशहूर शायर फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ के घर पर छापा पड़ा और उन्हें रावलपिंडी साज़िश केस में उनके घर से गिरफ़्तार किया गया। घर से ले जाते वक़्त उन्हें कपड़े तक बदलने की मोहलत नहीं दी गई। फ़ैज़ के परिवार पर ये एक मुसीबत के दौर का आग़ाज़ था। उनकी पत्नी एलिस के अलावा उनकी दो लड़कियाँ मुनीज़ा और सलीमा भी अब लाहौर में अकेली रह गई थीं। मगर इस मुसीबत का सामना फ़ैज़ और एलिस ने जिस बहादुरी और हिम्मत से किया और अपने आपसी प्रेम को इस हिज्र और फ़ासले में और गहरा करते हुए, अपनी मोहब्बत के धारे को दुखी इनसानों के दर्दो ग़म को समझने की तरफ़ जिस तरह मोड़ा, ये बात इन ख़तों को पढ़ने से पता चलती है। इन ख़तों में जहाँ एक तरफ़ फ़ैज़ की बे-परवा, आज़ाद और शायराना फ़ितरत का पता मिलता है, वहीं एलिस के जज़्बे, याद के दुःख और राज्य से सीधे टकरा जाने का जज़्बा भी साफ़ दिखाई देता है। हम इन ख़तों को पढ़ कर ही जान पाते हैं कि अगर ये हादसा फ़ैज़ की ज़िन्दगी में न गुज़रा होता तो हम फ़ैज़ की उस बाग़ी शायरी से शायद महरूम रहते जिसने उनसे इनसान की उस हिम्मत पर यादगार नज़्में और ग़ज़लें लिखवाईं, जिसे कोई भी रियासत, कैसी भी सियासत क़ैद में डाल कर फ़ना नहीं कर सकती। उसकी आवाज़ को रोकना ना-मुमकिन है, जैसा कि फ़ैज़ ने लिखा था— मता-ए-लौह-ओ-क़लम छिन गई तो क्या ग़म है कि ख़ून-ए-दिल में डुबो ली हैं उंगलियाँ मैंने ज़बाँ पे मुहर लगी है तो क्या कि रख दी है हर एक हल्क़ा-ए-ज़ंजीर में ज़बाँ मैंने
Kabeer Granthawali
- Author Name:
Shyam Sundar Das
- Book Type:

- Description: प्रस्तुत संस्करण ‘कबीर ग्रंथावली’ में कबीरदास के जो दोहे और पद सम्मिलित किए गए हैं, उन्हें आजकल की प्रचलित परिपाटी के अनुसार खराद पर चढ़ाकर सुडौल, सुन्दर और पिंगल के नियमों से शुद्ध बनाने का कोई उद्योग नहीं किया गया, वरन् उद्देश्य यही रहा है कि हस्तलिखित प्रतियों या ग्रन्थसाहब में जो पाठ मिलता है, वही ज्यों-का-त्यों प्रकाशित कर दिया जाए। कबीरदास के पूर्व के किसी भक्त की वाणी नहीं मिलती। हिन्दी साहित्य के इतिहास में वीरगाथा काल की समाप्ति पर मध्यकाल का आरम्भ कबीरदास जी से होता है, अतएव इस काल के वे आदिकवि हैं। उस समय भाषा का रूप परिमार्जित और संस्कृत नहीं हुआ था। कबीरदास स्वयं पढ़े-लिखे नहीं थे। उन्होंने जो कुछ कहा है, वह अपनी प्रतिभा तथा भावुकता के वशीभूत होकर कहा है। उनमें कवित्व उतना नहीं था जितनी भक्ति और भावुकता थी। उनकी अटपट वाणी हृदय में चुभनेवाली है। अतएव उसे ज्यों का त्यों प्रकाशित कर देना ही उचित जान पड़ा और यही किया भी गया है। आशा है, पुस्तक विद्यार्थियों, शोधार्थियों तथा पाठकों का मार्गदर्शन करने में सहायक सिद्ध होगी।
The Invisible Power of Habits: Small Steps For Big Impact
- Author Name:
Abhishek Jain
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Haryana Police Ke Veer
- Author Name:
Dr. Hanif Qureshi
- Book Type:

- Description: हरियाणा पुलिस के शहीदों की वीरता की कहानियों को इस पुस्तक में संकलित किया गया है। हरियाणा पुलिस 24x7x365 आधार पर अपराधियों, आतंकवादियों और कानून तोड़नेवालों के खिलाफ चौबीसों घंटे कार्य करती है। पी.के. अग्रवाल, भा.पु.से. पुलिस महानिदेशक, हरियाणा
Main Tilak Bol Raha Hoon
- Author Name:
Giriraj Sharan Agrawal
- Book Type:

- Description: "भारत माँ के अमर सपूत लोकमान्य बालगंगाधर तिलक एक संघर्षशील राजनेता थे। उन्होंने मृतप्राय भारतीय समाज को संघर्ष करने की प्रेरणा दी। इस संघर्ष से एक नए समाज का उदय हुआ, एक नए युग का आरंभ हुआ। स्वराज्य उनके लिए धर्म था, स्वराज्य उनके लिए जीवन था। स्वदेशी आंदोलन के लिए उन्होंने गणपति महोत्सव शुरू किया, भारतीयों को विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार के लिए तैयार किया। कोरे आदर्शवाद से लोकमान्य का संपर्क नहीं था। उन्होंने व्यावहारिक विषयों पर व्यावहारिक दृष्टिकोण से चिंतन किया। उनका चिंतन उनके कार्यों का आधार बना। लोकमान्य तिलक तत्कालीन शिक्षा-प्रणाली से पूर्णत: असंतुष्ट थे। तिलक चाहते थे कि हमारी शिक्षा-प्रणाली स्वतंत्र देश के समान हो। उन्होंने राष्ट्रीय एकता के लिए मातृभाषा के माध्यम से शिक्षा दिए जाने पर जोर दिया। तिलक अपने तेज से एक पूरे युग को नई आभा से मंडित कर गए। उन्होंने भारत के स्वतंत्रता-आंदोलन को केवल प्रेरणा ही नहीं दी, वरन् संघर्ष करने की एक निश्चित योजना भी दी। ऐसे अमर साधक, कर्मयोगी, राष्ट्ररक्षक और सत्य के प्रतिपालक लोकमान्य बालगंगाधर तिलक की विचारधारा से अपने देश की युवा पीढ़ी को परिचित कराने और प्रेरित करने का मंगलकारी संकल्प लेकर तैयार किया गया प्रस्तुत संकलन युवा पीढ़ी को समर्पित है। "
Moolchand Agarwal & Krishana Nand Gupt
- Author Name:
Ayodhya Prashad Gupta 'Kumud'
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Kalpit Kathayen
- Author Name:
Dr. Rekha Dwivedi
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
H.G. Wells ki Lokpriya Kahaniyan
- Author Name:
H.G. Wells
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
COVID RAMAYAN
- Author Name:
Madhav Joshi
- Book Type:

- Description: "‘कोविड रामायण’ माधव जोशी का अभिनव प्रयोग है। यह एक फ्यूजन है अतीत का वर्तमान के साथ, कलम का ब्रश के साथ और रेखाओं का शब्दों के साथ। आप चमत्कृत होंगे; चौंक जाएँगे कि कोविड का रामायण से क्या संबंध? कोविड मानवीय इतिहास की सबसे बड़ी त्रासदी रही है। जब किसी को इस समस्या से निपटने का कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था तब माधव जोशी ने सोचा वर्तमान को सुधारने के लिए अतीत से ही सबक लेना होगा क्योंकि अतीत के अनुभव पर वर्तमान जिन सपनों को गढ़ता है, वही हमारा भविष्य होता है। इस बिंबविधान के साथ माधव जोशी ने यह नई रामकथा गढ़ी है। इस कथा के जरिए माधव भूत और वर्तमान के समन्वय से ही भविष्य के खतरे का रास्ता ढूँढ़ते हैं। माधव रेखाओं के जादूगर हैं और शब्दों के अद्भुत शिल्पी। कार्टूनिस्ट थोड़े शब्दों में बड़ी बात कहता है। इस लिहाज से यह कोविड रामायण ‘देखन में छोटन लगे, घाव करे गंभीर’ है। इसमें अनेक रंगों की परिकल्पना, ब्रश का संयोजन और शब्दों का शिल्प साथ-साथ चले और प्रसूत हुए हैं। ऐसी है यह बेजोड़ रचना ‘कोविड रामायण’। माधव जोशी ने रामकथा के जरिए कोविड त्रासदी के मर्म को समझाया है। कोरोना धूर्त है, बहुरूपिया है, रावण की तरह अपना रूप बदलता है। इनसे निपटने के लिए माधव जोशी के पास कोदंड राम हैं, जो कोविड के खिलाफ जंग के प्रतीक हैं। राम एक हैं, पर हमारी दृष्टि अलग-अलग। गांधी के राम अलग हैं, लोहिया के राम अलग। वाल्मीकि और तुलसी के राम में भी फर्क है।कंबन के राम अलग और कृतिवास के अलग। भवभूति के राम दोनों से अलग हैं। कबीर ने राम को जाना था तो तुलसी ने माना। भारतीय समाज में मर्यादा, आदर्श, विनय, विवेक, लोकतांत्रिक मूल्यवत्ता और संयम का नाम है राम। माधव जोशी रामायण को महज एक ग्रंथ नहीं आचरण संहिता मानते हैं। उस आचरण संहिता से ही लेखक कोविड से लड़ने की न सिर्फ ताकत पाता है बल्कि आम लोगों के आत्मबल का औजार भी बनता है। कथा, चित्र और प्रस्तुतीकरण मनोहर है। आप भी आनंद लें। —हेमंत शर्मा"
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...